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अभिश्लेषण

सूची अभिश्लेषण

बीच का संकेत हंहेरियन में है जो अत्यधिक अभिश्लेषित है। उपर एवं नीचे के संकेत क्रमशः रोमानियन एवं जर्मन में हैं, जो 'इन्फ्लेक्टेड भाषाएँ' हैं अभिश्लेषण (एग्लूटिनेशन) दो वस्तुओं का मिलना। भाषाविज्ञान में शब्दों के संमेलन को अभिश्लेषण कहते हैं। भाषा में पदों के द्वारा अर्थ का तथा परसर्ग आदि के द्वारा संबंध का बोध होता है। 'मेरे' शब्द में 'मैं' (अर्थ तत्व) और 'का' (संबंध तत्व) का अभिलेषण करके "मेरे' शब्द बनाया गया है। इस अभिलेषण के आधार पर ही भाषाओं का आकृतिमूलक वर्गीकरण किया जाता है। चीनी भाषा में अभिश्लेषण नहीं है किंतु तुर्की भाषा अभिश्लेषण का अच्छा उदाहरण है। इसके तीन मुख्य भेद हैं- (१) प्रश्लिष्ट अभिश्लेषण (इनकारपोरेशन), इसमें दोनों तत्वों को अलग नहीं किया जा सकता। (२) अभिश्लिष्ट अभिश्लेषण (सिंपुल एग्लूटिलेशन) में अभिश्लिष्ट तत्व पृथक्‌ दिखाई देते हैं। (३) श्लिष्ट अभिश्लेषण (इनफ़्लेक्शन) में यद्यपि अर्थ तत्व में विकार हो जाता है फिर भी संबंध तत्व अलग मालूम होता है। संस्कृत व्याकरण में अभिश्लेषण की प्रक्रिया को सामर्थ्य कहते हैं। वहाँ इसके एकार्थी भाव और व्यपेक्षा में दो भेद माने गए हैं। प्राचीन पाश्चात्य दर्शन में दो विचारों के समन्वय के लिए इसका प्रयोग हुआ है। चिकित्साशास्त्र में द्रव पदार्थ में बैक्टीरिया, सेल या जीवाणुओं के परस्पर संयोग के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है। श्रेणी:अभिश्लेषणी भाषाएँ अभिश्लेषण अभिश्लेषण da:Agglutination.

3 संबंधों: चिकित्साशास्त्र, भाषाविज्ञान, संस्कृत व्याकरण

चिकित्साशास्त्र

चिकित्साशास्त्र आयुर्विज्ञान का एक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अस्वस्थ्य मनुष्य को स्वस्थ्य बनाने से सम्बन्धित है। इस शास्त्र में अस्वस्थ्य मनुष्य का ब्याधि वा रोग का अध्ययन किया जाता है, उसके बाद उस ब्याधि को डायगनोज और उस का निवारण किया जाता है। यह क्षेत्र मानव और रोग का ज्ञान और उस का प्रयोजन दोनों से सम्बन्धित है। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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संस्कृत व्याकरण

संस्कृत में व्याकरण की परम्परा बहुत प्राचीन है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है ('वेदांग' देखें)। व्याकरण के मूलतः पाँच प्रयोजन हैं - रक्षा, ऊह, आगम, लघु और असंदेह। व्याकरण के बारे में निम्नलिखित श्लोक बहुत प्रसिद्ध है।- - जिसके लिए "विहस्य" छठी विभक्ति का है और "विहाय" चौथी विभक्ति का है; "अहम् और कथम्"(शब्द) द्वितीया विभक्ति हो सकता है। मैं ऐसे व्यक्ति की पत्नी (द्वितीया) कैसे हो सकती हूँ ? .

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