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उरवा इब्न जुबैर

सूची उरवा इब्न जुबैर

उरवा इब्न जुबैर इब्न अल-आलम अल-असदी (मृत्यु:713 ईस्वी) सात फिक़ह (न्यायवादी) में से एक जिन्होंने ताबीन के समय मदीना के फिकह को तैयार किया था और मुस्लिम इतिहासकारों में से एक थे। .

7 संबंधों: फ़िक़्ह, मुसलमान, सुन्नी इस्लाम, हदीस, इतिहास, इब्न शिहाब अल-जुहरी, इस्लामी स्वर्ण युग

फ़िक़्ह

फ़िक़्ह (فقه,फ़िक़्ह या फ़िक़ः) (Fiqh) इस्लामी धर्मशास्त्र (मज़हबी तौर-तरीके) को कहा जाता है। Encyclopædia Britannica फ़िक़्ह मुसलमानों के लिये इस्लामी जीवन के हर पहलू पर अपना असर रखता है। जबकि ''शरियत'' उस समुच्चय निति को कहते हैं। जो इस्लामी कानूनी, परंपराओं और इस्लामी व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है। फ़िक़्ह इस्लामी न्यायशास्त्र के लिए शब्दावली है, जो इस्लामी न्यायविदों के फैसलों से बना है। इस्लामी अध्ययन का बुनियादी घटक, फ़िक़्ह उस पद्धति को विस्तार से बतलाता है जिसके जरिए से इस्लामी कानून को प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों से बाहर निकाला गया है। .

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

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हदीस

एक हदीस (حديث हदीस या, बहुवचन: أحاديث अहादीस), पैग़म्बर मुहम्मद स्वल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम के कथनों, कार्यों या आदतों का वर्णन करने वाले विवरण या रिपोर्ट को कहते हैं। यह शब्द अरबी भाषा से आता है और इसके अर्थ "रिपोर्ट (विवरण)", "लेखा" या "रिवायत" हैं। क़ुरआन से अलग, एक समान साहित्यिक काम जो सभी मुस्लिमों द्वारा मान्यता प्राप्त है। हदीस इकलौता संग्रह नहीं हैं। अहादीस अलग-अलग हदीसों के संग्रह को दर्शाता है, और इस्लाम की विभिन्न शाखाएं (सुन्नी, शिया) हदीसों के विभिन्न संग्रहों से परामर्श (हवाला) लेती हैं जबकि क़ुरआनीयत का एक अपेक्षाकृत छोटा पक्ष किसी भी हदीस संग्रह के प्रमाण को पूरी तरह से अस्वीकार करता हैं।Aisha Y. Musa, The Qur’anists, Florida International University, accessed May 22, 2013.

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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इब्न शिहाब अल-जुहरी

मुहम्मद इब्न मुस्लिम इब्न उबायदुल्ला इब्न शिहाब अल-जुहरी: Muhammad ibn Muslim ibn Ubaydullah ibn Abdullah ibn Shihab al-Zuhri; (अरबी भासा: ابن شهاب الزهري) (मृत्यु: हिजरी 124/741-2 ईस्वी), आमतौर पर हदीस साहित्य में इब्न शिहाब या अल-जुहरी के रूप में जाने जाते हैं। वह इस्लामी पैगंबर, हज़रत मुहम्मद सहाब और हदीस साहित्य के सिरा-जीवनी के शुरुआती लेखकों में प्रमुख व्यक्ती थे। .

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इस्लामी स्वर्ण युग

इबन रशुद जिसने दर्शनशास्त्र में इबनरशुवाद को जन्म दिया। अब्बासियों के राज में इस्लाम का स्वर्ण युग शुरु हुआ। अब्बासी खलीफा ज्ञान को बहुत महत्त्व देते थे। मुस्लिम दुनिया बहुत तेज़ी से विशव का बौद्धिक केन्द्र बनने लगी। कई विद्वानों ने प्राचीन युनान, भारत, चीन और फ़ारसी सभय्ताओं की साहित्य, दर्शनशास्र, विज्ञान, गणित इत्यादी से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन किया और उनका अरबी में अनुवाद किया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस के कारण बहुत बड़ा ज्ञानकोश इतिहास के पन्नों में खोने से रह गया। मुस्लिम विद्वानों ने सिर्फ अनुवाद ही नहीं किया। उन्होंने इन सभी विषयों में अपनी छाप भी छोड़ी। चिकित्सा विज्ञान में शरीर रचना और रोगों से संबंधित कई नई खोजें हूईं जैसे कि खसरा और चेचक के बीच में जो फर्क है उसे समझा गया। इब्ने सीना (९८०-१०३७) ने चिकित्सा विज्ञान से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं जो कि आगे जा कर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का आधार बनीं। इस लिये इब्ने सीना को आधुनिक चिकित्सा का पिता भी कहा जाता है। इसी तरह से अल हैथाम को प्रकाशिकी विज्ञान का पिता और अबु मूसा जबीर को रसायन शास्त्र का पिता भी कहा जाता है।R.

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