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के सन्तानम

सूची के सन्तानम

कस्तूरीरंग संतानम (1895 – फरवरी 28, 1980) भारत के एक राजनेता थे। 1962 में लाल बहादुर शास्त्री ने सन्तानम को भ्रष्टाचार-विरोधी समिति का अध्यक्ष बनाया। इस समिति को 'सन्तानम समिति' कहते हैं। समिति ने बहुत गहराई में जाकर भारतीय भ्रष्टाचार की छानबीन की और अपना प्रतिवेदन दिया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही प्रथम और द्वितीय श्रेणी के सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए 1964 में 'केन्द्रीय सतर्कता आयोग' (सीवीसी) की स्थापना हुई। संतानम समिति ने भ्रष्टाचार के चार प्रमुख कारणों की पहचान की। वे इस प्रकार थे.

4 संबंधों: भारत में भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार, लालबहादुर शास्त्री, केन्द्रीय सतर्कता आयोग

भारत में भ्रष्टाचार

सन २०१५ में विश्व के विभिन्न भागों में भ्रष्टाचार का आकलन भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। .

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भ्रष्टाचार

कोई विवरण नहीं।

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लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द), भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया। परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। .

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केन्द्रीय सतर्कता आयोग

भारत का केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission (CVC)) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९६४ में की गयी थी। इस आयोग के गठन की सिफारिश संथानम समिति (1962-64) द्वारा की गयी थी जिसे भ्रष्टाचार रोकने से सम्बन्धित सुझाव देने के लिए गठित किया गया था। केन्द्रीय सतर्कता आयोग सांविधिक दर्जा (statutory status) प्राप्त एक बहुसदस्यीय संस्था है। केन्द्रीय सतर्कता आयोग किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है। केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नही हो सकते) होते हैं। अप्रैल 2004 के जनहित प्रकटीकरण तथा मुखबिर की सुरक्षा पर भारत सरकार के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरपयोग करने सम्बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्त करने तथा उचित कार्यवाही की सिफारिश करने वाली एक नामित एजेंसी के रूप में प्राधिकृत किया। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सन्तानम समिति, संथानम समिति, के संथानम

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