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औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र निर्माण

सूची औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र निर्माण

विदेशों में बहुत विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित होने के साथ ही १७ वीं शताब्दी के अंत/१८ वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटिश साम्राज्य के पास कच्चे माल का बहुत विशाल भण्डार और निर्मित वस्तुओं के लिए बहुत बड़ा औपनिवेशिक बाज़ार उपलब्ध था। माल का निर्माण सीमित पैमाने पर वैयक्तिक कर्मियों द्वारा किया जाता था - जिसका निर्माण वे आमतौर पर अपने परिसरों में (जैसे बुनाई कुटीर में) करते थे - और फ़िर उसे घोड़ों और छ्कड़ों, या नावों द्वारा देश के विभिन्न भागों में ले जया जाता था। कृषि और ढुलाई के लिए ऊर्जा की आपूर्ति खींचने वाले पशुओं द्वारा दी जाती थी। सैवाओं के लिए बाज़ार तो था, लेकिन उद्योगों का पैमाना; ऊर्जा के स्रोत; और अंतर्देशीय संचार व्यस्था की अवसंरचना की कमी कुछ ऐसी बाधाएँ थी जिनसे पार पाना कठिन था। इस परिदृश्य में, ब्रिट्श साम्राज्य के लिए औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्त्र विनिर्माण को विकसित करने के लिए सेज तैयार हुई। श्रेणी:औद्योगिक क्रांति श्रेणी:यूरोप का इतिहास श्रेणी:ब्रिटेन का इतिहास.

1 संबंध: औद्योगिक क्रांति

औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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