4 संबंधों: एनाग्रम, श्रीरामचरितमानस, श्लोक, समस्या-पूर्ति।
एनाग्रम
एनाग्रम शब्दों का एक खेल है, जिसमें किसी शब्द या वाक्यांश के अक्षरों को पुनः व्यवस्थित करके एक नया शब्द या वाक्यांश बनाना होता है और इस खेल में सभी मूल अक्षरों का केवल एकबार उपयोग करने की अनुमति होती है; उदा.
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श्रीरामचरितमानस
गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .
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श्लोक
संस्कृत की दो पंक्तियों की रचना, जिनके द्वारा किसी प्रकार का कथोकथन किया जाता है, श्लोक कहलाता है। श्लोक प्रायः छंद के रूप में होते हैं अर्थात् इनमें गति, यति और लय होती है। छंद के रूप में होने के कारण ये आसानी से याद हो जाते हैं। प्राचीनकाल में ज्ञान को लिपिबद्ध करके रखने की प्रथा न होने के कारण ही इस प्रकार का प्रावधान किया गया था। श्लोक 'अनुष्टुप छ्न्द' का पुराना नाम भी है। किन्तु आजकल संस्कृत का कोई छंद या पद्य 'श्लोक' कहलाता है।; 'श्लोक' का शाब्दिक अर्थ १. आवाज, ध्वनि, शब्द। २. पुकारने का शब्द, आह्वान, पुकार। ३. प्रशंसा, स्तुति। ४. कीर्ति, यश। ५. किसी गुण या विशेषता का प्रशंसात्मक कथन या वर्णन। जैसे—शूर-श्लोक अर्थात् शूरता का वर्णन। श्रेणी:संस्कृत साहित्य श्रेणी:लेखन.
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समस्या-पूर्ति
समस्या-पूर्ति भारतीय साहित्य में प्रचलित विशेष विधा है जिसमें किसी छन्द में कोई कविता का अंश दिया होता है और उस छन्द को पूरा करना होता है। यह कला प्राचीन काल से चली आ रही है। यह कला चौंसठ कलाओं के अन्तर्गत आती है। समस्यापूर्ति विशेषत: संस्कृत साहित्य में बहुत प्रसिद्ध है। ऐसे भी उदाहरण हैं जिसमें कुछ विद्वानों ने कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम की प्रत्येक कविता की प्रथम पंक्ति ज्यों का त्यों 'समस्या' के रूप में लेकर स्वयं उसकी पूर्ति की है। .
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