सामग्री की तालिका
8 संबंधों: पश्चिम बंगाल, पाण्डव, बिहार, बीरभूम जिला, महाभारत, शतपथ ब्राह्मण, वेदव्यास, कीचक।
- पश्चिम बंगाल में हिन्दू मन्दिर
- बीरभूम ज़िले के गाँव
- भारत के पवित्र उपवन
- वैष्णव सम्प्रदाय
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .
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पाण्डव
पाण्डव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाण्डव पाँच भाई थे - युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। .
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बिहार
बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .
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बीरभूम जिला
बीरभूम भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले.
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महाभारत
महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .
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शतपथ ब्राह्मण
शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मणग्रन्थ है। ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे सर्वाधिक प्रमाणिक माना जाता है। .
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वेदव्यास
ऋषि कृष्ण द्वेपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। महाभारत के बारे में कहा जाता है कि इसे महर्षि वेदव्यास के गणेश को बोलकर लिखवाया था। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य, चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया। उन्होने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की, ऐसा माना जाता है। वेदव्यास यह व्यास मुनि तथा पाराशर इत्यादि नामों से भी जाने जाते है। वह पराशर मुनि के पुत्र थे, अत: व्यास 'पाराशर' नाम से भि जाने जाते है। महर्षि वेदव्यास को भगवान का ही रूप माना जाता है, इन श्लोकों से यह सिद्ध होता है। नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र। येन त्वया भारततैलपूर्णः प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयप्रदीपः।। अर्थात् - जिन्होंने महाभारत रूपी ज्ञान के दीप को प्रज्वलित किया ऐसे विशाल बुद्धि वाले महर्षि वेदव्यास को मेरा नमस्कार है। व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे। नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नम:।। अर्थात् - व्यास विष्णु के रूप है तथा विष्णु ही व्यास है ऐसे वसिष्ठ-मुनि के वंशज का मैं नमन करता हूँ। (वसिष्ठ के पुत्र थे 'शक्ति'; शक्ति के पुत्र पराशर, और पराशर के पुत्र पाराशर (तथा व्यास)) .
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कीचक
Raja Ravi Varma’s painting of Draupadi being harassed by Kirata while disguised as an attendant (sairandhri) in the Pandavas’ 13th year of exile कीचक राजा विराट का साला था तथा उनका सेनापती था। आज्ञात्वास के समय जब पाण्डव अपनी एक वर्ष की अवधी राजा विराट के यहाँ व्यतीत कर रहे थे तब वहाँ द्रौपदी "सैरंधृी" नामक एक दासी के रूप में राजा विराट की पत्नी की सेवा में कार्यरत थी। उस समय कीचक द्रौपदी "सैरंधृी" पर मोहित हो गया। एक दिन उसने बल़पूर्वक द्रौपदी "सैरंधृी" को पाने की कोशिश की जिसके परिणामस्वरूप भीम ने कीचक का वध कर दिया। श्रेणी:महाभारत के पात्र.
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यह भी देखें
पश्चिम बंगाल में हिन्दू मन्दिर
बीरभूम ज़िले के गाँव
भारत के पवित्र उपवन
वैष्णव सम्प्रदाय
- अच्युतानन्द
- अनंत चतुर्दशी
- अवतार
- अहिर्बुध्न्य संहिता
- एकाग्रता
- कृष्ण
- कौस्तुभ
- गीतगोविन्द
- गोपाल भट्ट गोस्वामी
- गोवर्धन पूजा
- चातुर्मास्य
- चैतन्य भागवत
- जन्माष्टमी
- तुरीय
- दशावतार
- देव प्रबोधिनी एकादशी
- नारायणीयम्
- पंचरात्र
- पाञ्चजन्य
- बद्रीनाथ मन्दिर
- ब्रह्मसंहिता
- भगवान गोपीनाथ
- भागवत
- मध्वाचार्य
- मायापुर
- मृदगलोपनिषद
- रघुपति राघव राजाराम
- राधा कृष्ण
- राधाष्टमी
- राम नवमी
- रास
- रासलीला
- विंध्यवासिनी देवी
- विशिष्टाद्वैत
- विष्णु
- विहार पंचमी
- वैजयन्ती
- वैष्णव पदावली
- वैष्णव सम्प्रदाय
- शंख
- शालीग्राम
- शुद्धाद्वैत
- शेषनाग
- श्रीरामरक्षास्तोत्रम्
- सत्य नारायण व्रत कथा
- सत्यात्म तीर्थ
- हरिद्वार
- हरिद्वार जिला
- हरे कृष्ण (मंत्र)