4 संबंधों: चन्द्रमा, नासा, अपोलो 4, अपोलो अभियान।
चन्द्रमा
कोई विवरण नहीं।
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नासा
नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .
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अपोलो 4
श्रेणी:अपोलो कार्यक्रम श्रेणी:अमेरिका के चन्द्र अभियानों की सूची.
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अपोलो अभियान
अपोलो कार्यक्रम यह संयुक्त राज्य अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की मानव उड़ानो की एक श्रंखला थ। इस में सैटर्न राकेट और अपोलो यानो का प्रयोग किया गया था। यह श्रंखला उड़ान १९६१-१९७४ के मध्य में हुयी थी। यह श्रंखला अमरीकी राष्ट्रपति जान एफ केनेडी के १९६० के दशक में चन्द्रमा पर मानव के सपने को समर्पित थी। यह सपना १९६९ में अपोलो ११ की उड़ान ने पूरा किया था। यह अभियान १९७० के दशक के शुरुवाती वर्षो में भी चलता रहा, इस कार्यक्रम में चन्द्रमा पर छः मानव अवतरणो के साथ चन्द्रमा का वैज्ञानिक अध्ययन कार्य किया गया। इस कार्यक्रम के बाद आज २००७ तक पृथ्वी की निचली कक्षा के बाहर कोई मानव अभियान नहीं संचालित किया गया है। बाद के स्कायलैब कार्यक्रम और अमरीकी सोवियत संयुक्त कार्यक्रम अपोलो-सोयुज जांच कार्यक्रम जिन्होने अपोलो कार्यक्रम के उपकरणो का प्रयोग किया था, इसी अपोलो कार्यक्रम का भाग माना जाता है। बहुत सारी सफलताओ के बावजूद इस कार्यक्रम को दो बड़ी असफलताओ को झेलना पड़ा। इसमे से पहली असफलता अपोलो १ की प्रक्षेपण स्थल पर लगी आग थी जिसमे विर्गील ग्रीसम, एड व्हाईट और रोजर कैफी शहीद हो गये थे। इस अभियान का नाम AS२०४ था लेकिन बाद में शहीदो की विधवाओं के आग्रह पर अपोलो १ कर दिया गया था। दूसरी असफलता अपोलो १३ में हुआ भीषण विस्फोट था लेकिन इसमे तीनो यात्रीयों को सकुशल बचा लीया गया था। इस अभियान का नाम सूर्य के ग्रीक देवता अपोलो को समर्पित था। नील आर्मस्ट्रांग २० जुलाई १९६९ को चन्द्रमा की धरती पर पहला कदम रखा यह अमेरिकी नागरिक थे १ .
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