3 संबंधों: मूत्र, मूत्राशय, अपमलन।
मूत्र
मानव का मूत्र-तंत्र मूत्र, मानव और अन्य कशेरुकी जीवों मे वृक्क (गुर्दे) द्वारा स्रावित एक तरल अपशिष्ट उत्पाद है। कोशिकीय चयापचय के परिणामस्वरूप कई अपशिष्ट यौगिकों का निर्माण होता है, जिनमे नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो स्कती है और इनका रक्त परिसंचरण तंत्र से निष्कासन अति आवश्यक होता है। आयुर्वेद अनुसार मूत्र को तीन प्रकार के मलो में शामिल किया है एवं शरीर मे इसका प्रमाण 4 अंजली माना गया है । .
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मूत्राशय
मूत्राशय शरीर रचना विज्ञान मूत्राशय (urinary bladder) वह आन्तरिक अंग है जो मूत्र विसर्जन के पहले वृक्कों द्वारा निर्मित मूत्र को इकट्ठा रखता है। .
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अपमलन
मल त्याग्ती हुई गाय मल त्यागने के लिये बैठे बालक का चित्र अपमलन (Defecation) का अर्थ है - गुदाद्वार से मल त्याग करना। यह पाचन क्रिया की अन्तिम क्रिया है।मल ठोस, अर्धठोस या द्रव के रूप में हो सकता है। मानव द्वारा अपमलन की आवृत्ति २४ घण्टे में दो-तीन बार से लेकर एक सप्ताह में दो-चार बार तक होती है। आँतों की पेशियों में संकुचन की क्रिया होती है जिससे त्याज्य पदार्थ गुदाद्वार की तरफ सरकता है। .
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