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2 संबंधों: विभूति नारायण सिंह, काशी का इतिहास।
विभूति नारायण सिंह
डॉ॰विभूति नारायण सिंह (१९२७-२०००) भारतीय स्वतंत्रता पूर्व काशी राज्य के अंतिम काशी नरेश थे। इसके बाद १५ अक्टूबर, १९४८ को राज्य भारतीय संघ में मिल गया। २००० में इनकी मृत्यु उपरांत इन नरेश हैं और इस परंपरा के वाहक हैं। .
देखें आदित्य नारायण सिंह और विभूति नारायण सिंह
काशी का इतिहास
वाराणसी (बनारस), १९२२ ई गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इतने प्राचीन नगर संसार में बहुत नहीं हैं। हजारों वर्ष पूर्व कुछ नाटे कद के साँवले लोगों ने इस नगर की नींव डाली थी। तभी यहाँ कपड़े और चाँदी का व्यापार शुरू हुआ। कुछ समय उपरांत पश्चिम से आये ऊँचे कद के गोरे लोगों ने उनकी नगरी छीन ली। ये बड़े लड़ाकू थे, उनके घर-द्वार न थे, न ही अचल संपत्ति थी। वे अपने को आर्य यानि श्रेष्ठ व महान कहते थे। आर्यों की अपनी जातियाँ थीं, अपने कुल घराने थे। उनका एक राजघराना तब काशी में भी आ जमा। काशी के पास ही अयोध्या में भी तभी उनका राजकुल बसा। उसे राजा इक्ष्वाकु का कुल कहते थे, यानि सूर्यवंश। काशी में चन्द्र वंश की स्थापना हुई। सैकड़ों वर्ष काशी नगर पर भरत राजकुल के चन्द्रवंशी राजा राज करते रहे। काशी तब आर्यों के पूर्वी नगरों में से थी, पूर्व में उनके राज की सीमा। उससे परे पूर्व का देश अपवित्र माना जाता था।Chandravanshee .
देखें आदित्य नारायण सिंह और काशी का इतिहास
महाराजा आदित्य नारायण सिंह, सर आदित्य नारायण सिंह के रूप में भी जाना जाता है।