3 संबंधों: चौहान, हिन्दू धर्म, विग्रहराज चौहान।
चौहान
चौहान या चव्हाण एक वंश है। चौहान गुर्जर तथा राजपूतों में आता है।विद्वानो का कहना है कि चौहान मुल से राजपूत थे तथा १० वी शदी तक गुर्जर प्रतिहारो के अधीन थे। चौहान साम्भर झील और पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर, राजस्थान में भी होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। इसके अलावा मैनपुरी उत्तर प्रदेश एवं नीमराना, राजस्थान के अलवर जिले में भी पाये जाते हैं। .
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हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .
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विग्रहराज चौहान
वीसलदेव द्वारा निर्मित सरस्वतीकण्ठाभरण विद्यापीठ जिसे बदलकर 'ढाई दिन का झोपड़ा' बना दिया गया। वीसलदेव विग्रहराज (r. c. 1150-1164 ई) चहमान वंश के एक हिन्दू राजा थे जिन्होने भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शासन किया। उन्होने अपने पड़ोसी राजाओं को जीतकर चहमान राज्य को एक साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया। उनके राज्य में वर्तमान राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्र सम्मिलित थे। उनकी राजधानी अजयमेरु (वर्तमान अजमेर) थी जहाँ उन्होने अनेकों भवनों का निर्माण कराया। जब अजमेर पर मुसलमान शासकों का आधिपत्य हो गया तो उनमें से अधिकांश भवनों को या तो नष्ट कर दिया गया या उन्हें 'इस्लामी भवनों' में परिवर्तित कर दिया गया। इन्हीं में से वीसलदेव द्वारा निर्मित सरस्वतीकण्ठाभरणविद्यापीठ था जो संस्कृत अध्ययन का केन्द्र था। इसे बदलकर 'आढाई दिन का झोपड़ा' नामक मसजिद बना दी गयी। .
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