लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ

सूची क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ

क्षुद्रग्रहों की वर्णक्रम-श्रेणियाँ (Asteroid spectral types) उनके उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम), रंग और कभी-कभी ऐल्बीडो (चमकीलेपन) के आधार पर निर्धारित होती हैं। बहुत हद तक यह क्षुद्रग्रहों की सतहों पर मौजूद सामग्रियों का भी संकेत देती हैं। छोटे क्षुद्रग्रहों में क्षुद्रग्रह की ऊपर की सतह और अंदरूनी रचना में कोई अंतर नहीं होता जबकि ४ वेस्टा जैसे बड़े क्षुद्रग्रहों की भीतरी संरचना बाहरी परत से काफ़ी भिन्न हो सकती है। .

31 संबंधों: A-श्रेणी क्षुद्रग्रह, डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक, धातु, प्रकाशानुपात, पैलस (क्षुद्रग्रह), बिबकोड, सिलिका, सीरीस (बौना ग्रह), वर्णक्रम, वॅस्टा (क्षुद्रग्रह), कार्बन, क्षुद्रग्रह, उत्सर्जन वर्णक्रम, १० हायजीया, B-श्रेणी क्षुद्रग्रह, C-श्रेणी क्षुद्रग्रह, D-श्रेणी क्षुद्रग्रह, E-श्रेणी क्षुद्रग्रह, F-श्रेणी क्षुद्रग्रह, G-श्रेणी क्षुद्रग्रह, K-श्रेणी क्षुद्रग्रह, L-श्रेणी क्षुद्रग्रह, M-श्रेणी क्षुद्रग्रह, O-श्रेणी क्षुद्रग्रह, P-श्रेणी क्षुद्रग्रह, Q-श्रेणी क्षुद्रग्रह, R-श्रेणी क्षुद्रग्रह, S-श्रेणी क्षुद्रग्रह, T-श्रेणी क्षुद्रग्रह, V-श्रेणी क्षुद्रग्रह, X-श्रेणी क्षुद्रग्रह

A-श्रेणी क्षुद्रग्रह

A-श्रेणी क्षुद्रग्रह (A-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है। इस प्रकार के क्षुद्रग्रह काफ़ी कम हैं और सन् २०१५ तक केवल १७ ज्ञात थे। इनके उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) में १ माइक्रोमीटर के तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ) पर एक अवशोषण बैंड (absorption band) दिखता है जो ओलीवाइन की मौजूदगी का संकेत है। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि यह ऐसे क्षुद्रग्रहों के भूप्रावार (मैंटल) का भाग होते हैं जिनमें सामग्री (धूल, बर्फ़, पत्थर व धातु) का परतीकरण हो चुका हो और जिन्हें ठोकर लगने से उनके कुछ भाग उखड़ गए हो। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और A-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक या डिजिटल ऑब्जेक्ट आएडॅन्टीफ़ायर (डी॰ओ॰आई॰, digital object identifier) एक क्रमांक है जिसके ज़रिये किसी भी डिजिटल वस्तु (जैसे कोई चित्र, विडियो, गाना, दस्तावेज़, इत्यादि) को एक अनूठा नाम दिया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान ("इंटरनैशनल डी॰ओ॰आई॰ फ़ाउन्डेशन") ने इस विधि का विकास किया और वही डी॰ओ॰आई॰ प्रणाली के साथ पंजीकृत की गयी वस्तुओं की सूची रखता है। डी॰ओ॰आई॰ के साथ दर्ज की गयी हर वस्तु के बारे में डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक के साथ कुछ जानकारी रखी जाती है - जैसे उसका नाम, उसके सृष्टिकर्ता का नाम, सृष्टि का दिवस, इत्यादि। यह प्रणाली जनता के लिए खुली नहीं है। डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ नियमपत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं और उन्हें सालाना शुल्क देना होता है। २०१० तक अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ लगभग ४,००० संस्थानें पंजीकृत थीं जिन्हें डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने का अधिकार था और ४ करोड़ से कुछ ज़्यादा वस्तुएँ दर्ज की जा चुकी थीं। डी॰ओ॰आई॰ का एक बहुत बड़ा फ़ायदा यह है के अगर किसी चीज़ का डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक पता हो तो उसे जल्दी से वेब पर ढूँढा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी पाई जा सकती है। क्योंकि हर पंजीकृत चीज़ का अलग और अनूठा क्रमांक होता है इसलिए अगर किसी चीज़ का कोई साधारण सा नाम हो, जैसे "पेड़ की तस्वीर", जिस नाम से लाखों वस्तुएँ मौजूद हों, तो भी उसी एक वस्तु को ढूँढने में दिक्कत नहीं होती जिसकी ज़रुरत हो। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक · और देखें »

धातु

'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) ---- '''धातुएँ''' - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और धातु · और देखें »

प्रकाशानुपात

२००३-२००४ में पृथ्वी के भिन्न क्षेत्रों का औसत ऐल्बीडो - ऊपरी चित्र बिना बादलों के ऐल्बीडो दर्शाता है और निचला चित्र बादलों के साथ अपने ऊपर पड़ने वाले किसी सतह के प्रकाश या अन्य विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) को प्रतिबिंबित करने की शक्ति की माप को प्रकाशानुपात (Albedo / ऐल्बीडो) या धवलता कहते हैं। अगर कोई वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को पूरी तरह वापस चमका देती है तो उसका ऐल्बीडो १.० या प्रतिशत में १००% कहा जाता है। खगोलशास्त्र में अक्सर खगोलीय वस्तुओं का एल्बीडो जाँचा जाता है। पृथ्वी का ऐल्बीडो ३० से ३५% के बीच में है। पृथ्वी के वायुमंडल के बादल बहुत रोशनी वापस चमका देते हैं। अगर बादल न होते तो पृथ्वी का ऐल्बीडो कम होता। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और प्रकाशानुपात · और देखें »

पैलस (क्षुद्रग्रह)

हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई पैलस की तस्वीर पैलस, जिसका औपचारिक नाम 2 पैलस (2 Pallas) है, सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे में स्थित एक क्षुद्रग्रह है। इसका व्यास (डायामीटर) 530 से 565 किलोमीटर है, यानि अकार में यह वॅस्टा के बराबर है या उस से थोड़ा बड़ा है। फिर भी वॅस्टा से घनत्व कम होने के कारण इसका द्रव्यमान (मास) वॅस्टा से लगभग 20% कम है। माना जाता है यह सौर मण्डल की सब से बड़ी वस्तु है जिसे उसके अपने गुरुत्वाकर्षण बल ने गोल नहीं कर दिया है। सूरज के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हुए इसकी कक्षा (ऑर्बिट) थोड़ी बेढंगी है, जिस वजह से इसके पास शोध यान भेजने में विशेष कठिनाई है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और पैलस (क्षुद्रग्रह) · और देखें »

बिबकोड

बिबकोड (अंग्रेज़ी: Bibcode) एक अभिज्ञापक (आइडॅन्टिफ़ायर) है जिसका प्रयोग खगोलशास्त्रीय ज्ञानकोशों में खगोलशास्त्र-सम्बन्धी लेखों और अन्य सामग्री की पहचान करने के लिए किया जाता है। इसका आविष्कार सिम्बाद और नासा के कोषों में प्रयोग के लिए हुआ था लेकिन अब इसे अन्य स्थानों पर भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें हर लेख या पुस्तक के लिए एक १९ अक्षरों और अंकों का अभिज्ञापक होता है जिसका रूप इस प्रकार होता है: YYYYJJJJJVVVVMPPPPA। इसमें.

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और बिबकोड · और देखें »

सिलिका

बालू या रेत सिलिका या सिलिकॉन डाईऑक्साइड (Silica, SiO2), खनिज सिलिकन और ऑक्सीजन के योग से बना है। यह निम्नलिखित खनिजों के रूप में मिलता है: १. क्रिस्टलीय: जैसे क्वार्ट्ज २. गुप्त क्रिस्टलीय: जैसे चाल्सीडानी, ऐगेट और फ्लिंट ३. अक्रिस्टली: जैसे ओपल। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और सिलिका · और देखें »

सीरीस (बौना ग्रह)

हबल अन्तरिक्षीय दूरबीन द्वारा २००३-०४ में ली गयी सीरीस की तस्वीर सीरीस या सीरीज़ हमारे सौर मण्डल के क्षुद्रग्रह घेरे में स्थित एक बौना ग्रह है। इसका व्यास लगभग ९५० किमी है और यह अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है। यह क्षुद्रग्रह घेरे की सब से बड़ी वस्तु है और इसमें उस पूरे घेरे की लाखों खगोलीय वस्तुओं के पूरे सम्मिलित द्रव्यमान का लगभग एक-तिहाई सीरीस में निहित है। माना जाता है के सीरीस बर्फ़ और पत्थर का बना हुआ है। अधिकतर वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं के इसकी सतह बर्फ़ीली और अन्दर का केंद्रीय भाग पत्थरीला है। ऐसा भी संभव है के पत्थर और बर्फ़ के बीच एक पानी की मोटी तह हो। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और सीरीस (बौना ग्रह) · और देखें »

वर्णक्रम

एक इन्द्रधनुष के अनगिनत रंग एक वर्णक्रम में व्यवस्थित होते हैं एक तारे के प्रकाश के वर्णक्रम से उस तारे का तापमान और बनावट अनुमानित किया जा सकता है वर्णक्रम या स्पॅकट्रम (spectrum) किसी चीज़ की एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें उस चीज़ की विविधताएँ किसी गिनती की श्रेणियों में सीमित न हों बल्कि किसी संतात्यक (कन्टिन्यम) में अनगिनत तरह से विविध हो सके। "स्पॅकट्रम" शब्द का इस्तेमाल सब से पहले दृग्विद्या (ऑप्टिक्स) में किया गया था जहाँ इन्द्रधनुष के रंगों में अनगिनत विविधताएँ देखी गयीं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और वर्णक्रम · और देखें »

वॅस्टा (क्षुद्रग्रह)

घूर्णन (रोटेशन) करते हुए वॅस्टा का चित्रण डॉन शोध यान द्वारा ली गई वॅस्टा की तस्वीर वॅस्टा (Vesta), जिसका औपचारिक नाम 4 वॅस्टा है, सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे में स्थित एक क्षुद्रग्रह है। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 530 किलोमीटर है और सीरीस बौने ग्रह के बाद यह क्षुद्रग्रह घेरे की दूसरी सब से बड़ी वस्तु है। पूरे क्षुद्रग्रह घेरे की सारी वस्तुओं को अगर मिला लिया जाए तो उसका 9% द्रव्यमान (मास) वॅस्टा में है। यह क्षुद्रग्रह घेरे की सब से रोशन वस्तु भी है। 16 जुलाई 2011 को अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान एजेंसी नासा का डॉन शोध यान वॅस्टा के इर्द-गिर्द कक्षा में आकर उसकी परिक्रमा करने लगा। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और वॅस्टा (क्षुद्रग्रह) · और देखें »

कार्बन

कार्बन का एक बहुरूप हीरा। कार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट। पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन या प्रांगार एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। कार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 होते हैं। कार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है। कार्बन के परमाणुओं में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण कार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें हीरा, ग्रेफाइट काजल, कोयला प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं वायु में जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस बनाते हैं। हाइड्रोजन, हीलियम एवं आक्सीजन के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। कार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। कार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। चीन के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और रोम के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। लेवोजियर ने १७७२ में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा कार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप फुलेरेन की खोज १९९५ ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और कार्बन · और देखें »

क्षुद्रग्रह

क्षुद्रग्रह क्षुद्रग्रह (English: Asteroid) अथवा ऐस्टरौएड एक खगोलिय पिंड होते है जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते हे। यह आपने आकार में ग्रहो से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते है। खोजा जाने वाला पहला क्षुद्रग्रह, सेरेस, 1819 में ग्यूसेप पियाज़ी द्वारा पाया गया था और इसे मूल रूप से एक नया ग्रह माना जाता था। इसके बाद अन्य समान निकायों की खोज के बाद, जो समय के उपकरण के साथ, प्रकाश के अंक होने लगते हैं, जैसे सितारों, छोटे या कोई ग्रहिक डिस्क नहीं दिखाते हैं, हालांकि उनके स्पष्ट गति के कारण सितारों से आसानी से अलग हो सकते हैं। इसने खगोल विज्ञानी सर विलियम हर्शल को "ग्रह", शब्द को प्रस्तावित करने के लिए प्रेरित किया, जिसे ग्रीस में ἀστεροειδής या एस्टरियोइड्स के रूप में तब्दील किया गया, जिसका अर्थ है 'तारा-जैसे, तारा-आकार', और प्राचीन ग्रीक ἀστήρ astér 'तारा, ग्रह से व्युत्पन्न '। उन्नीसवीं सदी के शुरुआती छमाही में, शब्द "क्षुद्रग्रह" और "ग्रह" (हमेशा "नाबालिग" के रूप में योग्य नहीं) अभी भी एक दूसरे का प्रयोग किया गया था पिछले दो शताब्दियों में एस्टरॉयड डिस्कवरी विधियों में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है 18 वीं शताब्दी के आखिरी वर्षों में, बैरन फ्रांज एक्सवेर वॉन जैच ने 24 खगोलविदों के समूह को एक ग्रह का आयोजन किया, जिसमें आकाश के बारे में 2.8 एयू के बारे में अनुमानित ग्रह के लिए आकाश की खोज थी, जिसे टिटियस-बोद कानून द्वारा आंशिक रूप से खोज की गई थी। कानून द्वारा अनुमानित दूरी पर ग्रह यूरेनस के 1781 में सर विलियम हर्शल। इस काम के लिए ज़ोनियाकल बैंड के सभी सितारों के लिए हाथों से तैयार हुए आकाश चार्ट तैयार किए जाने की आवश्यकता है, जो कि संवेदनाहीनता की सीमा के नीचे है। बाद की रातों में, आकाश फिर से सनदी जाएगा और किसी भी चलती वस्तु को उम्मीद है, देखा जाना चाहिए। लापता ग्रह की उम्मीद की गति प्रति घंटे 30 सेकंड का चाप था, पर्यवेक्षकों द्वारा आसानी से पता चला। मंगल ग्रह से पहले क्षुद्रग्रह छवि (सेरेस और वेस्ता) - जिज्ञासा (20 अप्रैल 2014) द्वारा देखा गया। पहला उद्देश्य, सेरेस, समूह के किसी सदस्य द्वारा नहीं खोजा गया था, बल्कि 1801 में सिसिली में पालेर्मो के वेधशाला के निदेशक ग्यूसेप पियाज़ी ने दुर्घटना के कारण नहीं खोजा था। उन्होंने वृषभ में एक नया सितारा की तरह वस्तु की खोज की और कई वस्तुओं के दौरान इस ऑब्जेक्ट के विस्थापन का अनुसरण किया। उस वर्ष बाद, कार्ल फ्रेडरिक गॉस ने इस अज्ञात वस्तु की कक्षा की गणना करने के लिए इन टिप्पणियों का इस्तेमाल किया, जो मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच पाया गया था। पियाजी ने इसे कृषि के रोमन देवी सेरेस के नाम पर रखा था। अगले कुछ वर्षों में तीनों क्षुद्रग्रहों (2 पल्लस, 3 जूनो और 4 वेस्ता) की खोज की गई, साथ में वेस्ता को 1807 में मिला। आठ वर्षों के व्यर्थ खोजों के बाद, अधिकांश खगोलविदों ने मान लिया था कि अब और नहीं और आगे की खोजों को छोड़ दिया गया था। हालांकि, कार्ल लुडविग हेन्के ने दृढ़ किया, और 1830 में अधिक क्षुद्रग्रहों की खोज करना शुरू कर दिया। पन्द्रह वर्ष बाद, उन्हें 38 अस्वास्थापों में पहला नया क्षुद्रग्रह पाया गया, जो 5 अस्त्रिया पाए गए। उन्होंने यह भी पाया 6 हेबे कम से कम दो साल बाद इसके बाद, अन्य खगोलविदों ने खोज में शामिल हो गए और इसके बाद हर वर्ष कम से कम एक नया क्षुद्रग्रह पाया गया (युद्धकालीन वर्ष 1 9 45 को छोड़कर) इस शुरुआती युग के उल्लेखनीय क्षुद्रग्रह शिकारी जे आर हिंद, एनीबेल डी गैसपरिस, रॉबर्ट लूथर, एचएमएस गोल्डस्मिथ, जीन चिकार्नाक, जेम्स फर्ग्यूसन, नॉर्मन रॉबर्ट पॉगसन, ईडब्ल्यू टेम्पाल, जेसी वाटसन, सीएफ़एफ़ पीटर्स, ए। बोरलिलली, जे। पॉलिसा, हेनरी भाई और अगस्टे चार्लोइस 1891 में, मैक्स वुल्फ ने क्षुद्रग्रहों का पता लगाने के लिए "आस्ट्रोफ़ोटोग्राफी" के इस्तेमाल की शुरुआत की, जो लंबे समय तक एक्सपोजर फोटोग्राफिक प्लेट्स पर छोटी धारियों के रूप में दिखाई दिए। इससे पहले दृश्य तरीकों की तुलना में नाटकीय रूप से पहचान की दर में वृद्धि हुई: वुल्फ ने केवल 248 क्षुद्रग्रहों की खोज की, 323 ब्रुसिया से शुरुआत करते हुए, जबकि उस समय तक केवल 300 से थोड़ा अधिक की खोज की गई थी यह ज्ञात था कि वहां बहुत अधिक थे, लेकिन अधिकांश खगोलविदों ने उनके साथ परेशान नहीं किया, उन्हें "आसमान की किरण" कहा, एडुआर्ड सूसे और एडमंड वेज़ के लिए अलग-अलग वाक्यांशों का श्रेय। यहां तक ​​कि एक सदी बाद, केवल कुछ हज़ार क्षुद्रग्रहों की पहचान की गई,क्षुद्रग्रह छोटे ग्रह हैं, विशेषकर इनर सौर मंडल के बड़े लोगों को ग्रहोइड कहा जाता है इन शब्दों को ऐतिहासिक रूप से किसी भी खगोलीय वस्तु पर लागू किया गया है जो कि सूर्य की परिक्रमा करता है, जो कि किसी ग्रह की डिस्क नहीं दिखाया था और सक्रिय धूमकेतु की विशेषताओं को देखते हुए नहीं देखा गया था। के रूप में बाहरी सौर मंडल में छोटे ग्रहों की खोज की गई और उन्हें ज्वालामुखी-आधारित सतहों को मिला जो कि धूमकेतु के समान थे, वे अक्सर क्षुद्रग्रह बेल्ट के क्षुद्रग्रहों से अलग थे। इस लेख में, "एस्टरॉयड" शब्द का अर्थ आंतरिक सौर मंडल के छोटे ग्रहों को संदर्भित करता है जिसमें उन सह-कक्षाओं में बृहस्पति शामिल हैं। वहाँ लाखों क्षुद्रग्रह हैं, बहुत से ग्रहों के बिखर अवशेष, सूर्य के सौर नेब्यूला के भीतर निकाले जाने वाले शरीर के रूप में माना जाता है, जो कि ग्रह बनने के लिए बड़े पैमाने पर कभी बड़ा नहीं बनता था। मंगल और बृहस्पति के कक्षाओं के बीच क्षुद्रग्रहों के बेल्ट में ज्ञात क्षुद्रग्रहों की बड़ी संख्या, या बृहस्पति (बृहस्पति ट्रोजन) के साथ सह-कक्षीय हैं। हालांकि, अन्य कक्षीय परिवारों में पास-पृथ्वी ऑब्जेक्ट्स सहित महत्वपूर्ण आबादी मौजूद है। व्यक्तिगत क्षुद्रग्रहों को उनके विशिष्ट स्पेक्ट्रा द्वारा वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें बहुमत तीन मुख्य समूहों में आती है: सी-टाइप, एम-प्रकार और एस-टाइप। इसका नाम क्रमशः कार्बन-समृद्ध, धातु, और सिलिकेट (पत्थर) रचनाओं के नाम पर रखा गया था। क्षुद्रग्रहों का आकार बहुत भिन्न होता है, कुछ तक पहुंचते हुए 1000 किमी तक पहुंचते हैं। क्षुद्रग्रहों को धूमकेतु और मेटोरोइड से विभेदित किया जाता है धूमकेतु के मामले में, अंतर संरचना में से एक है: जबकि क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से खनिज और चट्टान से बना है, धूमकेतु धूल और बर्फ से बना है इसके अलावा, क्षुद्रग्रहों ने सूरज के करीब का गठन किया, जो कि ऊपर उल्लिखित धूमकेतू बर्फ के विकास को रोकता है। क्षुद्रग्रहों और meteorids के बीच का अंतर मुख्य रूप से आकार में से एक है: उल्कापिंडों का एक मीटर से कम का व्यास है, जबकि क्षुद्रग्रहों का एक मीटर से अधिक का व्यास है। अंत में, उल्कामी द्रव्य या तो समृद्ध या क्षुद्रग्रहयुक्त पदार्थों से बना हो सकता है। केवल एक क्षुद्रग्रह, 4 वेस्ता, जो एक अपेक्षाकृत चिंतनशील सतह है, आमतौर पर नग्न आंखों के लिए दिखाई देता है, और यह केवल बहुत ही अंधेरे आसमान में है जब यह अनुकूल स्थिति है शायद ही, छोटे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के नजदीक से गुजरते हैं, कम समय के लिए नग्न आंखों में दिखाई दे सकते हैं। मार्च 2016 तक, माइनर प्लैनेट सेंटर के आंतरिक और बाहरी सौर मंडल में 1.3 मिलियन से अधिक ऑब्जेक्ट्स पर डेटा था, जिसमें से 750,000 में पर्याप्त जानकारी दी गई पदनामों की जानी थी। संयुक्त राष्ट्र ने 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस की घोषणा की ताकि क्षुद्रग्रहों के बारे में जनता को शिक्षित किया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय एस्टरॉयड दिवस की तारीख 30 जून 1 9 08 को साइबेरिया, रूसी संघ पर टंगुस्का क्षुद्रग्रह की सालगिरह की स्मृति मनाई जाती है।  .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और क्षुद्रग्रह · और देखें »

उत्सर्जन वर्णक्रम

उत्सर्जन वर्णक्रम (emission spectrum) किसी रासायनिक तत्व या रासायनिक यौगिक से उत्पन्न होने वाले विद्युतचुंबकीय विकिरण (रेडियेशन) के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) को कहते हैं। जब कोई परमाणु या अणु अधिक ऊर्जा वाली स्थिति से कम ऊर्जा वाली स्थिति में आता है तो वह इस ऊर्जा के अंतर को फ़ोटोन के रूप में विकिरणित करता है। इस फ़ोटोन​ का तरंगदैर्घ्य (वेवलेन्थ​) क्या है, यह उस रसायन पर और उसकी ऊर्जा स्थिति (तापमान, आदि) पर निर्भर करता है। किसी सुदूर स्थित सामग्री से उत्पन्न विकिरण के वर्णक्रम को यदि परखा जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है कि वह किन रसायनों की बनी हुई है। यही तथ्य खगोलशास्त्र में हमसे हज़ारों प्रकाश-वर्ष दूर स्थित तारों व ग्रहों की रसायनिक रचना समझने में सहयोगी होता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और उत्सर्जन वर्णक्रम · और देखें »

१० हायजीया

१० हायजीया की परिक्रमा कक्षा (नीले रंग) में मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह (सबसे बाहरी लाल) की कक्षाओं के बीच है १० हायजीया (10 Hygiea) हमारे सौर मंडल का चौथा सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है। यह क्षुद्रग्रह घेरे में स्थित है और ३५०-५०० किमी के लगभग अंडाकार आकार के साथ इसमें क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान (मास) का क़रीब २.९% इसी एक क्षुद्रग्रह में निहित है। यह C-श्रेणी क्षुद्रग्रहों का सबसे बड़ा सदस्य है और एक गाढ़े रंग की कार्बनयुक्त सतह रखता है। अपने गहरे रंग के कारण इसे अपने बड़े आकार के बावजूद पृथ्वी से देखना कठिन है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और १० हायजीया · और देखें »

B-श्रेणी क्षुद्रग्रह

हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई २ पैलस की तस्वीर - यह एक B-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है B-श्रेणी क्षुद्रग्रह (B-type asteroid) C-श्रेणी क्षुद्रग्रहों की एक असाधारण श्रेणी है जो कार्बन-युक्त होते हैं। यह आमतौर पर क्षुद्रग्रह घेरे (ऐस्टेरायड बेल्ट) के बाहरी हिस्से में पाए जाते हैं। २ पैलस वाले पैलस परिवार के अधिकांश क्षुद्रग्रह इसी श्रेणी के हैं। माना जाता है कि इनका निर्माण सौर मंडल के सृष्टि-काल में हुआ था। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और B-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

C-श्रेणी क्षुद्रग्रह

C-श्रेणी क्षुद्रग्रह (C-type asteroid) ऐसे क्षुद्रग्रहों की श्रेणी होती हैं जिनमें कार्बन की मात्रा अधिक हो। ज़्यादातर क्षुद्रग्रह - लगभग ७५% - इसी श्रेणी के होते हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और C-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

D-श्रेणी क्षुद्रग्रह

D-श्रेणी क्षुद्रग्रह (D-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है। इसके सदस्यों का ऐल्बीडो (चमकीलापन) बहुत कम (०.१ से कम) होता है और जिनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) बिना किसी ख़ास अवशोषण बैंड (absorption band) के सिर्फ़ एक लालिमा दिखाता है। D-श्रेणी के क्षुद्रग्रह क्षुद्रग्रह घेरे के बाहरी भाग में और उस से भी आगे पाए जाते हैं। कुछ खगोलशास्त्रियों का विचार है कि इस श्रेणी के क्षुद्रग्रह सौर मंडल के दूर-दराज़ कायपर घेरे में उत्पन्न हुए थे। सम्भव है कि सन् २००० में कनाडा में गिरा टगिश झील उल्का एक D-श्रेणी क्षुद्रग्रह का अंश रहा हो। यह भी संकेत है कि मंगल ग्रह का फ़ोबोस उपग्रह भी एक D-श्रेणी क्षुद्रग्रह रहा हो जो मंगल के गुरुत्वाकर्षण द्वारा फंसा लिया गया हो और उसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करने लगा। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और D-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

E-श्रेणी क्षुद्रग्रह

२८६७ स्टाइन्ज़ (2867 Šteins) एक E-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है E-श्रेणी क्षुद्रग्रह (E-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जिसके सदस्यों की सतह अकोन्ड्राइट होती है। यह अनुमान है कि यह सतह 'एनस्टैटाइट' (enstatite) नामक सामग्री से बनी होती है, जो एक मैग्नीसियम-युक्त पाइरॉक्सीन सिलिकेट खनिज है (रासायनिक सूत्र MgSiO3)। क्षुद्रग्रह घेरे के शुरुअती भाग में स्थित हंगेरिया परिवार के क्षुद्रग्रह अक्सर E-श्रेणी के होते हैं लेकिन घेरे के अंदरूनी भाग में इस श्रेणी के क्षुद्रग्रह कम ही मिलते हैं। E-श्रेणी और M-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में बहुत समानताएँ हैं लेकिन E-श्रेणी क्षुद्रग्रहों का ऐल्बीडो (चमकीलापन) अधिक होता है - जहाँ M-श्रेणी का ऐल्बीडो ०.१ से ०.२ के बीच होता है वहाँ E-श्रेणी का ०.३ या उस से ज़्यादा होता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और E-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

F-श्रेणी क्षुद्रग्रह

दूरबीन द्वारा हिलते हुए ७०४ इन्टरैमनिया का चित्र - यह एक F-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है F-श्रेणी क्षुद्रग्रह (F-type asteroid) B-श्रेणी क्षुद्रग्रहों की तरह के असाधारण कार्बन-युक्त क्षुद्रग्रह होते हैं। इनमें और B-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में यह मुख्य अंतर है कि इनके वर्णक्रम में जल की उपस्थिति न के बराबर होती है जबकि B-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में जल (बर्फ़) का संकेत मिलता है। फिर भी इन दोनों का अंतर बहुत कम है और जहाँ थोलेन श्रेणीकरण इन्हें अलग श्रेणियों में बताता है वहाँ SMASS श्रेणीकरण F-श्रेणी हटाकर उसके सारे क्षुद्रग्रहों को B-श्रेणी में ही सम्मिलित कर लेता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और F-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

G-श्रेणी क्षुद्रग्रह

सीरीस, जो सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है, G-श्रेणी का सदस्य है G-श्रेणी क्षुद्रग्रह (G-type asteroid) असाधारण कार्बन-युक्त क्षुद्रग्रह होते हैं। इस श्रेणी का सबसे बड़ा सदस्य १ सीरीस है, जो सबसे विशाल क्षुद्रग्रह भी है। केवल ५% क्षुद्रग्रह इस श्रेणी के होते हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और G-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

K-श्रेणी क्षुद्रग्रह

K-श्रेणी क्षुद्रग्रह (K-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में बहुत कम हैं। इनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) ०.७५ माइक्रोमीटर के पास एक मध्यम लालायित अवशोषण बैंड (absorption band) दिखाता है और उस से अधिक तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ) पर नीला प्रस्तुत करता है। इनका ऐल्बीडो (चमकीलापन) कम होता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और K-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

L-श्रेणी क्षुद्रग्रह

L-श्रेणी क्षुद्रग्रह (L-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में बहुत कम हैं। इनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) ०.७५ माइक्रोमीटर के पास एक लालिमा-पूर्ण अवशोषण बैंड (absorption band) दिखाता है और उस से अधिक तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ) पर साधारण-सा लाल प्रस्तुत करता है। K-श्रेणी क्षुद्रग्रहों की तुलना में यह दिख सकने वाले प्रकाश में अधिक लाल दिखते हैं और अवरक्त (इन्फ़्रारेड) में बैंडहीन होते हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और L-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

M-श्रेणी क्षुद्रग्रह

१६ सायकी (16 Psyche) एक M-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है M-श्रेणी क्षुद्रग्रह (M-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जिसके सदस्यों की बनावट के बारे में केवल अधूरी जानकारी ही उपलब्ध है। इनका ऐल्बीडो (चमक) मध्यम, और उसका माप ०.१ से ०.२ के बीच होता है। M-श्रेणी क्षुद्रग्रहों की तीसरी सबसे बड़ी श्रेणी है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और M-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

O-श्रेणी क्षुद्रग्रह

O-श्रेणी क्षुद्रग्रह (O-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में बहुत-ही कम हैं। इनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) ०.७५ माइक्रोमीटर से अधिक तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ) पर एक गहरा बैंड प्रस्तुत करता है। इनका वर्णक्रम विचित्र वर्णक्रम वाले ३६२८ बोज़नेमचोवा (3628 Božněmcová) से मिलता-जुलता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और O-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

P-श्रेणी क्षुद्रग्रह

७६ फ़्राएया (76 Freia) एक P-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है P-श्रेणी क्षुद्रग्रह (P-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जिसके सदस्यों का ऐल्बीडो (चमकीलापन) बहुत कम (०.१ से कम) होता है और जिनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) बिना किसी ख़ास अवशोषण बैंड (absorption band) के सिर्फ़ एक लालिमा दिखाता है। यह हमारे सौर मंडल की सबसे काली वस्तुओं में से हैं। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि P-श्रेणी क्षुद्रग्रह कार्बनिक-युक्त (ओरगैनिक) सिलिकेट, जल-रहित सिलिकेट और कार्बन की सतह रखते हैं और उनका अंदरूनी भाग पानी की बर्फ़ का बना होता है। कुल मिलाकर ३३ P-श्रेणी के क्षुद्रग्रह ज्ञात हैं और यह क्षुद्रग्रह घेरे (ऐस्टेरोयड बेल्ट) के बाहरी हिस्से में स्थित हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और P-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

Q-श्रेणी क्षुद्रग्रह

Q-श्रेणी क्षुद्रग्रह (Q-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में बहुत कम हैं और क्षुद्रग्रह घेरे के भीतरी भाग में मिलते हैं।Tholen, D. J. (1989).

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और Q-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

R-श्रेणी क्षुद्रग्रह

R-श्रेणी क्षुद्रग्रह (R-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में कम हैं और क्षुद्रग्रह घेरे के भीतरी भाग में मिलते हैं। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और R-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

S-श्रेणी क्षुद्रग्रह

S-श्रेणी क्षुद्रग्रह (S-type asteroid) ऐसे क्षुद्रग्रहों की श्रेणी होती हैं जिनमें सिलिका की मात्रा अधिक हो, यानि यह पत्थरीले क्षुद्रग्रह होते हैं। सारे क्षुद्रग्रहों में से लगभग १७% इस श्रेणी के होते हैं और, C-श्रेणी क्षुद्रग्रहों के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और S-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

T-श्रेणी क्षुद्रग्रह

T-श्रेणी क्षुद्रग्रह (T-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जो संख्या में बहुत कम हैं और क्षुद्रग्रह घेरे के भीतरी भाग में मिलते हैं। इनकी बनावट अज्ञात है। इनका उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) केवल एक ०.८५ माइक्रोमीटर के पास का अवशोषण बैंड (absorption band) दिखाता है, जिसके अलावा केवल एक लालिमा दिखती है। वैज्ञानिको का अनुमान है कि यह जल-रहित होते हैं। सम्भव है कि यह P-श्रेणी क्षुद्रग्रह या D-श्रेणी क्षुद्रग्रह से सम्बन्धित हो, या फिर एक बहुत ही परिवर्तित प्रकार के C-श्रेणी क्षुद्रग्रह हो। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और T-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

V-श्रेणी क्षुद्रग्रह

डॉन शोध यान द्वारा ली गई ४ वेस्टा की तस्वीर - V-श्रेणी का नाम इसी पर पड़ा है V-श्रेणी क्षुद्रग्रह (V-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जिसके सदस्य ४ वेस्टा से मिलते-जुलते हैं (और जिस कारण से इस श्रेणी को 'V' कहा जाता है)। ४ वेस्टा इस श्रेणी का सबसे विशालकाय क्षुद्रग्रह है। हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे के लगभग ६% क्षुद्रग्रह इस श्रेणी के हैं।Tholen, D. J. (1989).

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और V-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

X-श्रेणी क्षुद्रग्रह

२९८ बैप्टिस्टीना के आकाश में मार्ग का चित्र - यह एक X-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है X-श्रेणी क्षुद्रग्रह (X-type asteroid) क्षुद्रग्रहों की एक श्रेणी है जिसके सदस्यों के उत्सर्जन वर्णक्रम (एमिशन स्पेक्ट्रम) में समानता है हालांकि वास्तव में इस श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में बहुत विविधता है। .

नई!!: क्षुद्रग्रह वर्णक्रम श्रेणियाँ और X-श्रेणी क्षुद्रग्रह · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

क्षुद्रग्रहों की वर्णक्रम-श्रेणियाँ

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »