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अवाप्ति

सूची अवाप्ति

विज्ञान की प्रगति से शिक्षाप्रणाली में भी नवीन विचारधाराओं का जन्म हुआ है। इसमें परीक्षा संबंधी परिवर्तन उल्लेखनीय है। वैज्ञानिकों की धारणा रही है कि लिखितपरीक्षा द्वारा हम परीक्षार्थी के उन गुणों को नापते हैं जिन्हें नापना हमारा ध्येय होता है। इसके अतिरिक्त इस परीक्षा में परीक्षक की निजी भावनाएँ अंग प्रदान करने में विशेष कार्य करती हैं। इन दोनों से रक्षा करने के लिए यह उचित समझा गया कि विषयनिष्ठ परीक्षा ही परीक्षार्थी के मूल्यांकन में सहायक हो सकेगी। इस विचारधारा के फलस्वरूप अमरीका में ई.

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: एडवर्ड थार्नडाइक, परीक्षा, शिक्षा, विज्ञान

एडवर्ड थार्नडाइक

एडवर्ड थार्नडाइक (31 अगस्त 1874 – 9 अगस्त 1949)। एडवर्ड थार्नडाइक (Edward Lee Thorndike) (31 अगस्त 1874 – 9 अगस्त 1949) यूएसए के मनोवैज्ञानिक एवं थे जिहोने लगभग अपना पूरा जीवन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शिक्षक महाविद्यालय में बिताया। 'पशु व्यवहार' एवं 'सीखने की प्रक्रिया' पर उनका कार्य के आधार पर ही आधुनिक शैक्षिक मनोविज्ञान की वैज्ञानिक नीव पड़ी। उन्होने औद्योगिक समस्याओं के समाधान की दिशा में भी कार्य किया (जैसे कर्मचारी परीक्षा एवं परीक्षण)। वे मनोवैज्ञानिक कॉर्पोरेशन के बोर्ड के सदस्य थे तथा सन् १९१२ में अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ (American Psychological Association) के अध्यक्ष भी रहे। .

देखें अवाप्ति और एडवर्ड थार्नडाइक

परीक्षा

विद्यार्थियों के ज्ञान की '''परीक्षा''' चल रही है। किसी वस्तु, व्यक्ति या घटना की विस्तृत जाँच परीक्षा कहलाती है। शैक्षिक एवं व्यावसायिक सन्दर्भ में किसी छात्र या भावी प्रक्टिशनर की क्षमता की जाँच को परीक्षा कहते हैं। रचना, विषय, कठिनाई आदि के अनुसार परीक्षा अनेकों प्रकार की होती है। .

देखें अवाप्ति और परीक्षा

शिक्षा

अफगानिस्तान के एक विद्यालय में वृक्ष के नीचे पढ़ते बच्चे शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है। शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से अभिमुख होता है। शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्ष्’ धातु में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बना है। ‘शिक्ष्’ का अर्थ है सीखना और सिखाना। ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया। जब हम शिक्षा शब्द के प्रयोग को देखते हैं तो मोटे तौर पर यह दो रूपों में प्रयोग में लाया जाता है, व्यापक रूप में तथा संकुचित रूप में। व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। मनुष्य क्षण-प्रतिक्षण नए-नए अनुभव प्राप्त करता है व करवाता है, जिससे उसका दिन-प्रतिदन का व्यवहार प्रभावित होता है। उसका यह सीखना-सिखाना विभिन्न समूहों, उत्सवों, पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि से अनौपचारिक रूप से होता है। यही सीखना-सिखाना शिक्षा के व्यापक तथा विस्तृत रूप में आते हैं। संकुचित अर्थ में शिक्षा किसी समाज में एक निश्चित समय तथा निश्चित स्थानों (विद्यालय, महाविद्यालय) में सुनियोजित ढंग से चलने वाली एक सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़कर अनेक परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना सीखता है। शिक्षा एक गतिशील प्रकिया है निखिल .

देखें अवाप्ति और शिक्षा

विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

देखें अवाप्ति और विज्ञान