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ईरानी चित्रकला

सूची ईरानी चित्रकला

ईरानी चित्रकला: ईरान अपनी नक्काशी के लिए संसार में प्रसिद्ध हैं। यह ईरानी वस्त्रों, मीनाकारी चौकों और चित्रों का अध्ययन से स्पष्त हो जाता है। ईरान में बने कालीन रंगों के संतुलन और अलंकरण के प्रत्यावर्तन के लिए प्रसिद्ध हैं तथा वहाँ की प्राचीन कला के मुख्य अभिप्राय ज्यामितिक और पशुरूप हैं। हख़मनी युग की ईरानी कला पर असूरिया का प्रभाव स्पष्ट है, पर ससानी युग से ईरानी कला अपना एक निजस्व रखती है। रंगयोजना तथा चित्रांकन में ईरानी कला का संतुलन अरब, मंगोल और तैमूरी अभियानों के बावजूद अपना निजस्व बनाए हुए है। मनीखी चित्रित पुस्तकों के जो अंश नष्ट होने से बच गए हैं उनसे पता चलता है कि उस कला का मुस्लिम युग की आरंभिक कला से सीधा संबंध है। इस्लाम के आदेश से ईरान में भी मूर्ति का निर्माण रुक गया, पर अरबों की विजय से उस देश का संबंध दूसरे देशों से बढ़ा और कला के क्षेत्र में भी अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव उसकी कला पर पड़े। एशिया पर मंगोल विजय के बाद सुदूर पूर्व का रास्ता खुल गया और ईरानी कला पर चीनी कला का प्रभाव स्पष्ट रीति से पड़ने लगा। तैमूरी सुल्तानों में तो अपने दरबार में अच्छे से अच्छे चित्रकारों को एकत्र करने की होड़ सी रहने लगी। इस विदेशी सत्ता का प्रभाव ईरान के जनजीवन पर अच्छा नहीं पड़ा; फिर भी यह अजीब बात है कि इन विदेशियों के अधीन ईरानी कला की आशातीत उन्नति हुई, जो ईरान के राष्ट्रीय शाह सफावियों के समय में रुक सी गई। इसका यही कारण हो सकता है कि जब तक देश में जीवन था, कला और युद्ध साथ-साथ चले, पर शक्ति के समाप्त होने पर एकता के साथ ह्रास के लक्षण भी साफ-साफ दीख पड़ने लगे। .

2 संबंधों: ईरान, कालीन

ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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कालीन

कालीन कालीन (अरबी: क़ालीन) अथवा गलीचा (फारसी: ग़लीच) उस भारी बिछावन को कहते हैं जिसके ऊपरी पृष्ठ पर आधारणत: ऊन के छोटे-छोटे किंतु बहुत घने तंतु खड़े रहते हैं। इन तंतुओं को लगाने के लिए उनकी बुनाई की जाती है, या बाने में ऊनी सूत का फंदा डाल दिया जाता है, या आधारवाले कपड़े पर ऊनी सूत की सिलाई कर दी जाती है, या रासायनिक लेप द्वारा तंतु चिपका दिए जाते हैं। ऊन के बदले रेशम का भी प्रयोग कभी-कभी होता है परंतु ऐसे कालीन बहुत मँहगे पड़ते हैं और टिकाऊ भी कम होते हैं। कपास के सूत के भी कालीन बनते हैं, किंतु उनका उतना आदर नहीं होता। कालीन की पीठ के लिए सूत और पटसन (जूट) का उपयोग होता है। ऊन के तंतु में लचक का अमूल्य गुण होने से यह तंतु कालीनों के मुखपृष्ठ के लिए विशेष उपयोगी होता है। फलस्वरूप जूता पहनकर भी कालीन पर चलते रहने पर वह बहुत समय तक नए के समान बना रहता है। ताने के लिए कपास की डोर का ही उपयोग किया जाता है, परंतु बाने के लिए सूत अथवा पटसन का। पटसन के उपयोग से कालीन भारी और कड़ा बनता है, जो उसका आवश्यक तथा प्रशंसनीय गुण है। अच्छे कालीनों में सूत की डोर के साथ पटसन का उपयोग किया जाता है। .

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