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किशोर लेखनी

सूची किशोर लेखनी

किशोर लेखनी हिन्दी की एक बाल पत्रिका है। इसका संपादन प्रकाशन देवेन्‍द्र कुमार देवेश द्वारा अपनी किशोर वय में किया गया था। इसका सूत्र वाक्‍य था--किशोरों की, किशोर द्वारा, किशोरों के लिए। पत्रिका के माध्‍यम से बालकिशोरों के साहित्‍य में बालकिशोरों की संवेदना को स्‍थान देने और इसके लिए बालकिशोर रचनात्‍मकता को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन का सूत्रपात किया गया। इस आंदोलन ने व्‍यापक तौर पर बालसाहित्‍य जगत को प्रभावित भी किया। 'बालहंस' आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं द्वारा बालकिशोरों की रचनात्‍मकता को प्रश्रय दिए जाने की शुरुआत हुई।हिन्दी बालसाहित्‍य की दुनिया में बच्‍चों और किशोरों के लिए लिखे जानेवाले साहित्‍य के पार्थक्‍य को भी रेखांकित करने के लिए इस पत्रिका द्वारा आवाज उठाई गई। इस पत्रिका की शुरुआत 1988 से लेकर 1998 तक कुल आठ अंक प्रकाशित हुए। 'किशोर लेखनी' द्वारा शुरू किए गए किशोर रचनात्‍मकता और किशोर साहित्‍य के आंदोलन को व्‍यापक पहचान और समर्थन मिले। 2001 में देवेन्‍द्र कुमार देवेश द्वारा 'किशोर साहित्‍य की संभावनाऍं' नामक एक पुस्‍तक भी संपादित-प्रकाशित हुई, जिसमें हिन्‍दी के 45 प्रतिष्ठित बालसाहित्‍यकारों, संपादकों, आलोचकों के आलेख संगृहीत हैं। .

5 संबंधों: पत्रिका, प्रकाशन, बालहंस, संपादन, हिन्दी

पत्रिका

पत्रिकाएँ पत्रिका वह नियतकालिक कृति है जो मुख्यतः साप्ताहिक होती है। जिसमे विचारतत्व प्रधान होता है। पत्रिकाओं का प्रकाशन एक दिवसीय से लेकर साप्ताहिक भी होता है। .

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प्रकाशन

प्रकाशन निर्माण की वह प्रक्रिया है जिसके द्बारा साहित्य या सूचना को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। अनेक बार लेखक स्वयं ही पुस्तक का प्रकाशक भी होता है। प्रकाशन का शाब्दिक अर्थ है 'प्रकाश में लाना'। यह संस्कृत की "प्रकश" धातु से बना है, जिसका अर्थ है फलाना, विकसित करना। उसी से बना 'प्रकाशन', जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ फैलाने या विकसित करने की क्रिया। आधुनिक संदर्भ में इसकी परिभाषा यों की जा सकती है: लिखित विषय का चुनाव, मुद्रण और वितरण। प्रकाशन का कार्य आज के युग में मुद्रण और कागज पर पूर्णत: निर्भर है, यद्यपि यह दोनों ही चीज़ों से पुराना है। .

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बालहंस

राजस्थान पत्रिका द्वारा बच्चों के लिए प्रकाशित पाक्षिक पत्रिका.

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संपादन

संपादन संशोधन, संक्षेप, संरचना और संगठन द्बारा किसी भाषा, चित्र या ध्वनि को प्रदर्शन के लिए बेहतर बनाने की प्रक्रिया हैं। संपादन करने वाले व्यक्ति को संपादक कहा जाता है। श्रेणी:फ़िल्म श्रेणी:फ़िल्म निर्माण श्रेणी:संपादन श्रेणी:साहित्य श्रेणी:कला श्रेणी:पत्रकारिता fr:Édition (document) no:Redaktør zh:編輯.

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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