2 संबंधों: त्रवनकोर, मलयालम भाषा।
त्रवनकोर
त्रवनकोर या तिरुवितामकूर (मलयालम: തിരുവിതാംകൂർ) सन् १९४९ से पहले एक भारतीय राज्य (रियासत) था। इसपर त्रवनकोर राजपरिवार का शासन था, जिनकी गद्दी पहले पद्मनाभपुरम और फिर तिरुवनन्तपुरम में थी। अपने चरम पर त्रवनकोर राज्य का विस्तार भारत के आधुनिक केरल के मध्य और दक्षिणी भाग पर और तमिल नाडु के कन्याकुमारी ज़िले पर था। राजकीय ध्वज पर लाल पृष्टभूमि के ऊपर चांदी का शंख बना हुआ था। १९वीं शताब्दी में यह ब्रिटिश-अधीन भारत की एक रियासत बन गई और इसके राजा को स्थानीय रूप से २१ तोपों की और राज्य से बाहर १९ तोपों की सलामी की प्रतिष्ठा दी गई। महाराज श्री चितिरा तिरुनल बलराम वर्मा के १९२४-१९४९ के राजकाल में राज्य सरकार ने सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिये कई प्रयत्न किये जिनसे यह ब्रिटिश-अधीन भारत का दूसरा सबसे समृद्ध रियासत बन गया और शिक्षा, राजव्यवस्था, जनहित कार्यों और सामाजिक सुधार के लिये जाना जाने लगा।"Travancore." Encyclopædia Britannica.
नई!!: उत्राटम् तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा और त्रवनकोर · और देखें »
मलयालम भाषा
मलयालं (മലയാളം, मलयालम्) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .
नई!!: उत्राटम् तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा और मलयालम भाषा · और देखें »