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इलाहाबाद की शिक्षा संस्थाएं

सूची इलाहाबाद की शिक्षा संस्थाएं

इलाहाबाद प्राचीन काल से ही शैक्षणिक नगर के रूप में प्रसिद्ध है। इलाहाबाद केवल गंगा और यमुना जैसी दो पवित्र नदियों का ही संगम नही, अपितु आध्यात्म के साथ शिक्षा का भी संगम है, जैहा भारत के सभी राज्यो से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। इलाहाबाद विश्व्विद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जँहा से अनेकानेक विद्वान ने शिक्षा ग्रहण कर देश व समाज के अनेक भागो में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूर्व का आक्सफोर्ड ("Oxford of the East") भी कहा जाता है। इलाहाबाद में कई विश्व्विद्यालय, शिक्षा परिषद, ईन्जीनिरिंग कालेज, मेडिकल कालेज तथा मुक्त विश्व्विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं। इलाहाबाद में स्थापित विश्व्विद्यालय के नाम इस प्रकार निम्नलिखित है- 1)-इलाहाबाद विश्व्विद्यालय 2)-उत्तर प्रदेश राज‍षिँ टण्डन मुक्त विश्व्विद्यालय 3)-इलाहाबाद एग्रीकल्चर संस्थान (मानित विश्व्विद्यालय)-(AAI-DU) 4)- नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय, जमुनीपुर कोटवा इलाहाबाद में स्थापित ईन्जीनिरिंग कालेज के नाम इस प्रकार निम्नलिखित है- १)-मोतीलाल नेहरु नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी (MNNIT) २)-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फारमेशन टेक्नालाजी, इलाहाबाद (IIIT-A) ३)-हरीश चन्द्र एटामिक एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (HRI) ४)-बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी (BIT-Mesra)-(विस्तार पटल) ५)-उपर्यक्त के अतिरिक्त अन्य ईन्जीनिरिंग कालेज BBS, UCER, SPMIT, SNIT आदि है। इलाहाबाद में स्थापित मेडिकल कालेज का नाम इस प्रकार निम्नलिखित है- १)-मोतीलाल नेहरु मेडिकल कालेज इसके अतिरिक्त इलाहाबाद में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग संगीत समिति आदि अनेक विख्यात कला संस्थान है। श्रेणी:इलाहाबाद में शिक्षा.

3 संबंधों: इलाहाबाद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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