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अलेक्ज़ेंडर बर्न्स

सूची अलेक्ज़ेंडर बर्न्स

बुख़ारा के परिधान में सर बर्न्स अलेक्ज़ेंडर बर्न्स (Sir Alexander Burnes) या सिकंदर बर्न्स (16 मई 1805-2 नवंबर 1841) एक ब्रिटिश यात्रावृत्त लेखक तथा जासूस थे जिनकी 1831-32 के बीच की पंजाब, पेशावर, काबुल होते हुए बुख़ारा की यात्रा से उन्हें ख्याति मिली थी। उनकी लिखी किताबों को उस समय ब्रिटेन में बहुत प्रसिद्धि मिली थी जिसके बाद उन्हें सर की उपाधि भी दी गई थी। इससे अंग्रेज़ों को मध्य एशिया में हो रही गतिविधियों के अलावा वहाँ की भौगोलिक जानकारी भी मिली थी। इसके बाद ब्रिटिश सेना ने अफ़गानिस्तान पर चढ़ाई की थी और इसी दौरान सन् 1841 के नवंबर में काबुल में उनका क़त्ल कर दिया गया था। इससे पहले विलियम मूरक्रॉफ़्ट और उनके साथ गए नौजवान ने बुखारा की यात्रा की थी जो घोड़ो के पालन के तथाकथित विश्व प्रसिद्ध स्थान बुख़ारा की परंपरा देखना चाहते थे। दोनों बुख़ारा तो पहुँच गए थे पर वापस लौटते वक़्त बाल्ख़ के मज़ार-ए-शरीफ़ में बामारी वजह से मारे गए थे। स्कॉटलैंड में जन्मे बर्न्स को सिकंदर (पश्चिम में अलेक्ज़ेंडर) के विजित प्रदेशों को देखने का बहुत शौक था। अपनी किताब ट्रावेल्स इन टू बोख़ारा की प्रस्तावना में उन्होंने लिखा है कि सिन्धु नदी के आवागमन का रास्ता पता करने के बाद उनमें काबुल और उसके पार जाने का उत्साह आया। विजेता सिकंदर ३३० ईस्वी पूर्व के आसपास पेशावर और उसके उत्तर के प्रदेश तक पहुँचा था। वो बुख़ारा और बाल्ख़ से होते हुए आया था। भारतीय मुहम्मद अली और मोहन लाल ज़ुत्शी भी इस यात्रा में उसके साथ थे - वापस आने के साथ ही मुहम्मद अली किसी बीमारी की वजह से चल बसा था। .

9 संबंधों: पंजाब क्षेत्र, प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, पेशावर, बुख़ारा, मोहन लाल ज़ुत्शी, सिकंदर, काबुल, १६ मई, २ नवम्बर

पंजाब क्षेत्र

पंजाब दक्षिण एशिया का क्षेत्र है जिसका फ़ारसी में मतलब पांच नदियों का क्षेत्र है। पंजाब ने भारतीय इतिहास को कई मोड़ दिये हैं। अतीत में शकों, हूणों, पठानों व मुगलों ने इसी पंजाब के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। आर्यो का आगमन भी हिन्दुकुश पार कर इसी पंजाब के रास्ते ही हुआ था। पंजाब की सिन्धु नदी की घाटी में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ। उस समय इस भूख़ड का नाम सप्त सिन्धु अर्थात सात सागरों का देश था। समय के साथ सरस्वती जलस्रोत सूख् गया। अब रह गयीं पाँच नदियाँ-झेलम, चेनाब, राबी, व्यास और सतलज इन्हीं पाँच नदियों का प्रांत पंजाब हुआ। पंजाब का नामाकरण फारसी के दो शब्दों से हुआ है। पंज का अर्थ है पाँच और आब का अर्थ होता है जल। .

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प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध

एलिजाबेथ बटलर द्वारा बनाया गया चित्र जिसमें जनवरी १८४२ में जलालाबाद के अंग्रेज़ सैन्य अड्डे पर पहुँचने वाले एक मात्र ब्रिटिश विलियम ब्राइडन को दिखाया गया है। काबुल से वापसी की शुरुआत क़रीब १६५०० ब्रिटिश तथा भारतीय सैनिकों और कर्मचारियों ने की थी। प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध जिसे प्रथम अफ़ग़ान युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, 1839 से 1842 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में अंग्रेजों और अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों के बीच लड़ा गया था। इसकी प्रमुख वजह अंग्रज़ों के रूसी साम्राज्य विस्तार की नीति से डर था। आरंभिक जीत के बाद अंग्रेज़ो को भारी क्षति हुई, बाद में सामग्री और सैनिकों के प्रवेश के बाद वे जीत तो गए पर टिक नहीं सके। .

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पेशावर

पेशावर पाकिस्तान का एक शहर है। यह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त की राजधानी है। पेशावर उल्लेख पुराने पुस्तकों में "पुरुषपुर" के नाम से मिलता है। इस उपमहाद्वीप के प्राचीन शहरों में से एक है। पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और कबायली इलाकों के वाणिज्यिक केंद्र है। पेशावर में पश्तो भाषा बोली जाती है लेकिन जब उर्दू पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा है इसलिए उर्दू भी माना जाता है। .

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बुख़ारा

बुख़ारा के अमीर के महल का दरवाज़ा, यह यूनेस्को द्वारा पंजीकृत विश्व धरोहर स्थल है बुख़ारा में पाया गया यवन-बैक्ट्रियाई सम्राट युक्राटीडीस (१७०-१४५ ईसापूर्व) द्वारा ज़र्ब सिक्का जो प्राचीनकाल का सबसे बड़ा सोने का सिक्का है। इसका वज़न १६९.२ ग्राम और व्यास (डायामीटर) ५८ मिलीमीटर है। इसे फ़्रांसिसी सम्राट नेपोलियन तृतीय ने ले लिया था और अब यह पैरिस के एक संग्राहलय में है। अलीम ख़ान (१८८०-१९४४), बुख़ारा का अंतिम अमीर, जिसे १९२० में सिंहासन से हटा दिया गया कलाँ मीनार (यानि 'बड़ी मीनार') नादिर दीवान-बेग़ी मदरसे के दरवाज़े पर अमरपक्षी (काल्पनिक फ़ीनिक्स पक्षी), यह लब-ए-हौज़ स्थल का हिस्सा है बुख़ारा (रूसी: Бухара, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Bokhara) मध्य एशिया में स्थित उज़बेकिस्तान देश के बुख़ारा प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की पाँचवी सबसे बड़ी नगरी है। इसकी जनसंख्या २,३७,९०० है (सन् १९९९ अनुमानानुसार) और यह शहर लगभग पाँच हजार वर्षों से बसा हुआ है।, Europa Publications Limited, Taylor & Francis, 2002, ISBN 978-1-85743-137-7,...

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मोहन लाल ज़ुत्शी

मोहन लाल ज़ुत्शी (Mohan Lal Zutshi), जिन्हें मोहन लाल कश्मीरी भी कहते थे, 19वीं शताब्दी में एक यात्री, राजनयिक और लेखक थे। उन्होंने 1838–1842 के प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध में एक अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लिखी काबुल के अमीर दोस्त मुहम्मद ख़ान की जीवनी उस युद्ध का प्राथमिक वर्णन स्रोत है। इसके अलावा उन्होंने भारत से लेकर कैस्पियन सागर तक के कई क्षेत्रों का भ्रमण करा और जानकारी एकत्रित कर के ब्रिटिश राज की सरकार को उपलब्ध करी। इन क्षेत्रों में अफ़्ग़ानिस्तान, बल्ख़, बुख़ारा और ख़ोरासान शामिल थे। प्रसिद्ध ब्रिटिश यात्री व जासूस अलेक्ज़ेंडर बर्न्स का मार्गदर्शन उन्होंने ही करा था। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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काबुल

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह अफगानिस्‍तान का आर्थिक और सांस्‍कृतिक केंद्र भी है। यह शहर समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काबुल सफेद खो पहाड़ी और काबुल नदी के बीच बसा हुआ है। यह पर्यटन की दृष्‍िट से मध्‍य एशिया का एक महत्‍पपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां कई प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं। जिसमें अफगान नेशनल म्‍यूजियम, दारुल अमन पैलेस, बाग-ए-बाबर, ईदगाह मस्जिद, ओमर माइन म्‍यूजियम यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है। .

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१६ मई

16 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 136वॉ (लीप वर्ष मे 137 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 229 दिन बाकी है। .

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२ नवम्बर

२ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०६वाँ (लीप वर्ष मे ३०७वाँ) दिन है। साल मे अभी और ५९ दिन बाकी है। .

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