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आईयूसीएन लाल सूची

सूची आईयूसीएन लाल सूची

#D59D00nbspअसुरक्षित संकटग्रस्त जातियों की IUCN लाल सूची जिसे IUCN लाल सूची या रेड डाटा सूची (अंग्रेजी: IUCN Red List) भी कहते हैं, सन् १९६३ में गठित विश्व-भर में पौधों और पशुओं की जातियों की संरक्षण स्थिति की सबसे व्यापक तालिका है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) विश्व-स्तर पर विभिन्न जातियों की संरक्षण-स्थिति पर निगरानी रखने वाला सर्वोच्च संगठन है। क्षेत्रीय लाल सूचियों की एक शृंखला विश्व के विभिन्न देशों तथा संगठनों द्वारा किसी एक राजनीतिक प्रबंधन इकाई के अंतर्गत जातियों के विलुप्त होने के जोखिम का आकलन कर, तैयार की जाती हैं।, Chef Charles Oppman, pp.

12 संबंधों: पादप, प्राणी, संकटासन्न, जाति (जीवविज्ञान), जंगल से विलुप्त, विलुप्तप्राय प्रजातियां, विलुप्ति, खतरे से बाहर, गंभीर रूप से विलुप्तप्राय, असुरक्षित प्रजातियां, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ, अंग्रेज़ी भाषा

पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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संकटासन्न

संकटासन्न (संकट+आसन्न) (अंग्रेजी: Near Threatened) (NT) एक संरक्षण श्रेणी है जिसमें वो जीव या प्रजातियां आती हैं जो भले ही आज संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में ना आते हों पर निकट भविष्य में जिनके विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। प्रकृति संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ इन सभी प्रजातियों की स्थिति के एक निश्चित अंतराल के बाद पुनर्मूल्यांकन की शिफारिश करता है। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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जंगल से विलुप्त

''जंगल से विलुप्त'' का अन्य IUCN श्रेणियों से संबंध।जंगल से विलुप्त (EW), एक संरक्षण स्थिति है जिसके अंतर्गत वो प्रजातियां आती हैं जिनके सदस्य अब जंगल मे नहीं पाये जाते और सभी ज्ञात जीवित स्दस्यों को बंदी-स्थिति में या अपने मूल आवास से बाहर देशीयकृत आबादी के रूप में रखा गया है।.

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विलुप्तप्राय प्रजातियां

भारतीय बाघ अपने प्राकृतिक आवास में वे जीव जो विभिन्न वश्यकता है उन्हें विलुप्तप्राय जीव कहते हैं। यदि इनका संरक्षण नहीं किया गया तो वे लुप्त हो जायेंगे। भारत के कुछ विलुप्त प्राय जन्तु जंगली गधा, एक सींग वाला गैण्डा, तेंदुआ, नीलगिरि के लंगूर, कस्तूरी मृग, सफेद गैण्डा तथा अजगर हैं। श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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खतरे से बाहर

खतरे से बाहर (अंग्रेजी:Least Concern) (LC), प्रकृति संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ की एक संरक्षण श्रेणी है जिसके अंतर्गत वो जीव या प्रजातियां आती हैं जिनके विलोपन का कोई प्रत्यक्ष खतरा नहीं है। किसी भी जीव अथवा प्रजाति को तब तक खतरे से बाहर नहीं माना जा सकता जब तक कि उसकी आबादी की स्थिति का समग्र मूल्यांकन ना किया गया हो। यह प्रत्यक्ष या परोक्ष मूल्यांकन किसी प्रजाति विशेष के विश्व मे वितरण और उसकी आबादी की स्थिति के आधार पर उसके विलोपन की संभावना के आकलन पर आधारित होता है। घरेलू चूहे और मानव इसी श्रेणी में आते हैं। .

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गंभीर रूप से विलुप्तप्राय

IUCN लाल सूची की गंभीर रूप से विलुप्तप्राय, श्रेणी उच्चतम जोखिम वाली जंगली प्रजातियों को आवंटित की गयी है। गंभीर रूप से विलुप्तप्राय का अर्थ उस प्रजाति से है जिसके सदस्यों की संख्या या तो बहुत कम हो गयी है, या फिर आने वाली तीन पीढ़ियों के दौरान यह संख्या 80% तक गिर जाएगी। IUCN किसी प्रजाति को तब तक विलुप्त नहीं मानता जब तक इसके लिए एक व्यापक, लक्षित सर्वेक्षण ना किया गया हो, संभवतः विलुप्त, प्रजातियों को भी गंभीर रूप से विलुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है। बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने इन प्रजातियों को एक नयी आदर्श श्रेणी 'संभवतः विलुप्त' में वर्गीकृत करने का सुझाव दिया गया है। .

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असुरक्षित प्रजातियां

असुरक्षित प्रजाति ऐसे जीवों की प्रजाति है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा ऐसी प्रजाति के तौर पर चिह्नित किया गया है भविष्य में जिनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। ऐसी प्रजातियों के प्रजनन और सुरक्षा के उपाय अगर न किए जाएं तो वे प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर भी पहुंच सकती हैं। किसी भी प्रजाति की असुरक्षित स्थिति मुख्यतः उनके आवासीय स्थानों पर प्रतिकूल परिस्थितियों द्वारा, शिकार, पर्यावरणीय प्रदूषण, बिमारी या ऐसे अन्य कारणों की वजह से हो सकती है। श्रेणी:असुरक्षित जातियाँ.

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अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (अंग्रेजी:International Union for Conservation of Nature), प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए समर्पित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। संगठन का घोषित लक्ष्य, विश्व की सबसे विकट पर्यावरण और विकास संबंधी चुनौतियों के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने में सहायता करना है। संघ विश्व के विभिन्न संरक्षण संगठनों के नेटवर्क से प्राप्त जानकारी के आधार पर "लाल सूची" प्रकाशित करता है, जो विश्व में सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों को दर्शाती है। CBS News Online, 2007-09-12.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

IUCN Red List, IUCN लाल सूची

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