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उपरिस्तर प्रभाव

सूची उपरिस्तर प्रभाव

जब किसी चालक में प्रत्यावर्ती धारा बहती है तो चालक के परिच्छेद (cross-setion) में धारा घनत्व समान नहीं होता बल्कि चालक के केन्द्रीय भाग में कम और बाहरू भाग में अधिक होता है। इस प्रभाव को उपरिस्तर प्रभाव (Skin effect) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, विद्युत धारा मुख्यतः 'चालक की त्वचा' ("skin") में बहती है। इस प्रभाव के कारण चालकों का प्रभावी प्रतिरोध अधिक आवृत्तियों पर अधिक होता है। उपरिस्तर प्रभाव,भंवर धारा के कारण होती है। 60 हर्ट्ज पर ताँबा में उपरिस्तर गहराई (skin depth) लगभग 8.5 मिमी होती है। अधिक आवृत्ति पर प्रतिरोध के बढ़ने को रोकने के लिये विशेष रूप से बुने हुए लिट्ज तार (litz wire) प्रयोग किये जाते हैं। चूंकि अधिक क्षेत्रफल वाले चालकों के आन्तरिक भाग में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है, ट्यूब के आकार के चालक (जैसे पाइप आदि) का प्रयोग करने से चालक का वजन और मूल्य कम रखा जा सकता है। .

4 संबंधों: ताम्र, धारा घनत्व, प्रत्यावर्ती धारा, मोटरगाड़ी चालन

ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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धारा घनत्व

चालक माध्यम के भीतर किसी प्रष्ठ के लम्बवत दिशा मे इकाई क्षेत्रफल के द्वारा प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा, धारा घनत्व (करेन्ट डेन्सिटी) कहलाती है। यह एक सदिश राशि है, जबकि धारा स्वयं एक अदिश राशि होती है। धारा घनत्व को J से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी चालक से I धारा प्रवाहित हो और उसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A हो, तब धारा घनत्व - इसका S.I मात्रक एम्पियर/मी२ होता है। .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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मोटरगाड़ी चालन

चलती कारें मोटरगाड़ी चालन (Driving) से तात्पर्य जमीन पर चलने वाली किसी गाड़ी (जैसे कार, बस, ट्रक, बाइल, स्कूटर आदि) को नियंत्रित ढंग से चलाना। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

त्वचा प्रभाव, स्किन इफेक्ट

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