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१९५४

सूची १९५४

१९५४ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

123 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, चोर बाज़ार (1954 फ़िल्म), टैक्सी ड्राइवर (1954 फ़िल्म), ए.लक्षमणस्वामी मुदलियार, एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी, डेव वॉटमोर, तेन्जिंग नॉरगे, दिलीप कुमार, दो बीघा ज़मीन (1953 फ़िल्म), नयी कविता, नास्तिक (1954 फ़िल्म), नाज़ (1954 फ़िल्म), नागिन (1954 फ़िल्म), नौकरी (1954 फ़िल्म), पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा, पद्म भूषण, परमाणु परीक्षण, पांड्याल सत्यनारायण राव, पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, पुष्पकमल दाहाल, प्रभु लाल भटनागर, प्रिया तेंडुलकर, पूजा (1954 फ़िल्म), पेनिसिलियम, पॉल न्युमैन, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार, फ़्राँस्वा फ़ियॉ, फ़ॉर्मूला वन, फिलिप वी कार्डन, बहुत दिन हुए (1954 फ़िल्म), बादबाँ (1954 फ़िल्म), बाप बेटी (1954 फ़िल्म), बाराती (1954 फ़िल्म), बिमल राय, बिराज बहू (1954 फ़िल्म), बिर्ख खड़का डुबर्सेली, ब्रायन टीचर, बूट पॉलिश (1954 फ़िल्म), बीसवीं शताब्दी, भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन, भारत रत्‍न, भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची, भारत के अभयारण्य, भारतीय साहित्य अकादमी, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, भारतीय इस्पात प्राधिकरण, भुवन चन्द्र खण्डूरी, मन की बात, मर्गेरित युर्स्नर्, ..., महादेव अइयर गणपति, महाराष्ट्र के राज्यपालों की सूची, महाराज कुमार पाल्देन टी नाम्ग्याल, मिर्ज़ा गालिब (1954 फ़िल्म), मिलान मार्टिक, मुम्बई, मुंबई की जलवायु, मौलाना हुसैन अहमद मदनी, मैथिलीशरण गुप्त, मीना कुमारी, यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, रमेशराज तेवरीकार, राधा कृष्ण गुप्ता, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली, रजनी पनिक्कर, रवि शंकर प्रसाद, रेखा, लक्ष्मीकांत बेर्डे, लकीरें (1954 फ़िल्म), लॉस एंजेल्स लेकर्स, लीला नायडू, शान्ति स्वरूप भटनागर, शंकर रामचन्द्र, श्री चैतन्य महाप्रभु (१९५४ फ़िल्म), सत्यनारायण शास्त्री, समाज (1954 फ़िल्म), हिमालय पर्वतारोहण संस्थान, हैदराबाद उच्च न्यायालय, हेमन्त जोशी, जयप्रकाश नारायण, जल सर्वेक्षण, जागृति (1954 फ़िल्म), जॉन माइकल टॉल्बोट, जीवन पथ, वल्लाठोल नारायण मेनन, वेलुपिल्लई प्रभाकरण, वी एल मेहता, वी नरहरि राव, ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, ओडिआ चलचित्र सूची, आन्द्रेस पस्त्राना अरांगो, आर आर हांडा, कन्नड साहित्य सम्मेलन, कन्वेंशन ड्यू मेत्रे, कमल हासन, कल्पना लाज़मी, कवि (1954 फ़िल्म), कंचनजंघा, कुम्भ मेला, के एस थिमैया, के एस कृष्णन, के॰ चंद्रशेखर राव, अमरनाथ झा, अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, अयोध्यानाथ खोसला, अहमद अली बरक़ी आज़मी, अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, उड़ान अभिलेखक, १ जनवरी, १० अक्टूबर, १२३ समझौता, १३ जुलाई, २००४, २१ सितम्बर, २१ अक्टूबर, २३ दिसम्बर, २४ अक्टूबर, २५ जनवरी, २७ मार्च, ५०० होम रन दल, ७ नवम्बर, ८ जुलाई, 1954 एशियाई खेल सूचकांक विस्तार (73 अधिक) »

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

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चोर बाज़ार (1954 फ़िल्म)

चोर बाज़ार 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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टैक्सी ड्राइवर (1954 फ़िल्म)

टैक्सी ड्राइवर 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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ए.लक्षमणस्वामी मुदलियार

ए.लक्षमणस्वामी मुदलियार को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये तमिलनाडु राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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एम॰ एस॰ सुब्बुलक्ष्मी

श्रीमती मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी (16 सितंबर, 1916-2004) कर्णाटक संगीत की मशहूर संगीतकार थीं। आप शास्तीय संगीत की दुनिया में एम.

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डेव वॉटमोर

डेवनल फ्रेड्ररिक वॉटमोर (जन्म 16 मार्च, 1954, कोलंबो, श्रीलंका) एक पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय आस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी है और वर्तमान समय में बांग्लादेश क्रिकेट टीम के कोच है। अपने छोटे अन्तर्राष्ट्रीय करियर में उन्होने मार्च 1979 से जनवरी 1980 तक 7 टेस्ट मैच और 1 एकदिवसीय मैच खेला। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होने विक्टोरिया के लिए 6,000 से ज्यादा रन बनाए। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से 1988/89 में संयास लेने के बाद वे क्रिकेट कोच बन गए। उन्होने श्रीलंका की क्रिकेट टीम को दो अलग समय में कोच किया, जिसमे पहले समय में श्रीलंका की टीम ने 1996 क्रिकेट विश्व कप जीता। उन दो अंतराल के मध्य में उन्होने लैन्कशायर की टीम को कोच किया। जहाँ उनकी टीम ने 1998 और 1999 में नैशनल लीग और 1998 की नैट्वेस्ट ट्राफी जीती। 2003 से वे बांग्लादेश क्रिकेट टीम के कोच है। श्रेणी:ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी श्रेणी:श्रीलंका के लोग श्रेणी:1954 में जन्मे लोग.

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तेन्जिंग नॉरगे

तेन्जिंग नॉरगे (29 मई 1914- 9 मई 1986) एक नेपाली पर्वतारोही थे जिन्होंने एवरेस्ट और केदारनाथ के प्रथम मानव चढ़ाई के लिए जाना जाता है। न्यूजीलैंड एडमंड हिलेरी के साथ वे पहले व्यक्ति हैं जिसने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इसके पहले पर्वतारोहण के सिलसिले में वो चित्राल और नेपाल में रहे थे। नोरगे को नोरके भी कहा जाता है। इनका मूल नाम नांगयाल वंगड़ी है, जिसका अभिप्राय होता है धर्म का समृद्ध भाग्यवान अनुयायी। .

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दिलीप कुमार

दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है। .

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दो बीघा ज़मीन (1953 फ़िल्म)

दो बीघा ज़मीन 1953 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नयी कविता

नयी कविता भारतीय स्वतंत्रता के बाद लिखी गईं उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह भी कहा जा सकता है कि प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई, वह नई कविता है। नयी कविता नाम आज़ादी के बाद लिखी गई उन कविताओं के लिए रूढ हो गया, जो अपनी वस्तु-छवि और रूप-छवि दोनों में प्रगतिवाद और प्रयोगवाद का विकास होकर भी विशिष्ट है। नयी कविता-आंदोलन का आरंभ इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था परिमल के कवि लेखकों- जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेवनरायण साही के संपादन में १९५४ में प्रकाशित "नयी कविता" पत्रिका से माना जाता है। इससे पहले अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित काव्य-संग्रह 'दूसरा सप्तक' की भूमिका तथा उसमें शामिल कुछ कवियों के वक्तव्यों में अपनी कवितओं के लिये 'नयी कविता' शब्द को स्वीकार किया गया था। .

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नास्तिक (1954 फ़िल्म)

नास्तिक 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नाज़ (1954 फ़िल्म)

नाज़ 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नागिन (1954 फ़िल्म)

नागिन 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। सुनील एक दिन शिकार करते समय अनजाने मे एक साँप को मार देता है। नागिन आती है और सुनील को डँसना चाहती है। वह बच निकलता है। देखिए, नागिन उससे किस तरह बदला लेती है .

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नौकरी (1954 फ़िल्म)

नौकरी 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसका निर्देशन बिमल रॉय द्वारा किया गया है। इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं किशोर कुमार और शीला रमानी। यह फ़िल्म संवेदनशीलता से आज़ादी के बाद के वर्षों में भारत के शिक्षित युवाओं के सपनों और आकांक्षाओं को शहरी जंगलों में नौकरी की तलाश में टूटते-बिखरते दर्शाती है। बिमल रॉय ने अपनी अन्य फ़िल्मों की भाँति इस फ़िल्म में भी एक और सामाजिक समस्या को अपने अनुपम ढंग से चित्रित किया है। इस फ़िल्म से किशोर कुमार को अभिनेता के रूप में भी पहचान मिली। .

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पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा

कोई विवरण नहीं।

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पद्म भूषण

पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्मश्री का नाम लिया जा सकता है। पद्म भूषण रिबन .

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परमाणु परीक्षण

२७ मार्च, १९५४ को अमरीका द्वारा किये गये कैसल रोमियो नाभिकीय परीक्षण का चित्र "बेकर शॉट", संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया ऑपरेशन क्रॉसरोड्स अभियान का एक भाग, १९४६ नाभिकीय अस्त्र परीक्षण (अंग्रेज़ी:Nuclear weapons tests) या परमाण परीक्षण उन प्रयोगों को कहते हैं जो डिजाइन एवं निर्मित किये गये नाभिकीय अस्त्रों के प्रभाविकता, उत्पादकता एवं विस्फोटक क्षमता की जाँच करने के लिये किये जाते हैं। परमाणु परीक्षणों से कई जानकारियाँ प्राप्त होतीं हैं; जैसे - ये नाभिकीय हथियार कैसा काम करते हैं; विभिन्न स्थितियों में ये किस प्रकार का परिणाम देते हैं; भवन एवं अन्य संरचनायें इन हथियारों के प्रयोग के बाद कैसा बर्ताव करतीं हं। सन् १९४५ के बाद बहुत से देशों ने परमाणु परीक्षण किये। इसके अलावा परमाणु परीक्षणों से वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सैनिक शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश भी की जाती है। .

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पांड्याल सत्यनारायण राव

पांड्याल सत्यनारायण राव को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये आंध्र प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज

पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज आदर्शतमसो मा ज्योतिर्गमय (संस्कृत)अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो (हिन्दी)Lead Us From Darkness to Light (अंग्रेजी) स्थापन१९२१-१९४७ लाहौर१९४७-१९५४ रुड़की१९५४-वर्तमान चंडीगढ प्रकारसार्वजनिक संचालकडॉक्टर विजय गुप्ता स्थानचंडीगढ, भारत परिसर१४६ एकड़ (०.६ km²), शहरी पूर्वस्नातक१५०० वेबसाइट पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, या पेक चंडीगढ स्थित एक प्रमुख अभियांत्रिकी एवं तकनिकी महाविद्यालय हैं। यह १९२१ से १९४७ तक लाहौर में स्थपित था। भारत के विभाजन के बाद १९४७ से १९५४ तक रुड़की में स्थापना कि गई। १९५४ से वर्तमान तक कॉलेज चंडीगढ में स्थित हैं। २००४ तक पंजाब विश्वविद्यालय से सम्बद्ध के बाद कॉलेज स्नातक एवं अन्य उच्च उपाधियाँ प्रदान कर सकता है। .

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पुष्पकमल दाहाल

पुष्पकमल दाहाल (जन्म:११ दिसम्बर १९५४), जिन्हें नेपाली राजनीति में प्रचंड नाम से संबोधित किया जाता है, व नेपाल के प्रधानमंत्री हैं। 3 अगस्त 2016 को वे दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए। वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) तथा इसी पार्टी के सशस्त्र अंग जनमुक्ति सेना के भी शीर्ष नेता हैं। उन्हें नेपाल की राजनीति में १३ फ़रवरी १९९६ से नेपाली जनयुद्ध शुरु करने के लिए जाना जाता है जिसमें लगभग १३,००० नेपाली नागरिकों की हत्या होने का अनुमान लगाया जाता है। प्रचंड द्वारा मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं माओवाद के मिले जुले स्वरूप को नेपाल की परिस्थितियों मे व्याख्यित करने को नेपाल में प्रचंडवाद के नाम से पुकारा जाने लगा है। .

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प्रभु लाल भटनागर

प्रभुलाल भटनागर, (8 अगस्त, 1912 - 5 अक्टूबर, 1976) विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।। इंडियन मैथ सोसायटी। ऑब्सोल्यूट एस्ट्रॉनोमी .

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प्रिया तेंडुलकर

भारत की पहली टीवी स्टार प्रिया तेंडुलकर ने अनेक फिल्मों व टीवी धारावाहिकों में भूमिका निभाई पर संभवतः वे संपूर्ण जीवन अपने सबसे पहले टीवी अवतार "रजनी" के नाम से ही बेहतर पहचानी जाती रहीं। 1985 में निर्मित व बासू चटर्जी द्वारा निर्देशित इस धारावाहिक में उन्होंने भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बेखौफ आवाज़ उठाने वाली एक साधारण गृहणी का किरदार निभाया था। वह लेखिका भी थी। प्रिया प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंडुलकर की सुपुत्री थीं। उनका जन्म 19 अक्टुबर, 1954 को हुआ, उनकी दो बहनें और एक भाई था। प्रिया का विवाह अभिनेता व लेखक करण राजदान से 1988 में हुआ। पर यह विवाह सात साल ही चल सका और इसके बाद उनका संबंध विच्छेद हो गया। करण व प्रिया ने "रजनी" और "किस्से मियाँ बीवी के" धारावाहिकों में पती पत्नी के वास्तविक जीवन के किरदार भी निभाये। 1974 में श्याम बेनेगल की फिल्म अंकुर में निभाई भूमिका के कारण प्रिया के अभिनेता अनंत नाग से भी संबंध जोड़े जाते रहे। प्रिया का प्रारंभ से ही अभिनय की और झुकाव था। 1939 में जब वे स्कूल में थीं, उन्होंने सत्यदेव दुबे के निर्देशन तले गिरीश कर्नाड के लिखे पौराणिक नाटक "हयवदन" में गुड़िया की भूमिका निभाई। इस नाटक में निर्देशिका कल्पना लाज़मी उनकी सह कलाकार थीं। इसके बाद पिग्मेलियन, अंजी, कमला, कन्यादान, सखाराम बाइंडर, ती फूलराणी, एक हठी मुलगी जैसे अनेकों मराठी नाटकों में उन्होंने भूमिकायें कीं। प्रिया ने टीवी पर जहाँ गुलज़ार निर्देशित स्वयंसिद्ध जैसे नारीवादी धारावाहिक में काम किया वहीं "हम पाँच" जैसे हास्य धारावाहिक में फोटो फ्रेम से बोलती मृत बीवी की भूमिका भी अदा की और "द प्रिया तेंडुलकर शो" और "ज़िम्मेदार कौन" जैसे सफल टॉक शो भी किये जिसमें वे काफी आक्रामक तेवर के लिये जानी जाती थीं। अंकुर, मोहरा और त्रिमूर्ती जैसी कुछ हिन्दी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया पर कोई उल्लेखनीय भूमिकायें नहीं। शायद "रजनी" के किरदार और अपने पिता का ही प्रभाव था कि प्रिया सामाजिक मुद्दों के प्रति सदा जागरूक रहीं। उनका व्यक्तित्व खुला और साहसी था। "द प्रिया तेंडुलकर शो" की बुलंदी पर शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों ने उन्हें अपने दल में शामिल करने का प्रयास किया पर वे मन नहीं बना पाईं। वे स्वयं लघु कथायें लिखती रहती थीं। ज्याचा त्याचा प्रश्न, जन्मलेला प्रत्येकला, असंही व पंचतारांकित उनकी कुछ कृतियाँ हैं, जिनमें से कुछ पुरस्कृत भी हुईं। 19 सितंबर, 2002 में 47 वर्ष की अल्पायु में उनका हृदयाघात से देहांत हो गया। वे कुछ समय कैंसर से भी लड़ती रहीं। उनकी असमय मृत्यु पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, "रजनी के रूप में उनकी जिहादी भूमिका ने अनेक सामाजिक मुद्दों को मुखरित किया"। .

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पूजा (1954 फ़िल्म)

पूजा 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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पेनिसिलियम

पेनिसिलयम एक साधारण फफूँद है। यह एक प्रकार का कवक श्रेणी का मृतजीवी वनस्पति है। इसे नीली यी हरी फफूँद भी कहा जाता है। यह सड़ी-गली सब्जियों, कटे हुए फलों, रोटी, सड़े हुए मांस, चमड़े आदि पर उगता है। विशेष कर यह नींबू के ऊपर बहुत ही सहज रूप से उगता है। पेनिसिलियम पौधे का शरीर पतले सूते जैसी रचनाओं से बना होता है। इन रचनाओं को हाइफी कहते हैं। इसके सारे शरीर को माइसेलियम कहते हैं। इसका कवक जाल अनेक शाखाओं में बँटा रहता है। इसमें विखंडन द्वारा वर्धी प्रजनन होता है। पेनिसियम में स्पोर नाम कोनिडिया की शृंखला पाई जाती है जिसके द्वारा यह अलैंगिक प्रजनन करता है। पेनिसिलियम के पौधे से पेनिसिलीन नामक उपक्षार प्राप्त होता है। यह एक चमत्कारी औषधि है। इसका व्यवहार तपेदिक तथा अन्य विभिन्न रोगों में किया जाता है। पेनिसिलीन का आविष्कार ब्रिटेन के वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने १९२९ में किया था। इस खोज के लिए १९५४ में उन्हें चिकित्सा शास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पेनिसिलीन पहला आधुनिक प्रतिजैविक था। पेनिसिलियम की कई जातियाँ पनीर-व्यवसाय में पनीर तैयार करने में व्यवहृत होती हैं। कार्बनिक अम्ल के संश्लेषण में भी इसका उपयोग होता है। एल्कोहल बनाने में भी इसका इस्तेमाल किये जाते हैं। रंग तैयार करने में भी इसका उपयोग होता है। .

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पॉल न्युमैन

पॉल लियोनार्ड न्युमैन (26 जनवरी 1925 - 26 सितंबर 2008) एक अमेरिकी अभिनेता, फिल्म निर्देशक, उद्यमी, मानवतावादी और ऑटो रेसिंग के शौक़ीन व्यक्ति थे। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 1986 की मार्टिन स्कौर्सेसे की फिल्म द कलर ऑफ मनी में उनके अभिनय के लिए दिया गया सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकादमी पुरस्कार और आठ अन्य नामांकन, तीन गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, एक बाफ्टा (BAFTA) पुरस्कार, एक स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड पुरस्कार, एक कान फिल्म समारोह पुरस्कार, एक एमी पुरस्कार और कई मानद पुरस्कार शामिल थे। उन्होंने स्पोर्ट्स कार क्लब ऑफ अमेरिका की रोड रेसिंग में एक ड्राइवर के रूप में कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीते और उनकी रेसिंग टीमों ने ओपन व्हील इंडीकार रेसिंग में कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। न्युमैन अपनी खुद की एक फ़ूड कंपनी के सह-संस्थापक भी थे, जहां से उन्होंने अपने समस्त कर पश्चात लाभ एवं रॉयल्टी चैरिटी को दान कर दिया। Newman's Own.com.

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। .

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फ़्राँस्वा फ़ियॉ

फ़्राँस्वा फ़ियॉ (फ़्रांसिसी: François Fillon फ़्हाँस्वा फ़ियॉँ, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि:; ले माँ, सार्थ में 4 मार्च 1954 में जन्म) फ़्राँस के पूर्व प्रधानमन्त्री है, जो निकोला सार्कोज़ी से निर्वाचित होगा 17 मई 2007 पर। श्रेणी:फ़्राँस के प्रधानमन्त्री.

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फ़ॉर्मूला वन

The formula was defined in 1946; the first Formula One race was in 1947; the first World Championship season was 1950.

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फिलिप वी कार्डन

फिलिप वी कार्डन फूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गनाइज़ेशन के तीसरे महानिदेशक थे। इनका कार्यकाल जनवरी १९५४ से अप्रैल १९५६ तक था। ये स.राज्य से थे। श्रेणी:एफ ए ओ.

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बहुत दिन हुए (1954 फ़िल्म)

बहुत दिन हुए 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बादबाँ (1954 फ़िल्म)

बादबाँ 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बाप बेटी (1954 फ़िल्म)

बाप बेटी 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बाराती (1954 फ़िल्म)

बाराती 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बिमल राय

बिमल राय (बांग्ला: বিমল রায়) (जन्म: 12 जुलाई, 1909 निधन: 7 जनवरी, 1966) हिन्दी फ़िल्मों का एक प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक थे। .

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बिराज बहू (1954 फ़िल्म)

बिरज बहू 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बिर्ख खड़का डुबर्सेली

बिर्ख खड़का डुबर्सेली का जन्म 1 अक्तूवर 1954 को कटलगुड़ी, जलपाईगुड़ी (डुवर्स) पश्चिम बंगाल में हुआ था। ये हिन्दी और नेपाली के समानान्तर लेखक व अनुवादक हैं। .

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ब्रायन टीचर

ब्रायन टीचर (जन्म: 23 दिसम्बर, 1954) अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी एवं भूतपूर्व ऑस्ट्रेलियाई ओपन पुरुष एकल विजेता हैं। .

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बूट पॉलिश (1954 फ़िल्म)

बूट पॉलिश 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बीसवीं शताब्दी

ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.

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भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन

भार एवं मापन पर सामान्य सम्मेलन हिन्दी नाम है एक सम्मेलन का.

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भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

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भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन एक सैन्य एवं नागरिक उपकरण एवं संयंत्र निर्माणी है। भारत सरकार द्वारा सन १९५४ में सैन्य क्षेत्र की विशेष चुनौतीपूर्ण आवश्यकताऐं पूरी करने हेतु रक्षा मन्त्रालय के अधीन इसकी स्थापना की गई थी। इलेक्ट्रानिक उपकरण व प्रणालियों का विकास तथा उत्पादन देश में ही करने के उद्देश्य से इसका पहला कारखाना बंगलुरू में लगाया गया था, किन्तु आज यह अपनी नौ उत्पादन इकाईयों, कई क्षेत्रीय कार्यालय तथा अनुसन्धान व विकास प्रयोगशालाओं से युक्त सार्वजनिक क्षेत्र का एक विशाल उपक्रम है, जिसे अपने व्यावसायिक प्रदर्शन के फलस्वरूप भारत सरकार से नवरत्न उद्योग का स्तर प्राप्त हुआ है। .

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भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची

भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची में भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी स्थापना तिथि के साथ दिए गए हैं। .

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भारत के अभयारण्य

भारत में 500 से अधिक प्राणी अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य (IUCN श्रेणी IV सुरक्षित क्षेत्र) कहा जाता है। इनमें से 28 बाघ अभयारण्य बाघ परियोजना द्वारा संचालित हैं, जो बाघ-संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ वन्य अभयारण्यों को पक्षी-अभयारण्य कहा जाता रहा है, (जैसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) जब तक कि उन्हें राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज़ा नहीं मिल गया। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य संरक्षण हेतु राष्ट्रीय महत्व रखते हैं, अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के कारण। अतः उन्हें राष्ट्रीय वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है, जैसे.

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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भारतीय इस्पात प्राधिकरण

भारतीय इस्पात प्राधिकरण (अंग्रेज़ी:स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल)) भारत की सर्वाधिक इस्पात उत्पादन करने वाली कम्पनी है। यह पूर्णतः एकीकृत लोहे और इस्पात का सामान तैयार करती है। कम्पनी में घरेलू निर्माण, इंजीनियरी, बिजली, रेलवे, मोटरगाड़ी और सुरक्षा उद्योगों तथा निर्यात बाजार में बिक्री के लिए मूल तथा विशेष, दोनों तरह के इस्पात तैयार किए जाते हैं। यह भारत सरकार की पूर्ण-स्वामित्व प्राधिकरण है। यह व्यापार के हिसाब से देश में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी १० कम्पनियों में से एक है। सेल अनेक प्रकार के इस्पात के सामान का उत्पादन और उनकी बिक्री करती है। इनमें हॉट तथा कोल्ड रोल्ड शीटें और कॉयल, जस्ता चढ़ी शीट, वैद्युत शीट, संरचनाएँ, रेलवे उत्पाद, प्लेट बार और रॉड, स्टेनलेस स्टील तथा अन्य मिश्र धातु इस्पात शामिल हैं। सेल अपने पांच एकीकृत इस्पात कारखानों और तीन विशेष इस्पात कारखानों में लोहे और इस्पात का उत्पादन करती है। ये कारखाने देश के पूर्वी और केन्द्रीय क्षेत्र में स्थित हैं तथा इनके पास ही कच्चे माल के घरेलू स्रोत उपलब्ध हैं। इन स्रोतों में कंपनी की लौह अयस्क, चूना-पत्थर और डोलोमाइट खानें शामिल हैं। कंपनी को भारत का दूसरा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक होने का श्रेय भी प्राप्त है। इसके पास देश में दूसरा सबसे बड़ा खानों का जाल है। कम्पनी के पास अपने लौह अयस्क, चूना-पत्थर और डोलोमाइट खानें हैं जो इस्पात निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल हैं। इससे कम्पनी को प्रतियोगिता में लाभ मिल रहा है। सेल का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार डिवीजन आईएसओ ९००१: २००० से प्रमाणित है। इसका कार्यालय नई दिल्ली में है और यह सेल के पांच एकीकृत इस्पात कारखानों से मृदुल इस्पात उत्पादों तथा कच्चे लोहे का निर्यात करता है। .

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भुवन चन्द्र खण्डूरी

भुवन चन्द्र खण्डूरी जिन्हें मेजर जनरल (से.नि.) बी.

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मन की बात

मन की बात बाबू गुलाबराय की एक कृति है जो १९५४ में प्रकाशित हुई। .

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मर्गेरित युर्स्नर्

मर्गेरित युर्स्नर् (फ़्रांसीसी भाषा,Marguerite Cleenewerck de Crayencour, Marguerite Yourcenar, बेल्जियम, ८ जून १९०३-संयुक्त राज्य अमेरिका, १७ दिसंबर १९८७) बेल्जियम के लेखक.

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महादेव अइयर गणपति

महादेव अइयर गणपति को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये उड़ीसा राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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महाराष्ट्र के राज्यपालों की सूची

यह सूची भारत के भूतपूर्व बॉम्बे राज्य और वर्तमान महाराष्ट्र राज्य के राज्यपालों की है। राज्यपाल का आधिकारिक आवास राजभवन है जो राजधानी मुम्बई में स्थित है। .

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महाराज कुमार पाल्देन टी नाम्ग्याल

महाराज कुमार पाल्देन टी नाम्ग्याल को सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये पंजाब राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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मिर्ज़ा गालिब (1954 फ़िल्म)

मिर्ज़ा गालिब 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। हिन्दुस्तान के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी पर बनी यह फ़िल्म काफ़ी सराही गयी। .

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मिलान मार्टिक

मिलान मार्टिक (जन्म 18 नवंबर,1954) एक क्रोएशिया के सर्वियाई नेता हैं। इनको १२ जून २००७ को युद्ध अपराधों के लिये दोषी करार दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अदालत ने उनको पैंतीस साल की क़ैद की सज़ा सुनाई है। श्रेणी:क्रोएशिया के राजनीतिज्ञ.

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुंबई की जलवायु

मुंबई में औसत तापमान एवं वर्षण (प्रैसिपिटेशन) की सारणी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अरब सागर के निकट स्थित मुंबई की जलवायु में दो मुख्य ऋतुएं हैं: शुष्क एवं आर्द्र ऋतु। आर्द्र ऋतु मार्च एवं अक्टूबर के बीच आती है। इसका मुख्य लक्षण है उच्च आर्द्रता व तापमन लगभग से भी अधिक। जून से सितंबर के बीच मानसून वर्षाएं नगर भिगोतीं हैं, जिससे मुंबई का वार्षिक वर्षा स्तर तक पहुँचता है। अधिकतम अंकित वार्षिक वर्षा १९५४ में थी। मुंबई में दर्ज एक दिन में सर्वोच्च वर्षा २६ जुलाई,२००५ को हुई थी। नवंबर से फरवरी तक शुष्क मौसम रहता है, जिसमें मध्यम आर्द्रता स्तर बना रहता है, व हल्का गर्म से हल्का ठंडा मौसम रहता है। जनवरी से फरवरी तक हल्की ठंड पड़ती है, जो यहाँ आने वाली ठंडी उत्तरी हवाओं के कारण होती है। मुंबई का वार्षिक तापमान उच्चतम से न्यूनतम तक रहता है। अब तक का रिकॉर्ड सर्वोच्च तापमान तथा २२ जनवरी,१९६२ को नयूनतम रहा।। हालाँकि यहाँ के मौसम विभाग के दो में से एक स्टेशन द्वारा अंकित न्यूनतम तापमान कन्हेरी गुफाओं के निकट नगर की सीमाओं के भीतर स्थित स्टेशन द्वारा न्यूनतम तापमान ८ फरवरी,२००८ को अंकित किया गया। .

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मौलाना हुसैन अहमद मदनी

मौलाना हुसैन अहमद मदनी को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये पंजाब राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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मैथिलीशरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती ३ अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो 'पंचवटी' से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। .

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मीना कुमारी

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँझे हुए कलाकार थे और उन्होंने "ईद का चाँद" फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी। मीना कुमारी की बड़ी बहन खुर्शीद बानो भी फिल्म अभिनेत्री थीं जो आज़ादी के बाद पाकिस्तान चलीं गईं।कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाॅक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे।हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े।पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं।अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे।यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई,आँखों से आँसु बह निकले।झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया।अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए।समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा। महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म फ़रज़न्द-ए-वतन में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 14 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण उनकी माँ की मृत्यु हो गई। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं जिनमें हनुमान पाताल विजय, वीर घटोत्कच व श्री गणेश महिमा प्रमुख हैं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी के फिल्मी सफ़र को नई उड़ान दी। मीना कुमारी द्वारा चित्रित गौरी के किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्धि दिलाई। फिल्म 100 हफ्तों तक परदे पर रही और 1954 में उन्हें इसके लिए पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 तक मीना कुमारी की तीन फिल्में आ चुकी थीं जिनमें: दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूँकि इस फिल्म में भारतीय नारी की आम जिंदगी की कठिनाइयों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू छाया रहा और लगातार दूसरी बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्ष 1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस ज़माने के जाने-माने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई जो फिल्म महल की सफलता के बाद निर्माता के तौर पर अपनी अगली फिल्म अनारकली के लिए नायिका की तलाश कर रहे थे।मीना का अभिनय देख वे उन्हें मुख्य नायिका के किरदार में लेने के लिए राज़ी हो गए।दुर्भाग्यवश 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबलेश्वरम के पास एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गईं जिससे उनके बाहिने हाथ की छोटी अंगुली सदा के लिए मुड़ गई। मीना अगले दो माह तक बम्बई के ससून अस्पताल में भर्ती रहीं और दुर्घटना के दूसरे ही दिन कमाल अमरोही उनका हालचाल पूछने पहुँचे। मीना इस दुर्घटना से बेहद दुखी थीं क्योंकि अब वो अनारकली में काम नहीं कर सकती थीं। इस दुविधा का हल कमाल अमरोही ने निकाला, मीना के पूछने पर कमाल ने उनके हाथ पर अनारकली के आगे 'मेरी' लिख डाला।इस तरह कमाल मीना से मिलते रहे और दोनों में प्रेम संबंध स्थापित हो गया। 14 फरवरी 1952 को हमेशा की तरह मीना कुमारी के पिता अली बख़्श उन्हें व उनकी छोटी बहन मधु को रात्रि 8 बजे पास के एक भौतिक चिकित्सकालय (फिज़्योथेरेपी क्लीनिक) छोड़ गए। पिताजी अक्सर रात्रि 10 बजे दोनों बहनों को लेने आया करते थे।उस दिन उनके जाते ही कमाल अमरोही अपने मित्र बाक़र अली, क़ाज़ी और उसके दो बेटों के साथ चिकित्सालय में दाखिल हो गए और 19 वर्षीय मीना कुमारी ने पहले से दो बार शादीशुदा 34 वर्षीय कमाल अमरोही से अपनी बहन मधु, बाक़र अली, क़ाज़ी और गवाह के तौर पर उसके दो बेटों की उपस्थिति में निक़ाह कर लिया। 10 बजते ही कमाल के जाने के बाद, इस निक़ाह से अपरिचित पिताजी मीना को घर ले आए।इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात-रात भर बातें करने लगे जिसे एक दिन एक नौकर ने सुन लिया।बस फिर क्या था, मीना कुमारी पर पिता ने कमाल से तलाक लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। मीना ने फैसला कर लिया की तबतक कमाल के साथ नहीं रहेंगी जबतक पिता को दो लाख रुपये न दे दें।पिता अली बक़्श ने फिल्मकार महबूब खान को उनकी फिल्म अमर के लिए मीना की डेट्स दे दीं परंतु मीना अमर की जगह पति कमाल अमरोही की फिल्म दायरा में काम करना चाहतीं थीं।इसपर पिता ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे पति की फिल्म में काम करने जाएँगी तो उनके घर के दरवाज़े मीना के लिए सदा के लिए बंद हो जाएँगे। 5 दिन अमर की शूटिंग के बाद मीना ने फिल्म छोड़ दी और दायरा की शूटिंग करने चलीं गईं।उस रात पिता ने मीना को घर में नहीं आने दिया और मजबूरी में मीना पति के घर रवाना हो गईं। अगले दिन के अखबारों में इस डेढ़ वर्ष से छुपी शादी की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। .

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यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन

सर्न (Organisation Européenne pour la Recherche Nucléaire या CERN (फ़्रान्सीसी में) .

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रमेशराज तेवरीकार

रमेशराज तेवरीकार (जन्म १५ मार्च सन् १९५४) हिंदी के विद्वान,कवि एवं लेखक हैं । व्यंग्य और रस के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध हैं| आप हिन्दी-काव्य की नूतन विधा 'तेवरी' और रस-परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से एक हैं .

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राधा कृष्ण गुप्ता

राधा कृष्ण गुप्ता को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये दिल्ली राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय की दिल्ली में इंडिया गेट के निकट स्थित इमारत। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, या नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थित है। इसकी आवश्यकता सन 1949 में कोलकाता के कला-सम्मेलन में महसूस की गई, जिसके परिणामस्वरूप 29 मार्च,1954 में इसकी स्थापना जयपुर हाउस में, की गई। यह कला दीर्घा भारत में अपने आप में ऐसा अद्भुत संग्रहालय है, जिसमें सोलह हज़ार से भि अधिक कलाकृतियों का संग्रह है, तथा इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। यह संग्रहालय संस्कृति मंत्रालय द्वारा अधीनस्थ संस्था रूप में प्रशासित एवं संचालित है। इस संग्रहालय की दो और शाखाएं हैं: -एक मुंबई में व –एक बंगलौर में। देश का यह संग्रहालय पिछले 150 वर्षों की सांस्कृतिक व समकालीन ललितकला का भंडार समेटे हुए है। इसमें सन 1857 से आरंभ करते हुए दृश्य एवं शिल्पकला को समय के साथ बदलते हुए स्वरूपों में दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। .

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रजनी पनिक्कर

रजनी पनिक्कर (११ सितंबर १९२४- १८ नवम्बर १९७४) का जन्म लाहौर में हुआ था। वहीं से उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी में एम० ए० किया। बचपन से ही उनकी रूचि लेखने में थी। उन्होंने बंबई में प्रकाशित होने वाली कहानी की एक पत्रिका का संपादन किया। भारत विभाजन के बाद वे पंजाब सरकार के सूचना विभाग के पाक्षिक हिंदी पत्र 'प्रदीप' की संपादिका बनीं और आकाशवाणी के लखनऊ, कलकत्ता, दिल्ली, जयपुर आदि विभिन्न केंद्रों पर अनेक वर्ष तक अधिकारी के रूप में रहीं। उन्होंने दिल्ली स्थित महत्त्वपूर्ण सस्था लेखिका संघ की स्थापना की तथा उसकी प्रथम अध्यक्षा भी रहीं। विवाह पूर्व उनका नाम रजनी नैयर था। फौजी अफसर ट्रावनकोर के श्रीधर पनिक्कर से विवाह हो जाने के बाद वे नैयर से रजनी पनिक्कर बन गईं। वे अपने निर्भीक और ओजपूर्ण लेखन के कारण जानी जाती हैं। उन्होंने उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यासों की रचना की है, जो हिंदी संसार में बहुचर्चित रहे। (१९४९) में 'ठोकर' नाम से अपना पहला उपन्यास रजनी नैयर नाम से ही लिखा था। इसमें शिक्षित मध्यमवर्गीय परिवार की स्वछंदता का सफल चित्रण देखा जा सकता है। उनके उपन्यास 'पानी की दीवार' (१९५४) की कथा प्रेम के स्वस्थ और शालीन दृष्टिकोण को उभारती है। यह उपन्यास मनोवैज्ञानिक पर आधारित है। 'मोम के मोती' (१९५४) में रजनी पनिक्कर ने पुरूषों की उद्दंड कामुकता और इससे उत्पन्न सामाजिक वातावरण में नौकरीपेशा नारी की समस्याओं को उजागर किया है। 'प्यासे बादल' (१९५५) में उन्होंने सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का महत्व प्रदर्शित किया है और बताया है कि इससे समाज का कोढ़ समझा जानेवाला आदमी भी सुधर सकता है। 'जाड़े की धूप' (१९५८) नौकरीपेशा नारी और उसके बदलते प्रेम संबंधों की कहानी है जिसमें दांपत्य से विचलन और निस्सरता की बात की गई है। 'काली लड़की' (१९५८) साँवली सूरत वाली लड़की की सामाजिक कठिनाइयों की कहानी है। 'महानगर की मीता' (१९५६) में मीता अपनी शर्त पर जीवन जीने की चाह रखती है और जीकर दिखाती है। इसके अतिरिक्त रजनी पनिक्कर के 'एक लड़कीः दो रूप', 'दूरियाँ', 'अपने-अपने दायरे', 'सिगरेट के टुकड़े' (१९५६), 'सोनाली दी', 'प्रेम चुनरिया बहुरंगी' आदि उपन्यास भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी कई रचनाएं उत्तरप्रदेश सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूनेस्को द्वारा पुरस्कृत हुई हैं। पचास वर्ष की छोटी सी जीवन अवधि में ही उन्होंने हिंदी कथा लेखन में अपने अनुभवों को जो विस्तार दिया वह हिन्दी साहित्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। श्रेणी:हिन्दी उपन्यासकार श्रेणी:हिन्दी कथाकार श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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रवि शंकर प्रसाद

रवि शंकर प्रसाद (जन्म: ३० अगस्त, १९५४) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वर्तमान में वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन में बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में भारत के कोयला एवं खान मंत्रालय, न्याय एवं विधि मन्त्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में राज्य मन्त्री रह चुके हैं। प्रसाद भारत के मुख्य राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं। .

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रेखा

भानुरेखा गणेशन उर्फ़ रेखा (जन्म: 10 अक्टूबर, 1954) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। प्रतिभाशाली रेखा को हिन्दी फ़िल्मों की सबसे अच्छी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। वैसे तो रेखा ने अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत बतौर एक बाल कलाकार तेलुगु फ़िल्म रंगुला रत्नम से कर दी थी, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उनकी प्रविष्टि १९७० की फ़िल्म सावन भादों से हुई। 2010 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। .

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लक्ष्मीकांत बेर्डे

लक्ष्मीकांत बेर्डे (जन्म: 3 नवंबर, 1954 निधन: 16 दिसंबर, 2004) हिन्दी एवं मराठी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता हैं। .

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लकीरें (1954 फ़िल्म)

लकीरें 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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लॉस एंजेल्स लेकर्स

श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पैसिफिक डिवीज़न श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पश्चिमी कांफ्रेंस श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन.

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लीला नायडू

लीला नायडू (१९४०-२८ जुलाई, २००९) हिन्दी चलचित्र की पुरानी अभिनेत्री रही हैं। ये १९५४ में मिस इंडिया भी रही हैं। इन्हें मधुबाला एवं सुचित्रा सेन के अपवाद को छोड़कर अपने समय में किसी भी हिन्दी फिल्म अभिनेत्री से अधिक सुंदर कहा गया है। इन्हें १९५४ में ही वॉग पत्रिका द्वारा गायत्री देवी के साथ विश्व की दस सर्वश्रेष्ठ सुंदरियों में शामिल किया गया। इनके पिता प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक रमैया नायडू (आंध्र प्रदेश) से एवं माता आयरिश थीं। हिन्दी फिल्मों में लीला नायडू का सफर १९६० में ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा बनाई गई फिल्म अनुराधा से शुरू हुआ। १९६३ में आर के नैय्यर द्वारा निर्देशित फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के ने इन्हें ख्याति दिलाई, फिल्म में सुनील दत्त के साथ उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी। इसी साल मर्चेंट आइवोरी प्रोडक्शन द्वारा निर्मित फिल्म 'द हाउसहोल्डर' में अभिनय किया, जिसका निर्देशन जेम्स आइवोरी ने किया था। १९६९ में द गुरू फिल्म में काम करने के बाद फिल्मी दुनिया को अलविदा कह होटल व्यवसायी तिलक राज ओबराय (टिक्की ओबराय) से शादी कर ली। बाद में दोनों में तलाक हो गया। कुछ समय बाद इन्होंने अपने बचपन के मित्र और साहित्यकार डॉम मॉरिस से शादी कर ली एवं हांग कांग चली गईं। दस वर्ष वहाँ बिताने के बाद फिर भारत वापस आ गईं। १९८५ में श्याम बेनेगल की फिल्म त्रिकाल से इन्होंने हिंदी फिल्मी दुनिया में फिर प्रवेश किया। १९९२ में प्रदीप कृष्णन द्वारा निर्देशित फिल्म 'इलेक्ट्रिक मून' में इन्होंने आखिरी बार अभिनय किया था। लंबी बीमारी के बाद मुंबई में २८ जुलाई, २००९ को इनकी मृत्यु हो गई। .

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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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शंकर रामचन्द्र

शंकर रामचंद्र या मामाराव दांते (२८ सितंबर, १८९८-), ने पुणे से १९२० में कला स्नातक किया। १९२०-१९२३ तक लोक-संग्रह समाचार पत्र के संपादकीय विभाग में कार्यरत रहे। १९२३ के बाद इन्होंने देवनागरी लिपि के अक्षरों के मुद्रण एवं टंकण पर शोध किया और देवनागरी लिपि का मोनो-टाइप पर मुद्रण संभव हुआ। १९२४-१९३० तक पुणे हिन्दू महासभा के सचिव रहे थे। इस दौरान शुद्धि कार्यक्रम किए थे। १९२८ में दंगा प्रभावित महाद का सर्वेक्षण किया। १९३८ में इन्होंने निज़ाम के शासन में हिन्दुओं की स्थिति का सर्वेक्षण किया तथा सरकार को अवगत कराया। ये १९४०-१९४५ तक महाराष्ट्र हिन्दू महासभा के सचिव रहे थे। १९३८ में भागनगर (हैदराबाद) के अहिंसक प्रतिरोध के बाद १९३९ में इन्हें कारावास भोगना पड़ा। १९५० में ये अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के सचिव निर्वाचित हुए। बाद में १९७५ में उपाध्यक्ष भी बने। इन्होंने चित्तराव शास्त्री के ऋगवेद के मराठी अनुवाद, मेट्स बुक ऑन द प्लाइट ऑफ अनटचेबल्स, बलशास्त्री हरिदास के पुणे में दिए व्याख्यानों व सावरकर के कार्यों का प्रकाशन भी किया। ये १९४०-५५ तक काल- समाचारपत्र के संपादक भी रहे। १९६७ में इन्होंने काल-साप्ताहिक निकाला। गणपत महादेव नलदाड़े (१० फरवरी-) इनका जन्म पुणे में हुआ। आरंभ में इन्होंने अपने पिता के तंबाकू के व्यापार में सहओग किया। १९२२ में मुद्रणालय खोला। १९२५-३२ तक संग्राम-साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। १९२८-५४ तक पुणे नगर निगम के अध्यक्ष भी रहे। १९४२ में ये पुणे शहर के महापौर भी चुने गए थे। १९६४ में ये मुंबई विधान परिषद के सदस्य चुने गए। मर्चेन्ट्स कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहे थे। गांधी हत्याकाण्ड के दंगों के दौरान इनकी प्रिंटिंग प्रेस जला दी गई। १९४८ एवं १९५० में ये ४-४ महीनों के लिए जेल भी गए। १९७५ में पुणे में आयोजित हिन्दू महासभा सत्र की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी रहे थे। .

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श्री चैतन्य महाप्रभु (१९५४ फ़िल्म)

श्री चैतन्य महाप्रभु 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सत्यनारायण शास्त्री

सत्यनारायण शास्त्री (1887 -- 23 सितंबर 1969) आधुनिक आयुर्वेदजगत्‌ के प्रख्यात पंडित और चिकित्साशास्त्री थे। आयुर्वेद की धवल परंपरा को सजीव बनाए रखने के लिए आपने जीवन भर कार्य किया। उन्हें चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। .

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समाज (1954 फ़िल्म)

समाज 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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हिमालय पर्वतारोहण संस्थान

दार्जीलिंग स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान हिमालय पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना ४ नवंबर, १९५४ में भारत में पर्वतारोहण को क्रीड़ा के रूप में बढ़ावा देने हेतु की गई थी। यह तेनसिंह नोर्के और एडमंड हिलेरी क्ली १९८३ में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के उत्साह का परिणाम था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के प्रयास से इसे दार्जीलिंग क्षेत्र में लगभग २१०० मीटर (६९०० फीट) की ऊंचाई पर बनाया गया। तेनज़िंग नोर्के इसके प्रथम अध्यक्ष बने। इसके वर्तमान अध्यक्ष कर्नल जे एस ढिल्लों हैं। .

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हैदराबाद उच्च न्यायालय

हैदराबाद उच्च न्यायालय भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का न्यायालय हैं। इससे ५ जुलाई, १९५४ को राज्य अधिनियम, १९५३ के तहत मान्यता दी गई। यह राज्य की राजधानी हैदराबाद में हैं। .

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हेमन्त जोशी

हेमन्त जोशी जनसंचार और पत्रकारिता के प्रोफ़ेसर हैं। फ्रांसीसी कवियों के अनुवादक। .

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जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए १९६५ में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है। .

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जल सर्वेक्षण

निजी सर्वेक्षण पोत-नेप्च्यून जल सर्वेक्षण या हाइड्रोग्राफिक सर्वे सागर का वैज्ञानिक मानचित्र होता है, जिसमें सागर की गहराई, उसकी आकृति, उसका तल, उसमें किस दिशा से और कितनी धाराएं बहती हैं, का ज्ञान होता है। इसके साथ ही उसमें आने वाले ज्वारों का समय और परिमाण भी पता लगाया जाता है। झीलों और नदियों का जल सर्वेक्षण केवल उस स्थिति में किया जाता है जब उनमें जहाज चलते हों। इससे अभियांत्रिकी और नौवहन के काम में सहायता मिलती है। जल सर्वेक्षण में पानी की वर्तमान मात्र और रिजर्वायर के के बारे में जानकारी मिलती है। जल सर्वेक्षण सागर की तह में होने वाले दैनिक परिवर्तनों के और इसके अंदर के रहस्यों के ज्ञान हेतु किया जाता है। इस सर्वेक्षण की सहायता से समुद्र में मौजूद खनिजों, धातुओं, गैस आदि के भंडार पता लगाने में मदद मिलती है। साथ-साथ ही समुद्र के भीतर केबल, पाइपलाइन बिछाने, ड्रेजिंग जैसे कार्यो के लिए उसमें लगातार होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी करना बेहद आवश्यक हो जाता है। भारत में पहली बार नौसैनिक जल सर्वेक्षण विभाग, जो मैरीन सर्वे ऑफ इंडिया के नियंत्रण में था, की स्थापना १७७० में ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। १८७४ में कैप्टन डुंडस टेलर ने मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया को कोलकाता में स्थापित किया। १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरान्त इस विभाग को मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया के अन्तर्गत्त कर दिया गया। इसके बाद इसे १९५४ में देहरादून में स्थापित किया गया और इसका नाम नौसैनिक जल सर्वेक्षण कार्यालय (नेवल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस) कर दिया गया। इसके बाद में १९९६ में इसका नाम नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस कर दिया गया। नेशनल हाइड्रोग्राफिक सर्वे मार्च १९९९ में आईएसओ ९००२ का स्तर प्रदान किया गया। .

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जागृति (1954 फ़िल्म)

जागृति 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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जॉन माइकल टॉल्बोट

अमेरिका के सुप्रसिद्ध गायक माइकल जी। (अंग्रेज़ी: John Michael Talbot), 8 मई 1954 ओक्लाहोमा, एक प्रसिद्ध अमेरिकी गायक। .

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जीवन पथ

यह कृति १९५४ में प्रकाशित हुई।.

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वल्लाठोल नारायण मेनन

वल्लाठोल नारायण मेनन को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये केरल राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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वेलुपिल्लई प्रभाकरण

वेलुपिल्लई प्रभाकरण (२६ नवंबर, १९५४-१८ मई, २००९) लिट्टे के नेता था। १९७५ के आसपास लिट्टे के गठन के बाद से वो दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाकाओं के प्रमुख के रूप में जाना जाता था। १८ मई २००९ को श्रीलंका की सेना ने उन्हें मारने का दावा किया है। .

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वी एल मेहता

वी एल मेहता को सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये गुजरात राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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वी नरहरि राव

वी नरहरि राव को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये कर्नाटक राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची

List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .

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ओडिआ चलचित्र सूची

ओड़िआ चलचित्र की सारणी ओड़िआ भाषा .

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आन्द्रेस पस्त्राना अरांगो

आंद्रेस पास्त्राना अरान्गो (जन्म १७ अगस्त, १९५४) कोलंबिया के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९९८ से २००२ तक रहा। इनके पिता श्री मिसेल पास्त्राना भी कोलंबिया के राष्ट्रपति रहे १९७० से १९७४ तक। .

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आर आर हांडा

आर आर हांडा को प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये पंजाब राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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कन्नड साहित्य सम्मेलन

कन्नड साहित्य सम्मेलन कन्नड साहित्यकारों, लेखकों तथा कननाडिगारु लोगों का सम्मेलन है। इसका लक्षय कन्नड भाषा, कन्नड साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति का विकास करना है। इसका आरम्भ १९१५ में एच वी नान्जुनैया ने किया था। पहला सम्मेलन बंगलुरु में हुआ था। १९४८ तक इसका उद्घाटन किसी सुप्रसिद्ध कवि या लेखक द्वारा किया जाता था कि्न्तु १९४८ के बाद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं। इस सम्मेलन का आयोजन कन्नड साहित्य परिषद करती है। .

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कन्वेंशन ड्यू मेत्रे

कन्वेंशन ड्यू मेत या फ्रेंच में Convention du Mètre 20 मई, 1875 को हुई एन अन्तर्राष्ट्रीय संधि थी, जिसमें मीट्रिक मानकों पर नजर रखने हेतु तीन संगठनों की स्थापना की गयी थी। यह फ़्रेंच भाषा में लिखी गयी है और इसे अंग्रेजी भाषा में Metre Convention या मीटर सम्मेलन कहा जाता है। संयुक्त राज्य में इसे मीटर की संधि भी कहते हैं। इसे 1921 में छठी CGPM में पुनरावलोकित किया गया था। इस सम्मेलन में तीन संगठनों का प्रादुर्भाव हुआ थ। वे हैं.

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कमल हासन

कमल हासन (जन्म 7 नवम्बर 1954 को परमकुडी, मद्रास राज्य, भारत में) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता, पटकथा लेखक और फ़िल्म निर्माता, भारतीय सिनेमा के प्रमुख, किरदार को जीने वाले अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। कमल हासन, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सहित कई भारतीय फ़िल्म पुरस्कारों के विजेता के तौर पर जाने जाते हैं और उन्हें सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए अकादमी पुरस्कार प्रतियोगिता में भारत द्वारा प्रस्तुत सर्वाधिक फिल्मों वाले अभिनेता होने का गौरव प्राप्त है। अभिनय और निर्देशन के अलावा, वे एक पटकथा लेखक, गीतकार, पार्श्वगायक और कोरियोग्राफर हैं। उनकी फ़िल्म निर्माण कंपनी, राजकमल इंटरनेशनल ने उनकी कई फ़िल्मों का निर्माण किया। कमल हासन ने अपने 63वें जन्मदिन पर एक ऐप लॉन्च किया, जिसका नाम है 'मय्यम व्हिसल'.

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कल्पना लाज़मी

कल्पना लाज़मी (जन्म 1954) भारतीय फिल्म निर्देशिका, निर्माता व लेखिका हैं। वे नारीवादी विषयों पर बनाई फिल्मों के लिये जानी जाती हैं। .

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कवि (1954 फ़िल्म)

कवि 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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कंचनजंघा

कंचनजंघा (नेपाली:कंचनजंघा Kanchanjaŋghā), (लिम्बू: सेवालुंगमा) विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है। .

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कुम्भ मेला

हरिद्वार के कुंभ मेले (2010) के दौरान गंगा किनारे स्नान घाट पर श्रद्धालु २००१ के प्रयाग कुम्भ मेले का दृष्य कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। २०१३ का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन माना जाता है। .

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के एस थिमैया

कोडन्डेरा सुबैया थिमैया (संक्षेप में: के एस थिमैया, निधन: १८ दिसंबर १९६५)) 08 मई 1957 से 07 मई 1961 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। उन्हें प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये कर्नाटक राज्य से हैं। .

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के एस कृष्णन

के एस कृष्णन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये तमिलनाडु राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

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के॰ चंद्रशेखर राव

कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव, संक्षेप में केसीआर, जन्म 17 फरवरी, 1954) तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री, तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख, तथा अलग तेलंगाना राष्ट्र आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता हैं। वे तेलंगाना के मेदक जिले के गजवेल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होने ०२ जून २०१४ को तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके पूर्व वे सिद्धिपेट से विधायक तथा महबूबनगर और करीमनगर से सांसद रह चुके हैं। वे केंद्र में श्रम और नियोजन मंत्री रह चुके हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति के गठन से पहले वे तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य थे। उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण की मांग करते हुए तेलगू देशम पार्टी छोड़ी। तेलंगाना राष्ट्र समिति 2004 कांग्रेस के साथ 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ी थी और उसे पांच सीटें मिली। जून 2009 तक वे संप्रग सरकार में थे, लेकिन अलग तेलंगाना राष्ट्र पर संप्रग के नकारात्मक रवैये के कारण उन्हें संप्रग से बाहर आ गए। .

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अमरनाथ झा

अमरनाथ झा (1888 – 2 सितम्बर 1947) भारत के शिक्षाविद थे। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उपकुलपति एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभापति रहे। वे गंगानाथ झा के पुत्र थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। वे हिन्दी के प्रबल समर्थकों में से एक थे। हिन्दी को सम्माननीय स्तर तक ले जाने और उसे राजभाषा बनाने के लिए उन्होने बहुमूल्य योगदान दिया था। हिन्दी को राजभाषा बनाने के प्रश्न पर विचार करने के लिए जो आयोग बनाया था, उसके एक सदस्य डॉ.

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अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची

* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.

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अयोध्यानाथ खोसला

अयोध्यानाथ खोसला को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये दिल्ली राज्य से हैं। श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:ओड़िशा के राज्यपाल.

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अहमद अली बरक़ी आज़मी

अह्मद अली बरक़ी आज़मी: जन्म २५ दिसंबर 1954 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हुवा। इन की शायरी का सांप्रदाय दाग देहलवी से है। इन का क़लमी नाम "बरक़ी" है। .

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अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक बीसवीं शती के प्रारंभ में भारतीय प्रगतिशील लेखकों का एस समूह था। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक समानता का समर्थक करता था और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता था। इसकी स्थापना १९३५ में लंदन में हुई। इसके प्रणेता सज्जाद ज़हीर थे। १९३५ के अंत तक लंदन से अपनी शिक्षा समाप्त करके सज्जाद ज़हीर भारत लौटे। यहाँ आने से पूर्व वे अलीगढ़ में डॉ॰ अशरफ, इलाहबाद में अहमद अली, मुम्बई में कन्हैया लाल मुंशी, बनारस में प्रेमचंद, कलकत्ता में प्रो॰ हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे। उनका विचार था कि ये साम्राज्यवाद और जागीरदारी की सैद्धांतिक बुनियादें हैं। इलाहाबाद पहुंचकर सज्जाद ज़हीर अहमद अली से मिले जो विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे। अहमद अली ने उन्हें प्रो॰एजाज़ हुसैन, रघुपति सहाय फिराक, एहतिशाम हुसैन तथा विकार अजीम से मिलवाया.

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उड़ान अभिलेखक

ब्लैक बॉक्स उड़ान अभिलेखक (अंग्रेजी:फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर या फ़्लाइट रिकॉर्डर) जिसे ब्लैक बॉक्स भी कहा जाता है, वायुयान में उड़ान के दौरान विभिन्न सूचनाओं को ध्नियांकित करने वाला उपकरण है। इसमें विमान से जुड़ी कई जानकारियाँ, जैसे कि विमान की गति, ऊँचाई, इंजन तथा अन्य यंत्रों की ध्वनी, यात्रियों और पायलटों की बातचित आदि, दर्ज होती रहती है। इन सूचनाओं के विश्लेषण द्वारा विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दुर्घटना के कारणों की पहचान की जाती है। .

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१ जनवरी

१ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का पहला दिन है। वर्ष में अभी और ३६४ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३६५)। .

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१० अक्टूबर

10 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 283वॉ (लीप वर्ष मे 284 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 82 दिन बाकी है। .

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१२३ समझौता

१२३ समझौता नाम से प्रसिद्ध यह समझौता अमेरिका के परमाणु ऊर्जा अधिनियम १९५४ की धारा १२३ के तहत किया गया है। इसलिए इसे १२३ समझौता कहते हैं। सत्रह अनुच्छेदों के इस समझौते का पूरा नाम है- भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के बीच नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए सहयोग का समझौता। इसके स्वरूप पर भारत और अमेरिका के बीच १ अगस्त २००७ को सहमति हुई। अमेरिका अब तक लगभग पच्चीस देशों के साथ यह समझौता कर चुका है। इस समझौते के अभिलेख में अमेरिका ने भारत को आणविक हथियार संपन्न देश नहीं माना है, बल्कि इसमें यह कहा गया है कि आणविक अप्रसार संधि के लिए अमेरिका ने भारत को विशेष महत्व दिया है। श्रेणी:परमाणु परीक्षण.

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१३ जुलाई

१३ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९४वॉ (लीप वर्ष में १९५ वॉ) दिन है। साल में अभी और १७१ दिन बाकी है। .

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२००४

2004 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२१ सितम्बर

21 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 264वॉ (लीप वर्ष में 265 वॉ) दिन है। साल में अभी और 101 दिन बाकी है। .

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२१ अक्टूबर

२१ अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २९४वॉ (लीप वर्ष मे २९५वॉ) दिन है। साल मे अभी और ७१ दिन बाकी है। .

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२३ दिसम्बर

२३ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३५७वॉ (लीप वर्ष मे ३५८वॉ) दिन है। साल में अभी और ८ दिन बाकी है। .

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२४ अक्टूबर

24 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 297वॉ (लीप वर्ष मे 298 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 68 दिन बाकी है।.

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२५ जनवरी

25 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 25वाँ दिन है। साल में अभी और 340 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 341)। भारत सरकार द्वारा प्रत्एक वर्ष आज के दिन अपने नागरिक अलंकरणों जैसे पद्म भूषण, भारत रत्न आदि की घोषणा की जाती है। .

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२७ मार्च

27 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 86वॉ (लीप वर्ष मे 87 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 279 दिन बाकी है। .

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५०० होम रन दल

In मेजर लीग बेसबॉल, the ५०० होम रन क्लब is an informal term applied to the group of players who have hit 500 or more career home runs.

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७ नवम्बर

७ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३११वॉ (लीप वर्ष में ३१२ वॉ) दिन है। साल में अभी और ५४ दिन बाकी है। .

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८ जुलाई

८ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १८९वॉ (लीप वर्ष में १९० वॉ) दिन है। वर्ष में अभी और १७६ दिन बाकी है। .

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1954 एशियाई खेल

दूसरे एशियाई खेल (एशियाड २ के नाम से भी जाने जाते हैं) फिलिपींस की राजधानी मनिला में १ मई से ९ मई, १९५४ के बीच आयोजित किए गए थे। इन खेलों का औपचारिक उद्घाटन राष्ट्रपति रामोन मैगसेसे द्वारा १ मई १९५४ को ४:०२ अपराह्न किया गया था। उद्घाटन समारोह के अवसर पर मनिला के मलाटे स्थित रिज़ल मेमोरियल स्टेडियम में २०,००० लोग उपस्थित थे। अन्तओस के अनुरोध पर मशाल रिले और कौल्ड्रॉन प्रज्वलन को उद्घाटन समारोह से बाहर रखा गया ताकि ओलम्पिक खेलों की परम्परा को परिरक्षित रखा जा सके। मशाल विधि को १९५८ के एशियाई खेलों में पुनः लाया गया। हालाँकि मेज़बान द्वारा अन्तिम खिलाड़ी के लिए परेड में प्रवेश करने के लिए एक विशेष प्रशस्ति पत्र का समाधान दिया गया। बतौर मेज़बान, फिलिपींस स्टेडियम में प्रवेश करने वाला अन्तिम देश था। आन्द्रेस फ़्रांको, फिलिपींस के ध्वज वाहक थे। .

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1954

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