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क़सीदा बरदा शरीफ़

सूची क़सीदा बरदा शरीफ़

क़सीदा बरदा शरीफ़ से कुछ सुलेखित पाठ मान्य सूफ़ी कवि इमाम बुसीरी (1211 -1294) द्वारा रचित काव्य शब्द क़सीदा बरदा शरीफ़ (अरबी: قصيدة البردة) जो इस्लामी दुनिया में अत्यंत प्रसिद्ध है। .

3 संबंधों: सूफ़ीवाद, इमाम बुसीरी, अरबी

सूफ़ीवाद

सूफ़ीवाद या तसव्वुफ़ इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है। इसके पंथियों को सूफ़ी(सूफ़ी संत) कहते हैं। इनका लक्ष्य आध्यात्मिक प्रगति एवं मानवता की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नहीं करते थे और सादा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें सोहरावर्दी (सुहरवर्दी), नक्शवंदिया, कादिरी, चिष्तिया, कलंदरिया और शुस्तरिया के नाम प्रमुखता से लिया जाता है। माना जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान अल ग़ज़ाली के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में अत्तार, रूमी और हाफ़िज़ जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे। .

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इमाम बुसीरी

सिकन्दरिया, मिस्र में अल-बुसीरी की क़ब्र अल-बुसीरी (अरबी: البوصيري जन्म: 1211 - मौत: 1294), पूरा नाम मुहम्मद बिन सय्यद बिन हम्माद अलसनेआजी अलबुसीरी (अरबी: محمد بن سعيد بن حماد الصنهاجي البوصيري) शाधीलिया शाखा से संबंधित एक सानहाजी बर्बर सूफ़ी इमाम थे। .

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अरबी

अरबी बहुविकल्पी शब्द है जिस्का संबंध निम्नलिखित पृष्ठों से होता है। साहित्य और धर्म में-.

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