लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

ऊष्मीय दक्षता

सूची ऊष्मीय दक्षता

यांत्रिक आउटपुट सदा ही इनपुट ऊर्जा से कम होता है। ऊष्मीय ऊर्जा प्रयोग करने वाले उपकरणों (उदाहरण के लिये, अन्तर्दहन इंजन, वाष्प-टरबाईन, वाष्प-इंजन, धमन-भट्ठी, बॉयलर और रेफ्रिजिरेटर आदि) की दक्षता मापने के लिए ऊष्मीय दक्षता (थर्मल एफिसिएन्सी) का उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दो में कहा जा सकता है कि उपकरण में ऊर्जा का स्थानान्तरण कितनी अच्छी तरह से किया जा पा रहा है, इसकी माप उसकी दक्षता के द्वारा किया जाता है। सामान्यतः किसी भी निकाय के सन्दर्भ में, उपयोगी आउटपुट ऊर्जा और इनपुट ऊर्जा के अनुपात को ऊर्जा दक्षता कहते हैं। जब ऊष्मीय ऊर्जा की बात करते हैं तब किसी युक्ति को दी गयी ऊष्मीय ऊर्जा या उस युक्ति द्वारा खपत की गयी कुल ऊर्जा Q_ उसका इनपुट होता है जबकि वांछित आउटपुट, उस युक्ति द्वारा किया गया यांत्रिक कार्य W_, या Q_, या दोनों होते हैं। हम जानते हैं कि ऊर्जा वैसे ही नहीं मिलती, उसका कुछ न कुछ वित्तीय मूल्य होता है, अतः ऊष्मीय दक्षता की सामान्य परिभाषा निम्नलिखित है- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार, आउटपुट ऊर्जा कभी भी इनपुट ऊर्जा से अधिक नहीं हो सकती। अतः सामान्य रूप से किसी उपकरण में ऊर्जा की खपत का अनुपात उसके द्वारा उत्पादित बल (कार्य) की तुलना में कितना है इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि किसी अंतर्दहन इंजन में ईंधन (पेट्रोल या डीजल) जलता है तो उससे न केवल जेनरेटर चल कर बिजली बनती है बल्कि इस प्रक्रिया में इंजन चलाने के लिए इंधन को जलाया जाता है जिससे इंजन चलेन के साथ जो गर्मी पैदा होती है वह भी उसके एक उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है, यह गर्मी जितनी अधिक होगी उतना ही बिजली बनाने की क्षमता को कम करेगी। .

11 संबंधों: ऊष्मा, ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, दक्षता, निकाय, प्रशीतित्र, भाप टरबाइन, भाप का इंजन, वात्या भट्ठी, वाष्पक, कार्य (भौतिकी), अन्तर्दहन इंजन

ऊष्मा

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और ऊष्मा · और देखें »

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम

उष्मागतिकी के शून्यवें सिद्धांत में ताप की भावना का समावेश होता है। यांत्रिकी में, विद्युत् या चुंबक विज्ञान में अथवा पारमाण्वीय विज्ञान में, ताप की भावना की कोई आवश्यकता नहीं प्रतीत होती। उष्मागतिकी के प्रथम सिद्धांत द्वारा ऊष्मा की भावना का समावेश होता है। जूल के प्रयोग द्वारा यह सिद्ध होता है कि किसी भी पिंड को (चाहे वह ठोस हो या द्रव या गैस) यदि स्थिरोष्म दीवारों से घेरकर रखें तो उस पिंड को एक निश्चित प्रारंभिक अवस्था से एक निश्चित अंतिम अवस्था तक पहुँचाने के लिए हमें सर्वदा एक निश्चित मात्रा में कार्य करना पड़ता है। कार्य की मात्रा पिंड की प्रारंभिक तथा अंतिम अवस्थाओं पर ही निर्भर रहती है, इस बात पर नहीं कि यह कार्य कैसे किया जाता है। यदि प्रारंभिक अवस्था में दाब तथा आयतन के मान p0 तथा V0 हैं तो कार्य की मात्रा अंतिम अवस्था की दाब तथा आयतन पर निर्भर रहती है, अर्थात् कार्य की मात्रा p तथा V का एक फलन है। यदि कार्य की मात्रा का W हैं तो हम लिख सकते हैं कि W .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम · और देखें »

दक्षता

दक्षता (Efficiency) का सामान्य अर्थ यह है कि किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करने में लगाया गया समय या श्रम या ऊर्जा कितनी अच्छी तरह काम में आती है। 'दक्षता' का विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों में उपयोग किया जाता है और विभिन्न सन्दर्भों में इसके अर्थ में भी काफी भिन्नता पायी जाती है। दक्षता एक मापने योग्य राशि है। ऊर्जा के रूपान्तरण की स्थिति में आउटपुट ऊर्जा और इनपुट उर्जा के अनुपात को दक्षता कहते हैं।;उदाहरण कोई ट्रांसफॉर्मर १००० किलोवाट विद्युत ऊर्जा लेकर अपने आउटपुट में जुड़े लोड को ९८० किलोवाट विद्युत ऊर्जा देता है, तो इसकी दक्षता श्रेणी:ऊर्जा श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:ऊष्मा अंतरण श्रेणी:विचार की गुणवत्ताएँ.

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और दक्षता · और देखें »

निकाय

निकाय का निम्नलिखित अर्थों में प्रयोग होता है-.

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और निकाय · और देखें »

प्रशीतित्र

दरवाजा खुले होने पर फ्रिज के अन्दर का दृष्य प्रशीतित्र (रेफ्रिजरेटर या फ्रिज) एक घरेलू उपयोग की युक्ति है जो सब्जी तथा खाद्य पदार्थों आदि को ठण्डा बनाये रखकर उनको जल्दी खराब होने से बचाता है। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और प्रशीतित्र · और देखें »

भाप टरबाइन

आधुनिक भाप-टरबाइन और विद्युत-जनित्र प्रणाली भाप टरबाइन (steam turbine) वह यांत्रिक युक्ति है जो दाबित भाप से ऊष्मीय ऊर्जा निकालकर इसे यांत्रिक कार्य में बदलती है। आधुनिक रूप में इसका आविष्कार सर चार्ल्स पैर्सन्स ने 1884 में किया था। भाप टरबाइन (Steam Turbine) एक मूलचालक (prime mover) है, जिसमें भाप की उष्मा-ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित कर, उच्च गतिशील भाप को एक घूर्णक (rotor) पर बँधे हुए बहुत से फलकों पर टकराया जाता है, जिससे फलक परिभ्रमण करते हैं एवं इससे कार्य होता है। अन्योन्यगतिक (reciprocating) भाप इंजन में भाप की स्थैतिक (statical) दाब द्वारा पिस्टन पर कार्य किया जाता है। यद्यपि इंजन में भाप पिस्टन के साथ चलती है, फिर भी इंजन की क्रिया में भाप की गतिज उर्जा का प्रभाव नगणय है। भाप टरबाइन में भाप इंजन की अपेक्षा उच्चतर गति मिल सकती है और गतिसीमा भी बड़ी हा सकती है। टरबाइन के पुर्जों का संतुलन अच्छा रहता है। भाप की समान मात्रा एवं समान अवस्था में भाप टरबाइन भाप इंजन से अधिक शक्ति पैदा कर सकता है। भाप इंजन से कुछ वर्ष काम लेने के बाद भाप की खपत बढ़ जाती है, परंतु टरबाइन में ऐसी अवस्था नहीं आती पृथ्वी पर के सभी मूल चालकों में भाप टरबाइन सबसे अधिक टिकाऊ होता है। टरबाइन से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे घूर्णक गति सीधे प्राप्त होती है, जबकि भाप इंजन में अन्योन्यगति से घूर्णक गति प्राप्त करने के लिए अलग से उपादान का व्यवहर करना पड़ता है। वाष्पित्र (बॉयलर) में भाप का जनन उच्च दाब एवं अधिताप (superheat temperature) पर होता है। जब यह भाप टरबाइन के पास पहुँचती है, उस समय इसमें अधिक मात्रा में उष्मा ऊर्जा होती है और इसकी दाब भी इतनी अधिक होती है कि यह निम्नदाब तक प्रसारित हो सकती है। परंतु उस समय इसकी गतिज उर्जा नगण्य होती है। अत: भाप कुछ कार्य कर सके इसके पहले इसकी उष्मा ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह परिवर्तन, अच्छी तरह अभिकल्पित उपकरण में, भाप को विस्तारित करने से होता है। भाप का प्रसार या तो एक ही क्रिया में पूर्ण किया जाता है, या विभिन्न क्रियाओं में। इसका अर्थ यह होता है कि उष्मा ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए बहुत से स्थिर उपकरण व्यवहार में लाए जाते हैं और प्राय: दो स्थिर उपकरणों के बीच एक गतिमान उपकरण लगा रहता है। स्थिर उपकरण में प्राप्त गतिज ऊर्जा को उसके बाद बँधे हुए गतिमान उपकरण के ऊपर कार्य करने के लिये लगाया जाता है। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और भाप टरबाइन · और देखें »

भाप का इंजन

एक स्वयं-प्रगामी (self-propelled) वाष्पयान एक संरक्षित अपूर्ण पोर्टेबल वाष्पयान (टेन्टरफिल्ड एन एस डब्ल्यू) वाष्पयान या भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन है जो कार्य करने के लिये जल-वाष्प का प्रयोग करता है। भाप के इंजन अधिकांशतः वाह्य दहन इंजन होते हैं जिसमें रैंकाइन चक्र (Rankine cycle) नामक उष्मा-चक्र (heat cycle) काम में लाया जाता है। कुछ वाष्पयान सौर उर्जा, नाभिकीय उर्जा या जिओथर्मल उर्जा से भी चलते हैंइसकी खोज १७६३ में हुई .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और भाप का इंजन · और देखें »

वात्या भट्ठी

Rahul Kushwahaसेस्टाओ, स्पेन में ब्लास्ट फर्नेस. वास्तविक भट्टी केन्द्रीय गिर्डरवर्क के अंदर है। वात्या भट्ठी या ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnace) एक प्रकार की धातु-वैज्ञानिक भट्टी (मेटलर्जिकल फर्नेस) है जिसका इस्तेमाल आम तौर पर लोहे जैसी औद्योगिक धातुओं का निर्माण करने हेतु धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता है। वात्या भट्ठी में भट्ठी के ऊपर से लगातार ईंधन और अयस्क की आपूर्ति की जाती है जबकि चैंबर के निचले तल में हवा (कभी-कभी ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा वाली हवा) भरी जाती है ताकि पदार्थों के नीचे की तरफ आने के दौरान पूरे फर्नेस में रासायनिक प्रतिक्रिया हो सके। अंतिम उत्पाद के रूप में आम तौर पर नीचे की तरफ से पिघली हुई धातु और धातुमल तथा फर्नेस के ऊपर से धुआं युक्त गैसें निकलती हैं। वात्या भट्ठी को आम तौर पर चिमनी के निकास मार्ग में गर्म गैसों के संवहन के माध्यम से स्वाभाविक रूप से चूषण युक्त एयर फर्नेसों (जैसे रिवर्बरेटरी फर्नेस) के साथ निरूपित किया जाता है। इस व्यापक परिभाषा के अनुसार लोहे की ब्लूमरी, टिन के ब्लोइंग हाउस और सीसे को गलाने वाली मिलों को ब्लास्ट फर्नेस के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर उन्ही कारखानों तक सीमित है जहां लौह अयस्क को पिघलाकर कच्चे लोहे (पिग आयरन) का उत्पादन किया जाता है, जो वाणिज्यिक लौह एवं इस्पात के उत्पादन में इस्तेमाल की जाने वाली एक मध्यवर्ती सामग्री है। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और वात्या भट्ठी · और देखें »

वाष्पक

गैस बर्नर से चलने वाला उच्च क्षमता (धारिता) का वाष्पक वाष्पक या ब्वायलर (Boiler) एक बन्द पात्र होता है जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गरम किया जाता है। इसमें गरम करने (उबालने) से उत्पन्न वाष्प को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था भी होती है जिससे वाष्प को विभिन्न प्रक्रमों या गर्म करने के लिये उपयोग में लाया जा सके। इसकी डिजाइन इस प्रकार की होती है कि गर्म करने पर कम से कम उष्मा बर्बाद हो तथा यह वाष्प का दाब भी सहन कर सके। इसमें गरम किया हुआ या वाष्पीकृत तरल को निकालकर विभिन्न प्रक्रमों में या ऊष्मीकरण के लिये प्रयुक्त किया जाता है, जैसे- जल का ऊष्मीकरण, केन्द्रीय ऊष्मीकरण, वाष्पक-आधारित शक्ति-उत्पादन, भोजन बनाने और सफाई आदि के लिये। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और वाष्पक · और देखें »

कार्य (भौतिकी)

भौतिकी में कार्य (work) होना तब माना जाता है जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाने से वह वस्तु बल की दिशा में कुछ विस्थापित हो। दूसरे शब्दों में, कोई बल लगाने से बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन हो तो कहते हैं कि बल ने कार्य किया। कार्य, भौतिकी की सबसे महत्वपूर्ण राशियों में से एक है। कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। कार्य करने या कराने से वस्तुओं की ऊर्जा में परिवर्तन होता है। किसी वस्तु पर F बल लगाने पर वह वस्तु बल की दिशा में d दूरी विस्थापित हो जाय तो किया गया कार्य होगा। उदाहरण: 10 न्यूटन (F .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और कार्य (भौतिकी) · और देखें »

अन्तर्दहन इंजन

42-सिलिण्डर वाला JSC Zvezda M503 डीजल इंजन, 2940 kW अन्तर्दहन इंजन (अन्तः दहन इंजन या आन्तरिक दहन इंजन या internal combustion engine) ऐसा इंजन है जिसमें ईंधन एवं आक्सीकारक सभी तरफ से बन्द एक बेलानाकार दहन कक्ष में जलते हैं। दहन की इस क्रिया में प्रायः हवा ही आक्सीकारक का काम करती है। जिस बन्द कक्ष में दहन होता है उसे दहन कक्ष (कम्बशन चैम्बर) कहते हैं। दहन की यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic reaction) होती है जो उच्च ताप एवं दाब वाली गैसें उत्पन्न करती है। ये गैसें दहन कक्ष में लगे हुए एक पिस्टन को धकेलती हुए फैलतीं है। पिस्टन एक कनेक्टिंग रॉड के माध्यम से एक क्रेंक शाफ्ट(घुमने वाली छड़) से जुड़ा होता है, इस प्रकार जब पिस्टन नीचे की तरफ जाता है तो कनेक्टिंग रॉड से जुड़ी क्रेंक शाफ्ट घुमने लगती है, इस प्रकार ईंधन की रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है और फिर ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक उर्जा में बदल जाती है। अन्तर्दहन इंजन के विपरीत बहिर्दहन इंजन, (जैसे, वाष्प इंजन) में कार्य करने वाला तरल (जैसे वाष्प) किसी अन्य कक्ष में किसी तरल को गरम करके प्राप्त किया जाता है। प्रायः पिस्टनयुक्त प्रत्यागामी इंजन, जिसमें कुछ-कुछ समयान्तराल के बाद दहन होता है (लगातार नहीं), को ही अन्तर्दहन इंजन कहा जाता है किन्तु जेट इंजन, अधिकांश रॉकेट एवं अनेक गैस टर्बाइनें भी अन्तर्दहन इंजन की श्रेणी में आती हैं जिनमें दहन की क्रिया अनवरत रूप से चलती रहती है। .

नई!!: ऊष्मीय दक्षता और अन्तर्दहन इंजन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

तापीय दक्षता, तापीय क्षमता

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »