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ऋचा

सूची ऋचा

वेद के श्लोकों (मंत्रों) को ऋचा कहते हैं। 'ऋचा' की व्युत्पत्ति 'ऋक्' से हुई है जिसका अर्थ 'प्रशंसा करना' है। श्रेणी:वेद.

3 संबंधों: मन्त्र, व्युत्पत्तिशास्त्र, वेद

मन्त्र

हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिन्तन होता है । मंत्रणा, और मंत्री इसी मूल से बने शब्द हैं। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं। काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं। "षड कर्णो भिद्यते मंत्र" (छ: कानों में जाने से मंत्र नाकाम हो जाता है) - इसमें भी मंत्र का यही अर्थ है। .

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व्युत्पत्तिशास्त्र

भाषा के शब्दों के इतिहास के अध्ययन को व्युत्पत्तिशास्त्र (etymology) कहते हैं। इसमें विचार किया जाता है कि कोई शब्द उस भाषा में कब और कैसे प्रविष्ट हुआ; किस स्रोत से अथवा कहाँ से आया; उसका स्वरूप और अर्थ समय के साथ किस तरह परिवर्तित हुआ है। व्युत्पत्तिशास्त्र में शब्द के इतिहास के माध्यम से किसी भी राष्ट्र, प्रांत एवं समाज की भाषिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि अभिव्यक्त होती है। 'व्युत्पत्ति' का अर्थ है ‘विशेष उत्पत्ति’। किसी शब्द के क्रमिक इतिहास का अध्ययन करना, व्युत्पत्तिशास्त्र का विषय है। इसमें शब्द के स्वरूप और उसके अर्थ के आधार का अध्ययन किया जाता है। अंग्रेजी में व्युत्पत्तिशास्त्र को 'Etymology' कहते हैं। यह शब्द यूनानी भाषा के यथार्थ अर्थ में प्रयुक्त Etum तथा लेखा-जोखा के अर्थ में प्रयुक्त Logos के योग से बना है, जिसका आशय शब्द के इतिहास का वास्तविक अर्थ सम्पुष्ट करना है। भारतवर्ष में व्युत्पत्तिशास्त्र का उद्भव बहुत प्राचीन है। जब वेद मन्त्रों के अर्थों को समझना सुगम नहीं रहा तब भारतीय मनीषियों द्वारा वेदों के क्लिष्ट शब्दों के संग्रह रूप में निघण्टु ग्रन्थ लिखे गए तथा निघण्टु ग्रन्थों के शब्दों की व्याख्या और शब्द व्युत्पत्ति के ज्ञान के लिए निरुक्त ग्रन्थों की रचना हुई। वेदों के अध्ययन के लिए वेदागों के छ: शास्त्रों में निरुक्त शास्त्र भी सम्मिलित हैं। निरूक्त शास्त्र संख्या में 12 बतलाए जाते हैं, लेकिन इस समय आचार्य यास्क प्रणीत एक मात्र निरूक्त उपलब्ध है। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ऋक्

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