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१९६६

सूची १९६६

1966 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

146 संबंधों: चण्डीगढ़, टेलर-बर्टन हीरा, टी एस रामास्वामी अइयर, एम॰ एस॰ स्वामीनाथन, ऐलिसेज़ एड्वैन्चर्स इन वण्डरलैण्ड, ठाकुर जर्नैल सिंह, तमिल नाडु के राज्यपालों की सूची, तस्वीर (1966 फ़िल्म), ताराशंकर बंधोपाध्याय, तीसरी कसम (1966 फ़िल्म), दस लाख (1966 फ़िल्म), दादी माँ (1966 फ़िल्म), दिल ने फिर याद किया, दिल्ली उच्च न्यायालय, दिलीप कुमार, दुल्हन एक रात की, देवर (फ़िल्म), दो दिलों की दास्तान (1966 फ़िल्म), दो बदन (1966 फ़िल्म), नायक (१९६६ फ़िल्म), निशि–कुटुंब, नूरजहां (गायिका), नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे (1966 फ़िल्म), पति पत्नी (1966 फ़िल्म), पद्म भूषण, पद्मिनी (फ़िल्म अभिनेत्री), पुलियुर कृष्णस्वामी दुरई, प्यार किये जा (1966 फ़िल्म), प्रभा खेतान, प्रसिद्ध पुस्तकें, प्रकाश-संश्लेषण, प्रेमचंद, प्रीत ना जाने रीत, पॉल न्युमैन, पोर्ट लुई, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार, फ़ॉर्मूला वन, फूल और पत्थर (1966 फ़िल्म), बदतमीज़, बहारें फिर भी आएंगी, बाँका ओर सीधा, बादल (1966 फ़िल्म), बाबूभाई मानिकलाल चिनाय, बिमल राय, बेदनार उल्का, बोत्सवाना, बीसवीं शताब्दी, बीवी और मकान, भारत रत्‍न, ..., भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, भाई जोध सिंह, भवानी चरन मुखर्जी, भोज श्रृंगार प्रकाश, मणीन्द्र अग्रवाल, मन्नतु पद्मनाभन, ममता (1966 फ़िल्म), महमूद, मानिटोबा का ध्वज, माइकल डगलस, मिथिला वैभव, मकबूल फ़िदा हुसैन, मुनीश्वर दत्त उपाध्याय, मुल्ला दादुल्लाह, मुक्तिबोध (उपन्यास), मेरा साया (1966 फ़िल्म), मोहब्बत ज़िंदग़ी है, मोहम्मद रफ़ी, मीना कुमारी, ये रात फिर ना आयेगी (1966 फ़िल्म), ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है (1966 फ़िल्म), राशिद खान, राजाराम शुक्ल, रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन, लड़का लड़की (1966 फ़िल्म), लालबहादुर शास्त्री, लव इन टोक्यो (1966 फ़िल्म), लुसिअ एच्हेबरिअ, लॉस एंजेल्स लेकर्स, शिकागो बुल्स, श्री शिव छत्रपति, श्रीकांत वर्मा, शैलेश मटियानी, सन्नाटा, समय राज ठक्कर, सावन की घटा (1966 फ़िल्म), सगाई (1966 फ़िल्म), संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र, सुनील दत्त, सुराही, सुशीला, स्मगलर (1966 फ़िल्म), स्वचालित गणक मशीन, हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान, हंस दमयंति मत्तु इतर रूपकगळु, हुस्न और इश्क (1966 फ़िल्म), होमी जहांगीर भाभा, ज़ुबिन मेहता, जापानी मापन इकाइयाँ, जोसफ़ फ़्रित्ज़्ल, वर्घिस क्यूरियन, वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु, विनायक दामोदर सावरकर, विनायक सीताराम सर्वते, विक्रम अंबालाल साराभाई, खानदान (1965 फ़िल्म), ग़बन (फ़िल्म), ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, ओड़िशा का इतिहास, ओडिआ चलचित्र सूची, आधा गाँव, आन्ध्र विश्वविद्यालय, आम्रपाली (1966 फ़िल्म), आसरा, आख़िरी खत, इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट), कला जीवितम तन्ने, कश्मीर का इतिहास, कालपी (1966 फ़िल्म), काजल (1965 फ़िल्म), के पी केशव मेनन, के शंकर पिल्लई, अनुपमा (1966 फ़िल्म), अन्तरजाल का इतिहास, अफ़साना (1966 फ़िल्म), अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ, उसकी कहानी, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, ११ जनवरी, १४ दिसम्बर, १८ दिसम्बर, १९ जनवरी, १९ अगस्त, २४ जनवरी, २६ फरवरी, ३ अगस्त, ६ जनवरी, ६ अप्रैल, ७ जनवरी, ७ जून, ८ मार्च, 1966 एशियाई खेल सूचकांक विस्तार (96 अधिक) »

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

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टेलर-बर्टन हीरा

टेलर-बर्टन हीरा, जो विश्व के सबसे बड़े हीरो में से एक है, सन १९६६ में प्रीमियर खादान, दक्षिण अफ़्रीका में पाया गया था और मूल खुदरे पत्थर का भार २४०.८० कैरट था। यह प्रसिद्ध हीरा, हैरी विन्स्टन द्वारा खरीदा गया और उसने इस हीरे के दो टुकड़े करवाए, जिसमें से बड़े भाग का भार १६२ कैरट था और जो अन्ततः पियर आकार के ६९.४२ कैरट हीरे के रूप में तराशा गया। बाद में १०,५०,००० डॉलर में इसकी नीलामी की गई और इसका नाम "कार्टियर" रखा गया। फिर हीरे को रिचर्ड बर्टन ने एलिजाबेथ टेलर के लिए भेंट स्वरूप खरीदा और इसका पुनः नामकरण "टेलर-बर्टन" के रूप में किया गया। १९७८ में रिचर्ड बर्टन से तलाक होने के बाद एलिजाबेथ टेलर ने बोत्स्वाना में एक अस्पताल के लिए कोष जुटाने के लिए इस हीरे को खरीद के लिए रख दिया। इस हीरे के वर्तमान स्वामी रॉबर्ट मोउआवद हैं, जो मोउआवद समूह के अध्यक्ष हैं। .

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टी एस रामास्वामी अइयर

टी एस रामास्वामी अइयर को सार्वजनिक उपक्रम के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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एम॰ एस॰ स्वामीनाथन

एम एस स्वामिनाथन (जन्म: 7 अगस्त 1925, कुम्भकोणम, तमिलनाडु) पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने १९६६ में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे। इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था। उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को 'कृषि क्रांति आंदोलन' के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई। उनके द्वारा सदाबाहर क्रांति की ओर उन्मुख अवलंबनीय कृषि की वकालत ने उन्हें अवलंबनीय खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया। एम.

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ऐलिसेज़ एड्वैन्चर्स इन वण्डरलैण्ड

एलिसेज़ एडवेंचर्स इन वंडरलैंड (आमतौर पर एलिस इन वंडरलैंड के रूप में संक्षिप्त) लुईस कैरोल के उपनाम के तहत ब्रिटिश लेखक चार्ल्स लुटविग डॉडसन द्वारा 1865 में लिखित उपन्यास है। इसमें एलिस नाम की एक लड़की की कहानी है जो एक खरगोश की मांद में गिरकर, अजीब और मानव-सदृश जीवों की आबादी वाले एक कल्पना लोक में पहुंच जाती है। यह कहानी, डॉडसन के मित्रों के संकेतों से भरी है। इस कहानी ने तर्क को जिस तरीके से पेश किया है उसने इस कहानी को वयस्कों के साथ-साथ बच्चों के बीच भी स्थायी लोकप्रियता दी। लेसर्कल, जीन-जेक्विस (1994) जाक फिलोसफी ऑफ़ नॉनसेन्स: द इंट्यूशन ऑफ़ विक्टोरियन नॉनसेन्स लिटरेचर रुटलेज, न्यूयॉर्क, ISBN 0-415-07652-8 इसे "साहित्यिक बकवास" शैली के एक सबसे अच्छे उदाहरण के रूप में माना जाता है,श्वाब, गैब्रिएल (1996) "अध्याय 2: नॉनसेन्स एंड मेटाकम्युनिकेशन: एलिस इन वंडरलैंड द मिरर एंड द किलर-क्वीन: अदरनेस इन लिटररी लैंग्वेज इंडियाना यूनिवर्सिटी प्रेस, ब्लूमिंगटन, इंडियाना, pp 49-102, ISBN 0-253-33037-8 और इसका कथनात्मक पथ और संरचना काफी प्रभावशाली रही है, खासकर फंतासी शैली में.

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ठाकुर जर्नैल सिंह

ठाकुर जर्नैल सिंह १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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तमिल नाडु के राज्यपालों की सूची

यह सूची सन् १९४६ से भारत के तमिल नाडु राज्य के राज्यपालों की है। तमिल नाडु के राज्यपाल का आधिकारिक आवास राजभवन राज्य की राजधानी चेन्नई में है। .

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तस्वीर (1966 फ़िल्म)

तस्वीर 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ताराशंकर बंधोपाध्याय

ताराशंकर बंधोपाध्याय एक बांग्ला साहित्यकार हैं। इन्हें गणदेवता के लिए १९६६ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर बंधोपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं। .

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तीसरी कसम (1966 फ़िल्म)

तीसरी कसम (अंग्रेजी: third oath)1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसको तत्काल बॉक्स ऑफ़िस पर सफलता नहीं मिली थी पर यह हिन्दी के श्रेष्ठतम फ़िल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र ने किया था जिसे हिन्दी लेखक फणीश्वर नाथ 'रेणु' की प्रसिद्ध कहानी मारे गए ग़ुलफ़ाम की पटकथा मिली। इस फ़िल्म की असफलता के बाद शैलेन्द्र काफी निराश हो गए थे और उनका अगले ही साल निधन हो गया था। यह हिन्दी के महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गये गुलफाम' पर आधारित है। इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में राज कपूर और वहीदा रहमान शामिल हैं। बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित तीसरी कसम एक फिल्म गैर-परंपरागत है जो भारत की देहाती दुनिया और वहां के लोगों की सादगी को दिखाती है। यह पूरी फिल्म बिहार के अररिया जिले में फिल्मांकित की गई। इस फिल्म का फिल्मांकन सुब्रत मित्र ने किया है। पटकथा नबेन्दु घोष की है, जबकि संवाद लिखे हैं स्वयं फणीन्द्र नाथ रेणु ने.

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दस लाख (1966 फ़िल्म)

दस लाख 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दादी माँ (1966 फ़िल्म)

दादी माँ 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दिल ने फिर याद किया

दिल ने फिर याद किया १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली राज्य का न्यायालय हैं। इसे ३१ अक्टूबर, १९६६ को स्थापित किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय को चार न्यायाधीशों के साथ स्थापित किया गया था। वे मुख्य न्यायाधीश थे - के एस हेगड़े, न्यायमूर्ति आईडी दुआ, न्यायाधीश एचआर खन्ना और न्यायमूर्ति एस के कपूर। .

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दिलीप कुमार

दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है। .

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दुल्हन एक रात की

दुल्हन एक रात की १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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देवर (फ़िल्म)

देवर १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दो दिलों की दास्तान (1966 फ़िल्म)

दो दिलों की दास्तान 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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दो बदन (1966 फ़िल्म)

दो बदन 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नायक (१९६६ फ़िल्म)

नायक 1966 में बनी बांग्ला भाषा की फिल्म है। .

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निशि–कुटुंब

निशि–कुटुंब बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार मनोज बसु द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नूरजहां (गायिका)

नूरजहां (1926-2000) उर्दू और हिन्दी फिल्म की सुप्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री थीं जिन्होंने अपनी दिलकश आवाज़ और अभिनय से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। .

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नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे (1966 फ़िल्म)

नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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पति पत्नी (1966 फ़िल्म)

पति पत्नी 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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पद्म भूषण

पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्मश्री का नाम लिया जा सकता है। पद्म भूषण रिबन .

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पद्मिनी (फ़िल्म अभिनेत्री)

पद्मिनी हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। अपनी बड़ी बहन ललिता तथा छोटी बहन रागिनी के साथ इनकी एक नृत्य तिगड़ी थी जो ट्रैवैन्कोर सिस्टर्स (ट्रैवैन्कोर बहनें) के नाम से हिन्दी फ़िल्मों में काफ़ी प्रसिद्ध हुयी। .

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पुलियुर कृष्णस्वामी दुरई

पुलियुर कृष्णस्वामी दुरई को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये दिल्ली से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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प्यार किये जा (1966 फ़िल्म)

प्यार किये जा 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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प्रभा खेतान

डॉ प्रभा खेतान डॉ॰ प्रभा खेतान (१ नवंबर १९४२ - २० सितंबर २००८) प्रभा खेतान फाउन्डेशन की संस्थापक अध्यक्षा, नारी विषयक कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदार, फिगरेट नामक महिला स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापक, १९६६ से १९७६ तक चमड़े तथा सिले-सिलाए वस्त्रों की निर्यातक, अपनी कंपनी 'न्यू होराईजन लिमिटेड' की प्रबंध निदेशिका, हिन्दी भाषा की लब्ध प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कवयित्री तथा नारीवादी चिंतक तथा समाज सेविका थीं। उन्हें कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त था। वे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की सदस्या थीं। .

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प्रसिद्ध पुस्तकें

कोई विवरण नहीं।

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प्रकाश-संश्लेषण

हरी पत्तियाँ, प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रधान अंग हैं। सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिन्थेसिस) कहते है। प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधों की हरी पत्तियों की कोंशिकाओं के अन्दर कार्बन डाइआक्साइड और पानी के संयोग से पहले साधारण कार्बोहाइड्रेट और बाद में जटिल काबोहाइड्रेट का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में आक्सीजन एवं ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सूक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च (मंड) आदि) का निर्माण होता है तथा आक्सीजन गैस बाहर निकलती है। जल, कार्बनडाइऑक्साइड, सूर्य का प्रकाश तथा क्लोरोफिल (पर्णहरित) को प्रकाश संश्लेषण का अवयव कहते हैं। इसमें से जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण का कच्चा माल कहा जाता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण जैवरासायनिक अभिक्रियाओं में से एक है। सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित हैं। प्रकाश संश्वेषण करने वाले सजीवों को स्वपोषी कहते हैं। .

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प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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प्रीत ना जाने रीत

प्रीत ना जाने रीत १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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पॉल न्युमैन

पॉल लियोनार्ड न्युमैन (26 जनवरी 1925 - 26 सितंबर 2008) एक अमेरिकी अभिनेता, फिल्म निर्देशक, उद्यमी, मानवतावादी और ऑटो रेसिंग के शौक़ीन व्यक्ति थे। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 1986 की मार्टिन स्कौर्सेसे की फिल्म द कलर ऑफ मनी में उनके अभिनय के लिए दिया गया सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकादमी पुरस्कार और आठ अन्य नामांकन, तीन गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, एक बाफ्टा (BAFTA) पुरस्कार, एक स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड पुरस्कार, एक कान फिल्म समारोह पुरस्कार, एक एमी पुरस्कार और कई मानद पुरस्कार शामिल थे। उन्होंने स्पोर्ट्स कार क्लब ऑफ अमेरिका की रोड रेसिंग में एक ड्राइवर के रूप में कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीते और उनकी रेसिंग टीमों ने ओपन व्हील इंडीकार रेसिंग में कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। न्युमैन अपनी खुद की एक फ़ूड कंपनी के सह-संस्थापक भी थे, जहां से उन्होंने अपने समस्त कर पश्चात लाभ एवं रॉयल्टी चैरिटी को दान कर दिया। Newman's Own.com.

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पोर्ट लुई

पोर्ट लुई मॉरीशस, की राजधानी है। हिन्द महासागर के तट पर स्थित यह मॉरीशस का सबसे बड़ा शहर और प्रमुख बंदरगाह है। यह यहाँ के पोर्ट लुई जिले मे स्थित है। २००३ की जनगणना के मुताबिक इसकी जनसंख्या 147688 है। इसकी स्‍थापना फ्रैंच गवर्नर माहे डी लेबरडोनेयर ने 1735 में की थी। मुख्‍य चौराहे से थोडी दूरी पर प्‍लेस डी आर्म्‍स में फ्रैंच शासन के समय की कुछ पुरानी इमारतें हैं। इसमें गवर्नर हाउस और म्‍यूनिसिपल थिएटर भी शामिल हैं जिनका निर्माण 18वीं शताब्‍दी में किया गया था। यहां पर दो चर्च और एक मस्जिद है। पोर्ट लुइस में सुप्रीम कोर्ट और नेशनल हिस्‍ट्री म्‍यूजियम भी है। इसके अलावा यहां पर मास्‍क संग्रहालय भी है। इस संग्रहालय में अफ्रीका, अमेरिका, एशिया-ओशियाना क्षेत्र में रहने वाली जनजातियों से संबंधित मास्‍क प्रदर्शित किए गए हैं। .

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। .

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। .

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फ़ॉर्मूला वन

The formula was defined in 1946; the first Formula One race was in 1947; the first World Championship season was 1950.

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फूल और पत्थर (1966 फ़िल्म)

फूल और पत्थर 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बदतमीज़

बदतमीज़ १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बहारें फिर भी आएंगी

बहारें फिर भी आएंगी १९६६ में बनी एक हिन्दी भाषा की फ़िल्म है जो गुरु दत्त द्वारा निर्मित और शहीद लतीफ द्वारा निर्देशित है। इस फ़िल्म के कलाकार माला सिन्हा, धर्मेंद्र, तनुजा और रहमान हैं। फ़िल्म अभी भी ओ पी नैय्यर के संगीत, अज़ीज़ कश्मीरी, कैफ़ी आज़मी, अंजान और एस.

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बाँका ओर सीधा

बाँका ओर सीधा ओड़िया भाषा के विख्यात साहित्यकार *गोदावरीश महापात्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में ओड़िया भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बादल (1966 फ़िल्म)

बादल 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बाबूभाई मानिकलाल चिनाय

बाबूभाई मानिकलाल चिनाय को उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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बिमल राय

बिमल राय (बांग्ला: বিমল রায়) (जन्म: 12 जुलाई, 1909 निधन: 7 जनवरी, 1966) हिन्दी फ़िल्मों का एक प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक थे। .

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बेदनार उल्का

बेदनार उल्का असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार अंबिकागिरि रायचौधुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बोत्सवाना

बोत्सवाना का मानचित्र बोत्सवाना गणराज्य (अंग्रेजी: Republic of Botswana, श्वाना: Lefatshe la Botswana), अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। 30 सितम्बर 1966 को ब्रिटेन की संयुक्त राजशाही से स्वतंत्रता मिलने से पूर्व इसे ब्रिटिश संरक्षित राज्य, बेचुआनालैंड के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत इस देश ने एक नया नाम बोत्सवाना अपना लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ लगातार स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं। जिम्बाब्वे,अंगोला, जांबिया और दक्षिण अफ्रीका इसके पड़ोसी देश हैं। भौगोलिक दृष्टि से बोत्सवाना एक सपाट देश है और इसके लगभग 70% भाग में कालाहारी मरुस्थल फैला है। इसके दक्षिण और दक्षिणपश्चिम में दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम और उत्तर में नामीबिया तथा उत्तरपूर्व में जिम्बाब्वे स्थित है। यह सिर्फ एक बिंदु पर जाम्बिया से मिलता है। यह एक छोटा सा देश है, जिसकी जनसंख्या सिर्फ 20 लाख है। स्वतंत्रता के समय यह अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब देशों मे से एक था जिसका सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति मात्र 70 अमेरिकी डॉलर था, लेकिन तब से लेकर अब तक बोत्सवाना ने आर्थिक रूप से तरक्की की है और अब इसकी गिनती अफ्रीका के मध्यम आय वाले देशों में होने लगी है। इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिसकी औसत वृद्धि दर 9% की है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2010 के अनुमान के अनुसार इसका सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति समता) प्रति व्यक्ति लगभग 14,800 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। बड़े स्तर पर व्याप्त गरीबी, असमानता और निम्न मानव विकास सूचकांक के बावजूद बोत्सवाना ने, सुशासन और व्यापक आर्थिक वित्तीय प्रबंधन द्वारा समर्थित विकास के स्तरों पर प्रभावशाली रूप से तरक्की की है। सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किए जाने से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शैक्षिक उपलब्धियों हासिल हुई हैं और देश में लगभग लगभग सभी के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है, हालाँकि इस सबके बावजूद देश में पर्याप्त कौशल और कार्यबल का अभाव है। बेरोजगारी की दर भी लगातार 20 प्रतिशत के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू आय काफी कम है, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी वो शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है। सरकार की ओर से एचआईवी /एड्स की दवाओं की नि:शुल्क उपलब्धता के चलते एचआईवी/एड्स संक्रमण की दर में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी है। हीरे और मांस बाजार पर बुरी तरह निर्भर देश की अर्थव्यवस्था में, विविधता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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बीसवीं शताब्दी

ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.

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बीवी और मकान

बीवी और मकान १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

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भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची

भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची

भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची में भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी स्थापना तिथि के साथ दिए गए हैं। .

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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भाई जोध सिंह

भाई जोध सिंह को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पंजाब से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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भवानी चरन मुखर्जी

भवानी चरन मुखर्जी को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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भोज श्रृंगार प्रकाश

भोज श्रृंगार प्रकाश विख्यात संस्कृत साहित्यकार वे. राघवन द्वारा रचित एक सौन्दर्यशास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मणीन्द्र अग्रवाल

मणीन्द्र अग्रवाल (जन्म: २० मई १९६६, इलाहाबाद) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी विभाग में प्रोफेसर है। संगणक विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सन् २०१३ में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री प्रदान किया। .

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मन्नतु पद्मनाभन

मन्नतु पद्मनाभन को समाज सेवा के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये केरल से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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ममता (1966 फ़िल्म)

ममता १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसके मुख्य कलाकार हैं सुचित्रा सेन अशोक कुमार और धर्मेन्द्र। सुचित्रा सेन की यह तीसरी हिन्दी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म का निर्देशन बंगाली फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक असित सेन ने किया है। .

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महमूद

महमूद अली (१९३२-जुलाई २३, २००४) (आम तौर पर महमूद) एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। हिन्दी फ़िल्मों में उनके हास्य कलाकार के तौर पर किये गये अदभुत अभिनय के लिये वे जाने और सराहे गये है। तीन दशक लम्बे चले उनके करीयर में उन्होने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। महमूद अभिनेता और नृत्य कलाकार मुम्ताज़ अली के नौ बच्चों में से एक थे। जुलाई २३, २००४ को अमरीका में पेनसिल्वेनिया शहर में नींद में ही गुज़र गये। वे बरसों से ह्रदयरोग से पीडीत थे। पिछले बरसों में उनकी सेहत बहुत खराब रेहती थी। .

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मानिटोबा का ध्वज

मानिटोबा का ध्वज मानिटोबा का ध्वज रेड एन्साइन का रूपान्तर है जिसपर प्रान्त के राज्यचिह्न का कवच बना हुआ है। ध्वज को ११ मई, १९६५ को मानिटोबा विधानसभा में एक विधेयक पारित कर स्वीकृत किया गया था। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने यूनियन जैक के उपयोग को अक्टूबर १९६५ में अनुमति दी थी और इसे १२ मई, १९६६ को घोषित किया गया। ध्वज को अपनाने का निर्णय तब लिया गया जब संघीय सरकार ने कनाडियाई रेड एन्साइन को हटाकर मेपल की पत्ती से बदलने का निर्णय लिया। ओण्टारियो का ध्वज भी इन्हीं परिस्थितियों में अपनाया गया। .

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माइकल डगलस

माइकल कर्क डगलस (जन्म 25 सितंबर 1944) मुख्यतः फिल्मों और टेलीविजिन के एक अमरीकी अभिनेता और निर्माता हैं। उन्हें एक एमी, एक गोल्डन ग्लोब और दो एकेडमी अवार्ड्स, पहला 1975 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म वन फ़्लियु ओवर द कुकूज़ नेस्ट के निर्माता के रूप में और 1987 में वॉल स्ट्रीट में उनकी भूमिका के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में, से सम्मानित किया गया था। 2009 में डगलस ने AFI जीवन उपलब्धि पुरस्कार प्राप्त किया। .

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मिथिला वैभव

मिथिला वैभव मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार यशोधर झा द्वारा रचित एक दार्शनिक प्रबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में मैथिली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मकबूल फ़िदा हुसैन

मक़बूल फ़िदा हुसैन (जन्म सितम्बर १७, १९१५, पंढरपुर), (मृत्यु जून 09, 2011, लंदन),एम एफ़ हुसैन के नाम से जाने जाने वाले भारतीय चित्रकार थे। एक कलाकार के तौर पर उन्हे सबसे पहले १९४० के दशक में ख्याति मिली। १९५२ में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी ज़्युरिक में हुई। इसके बाद उनकी कलाकृतियों की अनेक प्रदर्शनियां यूरोप और अमेरिका में हुईं। १९६६ में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया। उसके एक साल बाद उन्होने अपनी पहली फ़िल्म बनायी: थ्रू द आइज़ ऑफ अ पेन्टर (चित्रकार की दृष्टि से)। यह फ़िल्म बर्लिन उत्सव में दिखायी गयी और उसे 'गोल्डेन बियर' से पुरस्कृत किया गया। .

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मुनीश्वर दत्त उपाध्याय

पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता,शिक्षकविद थे। वे भारत के प्रथम एवं द्वितीय लोकसभा में सांसद थे। .

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मुल्ला दादुल्लाह

मुल्ला दादुल्लाह (1966? – May 12, 2007) तालेबान का मुख्य सेनापति था अफ़्गानिस्तान मैं उस्क मृत्यु से पहले मैं। .

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मुक्तिबोध (उपन्यास)

मुक्तिबोध हिन्दी के विख्यात साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेरा साया (1966 फ़िल्म)

मेरा साया 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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मोहब्बत ज़िंदग़ी है

मोहब्बत ज़िंदग़ी है १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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मोहम्मद रफ़ी

कोई विवरण नहीं।

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मीना कुमारी

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँझे हुए कलाकार थे और उन्होंने "ईद का चाँद" फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी। मीना कुमारी की बड़ी बहन खुर्शीद बानो भी फिल्म अभिनेत्री थीं जो आज़ादी के बाद पाकिस्तान चलीं गईं।कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाॅक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे।हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े।पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं।अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे।यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई,आँखों से आँसु बह निकले।झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया।अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए।समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा। महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म फ़रज़न्द-ए-वतन में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 14 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण उनकी माँ की मृत्यु हो गई। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं जिनमें हनुमान पाताल विजय, वीर घटोत्कच व श्री गणेश महिमा प्रमुख हैं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी के फिल्मी सफ़र को नई उड़ान दी। मीना कुमारी द्वारा चित्रित गौरी के किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्धि दिलाई। फिल्म 100 हफ्तों तक परदे पर रही और 1954 में उन्हें इसके लिए पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 तक मीना कुमारी की तीन फिल्में आ चुकी थीं जिनमें: दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूँकि इस फिल्म में भारतीय नारी की आम जिंदगी की कठिनाइयों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू छाया रहा और लगातार दूसरी बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्ष 1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस ज़माने के जाने-माने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई जो फिल्म महल की सफलता के बाद निर्माता के तौर पर अपनी अगली फिल्म अनारकली के लिए नायिका की तलाश कर रहे थे।मीना का अभिनय देख वे उन्हें मुख्य नायिका के किरदार में लेने के लिए राज़ी हो गए।दुर्भाग्यवश 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबलेश्वरम के पास एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गईं जिससे उनके बाहिने हाथ की छोटी अंगुली सदा के लिए मुड़ गई। मीना अगले दो माह तक बम्बई के ससून अस्पताल में भर्ती रहीं और दुर्घटना के दूसरे ही दिन कमाल अमरोही उनका हालचाल पूछने पहुँचे। मीना इस दुर्घटना से बेहद दुखी थीं क्योंकि अब वो अनारकली में काम नहीं कर सकती थीं। इस दुविधा का हल कमाल अमरोही ने निकाला, मीना के पूछने पर कमाल ने उनके हाथ पर अनारकली के आगे 'मेरी' लिख डाला।इस तरह कमाल मीना से मिलते रहे और दोनों में प्रेम संबंध स्थापित हो गया। 14 फरवरी 1952 को हमेशा की तरह मीना कुमारी के पिता अली बख़्श उन्हें व उनकी छोटी बहन मधु को रात्रि 8 बजे पास के एक भौतिक चिकित्सकालय (फिज़्योथेरेपी क्लीनिक) छोड़ गए। पिताजी अक्सर रात्रि 10 बजे दोनों बहनों को लेने आया करते थे।उस दिन उनके जाते ही कमाल अमरोही अपने मित्र बाक़र अली, क़ाज़ी और उसके दो बेटों के साथ चिकित्सालय में दाखिल हो गए और 19 वर्षीय मीना कुमारी ने पहले से दो बार शादीशुदा 34 वर्षीय कमाल अमरोही से अपनी बहन मधु, बाक़र अली, क़ाज़ी और गवाह के तौर पर उसके दो बेटों की उपस्थिति में निक़ाह कर लिया। 10 बजते ही कमाल के जाने के बाद, इस निक़ाह से अपरिचित पिताजी मीना को घर ले आए।इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात-रात भर बातें करने लगे जिसे एक दिन एक नौकर ने सुन लिया।बस फिर क्या था, मीना कुमारी पर पिता ने कमाल से तलाक लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। मीना ने फैसला कर लिया की तबतक कमाल के साथ नहीं रहेंगी जबतक पिता को दो लाख रुपये न दे दें।पिता अली बक़्श ने फिल्मकार महबूब खान को उनकी फिल्म अमर के लिए मीना की डेट्स दे दीं परंतु मीना अमर की जगह पति कमाल अमरोही की फिल्म दायरा में काम करना चाहतीं थीं।इसपर पिता ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे पति की फिल्म में काम करने जाएँगी तो उनके घर के दरवाज़े मीना के लिए सदा के लिए बंद हो जाएँगे। 5 दिन अमर की शूटिंग के बाद मीना ने फिल्म छोड़ दी और दायरा की शूटिंग करने चलीं गईं।उस रात पिता ने मीना को घर में नहीं आने दिया और मजबूरी में मीना पति के घर रवाना हो गईं। अगले दिन के अखबारों में इस डेढ़ वर्ष से छुपी शादी की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। .

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ये रात फिर ना आयेगी (1966 फ़िल्म)

ये रात फिर ना आयेगी 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है (1966 फ़िल्म)

ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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राशिद खान

उस्ताद राशिद खान (उर्दू: رشید خان‎) (जन्म 1 जुलाई 1966) एक भारतीय शास्त्रीय संगीत के कलाकार हैं। ये रामपुर-सहास्वन घराबे से हैं। इन्हे पद्म श्री वा संगीत नातक अकादमी पुरस्कार मिल चिका है। श्रेणी:गीतकार श्रेणी:शास्त्रीय संगीत गीतकार en:Rashid Khan.

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राजाराम शुक्ल

राजाराम शुक्ल का जन्म वाराणसी के रामनगर में ०६ जून १९६६ को हुआ। वर्तमान समय में वे बीएचयू के वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। हाल ही में उन्हें राज्यपाल एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलाधिपति राम नाईक द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया है। प्रो.

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रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन

right रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन (11 मई, 1918 – 15 फरवरी, 1988) बीसवी शताब्दी के अन्तिम भाग के सबसे चर्चित वैज्ञानिक थे। वे 1966 मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए। बीसवीं शताब्दी के बीच मे अच्छे विश्वविद्यालयों मे भौतिक शास्त्र को पढ़ाये जाने के तरीके पर विवाद चल रहा था।.

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लड़का लड़की (1966 फ़िल्म)

लड़का लड़की 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द), भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया। परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। .

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लव इन टोक्यो (1966 फ़िल्म)

लव इन टोक्यो 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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लुसिअ एच्हेबरिअ

Lucía Etxebarria लुसिअ एच्हेबरिअ, स्पेनिश भाषा Lucía Etxebarria de Asteinza (वैलेंसिया, ७ दिसंबर १९६६) स्पेनिश लेखक.

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लॉस एंजेल्स लेकर्स

श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पैसिफिक डिवीज़न श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पश्चिमी कांफ्रेंस श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन.

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शिकागो बुल्स

श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन.

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श्री शिव छत्रपति

श्री शिव छत्रपति मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार टी.एस. शेजवलकर द्वारा रचित एक इतिहास विषयक–शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रीकांत वर्मा

श्रीकांत वर्मा (Shrikant verma) (१८ नवंबर १९३१- १९८६) का जन्म बिलासपुर (bilaspur), मध्य प्रदेश में हुआ। वे गीतकार, कथाकार तथा समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। ये राजनीति से भी जुडे थे तथा लोकसभा के सदस्य रहे। १९५७ में प्रकाशित भटका मेघ, १९६७ में प्रकाशित मायादर्पण और दिनारम्भ, १९७३ में प्रकाशित जलसाघर और १९८४ में प्रकाशित मगध इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। 'झाडियाँ तथा 'संवाद इनके कहानी-संग्रह है। 'बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में एक आलोचनात्मक ग्रंथ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर(bilaspur) तथा रायपुर(raipur) में हुई तथा नागपुर विश्वविद्यालय से १९५६ में उन्होंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे दिल्ली चले गए और वहाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगभग एक दशक तक पत्रकार के रूप में कार्य किया। १९६६ से १९७७ तक वे दिनमान के विशेष संवाददाता रहे। १९७६ में काँग्रेस के के टिकट पर चुनाव जीतकर वे राज्य सभा के सदस्य बने। और सत्तरवें दशक के उत्तरार्ध से ८०वें दशक के पूर्वार्ध तक पार्टी के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे। १९८० में वे इंदिरा गांधी के राष्ट्रीय चुनाव अभियान के प्रमुख प्रबंधक रहे और १९८४ में राजीव गांधी के परामर्शदाता तथा राजनीतिक विश्लेषक के रूप में कार्य करते रहे। कांग्रेस को अपना "गरीबी हटाओ" का अमर स्लोगन दिया.

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शैलेश मटियानी

शैलेश मटियानी (१४ अक्टूबर १९३१ - २४ अप्रैल २००१) आधुनिक हिन्दी साहित्य-जगत् में नयी कहानी आन्दोलन के दौर के कहानीकार एवं प्रसिद्ध गद्यकार थे। उन्होंने 'बोरीवली से बोरीबन्दर' तथा 'मुठभेड़', जैसे उपन्यास, चील, अर्धांगिनी जैसी कहानियों के साथ ही अनेक निबंध तथा प्रेरणादायक संस्मरण भी लिखे हैं। उनके हिन्दी साहित्य के प्रति प्रेरणादायक समर्पण व उत्कृष्ट रचनाओं के फलस्वरूप आज भी उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में पुरस्कार का वितरण होता है। .

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सन्नाटा

सन्नाटा १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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समय राज ठक्कर

समय राज ठक्कर (मुंबई में पैदा हुए 21 अक्टूबर 1966) एक नर भारतीय अभिनेता है और एक आवाज अभिनेता जो विदेशी मीडिया डब करने के लिए विशेष है, हिंदी में। वह कभी कभी के रूप में उल्लेख किया है: समय वी.

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सावन की घटा (1966 फ़िल्म)

सावन की घटा 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सगाई (1966 फ़िल्म)

सगाई 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र

यू एन सदस्य राष्ट्रों का नक्शा यह लेख संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) के सदस्य राष्ट्र की सूची प्रस्तुत करता है| वास्तविक विश्व में १९२ यू एन सदस्य राज्य है और प्रतेक राज्य संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा का सदस्य भी है| संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र, अध्याय २, लेख ४: मूलतः केवल स्वतंत्र राष्ट्र यू एन सदस्य बन सकते है और सारे वास्तविक सदस्य स्वतंत्र राष्ट्र है| परन्तु यू एन के चार संस्तापिक सदस्य - बेलारूस, भारत, फिलीपींस व उक्रेन प्रवेश के समय पूर्णतः स्वतंत्र नही थे| एक राष्ट्र को यू एन सदस्य बनने के लिए सुरक्षा परिषद् व सामान्य सभा की स्वीकृति की आवश्यकता होती है, इसलिए कई राष्ट्र जो स्वयं को स्वतंत्र मानते है वह बिना इस स्वीकृति के यू एन के सदस्य नही बन सकते| अंतर्राष्ट्रीय संघटनाये, असरकारी संघटनाये और अन्य राष्ट्र जिनका स्वतंत्रिक अस्तित्व निश्चित रूप से परिभाषित नही है, वे केवल संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा के अवेक्षक बन सकते है, जिससे वे यू एन में अपना पक्ष रख सकते है परन्तु किसी प्रश्न पर मतदान नही कर सकते| .

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सुनील दत्त

सुनील दत्त (अंग्रेजी: Sunil Dutt, पंजाबी: ਸੁਨੀਲ ਦੱਤ, जन्म: 6 जून 1929, मृत्यु: 25 मई 2005), जिनका असली नाम बलराज दत्त था, भारतीय फिल्मों के विख्यात अभिनेता, निर्माता व निर्देशक थे, जिन्होंने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय राजनीति में भी सार्थक भूमिका निभायी। मनमोहन सिंह की सरकार में 2004 से 2005 तक वे खेल एवं युवा मामलों के कैबिनेट मन्त्री रहे। उनके पुत्र संजय दत्त भी फिल्म अभिनेता हैं। उन्होंने 1984 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुम्बई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव जीता और सांसद बने। वे यहाँ से लगातार पाँच बार चुने जाते रहे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने अपने पिता से विरासत में मिली वह सीट जीत ली। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें पद्म श्री सम्मान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त वे बम्बई के शेरिफ़ भी चुने गये। .

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सुराही

सुराही सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार लेखराज किशनचंद ‘अज़ीज़’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुशीला

सुशीला १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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स्मगलर (1966 फ़िल्म)

स्मगलर 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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स्वचालित गणक मशीन

यू.एस की एक एनसीआर पर्सोनास 75-सीरीज़ आंतरिक, बहुप्रकार्य एटीएम मशीन ट्राईटॉन ब्राण्ड एटीएम मशीन स्वचालित गणक मशीन (अंग्रेज़ी:आटोमेटिड टैलर मशीन, लघु:एटीएम) को आटोमेटिक बैंकिंग मशीन, कैश पाइंट, होल इन द वॉल, बैंनकोमैट जैसे नामों से यूरोप, अमेरिका व रूस आदि में जाना जाता है। यह मशीन एक ऐसा दूरसंचार नियंत्रित व कंप्यूटरीकृत उपकरण है जो ग्राहकों को वित्तीय हस्तांतरण से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराता है।। हिन्दुस्तान लाइव। 21 जनवरी 2010 इस हस्तांतरण प्रक्रिया में ग्राहक को कैशियर, क्लर्क या बैंक टैलर की मदद की आवश्यकता नहीं होती है। खुदरा यानि रिटेल बैंकिंग के क्षेत्र में एटीएम बनाने का विचार समांनातर तौर जापान, स्वीडन, अमेरिका और इंग्लैंड में जन्मा और विकसित हुआ। हालांकि सबसे पहले इसका प्रयोग कहां शुरू हुआ यह अभी तय नहीं हो पाया है। .

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हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान

हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान (अंग्रेज़ी: हरीशचंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद में स्थित एक अनुसंधान संस्थान है। इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ हरीशचन्द्र के नाम पर रखा गया है। यह एक स्वायत्त संस्थान है, जिसका वित्तपोषण परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरका द्वारा किया जाता है। यहां विभिन्न संकायों के ३० के लगभग सदस्य हैं। इस संस्थान में गणित एवं सैद्धांतिक भौतिकी पर अनुसंधान के विशेष प्रबंध हैं। इसकी स्थापना १९६६ में बी.एस.

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हंस दमयंति मत्तु इतर रूपकगळु

हंस दमयंति मत्तु इतर रूपकगळु कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार पु. ति. नरसिम्हाचार द्वारा रचित एक संगीत नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में कन्नड़ भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हुस्न और इश्क (1966 फ़िल्म)

हुस्न और इश्क 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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ज़ुबिन मेहता

ज़ुबिन मेहता ज़ुबिन मेहता को कला के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। दुनिया नापने वाले इस ऑर्केस्ट्रा संचालक ने पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत को युद्धरत देशों के बीच संवाद का कारगर माध्यम बनाया। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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जापानी मापन इकाइयाँ

शक्कान-हो (अंग्रेजी:Shakkan-hō, जापानी:尺貫法) एक परंपरागत जापानी मापन प्रणाली है। इसका नाम शक्कान-हो दो शब्दों से बना है:- शाकु - लम्बाई की एक इकाई और कान -भार माप की इकाई। यह प्रणाली मूलतः चीनी है। इसकी इकाइयाँ शांग वंश के काल में 13वीं शती ई.पू.

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जोसफ़ फ़्रित्ज़्ल

जोसफ फ़्रित्ज़्ल का मामला अप्रैल २००८ में प्रकाश में आया। एलिजा़बेथ फ़्रित्ज़्ल (जन्म - ६ अप्रैल,१९६६) जो आरोपी जोसफ फ़्रित्ज़्ल की पुत्री है ने अपने पिता जोसफ फ़्रित्ज़्ल पर ये आरोप लगाया कि उसने उसे उनके के ही घर के तहखाने में २४ वर्षों तक कैद में रखा और उसे शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीडन किया। उसके पिता द्वारा उसके साथ बनाए गये अनैतिक संबंधो के चलते उसकी ७ संतानें हुई और एक गर्भपात। तीन बच्चों को उनकी माँ के साथ ही कैद में रखा गया: पुत्री कैरस्टिन, १९; और दो पुत्र स्टिफन, १८ और फेलिक्स, ५। एक अन्य पुत्र माइकल की जन्म के तीन दिन बाद ही साँस की परेशानी के कारण मृत्यु हो गई। अन्य तीन बच्चों का पालन फ़्रित्ज़्ल और उसकी पत्नी रोज़मेरी द्वारा किया गया। इन तीन बच्चों के संबंध में उसने ये बहाना बनाया की ये तीनों उसे सड़क पर पड़े हुए मिले। .

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वर्घिस क्यूरियन

वर्घिस क्यूरियन को उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये गुजरात से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु

वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार म. पो. शिवज्ञानम द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर (जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फ़रवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं के हिंदू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं आंदोलन चलाये। सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा । उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे जो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे । .

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विनायक सीताराम सर्वते

विनायक सीताराम सर्वते को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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विक्रम अंबालाल साराभाई

विक्रम अंबालाल साराभाई (१२ अगस्त, १९१९- ३० दिसंबर, १९७१) भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने ८६ वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं ४० संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ॰ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता। यह जगप्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया। .

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खानदान (1965 फ़िल्म)

खानदान १९६५ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ग़बन (फ़िल्म)

ग़बन 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची

List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .

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ओड़िशा का इतिहास

प्राचीन काल से मध्यकाल तक ओडिशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्र, ओद्र, ओड्रदेश, ओड, ओड्रराष्ट्र, त्रिकलिंग, दक्षिण कोशल, कंगोद, तोषाली, छेदि तथा मत्स आदि नामों से जाना जाता था। परन्तु इनमें से कोई भी नाम सम्पूर्ण ओडिशा को इंगित नहीं करता था। अपितु यह नाम समय-समय पर ओडिशा राज्य के कुछ भाग को ही प्रस्तुत करते थे। वर्तमान नाम ओडिशा से पूर्व इस राज्य को मध्यकाल से 'उड़ीसा' नाम से जाना जाता था, जिसे अधिकारिक रूप से 04 नवम्बर, 2011 को 'ओडिशा' नाम में परिवर्तित कर दिया गया। ओडिशा नाम की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द 'ओड्र' से हुई है। इस राज्य की स्थापना भागीरथ वंश के राजा ओड ने की थी, जिन्होने अपने नाम के आधार पर नवीन ओड-वंश व ओड्र राज्य की स्थापना की। समय विचरण के साथ तीसरी सदी ई०पू० से ओड्र राज्य पर महामेघवाहन वंश, माठर वंश, नल वंश, विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोदभव वंश, भौमकर वंश, नंदोद्भव वंश, सोम वंश, गंग वंश व सूर्य वंश आदि सल्तनतों का आधिपत्य भी रहा। प्राचीन काल में ओडिशा राज्य का वृहद भाग कलिंग नाम से जाना जाता था। सम्राट अशोक ने 261 ई०पू० कलिंग पर चढ़ाई कर विजय प्राप्त की। कर्मकाण्ड से क्षुब्द हो सम्राट अशोक ने युद्ध त्यागकर बौद्ध मत को अपनाया व उनका प्रचार व प्रसार किया। बौद्ध धर्म के साथ ही सम्राट अशोक ने विभिन्न स्थानों पर शिलालेख गुदवाये तथा धौली व जगौदा गुफाओं (ओडिशा) में धार्मिक सिद्धान्तों से सम्बन्धित लेखों को गुदवाया। सम्राट अशोक, कला के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रचार करना चाहते थे इसलिए सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को और अधिक विकसित करने हेतु ललितगिरि, उदयगिरि, रत्नागिरि व लगुन्डी (ओडिशा) में बोधिसत्व व अवलोकेतेश्वर की मूर्तियाँ बहुतायत में बनवायीं। 232 ई०पू० सम्राट अशोक की मृत्यु के पश्चात् कुछ समय तक मौर्य साम्राज्य स्थापित रहा परन्तु 185 ई०पू० से कलिंग पर चेदि वंश का आधिपत्य हो गया था। चेदि वंश के तृतीय शासक राजा खारवेल 49 ई० में राजगद्दी पर बैठा तथा अपने शासन काल में जैन धर्म को विभिन्न माध्यमों से विस्तृत किया, जिसमें से एक ओडिशा की उदयगिरि व खण्डगिरि गुफाऐं भी हैं। इसमें जैन धर्म से सम्बन्धित मूर्तियाँ व शिलालेख प्राप्त हुए हैं। चेदि वंश के पश्चात् ओडिशा (कलिंग) पर सातवाहन राजाओं ने राज्य किया। 498 ई० में माठर वंश ने कलिंग पर अपना राज्य कर लिया था। माठर वंश के बाद 500 ई० में नल वंश का शासन आरम्भ हो गया। नल वंश के दौरान भगवान विष्णु को अधिक पूजा जाता था इसलिए नल वंश के राजा व विष्णुपूजक स्कन्दवर्मन ने ओडिशा में पोडागोड़ा स्थान पर विष्णुविहार का निर्माण करवाया। नल वंश के बाद विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोद्भव वंश और भौमकर वंश ने कलिंग पर राज्य किया। भौमकर वंश के सम्राट शिवाकर देव द्वितीय की रानी मोहिनी देवी ने भुवनेश्वर में मोहिनी मन्दिर का निर्माण करवाया। वहीं शिवाकर देव द्वितीय के भाई शान्तिकर प्रथम के शासन काल में उदयगिरी-खण्डगिरी पहाड़ियों पर स्थित गणेश गुफा (उदयगिरी) को पुनः निर्मित कराया गया तथा साथ ही धौलिगिरी पहाड़ियों पर अर्द्यकवर्ती मठ (बौद्ध मठ) को निर्मित करवाया। यही नहीं, राजा शान्तिकर प्रथम की रानी हीरा महादेवी द्वारा 8वीं ई० हीरापुर नामक स्थान पर चौंसठ योगनियों का मन्दिर निर्मित करवाया गया। 6वीं-7वीं शती कलिंग राज्य में स्थापत्य कला के लिए उत्कृष्ट मानी गयी। चूँकि इस सदी के दौरान राजाओं ने समय-समय पर स्वर्णाजलेश्वर, रामेश्वर, लक्ष्मणेश्वर, भरतेश्वर व शत्रुघनेश्वर मन्दिरों (6वीं सदी) व परशुरामेश्वर (7वीं सदी) में निर्माण करवाया। मध्यकाल के प्रारम्भ होने से कलिंग पर सोमवंशी राजा महाशिव गुप्त ययाति द्वितीय सन् 931 ई० में गद्दी पर बैठा तथा कलिंग के इतिहास को गौरवमयी बनाने हेतु ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मुक्तेश्वर, सिद्धेश्वर, वरूणेश्वर, केदारेश्वर, वेताल, सिसरेश्वर, मारकण्डेश्वर, बराही व खिच्चाकेश्वरी आदि मन्दिरों सहित कुल 38 मन्दिरों का निर्माण करवाया। 15वीं शती के अन्त तक जो गंग वंश हल्का पड़ने लगा था उसने सन् 1038 ई० में सोमवंशीयों को हराकर पुनः कलिंग पर वर्चस्व स्थापित कर लिया तथा 11वीं शती में लिंगराज मन्दिर, राजारानी मन्दिर, ब्रह्मेश्वर, लोकनाथ व गुन्डिचा सहित कई छोटे व बड़े मन्दिरों का निर्माण करवाया। गंग वंश ने तीन शताब्दियों तक कलिंग पर अपना राज्य किया तथा राजकाल के दौरान 12वीं-13वीं शती में भास्करेश्वर, मेघेश्वर, यमेश्वर, कोटी तीर्थेश्वर, सारी देउल, अनन्त वासुदेव, चित्रकर्णी, निआली माधव, सोभनेश्वर, दक्क्षा-प्रजापति, सोमनाथ, जगन्नाथ, सूर्य (काष्ठ मन्दिर) बिराजा आदि मन्दिरों को निर्मित करवाया जो कि वास्तव में कलिंग के स्थापत्य इतिहास में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। गंग वंश के शासन काल पश्चात् 1361 ई० में तुगलक सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने कलिंग पर राज्य किया। यह वह दौर था जब कलिंग में कला का वर्चस्व कम होते-होते लगभग समाप्त ही हो चुका था। चूँकि तुगलक शासक कला-विरोधी रहे इसलिए किसी भी प्रकार के मन्दिर या मठ का निर्माण नहीं हुअा। 18वीं शती के आधुनिक काल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का सम्पूर्ण भारत पर अधिकार हो गया था परन्तु 20वीं शती के मध्य में अंग्रेजों के निगमन से भारत देश स्वतन्त्र हुआ। जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण भारत कई राज्यों में विभक्त हो गया, जिसमें से भारत के पूर्व में स्थित ओडिशा (पूर्व कलिंग) भी एक राज्य बना। .

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ओडिआ चलचित्र सूची

ओड़िआ चलचित्र की सारणी ओड़िआ भाषा .

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आधा गाँव

राही मासूम रज़ा का बहुचर्चित उपन्यास “आधा गांव” १९६६ में प्रकाशित हुआ जिससे राही का नाम उच्चकोटि के उपन्यासकारों में लिया जाने लगा। यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के एक नगर गाजीपुर से लगभग ग्यारह मील दूर बसे गांव गंगोली के शिक्षा समाज की कहानी कहता है। राही नें स्वयं अपने इस उपन्यास का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा है कि “वह उपन्यास वास्तव में मेरा एक सफर था। मैं गाजीपुर की तलाश में निकला हूं लेकिन पहले मैं अपनी गंगोली में ठहरूंगा। अगर गंगोली की हकीकत पकड़ में आ गयी तो मैं गाजीपुर का एपिक लिखने का साहस करूंगा”।.

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आन्ध्र विश्वविद्यालय

आन्ध्र विश्वविद्यालय या आंध्र विश्व कला परिषद (ఆంధ్ర యూనివర్శిటి / ఆంధ్ర విశ్వకళాపరిషత్), विशाखापट्ट्नम, पूर्व तटीय आंध्र प्रदेश में स्थित भारत के प्राचीनतम प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना १९२५ में की गई थी। तब इस विश्वविद्यालय ने मद्रास विश्वविद्यालय के साथ एफिलिएशन योग्यताएं बांटीं थीं। यह एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। यह 1926 में स्थापित किया गया। यह 250 हेक्टेयर (620 एकड़) के परिसर में स्थित है। .

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आम्रपाली (1966 फ़िल्म)

आम्रपाली 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आसरा

आसरा १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आख़िरी खत

आख़िरी ख़त १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट)

इरफ़ान ख़ान (पूरा नाम मोहम्मद इरफ़ान खान- जन्म ४ नवंबर १९६६) का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। स्थानीय अखबार दैनिक भास्कर और स्वदेश में सन ८२-१९८९ तक कार्टून बनाते रहे। दिल्ली की श्रीधरणी आर्ट गैलरी में अपनी प्रदर्शिनी के दौरान वे नवभारत टाइम्स लखनऊ के लिये चुन लिये गए। १९९४ में दिल्ली आकर इकोनोमिक टाइम्स, फ़ाइनेन्शिअल एक्स्प्रेस,एशियन ऐज, में स्टाफ़ कार्टूनिस्ट रहे। २००० में ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट के पद पर काम करते हुए अपना टाक शो शख्शियत होस्ट किया, २००३ में एनडीटीवी के शो गुस्ताखी माफ़ की स्क्रिप्ट लिखी और सहारा समय पर इतनी सी बात होस्ट किया। अब तक ३ संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। एन्सीईआरटी के पाठ्यक्रम की पुस्तकों में इरफ़ान सहित देश के विभिन अन्य कार्टूनिस्टों के संपादकीय कार्टूनों को भी शामिल किया गया था। जापान फ़ाउन्डेशन ने "एशियाई कार्टून प्रदशनी" के अपने वार्षिक कार्यक्रम के तहत, २००५ में नौवी प्रदर्शिनी के लिए प्रत्येक एशियाई देश से एक कार्टूनिस्ट के चयन हेतु भारत की ओर से इरफ़ान का चयन किया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित इरफ़ान अब तक ६ कार्टून प्रदर्शिनियाँ कर चुके हैं। जिनमें क्रिकेट, आतंकवाद, साम्प्रदायिक्ता और ग्लोबल वार्मिन्ग पर प्रदर्शिनियाँ काफ़ी चर्चित रही हैं। २००७ में मिड डे अखबार में भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश पर कार्टून बनाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने इरफ़ान को ४ महीने की सज़ा सुनाई। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। .

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कला जीवितम तन्ने

कला जीवितम तन्ने मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार के. एम. कुट्टिकृष्णन मारार द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में मलयालम भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कश्मीर का इतिहास

भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू और कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरंभ होता है। राजधानी में डल झील में एक शिकारे से दृश्य .

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कालपी (1966 फ़िल्म)

कालपी 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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काजल (1965 फ़िल्म)

काजल 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इस चलचित्र के निर्माता पन्नालाल माहेश्वरी थे, तथा निर्देशक के तौर पर राम माहेश्वरी ने अपना योगदान दिया था। इस चलचित्र के सितारे थे -मीना कुमारी, धर्मेन्द्र, राज कुमार, पद्मिनी, हेलन, दुर्गा खोटे, टुन टुन, महमूद और मुमताज़। इस चलचित्र के लिए संगीत दिया था रवि ने। गुलशन नंदा के उपन्यास "माधवी " पर आधारित इस चलचित्र के लिए फणी मजुमदार और किदार शर्मा ने संवाद लेखन किया। यह चलचित्र बॉक्स ऑफिस पर "हिट" रही। यह फ़िल्म गुलशन नन्दा के उपन्यास माधवी पर आधारित है। .

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के पी केशव मेनन

के पी केशव मेनन को सार्वजनिक उपक्रम के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये केरल से हैं। मेनन, के पी केशव.

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के शंकर पिल्लई

के शंकर पिल्लई (मलयालम: കെ ശങ്കര് പിള്ള.) (1902-31 जुलाई 1989 26 दिसंबर), बेहतर शंकर के रूप में जाना, एक भारतीय कार्टूनिस्ट था। उन्होंने भारत में राजनीतिक cartooning के पिता के रूप में माना जाता है। उन्होंने 1948 में शंकर वीकली, भारत पंच स्थापना, Utara भी अबू अब्राहम, रंगा और कुट्टी तरह कार्टूनिस्टों उत्पादित, वह नीचे 1975 में पत्रिका बंद होने के कारण इमरजेंसी को फिर पर वह बच्चों के काम पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित.

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अनुपमा (1966 फ़िल्म)

अनुपमा 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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अन्तरजाल का इतिहास

muki don सर्वप्रथम १९६२ में विश्वविद्यालय के जे सी आर लिकलिडर ने अभिकलित्र जाल तैयार किया था। वे चाहते थे कि अभिकलित्र का एक एसा जाल हो, जिससे आंकड़ो, क्रमादेश और सूचनायें भेजी जा सके। 1966 में डारपा (मोर्चाबंदी प्रगति अनुसंधान परियोजना अभिकरण) (en:DARPA) ने आरपानेट के रूप में अभिकलित्र जाल बनाया। यह जाल चार स्थानो से जुडा था। बाद में इसमें भी कई परिवर्तन हुए और 1972 में बाँब काँहन ने अन्तर्राष्ट्रीय अभिकलित्र संचार सम्मेलन ने पहला सजीव प्रदर्शन किया। 1 जनवरी 1983 को आरपानेट (en:ARPANET) पुनर्स्थापित हुआ TCP-IP। इसी वर्ष एक्टीविटी बोर्ड (IAB) का गठन हुआ।नवंबर में पहली प्रक्षेत्र नाम सेवा (DNS) पॉल मोकपेट्रीज द्वारा सुझाई गई। अंतरजाल सैनिक और असैनिक भागों में बाँटा गया| हालाँकि 1971 में संचिका अन्तरण नियमावली (FTP) विकसित हुआ, जिससे संचिका अन्तरण करना आसान हो गया। 1990 में टिम बर्नर्स ली ने विश्व व्यापी वेब (WWW) से परिचित कराया अमरीकी सेना की सूचना और अनुसंधान संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 1973 में ``यू एस एडवांस रिसर्च प्र्रोजेक्ट एजेंसी´´ ने एक कार्यक्रम की शुरुआत की। उस कार्यक्रम का उद्देश्य था कम्प्यूटरों के द्वारा विभिन्न प्रकार की तकनीकी और प्रौद्योगिकी को एक-दूसरे से जोड़ा जाए और एक `नेटवर्क´ बनाया जाए। इसका उद्देश्य संचार संबंधी मूल बातों (कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल) को एक साथ एक ही समय में अनेक कम्प्यूटरों पर नेटवर्क के माध्यम से देखा और पढ़ा जा सके। इसे ``इन्टरनेटिंग प्रोजेक्ट´´ नाम दिया गया जो आगे चलकर `इंटरनेट´ के नाम से जाना जाने लगा। 1986 में अमरीका की ``नेशनल सांइस फांउडेशन´´ ने ``एनएसएफनेट´´ का विकास किया जो आज इंटरनेट पर संचार सेवाओं की रीढ़ है। एक सैकण्ड में 45 मेगाबाइट संचार सुविधा वाली इस प्रौद्योगिकी के कारण `एनएसएफनेट´ बारह अरब -12 बिलियन- सूचना पैकेट्स को एक महीने में अपने नेटवर्क पर आदान-प्रदान करने में सक्षम हो गया। इस प्रौद्योगिकी को और अधिक तेज गति देने के लिए `नासा´ और उर्जा विभाग ने अनुसंधान किया और ``एनएसआईनेट´´ और `ईएसनेट´ जैसी सुविधाओं को इसका आधार बनाया। इन्टरनेट हेतु `क्षेत्रीय´ सहायता कन्सर्टियम नेटवर्कों द्वारा तथा स्थानीय सहायता अनुसंधान व शिक्षा संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। अमरीका में फेडरल तथा राज्य सरकारों की इसमें अहम भूमिका है परन्तु उद्योगों का भी इसमें काफी हाथ रहा है। यूरोप व अन्य देशों में पारस्परिक अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग व राष्ट्रीय अनुसंधान संगठन भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1991 के अन्त तक इन्टरनेट इस कदर विकसित हुआ कि इसमें तीन दर्जन देशों के 5 हजार नेटवर्क शामिल हो गए, जिनकी पहुंच 7 लाख कम्प्यूटरों तक हो गई। इस प्रकार 4 करोड़ उपभोक्ताओं ने इससे लाभ उठाना शुरू किया। इन्टरनेट समुदाय को अमरीकी फेडरल सरकार की सहायता लगातार उपलब्ध होती रही क्योंकि मूल रूप से इन्टरनेट अमरीका के अनुसंधान कार्य का ही एक हिस्सा था। आज भी यह अमरीकी अनुसंधान कार्यशाला का महत्त्वपूर्ण अंग है किन्तु 1980 के दशक के अन्त में नेटवर्क सेवाओं व इन्टरनेट उपभोक्ताओं में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभूतपूर्व वृद्धि हुई और इसका इस्तेमाल व्यापारिक गतिविधियों के लिये भी किया जाने लगा। सच तो ये है कि आज की इन्टरनेट प्रणाली का बहुत बड़ा हिस्सा शिक्षा व अनुसंधान संस्थानों एवं विश्व-स्तरीय निजी व सरकारी व्यापार संगठनों की निजी नेटवर्क सेवाओं से ही बना है। .

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अफ़साना (1966 फ़िल्म)

अफ़साना 1966 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची

* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.

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अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन(International Society for Krishna Consciousness - ISKCON; उच्चारण: इंटर्नैशनल् सोसाईटी फ़ॉर क्रिश्ना कॉनशियस्नेस् -इस्कॉन), को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है। .

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उसकी कहानी

उसकी कहानी १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित एक विश्वविद्यालय है। यह पहले कानपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। यह भारत एवं उत्तर प्रदेश के अन्य उत्कृष्ट विश्वविद्यालयो में से एक है। कानपुर विश्वविद्यालय की स्थापना १९६६ में आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्द विश्वविद्यालयों के विभाजन से हुई। अब इसमे १५ जिलों के १७० कॉलेज सम्बद्द है। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने कानपुर विश्वविद्यालय का नाम १८८४ से १९२२ के बीच कोल्हापुर के राजा शाहू चतुर्थ (जिन्हे छत्रपति शाहू जी महाराज के रूप में भी जाना जाता था) के नाम पर महाराजा के बाद दिए गए नाम छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय रख दिया। तब से कानपुर विश्वविद्यालय आधिकारिक तौर पर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। .

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११ जनवरी

११ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ११वाँ दिन है। साल में अभी और ३५४ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३५५)। .

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१४ दिसम्बर

14 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 348वॉ (लीप वर्ष मे 349 वॉ) दिन है। साल में अभी और 17 दिन बाकी है। भारत देशमें १४ दिसम्बर के रोज राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिन मनाया जाता है। .

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१८ दिसम्बर

18 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 352वॉ (लीप वर्ष मे 353 वॉ) दिन है। साल में अभी और 13 दिन बाकी है। .

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१९ जनवरी

19 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 19वॉ दिन है। साल मे अभी और 346 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 347)। .

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१९ अगस्त

19 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 231वॉ (लीप वर्ष मे 232 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 134 दिन बाकी है। .

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२४ जनवरी

२४ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४वाँ दिन है। साल में अभी और ३४१ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३४२)। .

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२६ फरवरी

२६ फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ५७वॉ दिन है। साल में अभी और ३०८ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३०९)। .

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३ अगस्त

3 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 215वॉ (लीप वर्ष में 216 वॉ) दिन है। साल में अभी और 150 दिन बाकी है। .

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६ जनवरी

6 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 6वाँ दिन है। साल में अभी और 359 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 360)।.

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६ अप्रैल

6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है। .

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७ जनवरी

7 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 7वाँ दिन है। साल में अभी और 358 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 359)। .

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७ जून

7 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 158वाँ (लीप वर्ष में 159 वाँ) दिन है। साल में अभी और 207 दिन बाकी हैं। .

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८ मार्च

8 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 67वॉ (लीप वर्ष में 68 वॉ) दिन है। साल में अभी और 298 दिन बाकी है। अंतराष्ट्रीय नारी दिवस (संयुक्त राष्ट्र संघ) .

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1966 एशियाई खेल

पाँचवे एशियाई खेल ९ दिसंबर से २० दिसंबर, १९६६ के बीच बैंकाक, थाईलैण्ड में आयोजित किए गए थे। ताइवान और इस्राइल की इन एशियाई खेलों में वापसी हुई, इण्डोनेशिया के इन दोनों देशों को खेलों से प्रतिबन्धित करने के निर्णय के उलट। १८ एशियाई देशों के २, ५०० खिलाड़ियों और अधिकारियों ने इन खेलों में भाग लिया, जहाँ पर महिला वॉलीबॉल ने प्रथमोप्रवेश किया। .

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1966

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