2 संबंधों: अनुयोग (बौद्ध धर्म), अनुयोग (जैन धर्म)।
अनुयोग (बौद्ध धर्म)
तिब्बती बौद्धधर्म के सन्दर्भ में, अनुयोग तीन आन्तरिक तन्त्रों (महायोग, अनुयोग और अतियोग) में से दूसरा तन्त्र है। .
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अनुयोग (जैन धर्म)
जैन धर्म में शास्त्रो की कथन पद्धति को अनुयोग कहते हैं। जैनागम चार भागों में विभक्त है, जिन्हें चार अनुयोग कहते हैं - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग। इन चारों में क्रम से कथाएँ व पुराण, कर्म सिद्धान्त व लोक विभाग, जीव का आचार-विचार और चेतनाचेतन द्रव्यों का स्वरूप व तत्त्वों का निर्देश है। इसके अतिरिक्त वस्तु का कथन करने में जिन अधिकारों की आवश्यकता होती है उन्हें अनुयोगद्वार कहते हैं।.