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केशिराज

सूची केशिराज

केशिराज (कन्नड: ಕೇಶಿರಾಜ) तेरहवीं शती के कन्नड वैयाकरण एवं कवि थे। उन्होने 'शब्दमणिदर्पण' नामक प्रसिद्ध कन्नड व्याकरण ग्रन्थ की रचना की थी। इस कार्य के कारण वे कन्नड व्याकरण के सबसे महान सिद्धान्तकार माने जाते हैं। वे संस्कृत के भी पण्डित थे। वे होयसला राजदरबार के प्रतिष्ठित कवि थे। श्रेणी:कन्नड कवि श्रेणी:कन्नड वैयाकरण.

4 संबंधों: शब्दमणिदर्पण, संस्कृत भाषा, कन्नड़ भाषा, कवि

शब्दमणिदर्पण

शब्दमणिदर्पण (कन्नड: ಶಬ್ದಮಣಿದರ್ಪಣ) केसिराज द्वारा सन् १२६० में रचित कन्नड व्याकरण का ग्रंथ है। श्रेणी:कन्नड व्याकरण श्रेणी:कन्नड साहित्य.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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कवि

कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) .

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