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आदित्य नारायण सिंह

सूची आदित्य नारायण सिंह

कैप्टन महाराजा सर आदित्य नारायण सिंह सन् १९३१ से १९३९ तक काशी राज्य के नरेश रहे। कैप्टन महाराजा आदित्य नारायण सिंह लेफ्टिनेंट कर्नल महाराजा प्रभु नारायण सिंह के पुत्र थे। इनका जन्म 17 नवंबर 1874 को हुआ था। आदित्य नारायण सिंह सन् 1931 में 4 अगस्त को अपने पिता के स्वर्गवास के पश्चात काशी नरेश बने। महाराजा आदित्य नारायण सिंह का विवाह सलेमगढ़ (कुशीनगर) के राजा शेषाद्रि प्रसाद नारायण सिंह की बहन के साथ हुआ था। महाराजा आदित्य नारायण सिंह के देहावसान के पश्चात उनके दत्तक पुत्र विभूति नारायण सिंह काशी नरेश की गद्दी पर आसीन हुए। .

सामग्री की तालिका

  1. 2 संबंधों: विभूति नारायण सिंह, काशी का इतिहास

विभूति नारायण सिंह

डॉ॰विभूति नारायण सिंह (१९२७-२०००) भारतीय स्वतंत्रता पूर्व काशी राज्य के अंतिम काशी नरेश थे। इसके बाद १५ अक्टूबर, १९४८ को राज्य भारतीय संघ में मिल गया। २००० में इनकी मृत्यु उपरांत इन नरेश हैं और इस परंपरा के वाहक हैं। .

देखें आदित्य नारायण सिंह और विभूति नारायण सिंह

काशी का इतिहास

वाराणसी (बनारस), १९२२ ई गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इतने प्राचीन नगर संसार में बहुत नहीं हैं। हजारों वर्ष पूर्व कुछ नाटे कद के साँवले लोगों ने इस नगर की नींव डाली थी। तभी यहाँ कपड़े और चाँदी का व्यापार शुरू हुआ। कुछ समय उपरांत पश्चिम से आये ऊँचे कद के गोरे लोगों ने उनकी नगरी छीन ली। ये बड़े लड़ाकू थे, उनके घर-द्वार न थे, न ही अचल संपत्ति थी। वे अपने को आर्य यानि श्रेष्ठ व महान कहते थे। आर्यों की अपनी जातियाँ थीं, अपने कुल घराने थे। उनका एक राजघराना तब काशी में भी आ जमा। काशी के पास ही अयोध्या में भी तभी उनका राजकुल बसा। उसे राजा इक्ष्वाकु का कुल कहते थे, यानि सूर्यवंश। काशी में चन्द्र वंश की स्थापना हुई। सैकड़ों वर्ष काशी नगर पर भरत राजकुल के चन्द्रवंशी राजा राज करते रहे। काशी तब आर्यों के पूर्वी नगरों में से थी, पूर्व में उनके राज की सीमा। उससे परे पूर्व का देश अपवित्र माना जाता था।Chandravanshee .

देखें आदित्य नारायण सिंह और काशी का इतिहास

महाराजा आदित्य नारायण सिंह, सर आदित्य नारायण सिंह के रूप में भी जाना जाता है।