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अगर

सूची अगर

200px अगर एक कालिलीय (कोलायडल) पदार्थ है जिसे विभिन्न प्रकार के लाल शैवालों से प्राप्त किया जाता है। इसमें सूक्ष्मजीवों का कल्चर करते है। सुक्ष्मजीवों के आवश्यकता अनुसार अगर में विभिन्न पदार्थ रखे होते है। अगर के पदार्थ अनुसार अगर भिन्न होते है। इसमें गैलेक्टोस और सल्फेट होता है। यह विभिन्न प्रकार से प्रयोगों में लाया जाता है। आरेचक (लैक्ज़ेटिव) के रूप में इसका उपयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्रयोगशाला में इसका उपयोग सूक्ष्म जीवों के भोज्य पदार्थों (माइक्रोबियल कल्चर मीडिया) का ठोस बनाने के लिए किया जाता है। मिष्ठान्नशाला में तथा मांस संवेष्ठन उद्योगों (मीट पैकिंग इंडस्ट्रीज) में भी अगर का उपयोग होता है। भेषजीय उत्पादन में यह प्रनिलंबक अभिकर्ता (इमल्सीफाइंग एजेंट) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। अगर के पौधों को इकट्ठा करके तुरंत सुखाया जाता है। इसके बाद कारखाने में भेज दिया जाता है, जहाँ पर ये धोए जाते हैं। विशेष प्रयोग में लाए जाने वाले अगर की उपलब्धि के लिए उक्त पौधों को विरंजित (ब्लीच्ड) करके पुन शुद्ध किया जाता है। तत्पश्चात्‌ म्यूसीलेज को कुछ घंटों के लिए उबाला जाता है और अनेक छननों से छानते हुए विभिन्न फ्रेमों में जेली के रूप में प्रवाहित किया जाता है। तत्पश्चात्‌ ठंढा करके जमा दिया जाता है। पानी को फेंककर जेली सुखाई जाती है और अंत में इसे चूर्ण का रूप दिया जाता है। इसका प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रकार से किया जाता है। इससे अगरबत्तियाँ भी बनाई जाती है। .

6 संबंधों: प्रयोगशाला, सूक्ष्मजैविकी, विरेचक, कलिल, अगर (वृक्ष), अगरबत्ती

प्रयोगशाला

उन्नीसवीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री एवं रसायनज्ञ माइकल फैराडे अपनी प्रयोगशाला में जैव रसायन प्रयोगशाला प्रयोगशाला एक ऐसी सुविधा (कक्ष, भवन या स्थान) को कहते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रयोग एवं मापन के लिए आवश्यक माहौल प्रदान करता है। .

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सूक्ष्मजैविकी

सूक्ष्मजीवों से स्ट्रीक्ड एक अगार प्लेट सूक्ष्मजैविकी उन सूक्ष्मजीवों का अध्ययन है, जो एककोशिकीय या सूक्ष्मदर्शीय कोशिका-समूह जंतु होते हैं। इनमें यूकैर्योट्स जैसे कवक एवं प्रोटिस्ट और प्रोकैर्योट्स, जैसे जीवाणु और आर्किया आते हैं। विषाणुओं को स्थायी तौर पर जीव या प्राणी नहीं कहा गया है, फिर भी इसी के अन्तर्गत इनका भी अध्ययन होता है। संक्षेप में सूक्ष्मजैविकी उन सजीवों का अध्ययन है, जो कि नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते हैं। सूक्ष्मजैविकी अति विशाल शब्द है, जिसमें विषाणु विज्ञान, कवक विज्ञान, परजीवी विज्ञान, जीवाणु विज्ञान, व कई अन्य शाखाएँ आतीं हैं। सूक्ष्मजैविकी में तत्पर शोध होते रहते हैं एवं यह क्षेत्र अनवरत प्रगति पर अग्रसर है। अभी तक हमने शायद पूरी पृथ्वी के सूक्ष्मजीवों में से एक प्रतिशत का ही अध्ययन किया है। हाँलाँकि सूक्ष्मजीव लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व देखे गये थे, किन्तु जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं, जैसे जंतु विज्ञान या पादप विज्ञान की अपेक्षा सूक्ष्मजैविकी अपने अति प्रारम्भिक स्तर पर ही है। .

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विरेचक

विरेचक या आरेचक (Laxatives या purgatives या aperients) ऐसे खाद्यपदार्थ, यौगिक या दवाओं क कहा जाता है जिनके सेवन से मलत्याग में आसानी होती है। इनके उपयोग से मलाशय की सफाई करने में आसानी होती है।; कुछ प्रमुख विरेचक.

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कलिल

पायसीकृत द्रव कलिल है जिसमे मक्खन की गोलिकायें एक जल-आधारित तरल मे परिक्षेपित रहती हैं। कलिल या कोलाइड एक रसायनिक मिश्रण होता है जिसमे एक वस्तु दूसरी वस्तु मे समान रूप से परिक्षेपित (dispersed) होती है। परिक्षेपित वस्तु के कण मिश्रण मे केवल निलम्बित रहते है ना कि एक विलयन की तरह (जिसमे यह पूरी तरह घुल जाते हैं)। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कलिल मे कणों का आकार विलयन मे उपस्थित कणों के आकार से बड़ा होता है - यह कण इतने छोटे होते हैं कि मिश्रण मे पूरी तरह परिक्षेपित हो कर एक समरूप मिश्रण तैयार करें, लेकिन इतने बडे़ भी नहीं होते हैं कि प्रकाश को प्रकीर्णित करें और ना घुलें। इस परिक्षेपण के चलते कुछ कलिल विलयन जैसे दिखते हैं। किसी कलिल प्रणाली की दो पृथक प्रावस्थायें होती हैं: पहली परिक्षेपण प्रावस्था (या आंतरिक प्रावस्था) और दूसरी सतत प्रावस्था (या परिक्षेपण माध्यम)। एक कलिल प्रणाली ठोस, द्रव या गैसीय हो सकती है। नीचे की तालिका मे एक समरूप और असमरूप मिश्रण मे कलिल के कणों का व्यास का तुलनात्मक विश्लेषण है।: इसलिए, कलिलीय निलम्बन, समरूप और असमरूप मिश्रणों के मध्यवर्ती होते हैं। .

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अगर (वृक्ष)

अगर (वानस्पतिक नाम: Aquilaria malaccensis) एक वृक्ष है। कागज के विकास के पहले इसके छाल का उपयोग ग्रन्थ लिखने के लिये होता था। भारत की विभिन्न भाषाओं में इसके नाम ये हैं-.

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अगरबत्ती

जलती हुईं अगरबत्तियाँ अगरबत्ती एक बत्ती (स्टिक) है जिसे जलाने पर सुगंधित धुँआ निकलता है। अगरबत्ती का उपयोग लगभग प्रत्येक भारतीय घर, दुकान तथा पूजा-अर्चना के स्थान पर अनिवार्य रूप से किया जाता है। सुबह की दिनचर्या प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर में अगरबत्ती जलाई जाती है, जो स्वतः ही इस उत्पाद की व्यापक खपत को दर्शाता है। अगरबत्तियां विभिन्न सुगंधों जैसे चंदन, केवड़ा, गुलाब आदि में बनाई जाती हैं। अधिकांशतः उपभोक्ताओं को इनकी किसी विशेष सुगंध के प्रति आकर्षण बन जाता है तथा वे प्रायः उसी सुगंध वाली अगरबत्ती को ही खरीदते हैं। .

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