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कायस्थ भटनागर सदर सभा हिंद

सूची कायस्थ भटनागर सदर सभा हिंद

कायस्थ भटनागर सदर सभा हिंद भारत में हिन्दुओं की जाति कायस्थ की उपजाति भटनागर समाज की सभा है। इसके प्रथम संस्थापक स्व०बाबू जय प्रकाश जी थे। 1922-23 में कायस्थ भटनागर सदर सभा हिन्द की स्थापना हुई। इन्हें इसका मुख्य सविव चुना गया। तब आवश्यकता हुअई कि इसकी एक पत्रिका भी निकाली जाये। तब भटनागर समाचार का प्रथम अंक निकला। श्रेणी:भटनागर.

3 संबंधों: भटनागर, भटनागर समाचार, कायस्थ

भटनागर

महाराज चित्रगुप्त के परिवार में भटनागरों का स्थान भटनागर उत्तर भारत में प्रयुक्त होने वाला एक जातिनाम है, जो कि हिन्दुओं की कायस्थ जाति में आते है। इनका प्रादुर्भाव यमराज, मृत्यु के देवता, के पप पुण्य के अभिलेखक, श्री चित्रगुप्त जी की प्रथम पत्नी दक्षिणा नंदिनी के द्वितीय पुत्र विभानु के वंश से हुआ है। विभानु को चित्राक्ष नाम से भी जाना जाता है। महाराज चित्रगुप्त ने इन्हें भट्ट देश में मालवा क्षेत्र में भट नदी के पास भेजा था। इन्होंने वहां चित्तौर और चित्रकूट बसाये। ये वहीं बस गये और इनका वंश भटनागर कहलाया। .

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भटनागर समाचार

भटनागर समाचार भारत की कायस्थ भटनागर सदर सभा हिंद की हिन्दी की प्रमुख पत्रिका है। इसके संस्थापक स्व०बाबू जय प्रकाश जी थे। 1922-23 में कायस्थ भटनागर सदर सभा हिन्द की स्थापना हुई। इन्हें इसका मुख्य सविव चुना गया। तब आवश्यकता हुअई कि इसकी एक पत्रिका भी निकाली जाये। तब इसका प्रथम अंक निकला। .

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कायस्थ

कायस्थ भारत में रहने वाले सवर्ण हिन्दू समुदाय की एक जाति है। गुप्तकाल के दौरान कायस्थ नाम की एक उपजाति का उद्भव हुआ। पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता है कि कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी की संतान हैं तथा देवता कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों धर्मों को धारण करने का अधिकार प्राप्त है। वर्तमान में कायस्थ मुख्य रूप से बिसारिया, श्रीवास्तव, सक्सेना,निगम, माथुर, भटनागर, लाभ, लाल, कुलश्रेष्ठ, अस्थाना, कर्ण, वर्मा, खरे, राय, सुरजध्वज, विश्वास, सरकार, बोस, दत्त, चक्रवर्ती, श्रेष्ठ, प्रभु, ठाकरे, आडवाणी, नाग, गुप्त, रक्षित, बक्शी, मुंशी, दत्ता, देशमुख, पटनायक, नायडू, सोम, पाल, राव, रेड्डी, दास, मेहता आदि उपनामों से जाने जाते हैं। वर्तमान में कायस्थों ने राजनीति और कला के साथ विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक विद्यमान हैं। वेदों के अनुसार कायस्थ का उद्गम ब्रह्मा ही हैं। उन्हें ब्रह्मा जी ने अपनी काया की सम्पूर्ण अस्थियों से बनाया था, तभी इनका नाम काया+अस्थि .

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