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अनुवांशिक रोग

सूची अनुवांशिक रोग

आनुवंशिकता और रोग में बहुधा कोई न कोई संबंध रहता है। अनेक रोग दूषित वातावरण तथा परिस्थतियों से उत्पन्न होते हैं, किंतु अनेक रोग ऐसे भी होते हैं जिनका कारण माता-पिता से जन्मना प्राप्त कोई दोष होता है। ए रोग आनुवंशिक कहलाते हैं। कुछ ऐसे रोग भी हैं जो आनुवंशिकता तथा वातावरण दोनों के प्रभावों के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं। जीवों में नर के शुक्राणु तथा स्त्री की अंडकोशिका के संयोग से संतान की उत्पत्ति होती है। शुक्राणु तथा अंडकोशिका दोनों में केंद्रकसूत्र रहते हैं। इन केंद्रकसूत्रों में स्थित जीन के स्वभावानुसार संतान के मानसिक तथा शारीरिक गुण और दोष निश्चित होते हैं। जीन में से एक या कुछ के दोषोत्पादक होने के कारण संतान में वे ही दोष उत्पन्न हो जाते हैं। कुछ दोषों में से कोई रोग उत्पन्न नहीं होता, केवल संतान का शारीरिक संगठन ऐसा होता है कि उसमें विशेष प्रकार के रोग शीघ्र उत्पन्न होते हैं। इसलिए यह निश्चित जानना कि रोग का कारण आनुवंशिकता है या प्रतिकूल वातावरण, सर्वदा साध्य नहीं है। आनुवंशिक रोगों की सही गणना में अन्य कठिनाइयाँ भी हैं। उदाहरणार्थ; बहुत से जन्मजात रोग अधिक आयु हो जाने पर ही प्रकट होते हैं। दूसरी ओर, कुछ आनुवंशिक दोषयुक्त बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं। तिरोधायक रोगकारक जीन के उपस्थित रहने पर इनके प्रभाव से रोग प्रत्येक पीढ़ी में प्रकट होता है, किंतु तिरोहित जीन के कारण होनेवाले रोग वंश की किसी संतान में अनायास उत्पन्न हो जाते हैं, जैसा मेंडेल के आनुवंशिकता विषयक नियमों से स्पष्ट है। कुछ रोग लड़कियों से कहीं अधिक संख्या में लड़कों में पाए जाते हैं। मानव क्रोमोसोम रोग .

5 संबंधों: रोग, शुक्राणु, हीमोफीलिया, जीन, अनुवांशिकता

रोग

पहले मोटापा को 'बड़प्पन' का सूचक माना जाता था। आजकल प्राय: इसे रोग माना जाता है। रोग अर्थात अस्वस्थ होना। यह चिकित्साविज्ञान का मूलभूत संकल्पना है। प्रायः शरीर के पूर्णरूपेण कार्य करने में में किसी प्रकार की कमी होना 'रोग' कहलाता है। किन्तु रोग की परिभाषा करना उतना ही कठिन है जितना 'स्वास्थ्य' को परिभाषित करना। .

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शुक्राणु

नर शुक्राणु का मादा के अंडाणुओं से मिलन शुक्राणु(स्पर्म) शब्द यूनानी शब्द (σπέρμα) स्पर्मा से व्युत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है 'बीज' जिसका अर्थ पुरुष की प्रजनन कोशिकाओं से है। विभिन्न प्रकार के यौन प्रजननो जैसे एनिसोगैमी (anisogamy) और ऊगैमी (oogamy) में एक चिह्नित अंतर है, जिसमें छोटे आकार के युग्मकों (gametes) को 'नर' या शुक्राणु कोशिका कहा जाता है। पुरुष शुक्राणु अगुणित होते है इसलिए पुरुष के २३ गुण सूत्र (chromosome) मादा के अंडाणुओं के २३ गुणसूत्रों के साथ मिलकर द्विगुणित बना सकते है। एक मानव शुक्राणु सेल के आरेख अवधि शुक्राणु यूनानी (σπέρμα) शब्द sperma से ली गई है (जिसका अर्थ है "बीज") और पुरुष प्रजनन कोशिकाओं को संदर्भित करता है। यौन प्रजनन anisogamy और oogamy के रूप में जाना जाता है के प्रकार में, वहाँ छोटे "पुरुष" या शुक्राणु सेल कहा जा रहा है एक के साथ gametes के आकार में एक स्पष्ट अंतर है। एक uniflagellar शुक्राणु सेल चलता - फिरता है, एक शुक्राणु के रूप में जाना जाता है, जबकि एक गैर motile शुक्राणु सेल एक spermatium रूप में करने के लिए भेजा है। शुक्राणु कोशिकाओं के विभाजन और एक सीमित जीवन काल है, कर सकते हैं लेकिन अंडे की कोशिकाओं के साथ निषेचन के दौरान विलय के बाद, एक नया जीव के विकास, एक totipotent युग्मनज के रूप में शुरू शुरू होता है मानव शुक्राणु सेल अगुणित है, ताकि अपने 23 क्रोमोसोम में शामिल कर सकते हैं। मादा अंडे के 23 गुणसूत्रों एक द्विगुणित सेल बनाने के लिए। स्तनधारियों में, शुक्राणु अंडकोष में विकसित और है लिंग से जारी है। .

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हीमोफीलिया

350px पैतृक रक्तस्राव या हीमोफिलिया (Haemophilia) एक आनुवांशिक (hereditary) बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है और औरतों द्वारा फैलती (transmit) होती है। हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है। इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अकिध मात्रा में खून का निकलना आरंभ हो जाता है। इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। पीड़ित रोगियों से पूछताछ करने पर बहुधा पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है। इस प्रकार यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। .

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जीन

गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं। जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है। .

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अनुवांशिकता

माता-पिता एवं अन्य पूर्वजों के गुण (traits) का सन्तानों में अवतरित होना अनुवांशिकता (Heredity) कहलाती है। जीवविज्ञान में अनुवांशिकता का अध्ययन जेनेटिक्स के अन्तर्गत किया जाता है।या संतति मैं पैतृक लक्षणों के संचरण को आनुवांशिकता कहते हैं .

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आनुवांशिक विकार, आनुवांशिकी विकार, अनुवांशिक रोगों

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