2 संबंधों: धारा परिणामित्र, विभव परिणामित्र।
धारा परिणामित्र
११० किलोवोल्ट पर काम करने वाला धारा परिणामित्र (CT) CT का कार्य सिद्धान्त विद्युत इंजीनियरी में धारा परिणामित्र या 'करेंट ट्रांस्फॉर्मर' (current transformer (CT)) विद्युत धारा को मापने के काम आता है। धारा परिणामित्र और विभव परिणामित्र (voltage transformers (VT) या (potential transformers (PT)) को सम्मिलित रूप से 'इंस्ट्रूमेन्त ट्रांस्फॉर्मर' कहा जाता है। अन्य ट्रांसफॉर्मरों की तरह धारा ट्रान्सफॉर्मर में दो वाइंडिंग होती हैं। - प्राथमिक (प्राइमरी) और द्वितीयक (सेकेंडरी)। प्रायः प्राइमरी एक टर्न की होती है। यदि प्राइमरी में केवल एक टर्न हो और सेकेंडरी में N टर्न तो सेकेंडरी में धारा का मान प्राइमरी की धारा के मान का 1/N होता है। जहाँ कहीँ धारा का मान बहुत अधिक होने से उसे सीधे मापक यंत्रों (जैसे अमीटर) द्वारा मापना अव्यवहारिक हो, वहाँ सी टी का प्रयोग किया जाता है। धारा परिणामित्र अधिक परिणाम की धारा के समानुपाती कम परिणाम की धारा देता है जिसे किसी अमीटर में जोड़कर सीधे धारा का मान पढ़ा जा सकता है। सेकेंडरी में कोई छोटे मान का प्रतिरोध जोड़कर धारा को वोल्टेज में बदल लिया जाता है जिसे किसी कन्ट्रोल परिपथ में नियंत्रण या सुरक्षा (प्रोटेक्शन) के लिये दिया जा सकता है। सी टी लगाने का एक और लाभ यह है कि यह उच्च वोल्टता वाली लाइन से आइसोलेशन प्रदान करता है जिससे इसके सेकेंडरी साइड में कोई उपकरण आदि लगाने में कोई खतरा नहीं रहता। .
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विभव परिणामित्र
विभव परिणामित्र विभव परिणामित्र या विभव ट्रान्सफॉर्मर (Voltage transformers (VT) या potential transformers (PT)) उच्च एसी विभव को मापने के लिये प्रयुक्त उपकरण ट्रान्सफोर्मर (इन्स्ट्रुमेन्ट ट्रान्सफॉर्मर) हैं। ये समान्तर (parallel) जोड़े जाते हैं। .
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