सामग्री की तालिका
32 संबंधों: चाइल्ड्स प्ले (१९८८ फ़िल्म), डॉनल्ड ट्रम्प, डीनो मोरिया, देहरादून, नित्यानन्द स्वामी (राजनीतिज्ञ), पायल रोहतगी, प्रज्ञा पांड्या शाह, बर्लिन की दीवार, भारत में रेल दुर्घटना, भारत रत्न, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, राष्ट्रीय दिवस, रज़िया सुल्तान, रुड़की, लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, संचार उपग्रह, स्पायरो: अ हीरोज़ टेल, स्कायफॉल, हरगोविन्द खुराना, जैक शॉस्तक, जॉर्ज पंचम, कार्ल सेगन, अवास्ट!, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव, २००२, उत्तराखण्ड/आलेख, १९२१, १९२२, १९४७, १९७५, १९८०।
चाइल्ड्स प्ले (१९८८ फ़िल्म)
चाइल्ड्स प्ले (अंग्रेज़ी: Child's Play) १९८८ अमेरिकन हॉरर फिल्म। फिल्म को जारी किया गया ९ नवंबर, १९८८ उत्तरी अमेरिका में और उदारवादी सफलता के साथ मुलाकात की। इसके बाद से हॉरर शैली के प्रशंसकों के बीच एक पंथ निम्नलिखित विकसित की है। यह फिल्म चाइल्ड्स प्ले फिल्म श्रृंखला में पहला है। .
देखें ९ नवम्बर और चाइल्ड्स प्ले (१९८८ फ़िल्म)
डॉनल्ड ट्रम्प
डॉनल्ड जॉन ट्रम्प (जन्म:14 जून 1946) 9 नवम्बर 2016 को संयुक्त राज्य अमेरिका के 45 वें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं। वे रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार थे तथा इन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को पराजित कर विजय श्री प्राप्त की। इनका निवास स्थान ट्रम्प टॉवर, मैनहैटन है। इनकी कुल सम्पत्ति 400 करोड़ डॉलर है। - दैनिक जागरण - 28 अप्रैल 2016 एक अमेरिकी रिअल एस्टेट कारोबारी,अमेरिकी बिजनेसमैन, टीवी पर्सनालिटी, राजनेता, लेखक हैं। .
देखें ९ नवम्बर और डॉनल्ड ट्रम्प
डीनो मोरिया
डीनो मोरिया (जन्म: 9 नवंबर, 1975) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .
देखें ९ नवम्बर और डीनो मोरिया
देहरादून
यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .
देखें ९ नवम्बर और देहरादून
नित्यानन्द स्वामी (राजनीतिज्ञ)
यह लेख नित्यानन्द स्वामी (राजनीतिज्ञ) पर है, अन्य नित्यानन्द स्वामी लेखों के लिए देखें नित्यानन्द स्वामी नित्यानन्द स्वामी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री हैं। उनके शासनकाल में उत्तराखण्ड का नाम उत्तरांचल था। वे राज्य के प्रथम मुख्यमन्त्री थे और उनका शासनकाल ९ नवम्बर, २००० से लेकर २९ अक्टूबर, २००१ तक चला। इनका जन्म २७ दिसंबर, १९२७ को हरियाणा राज्य में हुआ था, लेकिन उन्होनें अपना लगभग सारा जीवन देहरादून में बिताया जहाँ पर उनके पिता भारतीय वानिकी संस्थान में कार्यरत थे। उनका विवाह चन्द्रकान्ता स्वामी से हुआ और उनकी चार बेटियाँ हैं। कम आयु में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़ गए और देहरादून में उन्होंने स्थानीय विरोधों में भागीदारी की। ये पेशे से एक वकील हैं और जन संघ से जुड़कर उन्होनें सक्रीय राजनीति में प्रवेश किया। व्यावसायिक रूप से वकील, स्वामी ने जनसंघ के अन्तर्गत सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। नित्यानन्द पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गए और बाद में भारतीय जनता पार्टी में पहुँचे हैं। राजनीति की सीढ़ी चढ़कर, वह गढ़वाल और कुमाऊँ के सबसे बड़े (क्षेत्र-वार) स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद में चुने गए। वह १९९१ में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के उपाध्यक्ष बने और १९९२ में सर्वसम्मति से उसी के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष २००० में उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) के पृथक राज्य बनने पर, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें नए राज्य के मुख्यमन्त्री का पदभार सम्भालने के लिए कहा। उन्होने ९ नवम्बर २००० से २९ अक्टूबर २००१ तक पदभार ग्रहण किया और फिर भाजपा के कहने पर भगत सिंह कोश्यारी के पक्ष में स्वेछिक पदत्याग किया। तबसे लेकर वे अपने निवास चुनावक्षेत्र लक्ष्मण चौक (देहरादून नगर) से राज्य विधानसभा के लिए दो चुनाव लड़ चुके हैं (२००२ और २००७ में), पर दोनों ही में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल से हार गए। तथापि स्वामी एक सक्रीय राजनीतिज्ञ हैं और अपनी पार्टी के सक्रीय सदस्य हैं। .
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पायल रोहतगी
पायल रोहतगी (जन्म: 9 नवंबर, 1980) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .
देखें ९ नवम्बर और पायल रोहतगी
प्रज्ञा पांड्या शाह
प्रज्ञा पांड्या शाह (जन्म: ९ नवंबर, १९८५) एक भारतीय अभिनेत्री, आवाज-डबिंग अभिनेत्री और प्रशिक्षित शास्त्रीय गायक.
देखें ९ नवम्बर और प्रज्ञा पांड्या शाह
बर्लिन की दीवार
''"Irgendwann fällt jede Mauer" - "अंततः हर दीवार गिरती है"'' बर्लिन की दीवार (जर्मन: Berliner Mauer बर्लीनर माउअर) पश्चिमी बर्लिन और जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच एक अवरोध थी जिसने 28 साल तक बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करके रखा। इसका निर्माण 13 अगस्त 1961 को शुरु हुआ और 9 नवम्बर, 1989 के बाद के सप्ताहों में इसे तोड़ दिया गया। बर्लिन की दीवार अन्दरुनी जर्मन सीमा का सबसे प्रमुख भाग थी और शीत युद्ध का प्रमुख प्रतीक थी। बर्लिन की दीवार का एक भाग। बीच के "मृत्यु क्षेत्र" में बचकर भागने वाले प्रवासी सीमा रक्षकों के लिए सीधा निशाना बनते थे। दीवार के एक ओर भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं। ये केवल पश्चिमी बर्लिन की तरफ बनाए जा सकते थे, पूर्वी बर्लिन की ओर ऐसा करना सख्त मना था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैंकड़ों कारीगर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे। बहुत से लोग राजनैतिक कारणों से भी समाजवादी पूर्वी जर्मनी को छोड़कर पूँजीवादी पश्चिमी जर्मनी जाने लगे (जर्मन: Republikflucht)। इससे पूर्वी जर्मनी को आर्थिक और राजनैतिक रूप से बहुत हानि होने लगी। बर्लिन दीवार का उद्देश्य इसी प्रवासन को रोकना था। इस दीवार के विचार की कल्पना वाल्टर उल्ब्रिख़्त के प्रशासन ने की और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इसे मंजूरी दी। बर्लिन की दीवार बनने से यह प्रवास बहुत कम हो गया - 1949 और 1962 के बीच में जहाँ 25 लाख लोगों ने प्रवास किया वहीं 1962 और 1989 के बीच केवल 5,000 लोगों ने। लेकिन इस दीवार का बनना समाजवादी गुट के प्रचार तंत्र के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। पश्चिम के लोगों के लिए यह समाजवादी अत्याचार का प्रतीक बन गई, खास तौर पर जब बहुत से लोगों को सीमा पार करते हुए गोली मार दी गई। बहुत से लोगों ने सीमा पार करने के अनोखे तरीके खोजे - सुरंग बनाकर, गरम हवा के गुब्बारों से, दीवार के ऊपर गुजरती तारों पर खिसककर, या तेज रफ्तार गाड़ियों से सड़क अवरोधों को तोड़ते हुए। 1980 के दशक में सोवियत आधिपत्य के पतन होने से पूर्वी जर्मनी में राजनैतिक उदारीकरण शुरू हुआ और सीमा नियमों को ढीला किया गया। इससे पूर्वी जर्मनी में बहुत से प्रदर्शन हुए और अंततः सरकार का पतन हुआ। 9 नवम्बर 1989 को घोषणा की गई कि सीमा पर आवागमन पर से रोक हटा दी गई है। पूर्वी और पश्चिमा बर्लिन दोनों ओर से लोगों के बड़े बड़े समूह बर्लिन की दीवार को पारकर एक-दूसरे से मिले। अगले कुछ सप्ताहों में उल्लास का माहौल रहा और लोग धीरे-धीरे दीवार के टुकड़े तोड़कर यादगार के लिए ले गए। बाद में बड़े उपकरणों का प्रयोग करके इसे ढहा दिया गया। बर्लिन दीवार के गिरने से पूरे जर्मनी में राष्ट्रवाद का उदय हुआ और पूर्वी जर्मनी के लोगों ने जर्मनी के पुनरेकीकरण के लिए मंजूरी दे दी। 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी फिर से एक हो गया। .
देखें ९ नवम्बर और बर्लिन की दीवार
भारत में रेल दुर्घटना
भारत का रेल तन्त्र दुनिया के सबसे बड़े तन्त्रों में से एक हैं। भारतीय रेलगाड़ियों में हर दिन सवा करोड़ से अधिक लोग यात्रा करते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में प्रति वर्ष औसतन ३०० छोटी-बड़ी रेल दुर्घटनाएँ होती हैं। भारत में वर्ष २००० से बाद घटित हुई रेल दुर्घटनाओं का घटनाक्रम इस प्रकार है:- .
देखें ९ नवम्बर और भारत में रेल दुर्घटना
भारत रत्न
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .
देखें ९ नवम्बर और भारत रत्न
भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश
भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.
देखें ९ नवम्बर और भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश
राष्ट्रीय दिवस
ब्राजील की स्वतन्त्रता मनाने के लिये ''आजादी या मौत'' नामक प्रसिद्ध पेंटिंग राष्ट्रीय दिवस किसी देश द्वारा घोषित वह दिन या तिथि होती है जिस दिन कोई भूभाग राष्ट्र के रूप में उदित हुआ। प्रायः इस दिन सार्वजनिक छुट्टी होती है। .
देखें ९ नवम्बर और राष्ट्रीय दिवस
रज़िया सुल्तान
रज़िया अल-दिन(१२०५-१२४०) (फारसी / उर्दु: رضیہ سلطانہ), शाही नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ” (फारसी /उर्दु: جلالۃ الدین رضیہ), इतिहास में जिसे सामान्यतः “रज़िया सुल्तान” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है, दिल्ली सल्तनत की सुल्तान थी। रज़िया ने १२३६ से १२४० तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। वह इल्तुतमिश की पुत्री थी। तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।.
देखें ९ नवम्बर और रज़िया सुल्तान
रुड़की
रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .
देखें ९ नवम्बर और रुड़की
लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
लक्ष्मीमल्ल सिंघवी - डाकटिकट लक्ष्मीमल्ल सिंघवी (या लक्ष्मीमल सिंघवी) (९ नवंबर १९३१- ६ अक्टूबर २००७) ख्यातिलब्ध न्यायविद, संविधान विशेषज्ञ, कवि, भाषाविद एवं लेखक थे। उनका जन्म भारत के राजस्थान प्रांत में स्थित जोधपुर नगर में हुआ। १९६२ से १९६७ तक तीसरी लोक सभा के सदस्य श्री सिंघवी ने १९७२ से ७७ तक राजस्थान के एडवोकेट जनरल तथा अनेक वर्षों तक यूके में भारत के राजदूत पद पर कार्य किया। उन्हें १९९८ में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया तथा १९९९ में वे राज्य सभा के सदस्य भी चुने गए। डॉ॰ लक्ष्मीमल सिंघवी ने नेपाल, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के संविधान रचे। उन्हें भारत में अनेक लोकपाल, लोकायुक्त संस्थाओं का जनक माना जाता है। डॉ॰ सिंघवी संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार अधिवेशन और राष्ट्रकुल (कॉमनवेल्थ) विधिक सहायता महासम्मेलन के अध्यक्ष, विशेषज्ञ रहे। वे ब्रिटेन के सफलतम उच्चायुक्त माने जाते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के चार बार अध्यक्ष रहे। उन्होंने विधि दिवस का शुभारंभ किया। डॉ॰ लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने हिंदी के वैश्वीकरण और हिंदी के उन्नयन की दिशा में सजग, सक्रिय और ईमानदार प्रयास किए। भारतीय राजदूत के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भारतीयता को पुष्पित करने का प्रयास तो किया ही, अपने देश की भाषा के माध्यम से न केवल प्रवासियों अपितु विदेशियों को भी भारतीयता से जोड़ने की कोशिश की। वे संस्कृतियों के मध्य सेतु की तरह अडिग और सदा सक्रिय रहे। वे भारतीय संस्कृति के राजदूत, ब्रिटेन में हिन्दी के प्रणेता और हिंदी-भाषियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। विश्व भर में फैले भारत वंशियों के लिए प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की संकल्पना डॉ॰ सिंघवी की ही थी। वे साहित्य अमृत के संपादक रहे और अपने संपादन काल में उन्होने श्री विद्यानिवास मिश्र की स्वस्थ साहित्यिक परंपरा को गति प्रदान की। भारतीय ज्ञानपीठ को भी श्री सिंघवी की सेवाएँ सदैव स्मरण रहेंगी। भारतीय डायसपोरा की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष श्री सिंघवी ने अनेक पुस्तकों की रचना भी की है। वे कई कला तथा सांस्कृतिक संगठनों के संरक्षक भी थे। जैन इतिहास और संस्कृति के जानकार के रूप में मशहूर श्री सिंघवी ने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से अनेक हिंदी में हैं। श्री सिंघवी प्रवासी भारतीयों की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष भी रहे। विधि और कूटनीति की कूट एवं कठिन भाषा को सरल हिन्दी में अभिव्यक्त करने में उनका कोई सानी नहीं था। विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजनों में सदा उनकी अग्रणी भूमिका रहती थी। संध्या का सूरज: हिन्दी काव्य, पुनश्च (संस्मरणों का संग्रह), भारत हमारा समय, जैन मंदिर आदि उनकी प्रसिद्ध हिन्दी कृतियाँ हैं। अंग्रेज़ी में टुवर्डस ग्लोबल टुगैदरनेस (Towards Global Togetherness), डेमोक्रेसी एंड द रूल ऑफ़ द लॉ (Democracy and the Rule of the Law), फ्रीडम ऑन ट्रायल (Freedom on trial) आदि उनकी प्रसिद्ध अंग्रेज़ी पुस्तकें हैं। ८ दिसम्बर २००८ को भारतीय डाकतार विभाग ने उनके सम्मान में एक डाक-टिकट तथा प्रथम दिवस आवरण प्रकाशित किया है। .
देखें ९ नवम्बर और लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
संचार उपग्रह
U.स सैन्य MILSTAR संचार उपग्रह दूरसंचार के प्रयोजनों के लिए संचार उपग्रह (कभी-कभी संक्षेप में SATCOM प्रयुक्त) अंतरिक्ष में तैनात एक कृत्रिम उपग्रह है। आधुनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, मोलनीय कक्ष, अन्य दीर्घवृत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और ग़ैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं। निश्चित (बिंदु-दर-बिंदु) सेवाओं के लिए, संचार उपग्रह पनडुब्बी संचार केबल के पूरक माइक्रोवेव रेडियो प्रसारण तकनीक उपलब्ध कराते हैं। उनका इस्तेमाल मोबाइल अनुप्रयोगों, जैसे जहाज, वाहनों, विमानों और हस्तचालित टर्मिनलों तथा टी.वी.
देखें ९ नवम्बर और संचार उपग्रह
स्पायरो: अ हीरोज़ टेल
स्पायरो: अ हीरोज़ टेल (अंग्रेज़ी: Spyro: A Hero's Tail) पांचवें और अंतिम मूल स्पायरो श्रृंखला में खेल सांत्वना और सभी में श्रृंखला में नौवें खेल है। द्वारा विकसित: युरोकॉम, यह Xbox के लिए इस श्रृंखला में पहली खेल है, के रूप में के रूप में अच्छी तरह से Nintendo GameCube और प्लेस्टेशन 2 के लिए श्रृंखला में दूसरा खेल था। यह भी घर शान्ति के लिए मूल स्पायरो निरंतरता में अंतिम किश्त है। यह भी पहली और एकमात्र स्पायरो खेल के लिए पूरी तरह से यूरोप में उत्पादन किया जा है। .
देखें ९ नवम्बर और स्पायरो: अ हीरोज़ टेल
स्कायफॉल
स्कायफॉल (Skyfall) 2012 में बनी जेम्स बॉन्ड फ़िल्म श्रंखला की तेइस्वीं फ़िल्म है जिसमें डैनियल क्रैग ने जेम्स बॉन्ड कि भुमिका निभाई है। .
देखें ९ नवम्बर और स्कायफॉल
हरगोविन्द खुराना
हरगोविंद खुराना (जन्म: ९ जनवरी १९२२ मृत्यु ९ नवंबर २०११) एक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक थे। हरगोविंद खुराना एक भारतीय अमेरिकी जैव रसायनज्ञ थे। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय,अमरीका में अनुसन्धान करते हुए, उन्हें १९६८ में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली के साथ फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार सयुक्त रूप से मिला,उनके द्वारा न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम खोजा गया, जिसमें कोशिका के अनुवांशिक कोड होते हैं और प्रोटीन के सेल के संश्लेषण को नियंत्रित करता है । हरगोविंद खुराना और निरेनबर्ग को उसी वर्ष कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुइसा ग्रॉस हॉर्वित्ज़ पुरस्कार भी दिया गया था। ब्रिटिश भारत में पैदा हुए, हरगोविंद खुराना ने उत्तरी अमेरिका में तीन विश्वविद्यालयों के संकाय में कार्य किया। वह १९६६ में संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक बन गए और १९८७ में विज्ञान का राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया। .
देखें ९ नवम्बर और हरगोविन्द खुराना
जैक शॉस्तक
जैक विलियम शॉस्तक (जन्म: ९ नवंबर, 1952) एक जीवविज्ञानी हैं और अनुवांशिकी के प्रोफेसर है। उन्हें संयुक्त रूप से चिकित्सा का साल २००९ का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है। उन्हें यह पुरस्कार उनकी खोज कि 'कैसे टेलोमेरेज गुणसूत्रों की रक्षा करते हैं' कि लिए दिया गया है। .
देखें ९ नवम्बर और जैक शॉस्तक
जॉर्ज पंचम
जॉर्ज पंचम (जॉर्ज फ्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट; 3 जून 1865 – 20 जनवरी 1936) प्रथम ब्रिटिश शासक थे, जो विंडसर राजघराने से संबंधित थे। संयुक्त राजशाही एवं अन्य राष्ट्रमंडल समूह के महाराजा होने के साथ साथ, जॉर्ज भारत के सम्राट एवं स्वतन्त्र आयरिश राज्य के राजा भी थे। जॉर्ज ने सन 1910 से प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) के दौरान और बाद में 1936 में अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया। जॉर्ज के पिता महाराज एडवर्ड सप्तम की १९१० में मृत्यु होने पर, वे महाराजा बने। वे एकमात्र ऐसे सम्राट थे, जो कि अपने स्वयं के दिल्ली दरबार में, अपनी भारतीय प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए, जहां उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने सारी जर्मन उपाधियां, वापस कर दीं। इनके शासन ने फासीवाद, नाजीवाद, समाजवाद इत्यादि देखे; एवं प्रथम मजदूर मंत्रालय भी, जिन सभी घटनाओं ने राजनैतिक क्रम को बदल दिया। जॉर्ज को उनके अंतिम दिनों में प्लेग व अन्य बीमारियों ने घेर लिया था; जब उनकी मृत्यु पर उनके ज्येष्ठ पुत्र एडवर्ड अष्टम ने राजगद्दी संभाली। .
देखें ९ नवम्बर और जॉर्ज पंचम
कार्ल सेगन
कार्ल सेगन (9 नवम्बर 1934 - 20 दिसम्बर 1996) प्रसिद्ध यहूदी खगोलशास्त्री और खगोल रसायनशास्त्री थे जिन्होंने खगोल शास्त्र, खगोल भौतिकी और खगोल रसायनशास्त्र को लोकप्रिय बनाया। इन्होंने पृथ्वी से इतर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने के लिए सेटी नामक संस्था की स्थापना भी की। इन्होंने अनेक विज्ञान संबंधी पुस्तकें भी लिखी हैं। ये 1980 के बहुदर्शित टेलिविजन कार्यक्रम कॉसमॉस: ए पर्सनल वॉयेज (ब्रह्माण्ड: एक निजी यात्रा) के प्रस्तुतकर्ता भी थे। इन्होंने इस कार्यक्रम पर आधारित कॉसमॉस नामक पुस्तक भी लिखी। अपने जीवनकाल में सेगन ने 600 से भी अधिक वैज्ञानिक शोधपत्र और लोकप्रिय लेख लिखे और 20 से अधिक पुस्तकें लिखी। अपनी कृतियों में ये अकसर मानवता, वैज्ञानिक पद्धति और संशयी अनुसंधान पर जोर देते थे। .
देखें ९ नवम्बर और कार्ल सेगन
अवास्ट!
अवास्ट! एंटीवायरस एक एंटीवायरस प्रोग्राम है जो एवीएएसटी (AVAST) सॉफ्टवेयर ए.एस (पूर्व में एएलडब्लूआईएल (ALWIL) सॉफ्टवेयर ए.एस.) द्वारा विकसित किया गया है, यह चेक गणराज्य, प्राग में स्थित एक कम्पनी है। इसे पहली बार 1988 में जारी किया गया था। अवास्ट! केन्द्रीय क्रमवीक्षण इंजन (सेन्ट्रल स्कैनिंग इंजन) पर आधारित है जिसे आईसीएसए (ICSA) लैब्स और वेस्ट कोस्ट लैब की चेकमार्क प्रक्रिया द्वारा मान्यता प्राप्त है और इसमें एंटी-स्पाइवेयर तनकीक भी शामिल है, यह तकनीक भी वेस्ट कोस्ट लैब की चेकमार्क प्रक्रिया द्वारा मान्यता प्राप्त है, साथ ही साथ इसमें एंटी-रूटकिट और सेल्फ-प्रोटेक्शन क्षमताएं भी हैं। इसे कई बार "इन-द-वाइल्ड" वायरसों को 100 प्रतिशत खोज निकालने के लिए वायरस बुलेटिन वीबी100 (VB100) पुरस्कार मिल चुका है और यह सेक्योर कम्प्यूटिंग रीडर्स ट्रस्ट अवार्ड का भी पूर्व विजेता रह चुका है। अवास्ट नाम "एंटी-वायरस-एडवान्स्ड-सेट" से लिया गया है। अवास्ट! मुफ्त एंटीवायरस, अवास्ट! का एक फ्रीवेयर संस्करण है! यह एंटीवायरस सॉफ्टवेयर माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और लिनक्स उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है, जबकि अवास्ट! प्रो एंटीवायरस व्यवसायों और अतिरिक्त सुविधा चाहने वाले उपयोगकर्ताओं को दिया जाता है। इसमें पीयूएसएच (PUSH) अद्यतनीकरण (अपडेट) तकनीक के प्रयोग द्वारा स्वतः रूप से प्राथिमकता अद्यतन (अपडेट) प्रेषित होते रहते हैं और यह संभव होता है अवास्ट! प्रो एंटीवायरस की तकनीक से.
देखें ९ नवम्बर और अवास्ट!
उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .
देखें ९ नवम्बर और उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड राज्य के बनने से पहले की वे घटनाएँ हैं जो अन्ततः उत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणीत हुईं। राज्य का गठन ९ नवम्बर, २००० को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में हुआ। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य का गठन बहुत लम्बे संघर्ष और बलिदानों के फलस्वरूप हुआ। उत्तराखण्ड राज्य की माँग सर्वप्रथम १८९७ में उठी और धीरे-धीरे यह माँग अनेकों समय उठती रही। १९९४ में इस माँग ने जनान्दोलन का रूप ले लिया और अन्ततः नियत तिथि पर यह देश का सत्ताइसवाँ राज्य बना। .
देखें ९ नवम्बर और उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव, २००२
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव, २००२ भारत के उत्तराखण्ड (तब उत्तराँचल) राज्य में हुआ पहला विधानसभा चुनाव था। जब उत्तराखण्ड ९ नवम्बर २००० को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था तब राज्य में भारतीय जनता पार्टी की अन्तरिम सरकार बनाई गई। २००२ में हुए चुनावों से राज्य में पहली राज्य सरकार का गठन हुआ था जो जनता द्वारा चुनी गई थी। इस चुनाव के लिए राज्य में कुल ६,७५३ मतदान-केन्द्र बनाए गए थे और चुनाव तिथि १४ फ़रवरी २००२ थी। .
देखें ९ नवम्बर और उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव, २००२
उत्तराखण्ड/आलेख
उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है। २००० और २००६ के बीच यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। ९ नवंबर २००० को उत्तराखण्ड भारत गणराज्य के २७ वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। राज्य का निर्माण कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात हुआ। इस राज्य में वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश (सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था) इसके पड़ोसी हैं। पारंपरिक हिन्दू ग्रंथों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। देहरादून, उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बांध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में प्रायः आलोचना की जाती रही है, जैसे कि भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ में की गई थी और यह अंततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आंदोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .
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१९२१
1921 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें ९ नवम्बर और १९२१
१९२२
1922 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें ९ नवम्बर और १९२२
१९४७
1947 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें ९ नवम्बर और १९४७
१९७५
१९७५ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें ९ नवम्बर और १९७५
१९८०
अभिनेत्री नेहा धुपिया १९८० ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें ९ नवम्बर और १९८०
9 नवम्बर, 9 नवंबर, ९ नवंबर के रूप में भी जाना जाता है।