सामग्री की तालिका
176 संबंधों: चन्द्रशेखर (फ़िल्म), चन्द्रकुंवर बर्त्वाल, चित्तौड़ विजय, ट्रांजिस्टर, झारखंड आंदोलन, दिल की रानी, दिल्ली, दैनिक जागरण, देशभक्ति का गीत (राष्ट्रगान उत्तर कोरिया), नरसिंह चिंतामन केलकर, नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य, नियंत्रण रेखा, निविया स्पोर्ट्स, निकलाय रेरिख़, नीलकमल (1947 फ़िल्म), परमवीर चक्र, पराशर गौर, पश्चिम बंगाल, पाक अधिकृत कश्मीर, पाकिस्तान, पाकिस्तान रेल, पाकिस्तान के गवर्नर जनरल, पंजाब (भारत), पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, पुरुषोत्तम नागेश ओक, प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत), फन एंड फैंसी फ्री, फ़िरोज़ खान नून, फ्रेंच साहित्य, बरमूडा त्रिभुज, बांग्लादेश, बीसवीं शताब्दी, भारत, भारत का ध्वज, भारत का विभाजन, भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची, भारत के महाराज्यपाल, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची, भारत के सम्राट, भारत के उप प्रधानमंत्री, भारत की स्वतन्त्रता, भारतीय थलसेना, भारतीय संविधान सभा, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भीमराव आम्बेडकर, मराठा साम्राज्य, ... सूचकांक विस्तार (126 अधिक) »
चन्द्रशेखर (फ़िल्म)
चन्द्रशेखर 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और चन्द्रशेखर (फ़िल्म)
चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
चन्द्र कुंवर बर्त्वाल (20 अगस्त 1919 - १९४७) हिन्दी के कवि थे। उन्होंने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। समीक्षक चंद्र कुंवर बर्त्वाल को हिंदी का 'कालिदास' मानते हैं। उनकी कविताओं में प्रकृतिप्रेम झलकता है। .
देखें १९४७ और चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
चित्तौड़ विजय
चित्तौड़ विजय १९४७ में बनी हिन्दी भाषा की एक फिल्म है। .
देखें १९४७ और चित्तौड़ विजय
ट्रांजिस्टर
अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .
देखें १९४७ और ट्रांजिस्टर
झारखंड आंदोलन
झारखंड का अर्थ है "वन क्षेत्र", झारखंड वनों से आच्छादित छोटानागपुर के पठार का हिस्सा है जो गंगा के मैदानी हिस्से के दक्षिण में स्थित है। झारखंड शब्द का प्रयोग कम से कम चार सौ साल पहले सोलहवीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। अपने बृहत और मूल अर्थ में झारखंड क्षेत्र में पुराने बिहार के ज्यादतर दक्षिणी हिस्से और छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ आदिवासी जिले शामिल है। देश की लगभग नब्बे प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का यह निवास स्थल है। इस आबादी का बड़ा हिस्सा 'मुंडा', 'हो' और 'संथाल' आदि जनजातियों का है, लेकिन इनके अलावे भी बहुत सी दूसरी आदिवासी जातियां यहां मौजूद हैं जो इस झारखंड आंदोलन में काफी सक्रिय रही हैं। चूँकि झारखंड पठारी और वनों से आच्छादित क्षेत्र है इसलिये इसकी रक्षा करना तुलनात्मक रूप से आसान है। परिणामस्वरुप, पारंपरिक रूप से यह क्षेत्र सत्रहवीं शताब्दी के शुरुआत तक, जब तक मुगल शासक यहाँ नहीं पहुँचे, यह क्षेत्र स्वायत्त रहा है। मुगल प्रशासन ने धीरे धीरे इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करना शुरु किया और फलस्वरुप यहाँ की स्वायत्त भूमि व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन हुआ, सारी व्यवस्था ज़मींदारी व्यवस्था में बदल गयी जबकि इससे पहले यहाँ भूमि सार्वजनिक संपत्ति के रूप में मानी जाती थी। यह ज़मींदारी प्रवृति ब्रिटिश शासन के दौरान और भी मज़बूत हुई और जमीने धीरे धीरे कुछ लोगों के हाथ में जाने लगीं जिससे यहाँ बँधुआ मज़दूर वर्ग का उदय होने लगा। ये मजदूर हमेशा कर्ज के बोझ तले दबे होते थे और परिणामस्वरुप बेगार करते थे। जब आदिवासियों के ब्रिटिश न्याय व्यवस्था से कोई उम्मीद किरण नहीं दिखी तो आदिवासी विद्रोह पर उतर आये। अठारहवीं शताब्दी में कोल्ह, भील और संथाल समुदायों द्वारा भीषण विद्रोह किया गया। अंग्रेजों ने बाद मेंउन्निसवीं शताब्दी और बीसवीं शताब्दी में कुछ सुधारवादी कानून बनाये। 1845 में पहली बार यहाँ ईसाई मिशनरियों के आगमन से इस क्षेत्र में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन और उथल-पुथल शुरु हुआ। आदिवासी समुदाय का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा ईसाईयत की ओर आकृष्ट हुआ। क्षेत्र में ईसाई स्कूल और अस्पताल खुले। लेकिन ईसाई धर्म में बृहत धर्मांतरण के बावज़ूद आदिवासियों ने अपनी पारंपरिक धार्मिक आस्थाएँ भी कायम रखी और ये द्वंद कायम रहा। झारखंड के खनिज पदार्थों से संपन्न प्रदेश होने का खामियाजा भी इस क्षेत्र के आदिवासियों को चुकाते रहना पड़ा है। यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा खनिज क्षेत्र है जहाँ कोयला, लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और इसके अलावा बाक्साईट, ताँबा चूना-पत्थर इत्यादि जैसे खनिज भी बड़ी मात्रा में हैं। यहाँ कोयले की खुदाई पहली बार 1856 में शुरु हुआ और टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनीकी स्थापना 1907 में जमशेदपुर में की गई। इसके बावजूद कभी इस क्षेत्र की प्रगति पर ध्यान नहीं दिया गया। केंद्र में चाहे जिस पार्टी की सरकार रही हो, उसने हमेशा इस क्षेत्र के दोहन के विषय में ही सोचा था। .
देखें १९४७ और झारखंड आंदोलन
दिल की रानी
दिल की रानी 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और दिल की रानी
दिल्ली
दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .
देखें १९४७ और दिल्ली
दैनिक जागरण
दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। पिछले कई वर्षोँ से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। यह समाचारपत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचारपत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है। .
देखें १९४७ और दैनिक जागरण
देशभक्ति का गीत (राष्ट्रगान उत्तर कोरिया)
ऍगुक्का (कोरियाई: देशभक्ति का गीत) उत्तर कोरिया का राष्ट्रगान है। अपनी स्थापना से पूर्व दोनो कोरियाओं का राष्ट्रगान एक ही था, लेकिन उत्तर कोरिया ने १९४७ में वर्तमान गान को चुना। गान के बोल पाक से-यं ने लिखे और संगीतकार किम वन-ग्युन थे। उत्तर कोरिया के नागरिक इस गीत के पहले वाक्यांश "आछीमून पिन्नारा" (अर्थात - प्रातःकालीन सूर्य की किरणें) से प्रसिद्ध है। .
देखें १९४७ और देशभक्ति का गीत (राष्ट्रगान उत्तर कोरिया)
नरसिंह चिंतामन केलकर
नरसिंहन चिंतामन केलकर या तात्यासाहेब केलकर (२४ अगस्त, १८७२- १४ अक्तूबर, १९४७) एक उल्लेखानीय साहित्यकार थे जिन्हें 'साहित्य-सम्राट' की उपाधि से अलंकृत किया गया था। ये केसरी-महारत्त समाचार-पत्र के ४१ वर्षों तक संपादक रहे थे। इसके साथ ही ये केसरी न्यास के न्यासी (ट्रस्टी) भी थे। इन्होंने कला स्नातक व विधि स्नातक किया था। बाद में इन्होंने सतारा में वकालत की। इनको लोकमान्य तिल्क द्वारा १८६९ में मुंबई बुलाया गया था। १९१६ में इन्होंने तिलक क साठवें जन्मदिवस के आयोजन के लिए सक्रिय भाग लिया, व एक लाख रुपए का चंदा जमा किया। १९२० में तिलक की मृत्यु उपरांत कांग्रेस में तिलक समर्थकों के अग्रणी रहे। ये १९२४-१९२९ तक वाइसरॉय परिषद के सदस्य भी रहे थे। ये अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए (१९२८-जबलपुर सत्र एवं १९३२-दिल्ली सत्र)। .
देखें १९४७ और नरसिंह चिंतामन केलकर
नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य
भारतीय गणराज्य का १९४७ में राज्यों के संघ के रूप में गठन हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के अनुसार राज्यीय सीमाओं को भाषाई आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया गया, इसलिए कई राज्यों के नाम उनकी भाषाओं के अनुसार हैं और आमतौर पर तमिल नाडु (तमिल) और कर्णाटक (कन्नड़) को छोड़कर, इन नामों की उत्पत्ति संस्कृत से होती है। तथापि अन्य राज्यों के नाम उनकी भौगोलिक स्थिति, विशेष इतिहास या जनसंख्याओं और औपनिवेशिक प्रभावों पर पड़े हैं। .
देखें १९४७ और नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य
नियंत्रण रेखा
हरे रंग में दो पाकिस्तानी अधिकार क्षेत्र दिखाए गये हैं - फैडरली एड्मिनिस्टर्ड नॉर्थर्न एरियाज़ (एफ ए एन ए) उत्तर में, तथा आज़ाद जम्मू एवं कश्मीर (ए जे के) दक्षिण में। नारंगी रंग में भारतीय नियंत्रण वाले जम्मू कश्मीर राज्य को दिखाया गया है और हैचिंग किये क्षेत्र में चीनी नियंत्रण वाला अकसाई चिन क्षेत्र दिखाया गया है। नियंत्रण रेखा (अंग्रेज़ी:लाइन ऑफ कंट्रोल), भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी ७४० किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। यह रेखा दोनो देशों के बीच पिछले ५० वर्षों से विवाद का विषय बनी हुई है। वर्तमान नियंत्रण रेखा यहां १९४७ में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर तत्कालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है।। अमर उजाला तब कश्मीर के कई भागों में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया था और भारतीय सेनाएं कश्मीर की सुरक्षा हेतु आगे आयीं थीं। उत्तरी भाग में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कारगिल सैक्टर से पीछे श्रीनगर-लेह राजमार्ग तक पछाड़ दिया था। १९६५ में पाकिस्तान ने फिर आक्रमण किया किन्तु लड़ाई में गतिरोध उत्पन्न हुआ, जिसके चलते यथास्थिति १९७१ तक बनी रही। नियंत्रण रेखा का संयुक्त राज्य मानचित्र। सियाचिन हिमनद के निकट रेखा स्पष्ट नहीं की गयी है। १९७१ में बांग्लादेश युद्ध के उत्तर में पाकिस्तान ने फिर कश्मीर पर आक्रमण किया जिससे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दोनों ही देशों ने एक दूसरे की चौकियों पर नियंण्त्रण किया था। भारत को नियंत्रण रेखा के उत्तरी भाग में लद्दाख क्षेत्र से लगभग ३०० वर्ग मील भूमि मिली थी। ३ जुलाई, १९७२ में शिमला समझौते के परिणामस्वरूप शांतिवार्ता के बाद नियंत्रण रेखा को बहाळ किया गया। पारस्परिक समझौते में आपसी वार्ता से मामले के सुलझ जाने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी। यह प्रक्रिया कई माह तक चली और फील्ड कमाण्डरों अगले पांच माहों में लगभग बीस मानचित्र एक दूईसरे को दिये और अंततः कुछ समझौते हुए। फिर भी दोनों देशों के बीच समय समय पर छिटपुट युद्ध होते रहते हैं। साथ ही एक बड़ा युद्ध कार्गिल युद्ध भी हो चुका है। इस रेखा के भारतीय ओर इंडियन कश्मीर बैरियर है जो लंबा पृथक्करण अवरोध है और लंबी विवादित १९७२ लाइन ऑफ कंट्रोल (या सीज़फायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है। इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के ८-१२ फीट (२.४-३.७ मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भि है, जिसमें दोनों बाड़ों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण १९९० के दशक में आरंभ हुआ था, जो २००० में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर, २००३ के बाद घोषित रुद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और २००४ के अंत तक पूर्ण हुआ। कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ ३० सितंबर २००४ को पूर्ण हुई थी। भारतीय सेना स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार इस अवरोध से पाक घुसपैठ में ८०% की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे। .
देखें १९४७ और नियंत्रण रेखा
निविया स्पोर्ट्स
निवीया स्पोर्ट्स, फ्री विल स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर के तहत जालंधर, पंजाब में स्थित एक भारतीय खेल उपकरण निर्माता है। यह फर्म फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेनिस आदि खेल के लिए जूते, परिधान, उपकरण और सामान बनाती है। यह भारत में कई राष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए भागीदारी की है।.
देखें १९४७ और निविया स्पोर्ट्स
निकलाय रेरिख़
निकोलाय रेरिख (रूसी: Николай Константинович Рерих / Nikolai Konstantinowitsch Rerich; 9 अक्टूबर, 1874 – 13 दिसम्बर, 1947) रूसी चित्रकार, लेखक, पुरातत्त्वविद, थियोसोफिस्ट, दार्शनिक थे। वे हिप्नोसिस एवं अन्य आध्यात्मिक क्रियाओं से प्रभावित थे तथा उनकी कलाकृतियों में उसकी छाप भी दिखती है। वे नौ अक्टूबर, 1874 को सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में पैदा हुए, किंतु वह लंबे समय तक भारत में रहे। इन्होंने रूस, यूरोप, मध्य एशिया, मंगोलिया, तिब्बत, चीन, जापान और भारत की यात्राएं कीं। 1928 से वह हिमालय के सम्मुख आए। इसके अनुपम सौंदर्य से वह इतने प्रभावित हुए कि इन्होंने अपने जीवन के बीस वर्ष कुल्लू घाटी में व्यतीत किए। 73 वर्ष के अपने जीवन काल में इन्होंने विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में अपार ज्ञान प्राप्त किया, लेकिन प्रमुख रूप से यह अमर चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनके सम्मान में अमरीका में 1929 में 29 मंजिला विशाल भवन बनवाया गया। यहां इनकी चित्रकारियां संग्रहित हैं। कुल्लू घाटी के एक गांव नग्गर में रोरिक संग्रहालय बनाया गया है। 13 दिसम्बर 1947 को इनका निधन हुआ। यह महर्षि के नाम से प्रसिद्ध थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रोरिक न केवल एक महान चित्रकार ही थे बल्कि पुरातत्ववेत्ता, कवि, लेखक, दार्शनिक और शिक्षाविद् थे। वे हिमालय में एक इंस्टीट्यूट स्थापित करना चाहते थे। इस उद्देश्य से उन्होंने राजा मण्डी से १९२८ में ’’हॉल एस्टेंट नग्गर‘‘ खरीदा। .
देखें १९४७ और निकलाय रेरिख़
नीलकमल (1947 फ़िल्म)
नीलकमल 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और नीलकमल (1947 फ़िल्म)
परमवीर चक्र
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। लेफ्टीनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री की आठवीं रेजीमेंट में कार्यरत थे। .
देखें १९४७ और परमवीर चक्र
पराशर गौर
पराशर गौर, गढ़वाली भाषा के चलचित्र-निर्माता, कवि और कलाकार हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों (अब उत्तराखण्ड) में पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लाक के मिर्चोडा ग्राम में ३ मई, १९४७ को हुआ था। बहुत छोटी आयु में वे दिल्ली आ गए जहाँ वे एक थियेटर से जुड़ गए। उन्होंने अपना प्रथम चलचित्र, जगवाल (अर्थात लम्बी प्रतीक्षा) १९८३ में जारी किया। वर्तमान में वे अपने परिवार के साथ टोरण्टो, कनाडा में रहते हैं। .
देखें १९४७ और पराशर गौर
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .
देखें १९४७ और पश्चिम बंगाल
पाक अधिकृत कश्मीर
भारतीय कश्मीर है और अकसाई चिन चीन के अधिकार में है। इस क्षेत्र का अधिकार चीन को पाकिस्तान द्वारा सौंपा गया था। पाक अधिकृत कश्मीर मूल कश्मीर का वह भाग है, जिस पर पाकिस्तान ने १९४७ में हमला कर अधिकार कर लिया था। यह भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र है। इसकी सीमाएं पाकिस्तानी पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में, उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग उयघूर स्वायत्त क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं। इस क्षेत्र के पूर्व कश्मीर राज्य के कुछ भाग, ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट को पाकिस्तान द्वारा चीन को दे दिया गया था व शेष क्षेत्र को दो भागों में विलय किया गया था: उत्तरी क्षेत्र एवं आजाद कश्मीर। इस विषय पर पाकिस्तान और भारत के बीच १९४७ में युद्ध भी हुआ था। भारत द्वारा इस क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के) कहा जाता है।रीडिफ, २३ मई २००६ संयुक्त राष्ट्र सहित अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं एम.एस.एफ़, एवं रेड क्रॉस द्वारा इस क्षेत्र को पाक-अधिकृत कश्मीर ही कहा जाता है। .
देखें १९४७ और पाक अधिकृत कश्मीर
पाकिस्तान
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .
देखें १९४७ और पाकिस्तान
पाकिस्तान रेल
पाकिस्तान के रेल नेटवर्क लाहौर रेलवे स्टेशन कराची कैंट से लाहौर के लिए काराकोरम एक्सप्रेस जा रहा है। स्टेशन पाकिस्तान रेलवे के पाकिस्तान के एक राष्ट्रीय स्वामित्व राज्य के रेल परिवहन सेवा है, लाहौर में मुख्यालय.
देखें १९४७ और पाकिस्तान रेल
पाकिस्तान के गवर्नर जनरल
यहाँ पाकिस्तान के स्वतंत्रता उपरांत गवर्नर-जनरल गण की सूची दी गयी है। इनका पूर्ण काल1947 – 1958 के बीच रहा। उसके बाद पाकिस्तान गणतंत्र बन गया। तब वहाँ राष्ट्रपति होने लगे।.
देखें १९४७ और पाकिस्तान के गवर्नर जनरल
पंजाब (भारत)
पंजाब (पंजाबी: ਪੰਜਾਬ) उत्तर-पश्चिम भारत का एक राज्य है जो वृहद्तर पंजाब क्षेत्र का एक भाग है। इसका दूसरा भाग पाकिस्तान में है। पंजाब क्षेत्र के अन्य भाग (भारत के) हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में हैं। इसके पश्चिम में पाकिस्तानी पंजाब, उत्तर में जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य हैं। राज्य की कुल जनसंख्या २,४२,८९,२९६ है एंव कुल क्षेत्रफल ५०,३६२ वर्ग किलोमीटर है। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है जोकि हरियाणा राज्य की भी राजधानी है। पंजाब के प्रमुख नगरों में अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और बठिंडा हैं। 1947 भारत का विभाजन के बाद बर्तानवी भारत के पंजाब सूबे को भारत और पाकिस्तान दरमियान विभाजन दिया गया था। 1966 में भारतीय पंजाब का विभाजन फिर से हो गया और नतीजे के तौर पर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश वजूद में आए और पंजाब का मौजूदा राज बना। यह भारत का अकेला सूबा है जहाँ सिख बहुमत में हैं। युनानी लोग पंजाब को पैंटापोटाम्या नाम के साथ जानते थे जो कि पाँच इकठ्ठा होते दरियाओं का अंदरूनी डेल्टा है। पारसियों के पवित्र ग्रंथ अवैस्टा में पंजाब क्षेत्र को पुरातन हपता हेंदू या सप्त-सिंधु (सात दरियाओं की धरती) के साथ जोड़ा जाता है। बर्तानवी लोग इस को "हमारा प्रशिया" कह कर बुलाते थे। ऐतिहासिक तौर पर पंजाब युनानियों, मध्य एशियाईओं, अफ़ग़ानियों और ईरानियों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप का प्रवेश-द्वार रहा है। कृषि पंजाब का सब से बड़ा उद्योग है; यह भारत का सब से बड़ा गेहूँ उत्पादक है। यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं: वैज्ञानिक साज़ों सामान, कृषि, खेल और बिजली सम्बन्धित माल, सिलाई मशीनें, मशीन यंत्रों, स्टार्च, साइकिलों, खादों आदि का निर्माण, वित्तीय रोज़गार, सैर-सपाटा और देवदार के तेल और खंड का उत्पादन। पंजाब में भारत में से सब से अधिक इस्पात के लुढ़का हुआ मीलों के कारख़ाने हैं जो कि फ़तहगढ़ साहब की इस्पात नगरी मंडी गोबिन्दगढ़ में हैं। .
देखें १९४७ और पंजाब (भारत)
पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज
पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज आदर्शतमसो मा ज्योतिर्गमय (संस्कृत)अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो (हिन्दी)Lead Us From Darkness to Light (अंग्रेजी) स्थापन१९२१-१९४७ लाहौर१९४७-१९५४ रुड़की१९५४-वर्तमान चंडीगढ प्रकारसार्वजनिक संचालकडॉक्टर विजय गुप्ता स्थानचंडीगढ, भारत परिसर१४६ एकड़ (०.६ km²), शहरी पूर्वस्नातक१५०० वेबसाइट पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, या पेक चंडीगढ स्थित एक प्रमुख अभियांत्रिकी एवं तकनिकी महाविद्यालय हैं। यह १९२१ से १९४७ तक लाहौर में स्थपित था। भारत के विभाजन के बाद १९४७ से १९५४ तक रुड़की में स्थापना कि गई। १९५४ से वर्तमान तक कॉलेज चंडीगढ में स्थित हैं। २००४ तक पंजाब विश्वविद्यालय से सम्बद्ध के बाद कॉलेज स्नातक एवं अन्य उच्च उपाधियाँ प्रदान कर सकता है। .
देखें १९४७ और पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज
पुरुषोत्तम नागेश ओक
पुरुषोत्तम नागेश ओक, (जन्म: 2 मार्च, 1917-मृत्यु: 7 दिसंबर, 2007), जिन्हें पी०एन० ओक के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहास लेखक थे। .
देखें १९४७ और पुरुषोत्तम नागेश ओक
प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास
सुविख्यात इतिहासकार महामहोपाध्याय पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863–1947) के अनुसार "प्रतापगढ़ का सूर्यवंशीय राजपूत राजपरिवार मेवाड़ के गुहिल वंश की सिसोदिया शाखा से सम्बद्ध रहा है".
देखें १९४७ और प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास
प्रतापगढ़, राजस्थान
प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .
देखें १९४७ और प्रतापगढ़, राजस्थान
प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)
भारत के प्रधानमंत्री का कार्यालय (पी एम ओ) से आशय भारत के प्रधानमंत्री के सीधे नीचे आने वाले नजदीकी अधिकारियों और कर्मचारियों के समूह से है। प्रमुख सचिव इसके सर्वोच्च अधिकारी हैं। सम्प्रति नृपेन्द्र मिश्र प्रधान सचिव हैं। १९७७ तक 'प्रधानमंत्री कार्यालय' को 'प्रधानमन्त्री सचिवालय' कहा जाता था जिसे मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्वकाल में बदलकर 'प्रधानमन्त्री कार्यालय' कर दिया गया। प्रधानमन्त्री कार्यालय, भारत सरकार का एक भाग है। यह सचिवालय के दक्षिणी ब्लॉक में स्थित है। .
देखें १९४७ और प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)
फन एंड फैंसी फ्री
फन एंड फैंसी फ्री (Fun and Fancy Free) १९४७ में वॉल्ट डिज़्नी द्वारा निर्मित एनीमेटेड फिल्म है। सितंबर २७, १९४७ को जारी की गई यह फिल्म वॉल्ट डिज़्नी की एनिमेटेड क्लासिक्स श्रृंखलाओं की ९वीं एनिमेटेड फिल्म है। .
देखें १९४७ और फन एंड फैंसी फ्री
फ़िरोज़ खान नून
फिरोज खान नून, एक पाकिस्तानी राजनेता, एवं पाकिस्तान के ७वें प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 7 मई 1893 ई। को पाकीसतान के जिला सरगोधा की तहसील भलवाल के गांव हमोकह में हुआ था। वह सिर मोहम्मद हेयान नून के पुत्र थे। उनहोंने प्रारंभिक शिक्षा पब्लिक स्कूल भेरह जिले सरगोधा से प्राप्त की। 1905 में उन्होंने, एॅलिसन कॉलेज लाहौर में दाखिला लिया। 1912 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1916 में विलियम कॉलेज ऑक्सफोर्ड से हिस्ट्री में बीए किया। 1917 में बैरिस्टर बनकर वापस भारत चले आए। जन 1918 ई। में सरगोधा से अपनी प्रैक्टिस शुरू की। जन 1921 से जनवरी 1927 हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। .
देखें १९४७ और फ़िरोज़ खान नून
फ्रेंच साहित्य
फ्रेंच साहित्य से तात्पर्य फ्रेंच भाषा में लिखे साहित्य से है। फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, कनाडा, सेनेगल, अल्जीरिया तथा मोरोक्को आदि के नागरिकों द्वारा रचित साहित्य 'फ्रेंचभाषी साहित्य' (Francophone literature) कहलाता है। वर्ष २००६ तक फ्रांसीसी भाषा के सहित्यकारों को अन्य किसी भाषा के साहित्यकारों से अधिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त हैं। .
देखें १९४७ और फ्रेंच साहित्य
बरमूडा त्रिभुज
यह, जिसे शैतान के त्रिकोण के रूप में भी जाना जाता है, उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है जिसमे कुछ विमान और सतही त्रुटि (human error) या प्रकृति के कृत्यों (acts of nature) की सीमाओं के परे है। लोकप्रिय संस्कृति ने गायब होने की कुछ घटनाओं को अपसामान्य (paranormal), भौतिकी के नियमों (laws of physics) के निलंबन, या भूमि से परे की जीवित वस्तुओं (extraterrestrial beings)। की गतिविधियों से सम्बद्ध बताया। हालांकि बाद के लेखकों द्वारा अस्पष्ट रूप से सूचित या सृजित अनेक घटनाओं को प्रदर्शित करते हुए वास्तविक दस्तावेज उपलब्ध हैं और अनेक सरकारी एजेंसियों ने समुद्र के अन्य क्षेत्र के समान गायब होने की प्रकृति और उल्लेखित संख्या और दस्तावेजों पर कार्य किया है, परन्तु यथोचित जांच के बाद भी अनेक अवर्णित रह गए हैं। .
देखें १९४७ और बरमूडा त्रिभुज
बांग्लादेश
बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.
देखें १९४७ और बांग्लादेश
बीसवीं शताब्दी
ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.
देखें १९४७ और बीसवीं शताब्दी
भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
देखें १९४७ और भारत
भारत का ध्वज
भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।। भास्कर डॉट कॉम। १५ अगस्त २००९ इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप मै ही भारत की निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है: .
देखें १९४७ और भारत का ध्वज
भारत का विभाजन
माउण्टबैटन योजना * पाकिस्तान का विभाजन * कश्मीर समस्या .
देखें १९४७ और भारत का विभाजन
भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची
भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .
देखें १९४७ और भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची
भारत के महाराज्यपाल
भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .
देखें १९४७ और भारत के महाराज्यपाल
भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश
भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.
देखें १९४७ और भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश
भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची
भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची में भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी स्थापना तिथि के साथ दिए गए हैं। .
देखें १९४७ और भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची
भारत के सम्राट
ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया का सितारा, जो ब्रिटिश साम्राज्यिक भारत के बिल्ले (चिह्न) के रूप में प्रयोग होता था। ”’भारत के सम्राट’”/”’साम्राज्ञी”, ”’ बादशाह-ए-हिं””, ”’ एम्परर/एम्प्रैस ऑफ इण्डिय”” वह उपाधि थी, जो कि अंतिम भारतीय मुगल शासक बहादुर_शाह_द्वितीय एवं भारत में ब्रिटिश राज के शासकों हेतु प्रयोग होती थी। कभी भारत के सम्राट उपाधि, भारतीय सम्राटों, जैसे मौर्य वंश के अशोक-महान। या मुगल_बादशाह अकबर-महान के लिये भी प्रयोग होती है। वैसे उन्होंने कभी भी यह उपाधियां अपने लिये नहीं घोषित कीं। .
देखें १९४७ और भारत के सम्राट
भारत के उप प्रधानमंत्री
भारत के उपप्रधानमंत्री का पद, तकनीकी रूप से एक एक संवैधानिक पद नहीं है, नाही संविधान में इसका कोई उल्लेख है। परंतु ऐतिहासिक रूप से, अनेक अवसरों पर विभिन्न सरकारों ने अपने किसी एक वरिष्ठ मंत्री को "उपप्रधानमंत्री" निर्दिष्ट किया है। इस पद को भरने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है, नाही यह पद किसी प्रकार की विशेष शक्तियाँ प्रदान करता हैं। आम तौर पर वित्तमंत्री या रक्षामंत्री जैसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को इस पद पर स्थापित किया जाता है, जिन्हें प्रधानमंत्री के बाद, सबसे वरिष्ठ माना जाता है। अमूमन इस पद का उपयोग, गठबंधन सरकारों में मज़बूती लाने हेतु किया जाता रहा है। इस पद के पहले धारक सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जोकि जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री थे। कई अवसरों पर ऐसा होता रहा है की प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उपप्रधानमंत्री संसद या अन्य स्थानों पर उनके स्थान पर सर्कार का प्रतिनिधित्व करते हैं, एवं कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता कर सकते हैं। भारत के उपप्रधानमंत्री भारतीय सरकार के मंत्रीमंडल के उपाध्यक्ष होते है। .
देखें १९४७ और भारत के उप प्रधानमंत्री
भारत की स्वतन्त्रता
भारत का ध्वज भारत की स्वतंत्रता से तात्पर्य ब्रिटिश शासन द्वारा 15 अगस्त, 1947 को भारत की सत्ता का हस्तांतरण भारत की जनता के प्रतिनिधियों को किए जाने से है। इस दिन दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर स्वाधीनता का ऐलान किया। भारत के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगो ने जान की बली दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1930 कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .
देखें १९४७ और भारत की स्वतन्त्रता
भारतीय थलसेना
भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.
देखें १९४७ और भारतीय थलसेना
भारतीय संविधान सभा
भारतीय संविधान सभा का पहला दिन (११ दिशम्बर १९४६)। बैठे हुए दाएं से: बी जी खेर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, के एम मुंशी और डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था। ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने। .
देखें १९४७ और भारतीय संविधान सभा
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है, जिन्हें भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा गया है। वे वैज्ञानिक कल्पना एवं राष्ट्र-नायक के रूप में जाने गए। वर्तमान प्रारूप में इस कार्यक्रम की कमान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हाथों में है। .
देखें १९४७ और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.
देखें १९४७ और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
भीमराव आम्बेडकर
भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .
देखें १९४७ और भीमराव आम्बेडकर
मराठा साम्राज्य
मराठा साम्राज्य या मराठा महासंघ एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 से 1818 तक अस्तित्व में रही। मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपती शिवाजी महाराज जी ने १६७४ में डाली। उन्होने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। बाद में आये पेशवाओनें इसे उत्तर भारत तक बढाया, ये साम्राज्य १८१८ तक चला और लगभग पूरे भारत में फैल गया। .
देखें १९४७ और मराठा साम्राज्य
महाराजा ईश्वरीसिंह
इनकी असामयिक मृत्यु मात्र ३० साल की उम्र में दिनांक 12.12.
देखें १९४७ और महाराजा ईश्वरीसिंह
मुमताज़ (अभिनेत्री)
मुमताज़ (जन्म: 31 जुलाई, 1947) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .
देखें १९४७ और मुमताज़ (अभिनेत्री)
मुम्बई
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .
देखें १९४७ और मुम्बई
मुंबई का इतिहास
date.
देखें १९४७ और मुंबई का इतिहास
मैनपुरी षड्यन्त्र
पं० गेंदालाल दीक्षित (मैनपुरी काण्ड के नेता) का चित्र परतन्त्र भारत में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिये उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी में सन् १९१५-१६ में एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना हुई थी जिसका प्रमुख केन्द्र मैनपुरी ही रहा। मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, करोरीलाल गुप्ता, सिद्ध गोपाल चतुर्वेदी, गोपीनाथ, प्रभाकर पाण्डे, चन्द्रधर जौहरी और शिव किशन आदि ने औरैया जिला इटावा निवासी पण्डित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध काम करने के लिये उनकी संस्था शिवाजी समिति से हाथ मिलाया और एक नयी संस्था मातृवेदी की स्थापना की। इस संस्था के छिप कर कार्य करने की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को लग गयी और प्रमुख नेताओं को पकड़कर उनके विरुद्ध मैनपुरी में मुकदमा चला। इसे ही बाद में अंग्रेजों ने मैनपुरी षडयन्त्र कहा। इन क्रान्तिकारियों को अलग-अलग समय के लिये कारावास की सजा हुई। मैनपुरी षडयन्त्र की विशेषता यह थी कि इसकी योजना प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के निवासियों ने ही बनायी थी। यदि इस संस्था में शामिल मैनपुरी के ही देशद्रोही गद्दार दलपतसिंह ने अंग्रेजी सरकार को इसकी मुखबिरी न की होती तो यह दल समय से पूर्व इतनी जल्दी टूटने या बिखरने वाला नहीं था। मैनपुरी काण्ड में शामिल दो लोग - मुकुन्दीलाल और राम प्रसाद 'बिस्मिल' आगे चलकर सन् १९२५ के विश्वप्रसिद्ध काकोरी काण्ड में भी शामिल हुए। मुकुन्दीलाल को आजीवन कारावास की सजा हुई जबकि राम प्रसाद 'बिस्मिल' को तो फाँसी ही दे दी गयी क्योंकि वे भी मैनपुरी काण्ड में गेंदालाल दीक्षित को आगरा के किले से छुडाने की योजना बनाने वाले मातृवेदी दल के नेता थे। यदि कहीं ये लोग अपने अभियान में कामयाब हो जाते तो न तो सन् १९२७ में राजेन्द्र लाहिडी व अशफाक उल्ला खाँ सरीखे होनहार नवयुवक फाँसी चढते और न ही चन्द्रशेखर आजाद जैसे नर नाहर तथा गणेशशंकर विद्यार्थी सरीखे प्रखर पत्रकार की सन् १९३१ में जघन्य हत्याएँ हुई होतीं। .
देखें १९४७ और मैनपुरी षड्यन्त्र
मेरे भगवान
मेरे भगवान 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और मेरे भगवान
मोहन (फ़िल्म)
मोहन 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और मोहन (फ़िल्म)
यूकियो हातोयामा
right यूकियो हातोयामा (जन्म:११ फरवरी, १९४७) जापान के प्रधानमंत्री और डेमोकेट्रिक पार्टी के प्रमुख हैं। श्रेणी:जापान.
देखें १९४७ और यूकियो हातोयामा
रमेश सिप्पी
रमेश सिप्पी (जन्म: 23 नवंबर, 1947) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक हैं। .
देखें १९४७ और रमेश सिप्पी
रामधारी सिंह 'दिनकर'
रामधारी सिंह 'दिनकर' (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया। .
देखें १९४७ और रामधारी सिंह 'दिनकर'
रामेश्वरम तीर्थ
रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। बहुत पहले यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि के साथ जुड़ा हुआ था, परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इस मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों ओर पानी से घिरकर टापू बन गया। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व एक पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची व वहां विजय पाई। बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस ३० मील (४८ कि.मी) लंबे आदि-सेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं। यहां के मंदिर के तीसरे प्राकार का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। .
देखें १९४७ और रामेश्वरम तीर्थ
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, भारत
राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, भारत में नई दिल्ली में स्थित देश की मापन्मानक प्रयोगशाला है। ये भारत में एस आई इकाइयों का अनुरक्षण तथा राष्ट्रीय भार तथा माप के मानकों का कैलीब्रेशन करती है। इस प्रयोगशाला की स्थापना वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अधीन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वाआ ४ जनवरी, १९४७ को हुई थी। डॉ॰ के एस कृष्णन इस प्रयोगशाला के प्रथम निदेशक थे। प्रयोगशाला की मुख्य इमारत औपचारिक तौर पर भारत के उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा २१ जनवरी, १९५० को आरंभ की गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा प्रयोगशाला की रजत जयंती का उद्घाटन २३ दिसम्बर १९७५ को किया गया था। लगभग हरेक आधुनिकीकरण हुए राष्ट्र में एक राष्ट्रीय मेट्रोलॉजिकल संस्थान होता है, जो मापन मानक की देखरेख करता है। भारत में ये उत्तरदायित्व राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को मिला हुआ है। प्रयोगशाला में अनुसंधान कार्य भी होते हैं। इसके द्वारा प्रतिपादित एक महत्त्वपूर्ण अनुसंधान गतिविधि में भारतीय चुनाव में प्रयोग की जाने वाली स्याही के लिये रासायनिक सूत्र ढूंढना है, जिससे कि चुनावों में फर्जी मतदान एवं धोखाधड़ी आदि से बचाव हो सके। ये स्याही मैसूर पेंट्स एण्ड वार्निश वर्क्स लि.
देखें १९४७ और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, भारत
राजश्री प्रोडक्शन्स
राजश्री प्रोडक्शन्स प्रा लि. एक बॉलीवुड की फिल्म निर्माण कंपनी है। यह आंशिक रूप से फिल्म-वितरक का काम भी करती है। १५ अगस्त, १९४७ को ताराचंद बड़जात्या ने इस कंपनी की नींव रखी थी। इनकी कुछ फ़िल्मों में ''दोस्ती'' (१९६४) से लेकर ''एक विवाह ऐसा भी'' तक हैं। .
देखें १९४७ और राजश्री प्रोडक्शन्स
राजस्थान के पशु मेले
भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .
देखें १९४७ और राजस्थान के पशु मेले
राजस्थान की समय रेखा
यह राजस्थान के इतिहास की समय रेखा है।.
देखें १९४७ और राजस्थान की समय रेखा
राखी गुलज़ार
रक्षाबंधन त्योहार के लिये यहाँ क्लिक करें राखी गुलज़ार (जन्म: 15 अगस्त, 1947) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .
देखें १९४७ और राखी गुलज़ार
रजत जयंती
रजत जयंती का प्रयोग पच्चीसवीं जयंती अथवा पच्चीसवीं वर्षगाँठ के लिये किया जाता है। उदाहरण के लिये यदि भारत देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हुआ तो 15 अगस्त 1972 को स्वतंत्रता प्राप्ति की रजत जयंती होगी। ध्यान देने की बात ये भी है कि इसी उदाहरण मे 15 अगस्त 1972 भारत का छब्बीसवां स्वतंत्रता दिवस होगा। चूंकि जयंती घटना के एक साल बाद से प्रारम्भ होती है इसलिये ये घटना की वास्तविक सँख्या से एक कम चलती है। अंग्रेजी भाषा मे रजत जयंती के लिये सिल्वर जुबली (en:Silver Jubilee) शब्द का प्रयोग होता है। .
देखें १९४७ और रजत जयंती
लता मंगेशकर
लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। .
देखें १९४७ और लता मंगेशकर
लाल क़िला
लाल किला या लाल क़िला, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल रेत-पत्थर से निर्मित है। इस किले को पाँचवे मुग़ल बाद्शाह शाहजहाँ ने बनवाया था। इस के किले को "लाल किला", इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष २००७ में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। .
देखें १९४७ और लाल क़िला
लीला (1947 फ़िल्म)
लीला 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और लीला (1947 फ़िल्म)
शान्ति स्वरूप भटनागर
सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.
देखें १९४७ और शान्ति स्वरूप भटनागर
सत्यजित राय
सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .
देखें १९४७ और सत्यजित राय
सलोम्
सलोम् सम्पादन Şalom (इब्रानी भाषा: "שלום", हिन्दी: "शांति") का यहूदी तुर्की साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित है। उसका नाम हिब्रू शब्द के तुर्की वर्तनी एसएचएलओएम है। इसे २९ अक्टूबर १९४७ को तुर्की यहूदी पत्रकार आव्रम ळेयोन् द्वारा स्थापित किया गया था। यह इस्तांबुल में छपा है। के अलावा एक यहूदी स्पेनी पृष्ठ से, यह तुर्की में प्रकाशित है। ञकुप बरोकस् उसके संपादक है। इसका प्रचलन के बारे में ५,००० है। .
देखें १९४७ और सलोम्
सात समुद्रों की मल्लिका
सात समुद्रों की मल्लिका 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और सात समुद्रों की मल्लिका
सालि केल्मेन्दि
सालि केल्मेन्दि का जन्म तिराना में ३१ मई, १९४७ को हुआ था। वे एक अभियन्ता और राजनीतिज्ञ हैं। १९९० में अल्बानिया लोकतान्त्रिक दल के संस्थापकों में से एक, जुलाई १९९२ के लोकतान्त्रिक चुनावों सालि केल्मेन्दि तिराना के प्रथम लोकतान्त्रिक रूप से निर्वाचित प्रथम महापौर हैं। १९९२-१९९६ के दौरान, लगभग ९०% उपक्रमों और १००% घरों को अराष्ट्रीयकृत कर दिया गया। राजनैतिक रूप से प्रताड़ित लोगों को बसाने के लिए भी बहुत सा काम किया गया। इस प्रकार, सालि केल्मेन्दि ने तिराना को एक केन्द्रीय नियोजित अर्थव्यस्था से परिवर्तित कर बाज़ार उन्मुख प्रणाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। .
देखें १९४७ और सालि केल्मेन्दि
साहित्य समीक्षा
यह कृति १९४७ में प्रकाशित हुई।.
देखें १९४७ और साहित्य समीक्षा
साजन (1947 फ़िल्म)
साजन 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और साजन (1947 फ़िल्म)
संजीव
संजीव (6 जुलाई, 1947 से वर्तमान) हिन्दी साहित्य की जनवादी धारा के प्रमुख कथाकारों में से एक हैं। कहानी एवं उपन्यास दोनों विधाओं में समान रूप से रचनाशील। प्रायः समाज की मुख्यधारा से कटे विषयों, क्षेत्रों एवं वर्गों को लेकर गहन शोधपरक कथालेखक के रूप में मान्य। .
देखें १९४७ और संजीव
संविधान
संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .
देखें १९४७ और संविधान
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (१९ अक्टूबर, १९१०-२१ अगस्त, १९९५) विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए.
देखें १९४७ और सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर
सुभाष काक
सुभाष काक सुभाष काक (जन्म 26 मार्च 1947) प्रमुख भारतीय-अमेरिकी कवि, दार्शनिक और वैज्ञानिक हैं। वे अमेरिका के ओक्लाहोमा प्रान्त में संगणक विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनके कई ग्रन्थ वेद, कला और इतिहास पर भी प्रकाशित हुए हैं। उनका जन्म श्रीनगर, कश्मीर में राम नाथ काक और सरोजिनी काक के यहाँ हुआ। उनकी शिक्षा कश्मीर और दिल्ली में हुई। .
देखें १९४७ और सुभाष काक
स्वतंत्रता दिवस (पाकिस्तान)
14 अगस्त को पाकिस्तान की आज़ादी का दिन कहा जाता है- यौम इस्तिक़लाल (Independence Day) इंतिहाई जोश-ओ-ख़ुरोश से मनाया जाता है। ये वो दिन है जब पाकिस्तान 1947 में बर्तानवी हुकमरानों से आज़ाद हो कर मारज़ वजूद में आया। 14 अगस्त का दिन पाकिस्तान में सरकारी सतह पर क़ौमी तहवार के तौर पर बड़े धूम धाम मनाया जाता है जबकि बच्चे, जवान और बूढ़े सभी उस रोज़ अपना क़ौमी पर्चम फ़िज़ा-ए-में बुलंद करते हुए अपने क़ौमी महसिनों को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हैं। पूरे मुलक में हर तरफ़ जशन-ए-चराग़ाँ होता है और एक मेला का सा समां बंध जाता है। ईस्लामाबाद जो कि पाकिस्तान का दारलख़लाफ़ा है, उसको इंतिहाई शानदार तरीक़े से सजाया जाता है, जबकि उसके मुनाज़िर किसी जश्न का सासमां पैदा कर रहे होते हैं। और यहीं एक क़ौमी हैसियत की हामिल तक़रीब में सदर-ए-पाकिस्तान और वज़ीर आ अज़म क़ौमी पर्चम बुलंद करते हुए इस बात का अह्द करते हैं कि हम इस पर्चम कीतरह इस वतन-ए-अज़ीज़ को भी उरूज-ओ-तरक़्क़ी की बुलंदीयों तक पहुंचाएंगे। इन तक़ारीब के इलावा ना सिर्फ़ सदारती और पारलीमानी इमारात पर क़ौमी पर्चम लहराया जाता है बल्कि पूरे मुलक में सरकारी और नियम सरकारी इमारात पर भी सबज़ हिलाली पर्चम पूरी आब-ओ-ता ब से बुलंदी का नज़ारा पेश कर रहा होता है। यौम असक़लाल के रोज़ रेडीयो, बईद नुमा और जालबीन पे बराह-ए-रास्त सदर और वज़ीर आ अज़म पाकिस्तान की तक़ारीर को नशर किया जाता है और इस अह्द की तजदीद की जाती है कि हम सब ने मिल क्रास वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी, ख़ुशहाली और कामयाबीयों की बुलंद सतह पे लेजाना है। सरकारी तौर पर यौम आज़ादी इंतिहाई शानदार तरीक़े से मनाते हुए आली ओहदादार अपनी हुकूमत की कामयाबीयों और बेहतरीन हिक्मत अमलियों का तज़किरा करते हुए अपने अवाम से ये अह्द करते हैं कि हम अपने तन मन धन की बाज़ी लगाकर भी इस वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी की राह पर गामज़न रखेंगे और हमेशा अपने रहनुमा क़ाइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्नाह के क़ौल "ईमान, इत्तिहाद और तंज़ीम" की पासदारी करेंगे। .
देखें १९४७ और स्वतंत्रता दिवस (पाकिस्तान)
स्वयं प्रकाश
स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash) हिन्दी साहित्यकार हैं। वे मुख्यतः हिन्दी कहानीकार के रूप में विख्यात हैं। कहानी के अतिरिक्त उन्होंने उपन्यास तथा अन्य विधाओं को भी अपनी लेखनी से समृद्ध किया है। वे हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में साठोत्तरी पीढ़ी के जनवादी लेखन से सम्बद्ध रहे हैं। आजीविका के लिए मेकेनिकल इंजीनियरिंग, शिक्षा से एम.ए.
देखें १९४७ और स्वयं प्रकाश
स्वर्ण जयंती
स्वर्ण जयंती का प्रयोग पचासवीं जयंती अथवा पचासवीं वर्षगाँठ के लिये किया जाता है। उदाहरण के लिये यदि भारत देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हुआ तो 15 अगस्त 1997 को स्वतंत्रता प्राप्ति की स्वर्ण जयंती होगी। ध्यान देने की बात ये भी है कि इसी उदाहरण में 15 अगस्त 1997 भारत का इक्यावनवां स्वतंत्रता दिवस होगा। चूंकि जयंती घटना के एक साx,Xल बाद से प्रारम्भ होती है इसलिये ये घटना की वास्तविक सँख्या से एक कम चलती है। अंग्रेजी भाषा में इसके लिये गोल्डेन जुबली (en:Golden Jubilee) शब्द का प्रयोग होता है। .
देखें १९४७ और स्वर्ण जयंती
सैक्रामेंटो किंग्स
श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पैसिफिक डिवीज़न श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पश्चिमी कांफ्रेंस श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन.
देखें १९४७ और सैक्रामेंटो किंग्स
सोमनाथ शर्मा
मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे जिन्होने अक्टूबर-नवम्बर, १९४७ के भारत-पाक संघर्ष में हिस्सा लिया था। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया। परमवीर चक्र पाने वाले वे प्रथम व्यक्ति हैं। १९४२ में शर्मा की नियुक्ति उन्नीसवीं हैदराबाद रेजिमेन्ट की आठवीं बटालियन में हुई। उन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में अपनी सेवाएँ दी जिसके कारण उन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचैस में स्थान मिला। बाद में उन्होंने १९४७ के भारत-पाक युद्ध में भी लड़े और ३ नवम्बर १९४७ को श्रीनगर विमानक्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदख़ल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। उनके युद्ध क्षेत्र में इस साहस के कारण मरणोपरान्त परम वीर चक्र मिला। .
देखें १९४७ और सोमनाथ शर्मा
हरीश त्रिवेदी
हरीश त्रिवेदी (जन्म १९४७) अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। उन्होंने हिंदी से प्रेमचन्द, मोहन राकेश एवं शरद जोशी की कहानियों तथा अमृतराय की पुस्तक कलम का सिपाही का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। कोलोनियल ट्रांसलेशन, इन्टरोगेटिंग पोस्ट कोलेनियलिज्म इनकी प्रमुख आलोचना पुस्तकें हैं। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.
देखें १९४७ और हरीश त्रिवेदी
हिन्दी नाट्य विमर्श
यह कृति १९४७ में प्रकाशित हुई।.
देखें १९४७ और हिन्दी नाट्य विमर्श
हिन्दी काव्य विमर्श
यह कृति १९४७ में प्रकाशित हुई।.
देखें १९४७ और हिन्दी काव्य विमर्श
हिलेरी रोढम क्लिंटन
हिलेरी क्लिंटन हिलेरी डायेन रोढम क्लिंटन (जन्म: 26 अक्टुबर, या हिलेरी क्लिंटन 1947) अमेरिका के न्यूयॉर्क प्रांत से कनिष्ठ (जूनियर) सेनेटर हैं। वे अमेरिका के बयालीसवें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और सन् 1993 से 2001 तक अमेरिका की प्रथम महिला रहीं। हिलेरी 2008 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रैटिक पार्टी की अग्रणी उम्मीदवार रहीं। 5 जून, 2008 को यह लगभग तय हो गया कि बराक ओबामा की उम्मीदवारी के समर्थन में उनकी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी हिलेरी अपनी दावेदारी छोड़ देंगी। हिलेरी अमेरिका के इलिनॉय प्रांत की रहने वाली हैं। 1969 में वेलेस्ले विश्विद्यालय, जहाँ से वे राजनीति विज्ञान में स्नात्कोत्तर (पोस्ट-ग्रैजुट) हैं, में अपने विवादास्पद कमेंसमेंट भाषण से वे राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गईं। 1973 में येल लॉ स्कूल से स्नातक होने के उपरांत उन्होंने अपना पेशा एक अधिवक्ता के रूप में अमरीका के अरकांसास प्रांत में शुरु किया। 1988 तथा 1991 में उन्हें अमरीका के सौ सबसे प्रभावशाली वकीलों में सूचीबद्ध किया गया। अमेरिकी सेनेटर के रूप में अपना पहला कार्यकाल उन्होंने 3 जनवरी, 2001 मेंचित्र:Hillary Rodham Clinton.jpg|right|thumb|हिलेरी क्लिंटन हिलेरी अमेरिका के इलिनॉय प्रांत की रहने वाली हैं। 1969 में वेलेस्ले विश्विद्यालय, जहाँ से वे राजनीति विज्ञान में स्नात्कोत्तर (पोस्ट-ग्रैजुट) हैं, में अपने विवादास्पद कमेंसमेंट भाषण से वे राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गईं। 1973 में येल लॉ स्कूल से स्नातक होने के उपरांत उन्होंने अपना पेशा एक अधिवक्ता के रूप में अमरीका के अरकांसास प्रांत में शुरु किया। 1988 तथा 1991 में उन्हें अमरीका के सौ सबसे प्रभावशाली वकीलों में सूचीबद्ध किया गया। अमेरिकी सेनेटर के रूप में अपना पहला कार्यकाल उन्होंने 3 जनवरी, 2001 में शुरु किया। आप सब को सुचना देते हुऐ की,,अमेरिका,,, की नई,,राष्ट्पति,, होंगी। अमेरिका में होने वाले चुनाव में विजयी होंगी,,,,विनोद मेघवानी,,,छत्तीसगढ़ पार्टी इंडिया। शुरु किया। .
देखें १९४७ और हिलेरी रोढम क्लिंटन
हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा इमारत परिसर मुगल वास्तुकला से प्रेरित मकबरा स्मारक है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह अर्थात् पुराने किले के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के निकट स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में हुआ करती थी और नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायूँ की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है- अभिव्यक्ति। १७ अप्रैल २०१०।, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। १९९३ में इस इमारत समूह को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इस परिसर में मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें स्थित हैं। देल्ही थ्रु एजेज़। एस.आर.बख्शी। प्रकाशक:अनमोल प्रकाशन प्रा.लि.। १९९५।ISBN 81-7488-138-7। पृष्ठ:२९-३५ इस इमारत में मुगल स्थापत्य में एक बड़ा बदलाव दिखा, जिसका प्रमुख अंग चारबाग शैली के उद्यान थे। ऐसे उद्यान भारत में इससे पूर्व कभी नहीं दिखे थे और इसके बाद अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। ये मकबरा मुगलों द्वारा इससे पूर्व निर्मित हुमायुं के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग ए बाबर से एकदम भिन्न था। बाबर के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफ़्न करने की परंपरा आरंभ हुई थी। हिस्ट‘ओरिक गार्डन रिव्यु नंबर १३, लंदन:हिस्टॉरिक गार्डन फ़ाउडेशन, २००३ अपने पूर्वज तैमूर लंग के समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में बने मकबरे पर आधारित ये इमारत भारत में आगे आने वाली मुगल स्थापत्य के मकबरों की प्रेरणा बना। ये स्थापत्य अपने चरम पर ताजमहल के साथ पहुंचा। .
देखें १९४७ और हुमायूँ का मकबरा
होमी जहांगीर भाभा
होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.
देखें १९४७ और होमी जहांगीर भाभा
होलोग्राफ़ी
एक जर्मन पहचान पत्र में होलोग्राम का प्रयोग आइडेन्टीग्राम के रूप में त्रिआयामी होलोग्राफी (अंग्रेज़ी:थ्री डी होलोग्राफ़ी) एक स्टेटिक किरण प्रादर्शी प्रदर्शन युक्ति होती है। यह शब्द यूनानी, ὅλος होलोस यानि पूर्ण + γραφή ग्राफ़ी यानि लेखन या आरेखन से निकला है। इस तकनीक में किसी वस्तु से निकलने वाले प्रकाश को रिकॉर्ड कर बाद में पुनर्निर्मित किया जाता है, जिससे उस वस्तु के रिकॉर्डिंग माध्यम के सापेक्ष छवि में वही स्थिति प्रतीत होती है, जैसी रिकॉर्डिंग के समय थी। ये छवि देखने वाले की स्थिति और ओरियन्टेशन के अनुसार वैसे ही बदलती प्रतीत होती है, जैसी कि उस वस्तु के उपस्थित होने पर होती। इस प्रकार अंइकित छवि एक त्रिआयामि चित्र प्रस्तुत करती है और होलोग्राम कहलाती है।|हिन्दुस्तान लाईव। २१ जून २०१०। सारांश जैन होलोग्राम का आविष्कार ब्रिटिश-हंगेरीयन भौतिक विज्ञानी डैनिस गैबर ने सन १९४७ में किया था, जिसे सन् १९६० में और विकसित किया गया। इसके बाद इसे औद्योगिक उपयोग में लाया गया। इसका उपयोग पुस्तकों के कवर, क्रेडिट कार्ड आदि पर एक छोटी सी रूपहली चौकोर पट्टी के रूप में दिखाई देता है। इसे ही होलोग्राम कहा जाता है। यह देखने में त्रिआयामी छवि या त्रिबिंब प्रतीत होती है, किन्तु ये मूल रूप में द्विआयामी आकृति का ही होता है। इसके लिये जब दो द्विआयामी आकृतियों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता जाता है। तकनीकी भाषा में इसे सुपरइंपोजिशन कहते हैं। यह मानव आंख को गहराई का भ्रम भी देता है। नोकिया के एक मोबाइल फोन पर त्रिआयामी होलोग्राम होलोग्राम के निर्माण में अतिसूक्ष्म ब्यौरे अंकित होने आवश्यक होते हैं, अतः इसको लेजर प्रकाश के माध्यम से बनाया जाता है। लेजर किरणें एक विशेष तरंगदैर्घ्य की होती हैं। क्योंकि होलोग्राम को सामान्य प्रकाश में देखा जाता है, अतः ये विशेष तरंगदैर्घ्य वाली लेजर किरणें होलोग्राम को चमकीला बना देती हैं। होलोग्राम पर चित्र प्राप्त करने के लिए दो अलग अलग तरंगदैर्घ्य वाली लेजर किरणों को एक फोटोग्राफिक प्लेट पर अंकित किया जाता है। इससे पहले दोनों लेजर किरणें एक बीम स्प्रैडर से होकर निकलती हैं, जिससे प्लेट पर लेज़र किरणों का प्रकाश फ्लैशलाइट की भांति जाता है और चित्र अंकित हो जाता है। इससे एक ही जगह दो छवियां प्राप्त होती हैं। यानि एक ही आधार पर लेजर प्रकाश के माध्यम से दो विभिन्न आकृतियों को इस प्रकार अंकित किया जाता है, जिससे देखने वाले को होलोग्राम को अलग-अलग कोण से देखने पर अलग आकृति दिखाई देती हैं। मानव आंख द्वारा जब होलोग्राम को देखा जाता है तो वह दोनों छवियों को मिलाकर मस्तिष्क में संकेत भेजती हैं, जिससे मस्तिष्क को उसके त्रिआयामी होने का भ्रम होता है। होलोग्राम तैयार होने पर उसको चांदी की महीन प्लेटों पर मुद्रित किया जाता है। ये चांदी की पर्तें डिफ्लैक्टेड प्रकाश से बनाई जाती हैं। होलोग्राम की विशेषता ये है कि इसकी चोरी और नकल करना काफी जटिल है, अतः अपनी सुरक्षा और स्वयं को अन्य प्रतिद्वंदियों से अलग करने के लिए विभिन्न कम्पनियां अपना होलोग्राम प्रयोग कर रही हैं। होलोग्राम के प्रयोग से नकली उत्पाद की पहचान सरलता से की जा सकती है। भारत में होलोग्राम की एक बड़ी कंपनी होलोस्टिक इंडिया लिमिटेड है। नकली दवाओं की पहचान करने के लिए भारत की प्रमुख औषधि कंपनी ने ग्लैक्सो ने बुखार कम परने वाली औषधि क्रोसीन को एक त्री-आयामी होलोग्राम पैक में प्रस्तुत किया है। यह परिष्कृत थ्री-डी होलोग्राम भारत में पहला एवं एकमात्र पीड़ानाशक एंटी पायेरेटिक ब्रांड है। होलोग्राम का प्रयोग करने वाली प्रसिद्ध भारतीय कंपनियों में हिन्दुस्तान यूनीलीवर, फिलिप्स इंडिया, अशोक लेलैंड, किर्लोस्कर, हॉकिन्स जैसी कंपनियां शामिल है। इसके अलावा रेशम और सिंथेटिक कपड़ा उद्योग के लिए होलोग्राफिक धागों के उत्पादन की योजना भी प्रगति पर है1 होलोग्राम कम होता खर्चीला है और इसके रहते उत्पादों के साथ छेड़छाड़ की जाये तो बड़ी सरलता से उसका पता लग जाता है। इसकी मदद से उत्पाद की साख और विशिष्टता बनी रहती है।|दैट्स हिन्दी। २ दिसम्बर २००७। मिश्रा.कैलाश.अभिनव प्रभु इसके अलावा मतदाता पहचान पत्र आदि में भी थ्री-डी होलोग्राम का प्रयोग किया जाता है। इसके लिये भारतीय निर्वाचन आयोग ने भी निर्देश जारी किये हैं। भारत के मतदाता पहचान पत्रों में भी होलोग्राम का प्रयोग होता है।|याहू-जागरण। १२ जनवरी २००९ इसके अलावा विद्युत आपूर्ति मीटरों पर बिजली की चोरी रोकने हेतु भी होलोग्राम का प्रयोग होता है। > File:Kinebar3.jpg| File:Hologram.jpg| File:Holo-Mouse.jpg| File:2_holograms.jpg| .
देखें १९४७ और होलोग्राफ़ी
हीरक जयंती
हीरक जयंती का प्रयोग पच्हत्तरवीं जयंती अथवा पच्हत्तरवीं वर्षगाँठ के लिये किया जाता है। उदाहरण के लिये यदि भारत देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हुआ तो 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता प्राप्ति की हीरक जयंती होगी। ध्यान देने की बात ये भी है कि इसी उदाहरण मे 15 अगस्त 2022 भारत का छिहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस होगा। चूंकि जयंती घटना के एक साल बाद से प्रारम्भ होती है इसलिये ये घटना की वास्तविक सँख्या से एक कम चलती है। अंग्रेजी भाषा मे हीरक जयंती के लिये डायमंड जुबली शब्द का प्रयोग होता है। हीरक शब्द हीरे का द्योतक है। .
देखें १९४७ और हीरक जयंती
जयंती
जयंती शब्द का प्रयोग मुख्यत: किसी घटना के घटित होने के दिन की, आगे आने वाले वर्षों में पुनरावृत्ति को दर्शाने के लिये किया जाता है। इसे वर्षगाँठ भी कह सकते हैं। उदाहरण के लिये यदि भारत देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हुआ तो 15 अगस्त 1948 को स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रथम जयंती होगी, 15 अगस्त 1949 को द्वितीय जयंती होगी, इत्यादि। ध्यान देने की बात ये भी है कि यद्यपि घटना सुखद भी हो सकती है (उदा० किसी विद्यालय की स्थापना) और दुखद भी (उदा० किसी महापुरुष की मृत्यु), लेकिन जयंती शब्द का प्रयोग केवल सुखद घटनाओं के लिये किया जाता है। .
देखें १९४७ और जयंती
जल सर्वेक्षण
निजी सर्वेक्षण पोत-नेप्च्यून जल सर्वेक्षण या हाइड्रोग्राफिक सर्वे सागर का वैज्ञानिक मानचित्र होता है, जिसमें सागर की गहराई, उसकी आकृति, उसका तल, उसमें किस दिशा से और कितनी धाराएं बहती हैं, का ज्ञान होता है। इसके साथ ही उसमें आने वाले ज्वारों का समय और परिमाण भी पता लगाया जाता है। झीलों और नदियों का जल सर्वेक्षण केवल उस स्थिति में किया जाता है जब उनमें जहाज चलते हों। इससे अभियांत्रिकी और नौवहन के काम में सहायता मिलती है। जल सर्वेक्षण में पानी की वर्तमान मात्र और रिजर्वायर के के बारे में जानकारी मिलती है। जल सर्वेक्षण सागर की तह में होने वाले दैनिक परिवर्तनों के और इसके अंदर के रहस्यों के ज्ञान हेतु किया जाता है। इस सर्वेक्षण की सहायता से समुद्र में मौजूद खनिजों, धातुओं, गैस आदि के भंडार पता लगाने में मदद मिलती है। साथ-साथ ही समुद्र के भीतर केबल, पाइपलाइन बिछाने, ड्रेजिंग जैसे कार्यो के लिए उसमें लगातार होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी करना बेहद आवश्यक हो जाता है। भारत में पहली बार नौसैनिक जल सर्वेक्षण विभाग, जो मैरीन सर्वे ऑफ इंडिया के नियंत्रण में था, की स्थापना १७७० में ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। १८७४ में कैप्टन डुंडस टेलर ने मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया को कोलकाता में स्थापित किया। १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरान्त इस विभाग को मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया के अन्तर्गत्त कर दिया गया। इसके बाद इसे १९५४ में देहरादून में स्थापित किया गया और इसका नाम नौसैनिक जल सर्वेक्षण कार्यालय (नेवल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस) कर दिया गया। इसके बाद में १९९६ में इसका नाम नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस कर दिया गया। नेशनल हाइड्रोग्राफिक सर्वे मार्च १९९९ में आईएसओ ९००२ का स्तर प्रदान किया गया। .
देखें १९४७ और जल सर्वेक्षण
जापान
जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .
देखें १९४७ और जापान
जगत मेहता
जगत मेहता एक प्रबुद्ध समाजकर्मी और सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा अधिकारी थे। 17 जुलाई 1922 को प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ॰ मोहन सिंह मेहता तथा विद्यादेवी के घर जन्मे जगत मेहता की प्रारंभिक शिक्षा विद्या भवन स्कूल में हुई। मेहता की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई। मेहता मार्च 1947 में भारतीय विदेश सेवा में चयनित हुए तथा विदेश नीति आयोजना विभाग के पहले प्रमुख बने। इससे पूर्व, जगत सिंह मेहता इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक तथा भारतीय नौसेना में भी कार्यरत रहे थे। जगत मेहता की 1960 में भारत चीन सीमा-विवाद सुलझाने, 1975 में युगाण्डा से निकाले गये भारतीयों के मुद्दे का निराकरण करने, 1976 में पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंधों की बहाली, भारत पाकिस्तान के मध्य 1976 में सलाल बांध एवं 1977 में फरक्का बांध विवाद निपटाने तथा नेपाल के साथ 1978 में व्यापारिक रिश्तों संबंधी समझौतों में ऐतिहासिक भूमिका रही। जगत मेहता ने अपने विदेश सेवा काल में 50 से अधिक देशों के साथ भारत के बहुपक्षीय संबंधों पर नेतृत्व किया। कॉमनवैल्थ प्रधानमंत्रियों तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न सम्मेलनों व बैठकों में मेहता की उपस्थिति व योगदान भारत की वैदेशिक कूटनीति के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जगत मेहता 1976 से 1979 के मध्य, देश के विदेश-सचिव रहे। वे टेक्सास विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। जगत सिंह मेहता अपने पिता द्वारा संस्थापित संस्था सेवा मन्दिर से पूरी उम्र जुड़े रहे तथा समाज-कार्यों के माध्यम से इन्होंने उदयपुर के लगभग 400 गांवों के समेकित विकास में प्रमुख भूमिका निभाई। 1985 से 94 तक वे सेवा मन्दिर के अध्यक्ष भी रहे तथा 1993 से 2000 तक उदयपुर की ही एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था विद्या भवन के अध्यक्ष रहे। 1985 से अंत तक डॉ॰ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के प्रन्यासी भी रहे। जगत मेहता उदयपुर स्थित झील संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी थे तथा उदयपुर की झीलों के लिये चिंता करते रहे। उनके परिवार में तीन पुत्र विक्रम मेहता, अजय मेहता तथा उदय मेहता एवं एक पुत्री विजया हैं। विदेश नीति के क्षेत्र में सम्पूर्ण विश्व में विशिष्ट पहचान रखने वाले तथा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक को विदेश नीति के मसलों पर सारगर्भित सलाह देने वाले, पूर्व विदेश सचिव पद्मभूषण जगत मेहता का 6 मार्च 2014 गुरूवार को उदयपुर में निधन हुआ। .
देखें १९४७ और जगत मेहता
जेल यात्रा
जेल यात्रा 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और जेल यात्रा
वाइसरॉय
वाइसरॉय एक शाही अधिकारी होता है, जो एक देश या प्रांत पर शासन करता है। यह शासन किसी मुख्य शासक के नाम पर होता है। यह शब्द बना है: वाइस अंग्रेज़ी से, अर्थात - उप, + फ्रेंछ शब्द रॉय, अर्थात राजा। वाइस का अर्थ लैटिन में " के नाम पर" भी होता है। तो पूर्ण अर्थ हुआ " राजा के नाम पर"। इनकी पत्नी को वाइसराइन कहा जाता था। .
देखें १९४७ और वाइसरॉय
विद्या सिन्हा
विद्या सिन्हा (जन्म: 15 नवंबर, 1947) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .
देखें १९४७ और विद्या सिन्हा
विद्याधर चक्रवर्ती
विद्याधर चक्रवर्ती। विद्याधर भट्टाचार्य (?)। विद्याधर (१६९३-१७५१) भारत के नगर-नियोजन के पुरोधा थे। आज से 286 साल पहले जयपुर जैसा सुव्यवस्थित और आधुनिक नगर बसाने के आमेर महाराजा सवाई जयसिंह के सपने को साकार करने में उनकी भूमिका सबसे निर्णायक और महत्वपूर्ण रही। गणित, शिल्पशास्त्र, ज्योतिष और संस्कृत आदि विषयों में उनकी असाधारण गति थी। विद्याधर बंगाल मूल के एक गौड़-ब्राह्मण थे, जिनके दस वैदिक ब्राह्मण पूर्वज आमेर-राज्य की कुलदेवी दुर्गा शिलादेवी की शिला खुलना-उपक्षेत्र के जैसोर (तब पूर्व बंगाल), अब बांग्लादेश) से लाने के समय जयपुर आये थे। उन्हीं में से एक के वंशज विद्याधर थे। .
देखें १९४७ और विद्याधर चक्रवर्ती
विनायक दामोदर सावरकर
विनायक दामोदर सावरकर (जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फ़रवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं के हिंदू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं आंदोलन चलाये। सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा । उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे जो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे । .
देखें १९४७ और विनायक दामोदर सावरकर
विलियम शोक्ली
विलियम शोक्ली १९५६ में विलियम शोक्ली, जॉन बर्दीन और वॉल्टर ब्रैट्टैन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला १९४७ में पहला ट्रांसिस्टर बनाने के लिये। .
देखें १९४७ और विलियम शोक्ली
वॉयस ऑफ़ अमेरिका
वॉयस ऑफ़ अमेरिका (अंग्रेज़ी: Voice of America (VOA)) अमेरिकी सरकार की आधिकारिक मल्टीमीडिया प्रसारण सेवा है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण सेवाओं में वॉयस आफ़ अमेरिका एक जाना-माना नाम है। अंग्रेज़ी के अतिरिक्त वीओए अन्य ४४ भाषाओं में भी प्रसारण करता है। इनमें से २५ भाषाओं पर दूरदर्शन पर भी प्रसारण होता है। आधिकारिक जालस्थल इस सेवा का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को विश्व के बारे में अमेरिकी दृष्टिकोण से अवगत कराना है। इस सेवा के वांछित श्रोता मात्र अमेरिका में या अमेरिकी नागरिक ही नहीं है, वरन् पूरे विश्व में इस पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को सुना जाता है। विश्व में इस सेवा के १२.५ करोड़ श्रोता/उपयोक्ता है। वीओए से प्रतिसप्ताह लगभग १५०० घंटे के समाचार, ज्ञानवर्धक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। इस सेवा को उत्कृष्ट बनाने में १३०० कर्मचारियों का सहयोग होता है। वीओए का गठन १९४२ में युद्ध सूचना कार्यालय के अधीन किया गया था जिसका उद्देश्य उस समय यूरोप में चल रहे द्वितीय विश्व युद्ध के समाचारों का प्रसारण करना था। वीओए ने २१ फरवरी, १९४२ को प्रसारण आरम्भ किया। वीओए द्वारा लघुतरंग ट्रान्समीटर ट्रान्समीटरों से प्रसारण किया जाता है और वे कोलम्बिया बॉडकास्टिंग सिस्टम (सीबीएस) द्वारा उपयोग किये जाते हैं। वीओए ने १७ फरवरी, १९४७ को भूतपूर्व सोवियत संघ में भी रेडियो प्रसारण आरम्भ किया।शीत युद्ध के दौरान, वीओए को संयुक्त राज्य सूचना संस्था के अधीन रखा गया। १९८० के दशक में वीओए ने दूरदर्शन सेवा भी आरम्भ की और क्यूबा के लिए विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण भी आरम्भ किया। वर्तमान में वीओए के २७ रेडियो प्रसारण स्टूडियो, ३३ प्रोडक्शन एवं रिकॉर्डिंग स्टूडियो, ३० व्यावसायिक मिक्सिंग एवं डबिंग स्टेशन, ४ दूरदर्शन स्टूडियो, २१ वीडियो संपादन सूट्स एवं मास्टर नियंत्रण, रिकॉर्डिंग, रीशिड्यूलिंग एवं फ़ीड इन्टेक की विभिन्न सुविधाएं हैं। इनका ३०,०००व र्ग फ़ीट का समाचार केन्द्र है जिसमें २४ घंटे, ३६५ दिन १५० से २०० समाचार रिपोर्टें प्रतिदिन सभी भाशाओं की सेवाओं एवं कार्यक्रमों के लिये कार्यरत हैं। यहां २२ अंतर्देशीय एवं १६ सूदूर संवाददातागण हैं, जिनके संग ९० अंशकालिक संवाददाता भी कार्यरत हैं, जिन्हें स्ट्रिंजर्स कहते हैं। वॉयस ऑफ अमेरिका की हिंदी सेवा को ५३ वर्षों की सेवा उपरांत ३० सितंबर २००८ को बंद कर दिया गया है। .
देखें १९४७ और वॉयस ऑफ़ अमेरिका
वॉल्टर ब्रैट्टैन
वॉल्टर ब्रैट्टैन १९५६ में विलियम शोक्ली, जॉन बर्दीन और वॉल्टर ब्रैट्टैन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला १९४७ में पहला ट्रांसिस्टर बनाने के लिये। .
देखें १९४७ और वॉल्टर ब्रैट्टैन
खूबसूरत दुनिया
खूबसूरत दुनिया 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और खूबसूरत दुनिया
गणतन्त्र दिवस (भारत)
गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती हैं। .
देखें १९४७ और गणतन्त्र दिवस (भारत)
ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची
List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .
देखें १९४७ और ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची
गोल्डन स्टेट वॉरियर्स
श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पैसिफिक डिवीज़न श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन - पश्चिमी कांफ्रेंस श्रेणी:नेशनल बास्केटबॉल असोसिएशन.
देखें १९४७ और गोल्डन स्टेट वॉरियर्स
गोविन्द चन्द्र पाण्डेय
डॉ॰ गोविन्द चन्द्र पाण्डेय (30 जुलाई 1923 - 21 मई 2011) संस्कृत, लेटिन और हिब्रू आदि अनेक भाषाओँ के असाधारण विद्वान, कई पुस्तकों के यशस्वी लेखक, हिन्दी कवि, हिन्दुस्तानी अकादमी इलाहबाद के सदस्य राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और सन २०१० में पद्मश्री सम्मान प्राप्त, बीसवीं सदी के जाने-माने चिन्तक, इतिहासवेत्ता, सौन्दर्यशास्त्री और संस्कृतज्ञ थे। .
देखें १९४७ और गोविन्द चन्द्र पाण्डेय
आधुनिक भारत-सुमित सरकाऱ
आधुनिक भारत के इतिहास पर लिखी गइ इस पुस्तक में भारत के इतिहास के १८८५ से १९४७ तक के काल की घटनाओं को समेटा गया है। इस पुस्तक में उन्होंने उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यह इतिहास को नीचे से देखने की कोशिश है। राष्ट्रवादी और अनेक मार्क्सवादी इतिहासकारों से भी थोड़ा अलग रहकर इसमें सचेत रूप से अभिजनवादी इतिहास दृष्टि से मुक्त रहने की कोशिश मिलती है। नवीनतम शोधों के निष्कर्षों को साथ लेकर चलने के कारण यह पुस्तक कई परंपरागत मान्यताओं से अलग और कहीं कहीं तो उसके खिलाफ भी जाती हुई प्रतीत होती है। दृष्टि के स्तर पर और कुछ तथ्य के स्तर पर भी आइ नवीनता इसे पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक बनाती है। मॉडर्न इंडिया नाम की इस पुस्तक का आधुनिक भारत नाम से शुशीला डोभार ने बेहतरीन हिंदी अनुवाद किया है। इसका प्रकाशन राजकमल प्काशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा पहले-पहल १९९३ में किया गया। २००६ तक इस पुस्तक की तेरह आवृत्तियाँ हो चुकी थी। .
देखें १९४७ और आधुनिक भारत-सुमित सरकाऱ
आगे बढ़ो
आगे बढ़ो 1947 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
देखें १९४७ और आगे बढ़ो
इंटेलिजेंस ब्यूरो
खुफिया ब्यूरो (Khufīya Bureau) जिसे IB (आईबी) के रूप में भी जाना जाता है, भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी है और ख्यात रूप से दुनिया की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है। इसे 1947 में गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो के रूप में पुनर्निर्मित किया गया। इसके गठन की धारणा के पीछे यह तथ्य हो सकता है कि 1885 में, मेजर जनरल चार्ल्स मैकग्रेगर को शिमला में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के खुफिया विभाग का क्वार्टरमास्टर जनरल और प्रमुख नियुक्त किया गया। उस वक्त इसका उद्देश्य था अफगानिस्तान में रूसी सैनिकों की तैनाती पर निगरानी रखना, क्योंकि 19वीं सदी के उत्तरार्ध में इस बात का डर था कि कहीं रूस उत्तर-पश्चिम की ओर से ब्रिटिश भारत पर आक्रमण ना कर दे। 1909 में, भारतीय अराजकतावादी गतिविधियों के पनपने की प्रतिक्रिया में इंग्लैंड में भारतीय राजनीतिक खुफिया कार्यालय की स्थापना की गई, जिसे बाद में 1921 से इंडियन पॉलिटिकल इंटेलिजेंस (आईपीआई) कहा गया। यह सरकार द्वारा संचालित निगरानी एजेंसी थी। आईपीआई को संयुक्त रूप से भारत कार्यालय और भारत सरकार द्वारा चलाया जाता था और भारत कार्यालय के नागरिक और न्यायिक विभाग सचिव और भारत में इंटेलिजेंस ब्यूरो निदेशक (डीआईबी) को संयुक्त रूप से रिपोर्ट भेजी जाती थी और यह स्कॉटलैंड यार्ड और MI5 के साथ करीबी संपर्क बनाए रखता था। .
देखें १९४७ और इंटेलिजेंस ब्यूरो
कन्नड साहित्य सम्मेलन
कन्नड साहित्य सम्मेलन कन्नड साहित्यकारों, लेखकों तथा कननाडिगारु लोगों का सम्मेलन है। इसका लक्षय कन्नड भाषा, कन्नड साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति का विकास करना है। इसका आरम्भ १९१५ में एच वी नान्जुनैया ने किया था। पहला सम्मेलन बंगलुरु में हुआ था। १९४८ तक इसका उद्घाटन किसी सुप्रसिद्ध कवि या लेखक द्वारा किया जाता था कि्न्तु १९४८ के बाद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं। इस सम्मेलन का आयोजन कन्नड साहित्य परिषद करती है। .
देखें १९४७ और कन्नड साहित्य सम्मेलन
कन्वेंशन ड्यू मेत्रे
कन्वेंशन ड्यू मेत या फ्रेंच में Convention du Mètre 20 मई, 1875 को हुई एन अन्तर्राष्ट्रीय संधि थी, जिसमें मीट्रिक मानकों पर नजर रखने हेतु तीन संगठनों की स्थापना की गयी थी। यह फ़्रेंच भाषा में लिखी गयी है और इसे अंग्रेजी भाषा में Metre Convention या मीटर सम्मेलन कहा जाता है। संयुक्त राज्य में इसे मीटर की संधि भी कहते हैं। इसे 1921 में छठी CGPM में पुनरावलोकित किया गया था। इस सम्मेलन में तीन संगठनों का प्रादुर्भाव हुआ थ। वे हैं.
देखें १९४७ और कन्वेंशन ड्यू मेत्रे
कश्मीर का इतिहास
भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू और कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरंभ होता है। राजधानी में डल झील में एक शिकारे से दृश्य .
देखें १९४७ और कश्मीर का इतिहास
क़ौमी तराना
पाक सरज़मीन पाकिस्तान का राष्ट्रगान है। इसे उर्दू में "क़ौमी तराना" कहा जाता है। इसे हफ़ीज़ जालंधरी ने लिखा था और इसका संगीत अकबर मुहम्मद ने बनाया। यह सन् 1954 में पाकिस्तान का राष्ट्रगान बना और उस से पहले जगन्नाथ आज़ाद द्वारा लिखित "ऐ सरज़मीन-ए-पाक" पाकिस्तान का राष्ट्रगान था। .
देखें १९४७ और क़ौमी तराना
काव्य के रूप
यह कृति १९४७ में प्रकाशित हुई। .
देखें १९४७ और काव्य के रूप
कवि सम्मेलन
यह पन्ना हिन्दी भाषा के कवि-सम्मेलन के लिए बनाया गया है। उर्दू कवि सम्मेलन के लिए मुशायरा पृष्ठ देखें। .
देखें १९४७ और कवि सम्मेलन
कुन्दन लाल सहगल
कुन्दन लाल सहगल (११ अप्रैल, १९०४ - १८ जनवरी, १९४७) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध गायक-अभिनेता थे। इन्हें हिंदी फिल्म उद्योग जो तत्कालीन समय के दौरान कोलकाता में केंद्रित था, का पहला सुपरस्टार माना जाता था। वर्ष २०१८ में उनके ११४वें जन्मदिन के अवसर को गूगल ने डूडल बना कर मनाया। .
देखें १९४७ और कुन्दन लाल सहगल
कोलकाता
बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .
देखें १९४७ और कोलकाता
अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन
अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (अंग्रेजी:International Civil Aviation Organization; ICAO), संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय वायु नौवहन के सिद्धांत और तकनीकों को नियत करती है और अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात के विकास और योजना का पालन करती है, जिससे कि सुरक्षित और क्रमवार विकास सुनिश्चित हो सके। इसका मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल में क्वार्टियर इंटरनेशनल में स्थित है। यह संगठन मानक एवं अनुशंसित सिफारिशों (standards and recommended practices) का पालन करता है, जो वायु नौवहन के संबंध में अवैधानिक हस्तक्षेप की रोकथाम एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमा-पारण का प्रबंध कराता है। इसके अलावा ICAO वायु दुर्घटनाओं की जाँच के नयाचार भी सीमांकित करता है। ये उन सभी देशों में लागू होता एवं मान्य है, जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन सम्मेलन में हस्ताक्षर किए हैं। ICAO को अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ (IATA) से अलग समझा जाना चाहिए। यह एक वायुसेवा (एयरलाइन) संचालकों का व्यापार संगठन है, संयोग से जिसका मुख्यालय भी मॉन्ट्रियल में ही स्थित है। ICAO logo.'''शीर्ष:''' ICAO लघु रूप अंग्रेज़ी में, फ्रेंच/स्पेनिश और रूसी.'''नीचे:''' ICAO लघुरूप चीनी एवं अरबी में .
देखें १९४७ और अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन
अन्वेषणों की समय-रेखा
यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तकनीकी खोजों की समय के सापेक्ष सूची दी गयी है। .
देखें १९४७ और अन्वेषणों की समय-रेखा
अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची
* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.
देखें १९४७ और अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे 2 बार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं। प्रिय प्रवास हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगला प्रसाद पारितोषित पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। .
देखें १९४७ और अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
अर्धचालक युक्ति
अर्धचालक युक्तियाँ (Semiconductor devices) उन एलेक्ट्रानिक अवयवों को कहते हैं जो अर्धचालक पदार्थों के गुण-धर्मों का उपयोग करके बनाये जाते हैं। सिलिकॉन, जर्मेनियम और गैलिअम आर्सेनाइड मुख्य अर्धचालक पदार्थ हैं। अधिकांश अनुप्रयोगों में अब उन सभी स्थानों पर अर्धचालक युक्तियाँ प्रयोग की जाने लगी हैं जहाँ पहले उष्मायनिक युक्तियाँ (निर्वात ट्यूब) प्रयोग की जाती थीं। अर्धचालक युक्तियाँ, ठोस अवस्था में एलेक्ट्रानिक संचलन पर आधारित हैं जबकि ट्यूब युक्तियाँ उच्चा निर्वात या गैसीय अवस्था में उष्मायनों के चालन पर आधारित थीं। निर्माण के आधार पर अर्धचालक युक्तियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं - अकेली युक्तियाँ और एकीकृत परिपथ (IC) .
देखें १९४७ और अर्धचालक युक्ति
असम के राज्यपालों की सूची
असम के राज्यपालों की सूची नामक इस सूची में १९३७ से अब तक के राज्यपालों के नाम हैं। असम के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। असम के राज्यपाल का आधिकारिक आवास राजभवन है। .
देखें १९४७ और असम के राज्यपालों की सूची
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन
अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग यह लेख या कुछ अंश अपनी मूल भाषा में है, जिससे कि इन तथ्यों की मौलिकता बनी रहे। कृपया इसे अनुवाद करने का प्रयास न करें, या पहले संवाद पृष्ठ पर चर्चा करके फिर सुधार करें। अन्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (फ्रेंच में Organisation internationale de normalisation), जिसे अधिकतर ISO कहा जाता है, विभिन्न राष्ट्रों के मानक संगठनों के प्रतिनिधियों से गठित एक अन्तर्राष्ट्रीय मानक-विन्यास संस्था है। इसकी स्थापना 23 फरवरी, 1947 को हुई थी, विश्वव्यापी औद्योगिक एवं वाणिज्यिक मानकों को घोषित करने हेतु। इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। यद्यपि ISO स्वयं को एक गैर सरकारी संगठन कहता है, इसकी मानक स्थापित करने की क्षमता, जो कि प्राय्ः विधि बन जाते हैं, या तो समझौतों के द्वारा, या फिर राष्ट्रीय मान; यह इसको गैर सरकारी संगठनों से अधिक शक्तिशाली बनाता है। वैसे व्यवहार में यह एक संकाय या अल्पकालीन संगठन जैसे कार्यरत है, जिसकी सरकारों से मजबूत कङियाँ हैं।.
देखें १९४७ और अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन
उद्देश्य संकल्प
उद्देश्य संकल्प(Objectives Resolution, ऑब्जेक्टिव्स् रेज़ोल्यूशन्; قرارداد مقاصد, क़रारदाद मक़ासद) एक संकल्प था जिसे पाकिस्तान की संविधान सभा ने 12 मार्च सन 1949 को पारित कर दिया। इस संकल्प 7 मार्च सन 1949 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने क़ौमी असेम्ब्ली(पाकिस्तान की विधायिका) में पेश की। इसे पाकिस्तानी रियासत व हुकूमत के नीती निर्देशक के रूप में पारित किया गया था। इसके अनुसार भविष्य में पाकिस्तान संविधान संरचना यूरोपीय शैली का कतई नहीं होगा, लेकिन इसके आधार इस्लामी लोकतंत्र और सिद्धांतों पर होगी। कहा जाता है कि इस बारे में पाकिस्तानियों ने भारतीयों की पैरवी की थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 में संकल्प लक्ष्य रखा था, जिसे सर्वसम्मति के साथ 22 जनवरी 1947 में स्वीकार कर लिया गया। इसमें दिये गए संकल्प पाकिस्तान को "कुरान और सुन्नत में दिये गए लोकतांत्रिक के आदर्शों" पर विकसित व खड़ा करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही इसमें पाकिस्तान में मुसलमानों को कुरान और सुन्नत में दिये गए नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का अवसर देने की एवं अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक व अन्य वैध अधिकारों की रक्षा की भी बात की गई है। इसे कई माएनों में पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ में मनाआ जाता है। साथ ही इसकी इस्लाम-प्रोत्साहक चरित्र के लिये, यह हमेशा से ही विवादास्पक भी रहा है और कई बार, गैर-मुसलमालों व कई बुद्धिजीवियों द्वारा इस्का विरोध होता रहा है। .
देखें १९४७ और उद्देश्य संकल्प
१ मार्च
1 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 60वॉ (लीप वर्ष में 61 वॉ) दिन है। साल में अभी और 305 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १ मार्च
१ जनवरी
१ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का पहला दिन है। वर्ष में अभी और ३६४ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३६५)। .
देखें १९४७ और १ जनवरी
१० दिसम्बर
10 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 344वाँ (लीप वर्ष में 345वाँ) दिन है। साल में अभी और 21 दिन बाकी हैं। .
देखें १९४७ और १० दिसम्बर
१० फ़रवरी
10 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 41वॉ दिन है। साल में अभी और 324 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 325)। .
देखें १९४७ और १० फ़रवरी
१० जनवरी
10 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 10वाँ दिन है। साल में अभी और 355 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 356)। .
देखें १९४७ और १० जनवरी
१२ दिसम्बर
12 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 346वॉ (लीप वर्ष मे 347 वॉ) दिन है। साल में अभी और 19 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १२ दिसम्बर
१२ मई
12 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 132वॉ (लीप वर्ष में 133 वॉ) दिन है। साल में अभी और 233 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १२ मई
१३ सितम्बर
13 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 256वॉ (लीप वर्ष में 257 वॉ) दिन है। साल में अभी और 109 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १३ सितम्बर
१४ अगस्त
14 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 226वॉ (लीप वर्ष में 227 वॉ) दिन है। साल में अभी और 139 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १४ अगस्त
१५ नवम्बर
१५ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१९वॉ (लीप वर्ष में ३२० वॉ) दिन है। साल में अभी और ४६ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १५ नवम्बर
१५ मार्च
15 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 74वॉ (लीप वर्ष मे 75 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 291 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १५ मार्च
१५ जनवरी
15 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 15वाँ दिन है। साल में अभी और 350 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 351)। .
देखें १९४७ और १५ जनवरी
१५ अगस्त
15 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 227वॉ (लीप वर्ष मे 228 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 138 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १५ अगस्त
१७ फ़रवरी
17 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 48वॉ दिन है। साल में अभी और 317 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 318)। .
देखें १९४७ और १७ फ़रवरी
१७ जुलाई
१७ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९८वॉ (लीप वर्ष में १९९वॉ) दिन है। वर्ष में अभी और १६७ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १७ जुलाई
१७ अगस्त
१७ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २२९वाँ (लीप वर्ष मे २३०वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और १३६ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १७ अगस्त
१८ सितम्बर
18 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 261वॉ (लीप वर्ष मे 262 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 104 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और १८ सितम्बर
१९ मार्च
१९ मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ७८वाँ (लीप वर्ष मे ७९वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और २८७ दिन बाकी है। जार्ज बुश दवारा इराक युद्ध का आगज्। .
देखें १९४७ और १९ मार्च
१९४७ का भारत-पाक युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध सन् १९४७ में हुआ था। यह कश्मीर को लेकर हुआ था जो १९४७-४८ के दौरान चला। .
देखें १९४७ और १९४७ का भारत-पाक युद्ध
२ नवम्बर
२ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०६वाँ (लीप वर्ष मे ३०७वाँ) दिन है। साल मे अभी और ५९ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २ नवम्बर
२० अक्टूबर
20 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 293वॉ (लीप वर्ष मे 294 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 72 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २० अक्टूबर
२१ नवम्बर
२१ नवम्बर ग्रीगोरी पंचाग का ३२५वां (लीप वर्ष में ३२६वां) दिन है। इसके बाद वर्षान्त तक ४० दिन और बचते हैं। .
देखें १९४७ और २१ नवम्बर
२१ जून
21 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 172वाँ (लीप वर्ष में 173 वाँ) दिन है। साल में अभी और 193 दिन बाकी हैं। २१जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी भी मनाया जाता है जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में रखकर की जिसकी स्वीकृति संयुक्त राष्ट्र ने ११ दिसंबर २०१४ को दे दी। भारत में योग का प्रतिनिधित्व योगगुरु बाबा रामदेव करते है जिन्होंने लाखो गरीब लोगो को निशुल्क योग शिविर लगा कर कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाई है। योग मन की शांति का एक मार्ग है। .
देखें १९४७ और २१ जून
२२ दिसम्बर
22 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 356वॉ (लीप वर्ष मे 357 वॉ) दिन है। साल में अभी और 9 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २२ दिसम्बर
२२ मई
बछेंद्री पाल ने दुनिया के सबसे ऊंची पर्वत एवेरेस्ट को २२ मई १९८४ को फतह किया था। 22 मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 142वॉ (लीप वर्ष मे 143 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 223 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २२ मई
२२ जुलाई
२२ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २०३वॉ (लीप वर्ष मे २०४ वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६२ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २२ जुलाई
२३ फ़रवरी
23 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 54वॉ दिन है। साल में अभी और 311 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 312)। .
देखें १९४७ और २३ फ़रवरी
२३ अगस्त
23 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 235वॉ (लीप वर्ष में 236 वॉ) दिन है। साल में अभी और 130 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २३ अगस्त
२४ जनवरी
२४ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४वाँ दिन है। साल में अभी और ३४१ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३४२)। .
देखें १९४७ और २४ जनवरी
२७ नवम्बर
27 नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 331वॉ (लीप वर्ष मे 332 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 34 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २७ नवम्बर
२९ नवम्बर
29 november 1998 के दिन श्रेयश पांडेय का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद जिले में हुआ था।इनकी माता का नाम पुष्पा पांडेय तथा पिता का नाम प्रभात प्रसून पांडेय है।इनकी बहन का नाम आकांक्षा पांडेय है। ये उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मूल निवासी है। प्रारंभिक शिक्षा मॉडर्न पब्लिक स्कूल फरीदाबाद में हुई। ततपश्चात हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की शिक्षा अभयानंद इण्टर कॉलेज से की। जहाँ गुड्डू शरद सत्यम जैसे दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त मिले। अंजली पांडेय क्लास 10 से जो इनकी जान है वो यही पर पहली बार मिली। .
देखें १९४७ और २९ नवम्बर
२९ मार्च
29 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 88वॉ (लीप वर्ष में 89 वॉ) दिन है। साल में अभी और 277 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २९ मार्च
२९ अगस्त
29 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 241वॉ (लीप वर्ष मे 242 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 124 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और २९ अगस्त
३ मई
३ मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १२३वॉ (लीप वर्ष में १२४वॉ) दिन है। साल में अभी और २४२ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ३ मई
३० सितम्बर
30 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 273वॉ (लीप वर्ष मे 274 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 92 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ३० सितम्बर
३० अगस्त
30 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 242वॉ (लीप वर्ष मे 243 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 123 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ३० अगस्त
३१ जनवरी
31 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 31वाँ दिन है। साल में अभी और 334 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 335)। .
देखें १९४७ और ३१ जनवरी
३१ अगस्त
31 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 243वॉ (लीप वर्ष मे 244 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 122 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ३१ अगस्त
५ अगस्त
5 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 217वॉ (लीप वर्ष मे 218 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 148 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ५ अगस्त
५०० होम रन दल
In मेजर लीग बेसबॉल, the ५०० होम रन क्लब is an informal term applied to the group of players who have hit 500 or more career home runs.
देखें १९४७ और ५०० होम रन दल
७ अगस्त
7 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 219वॉ (लीप वर्ष मे 220 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 146 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ७ अगस्त
८ दिसम्बर
८ दिसम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४२वॉ (लीप वर्ष मे ३४३वॉ) दिन है। साल में अभी और २३ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ८ दिसम्बर
८ अप्रैल
8 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 98वां (लीप वर्ष में 99वां) दिन है। साल में अभी 267 दिन और बाकी है। .
देखें १९४७ और ८ अप्रैल
९ दिसम्बर
9 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 343वॉ (लीप वर्ष मे 344 वॉ) दिन है। साल में अभी और 22 दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ९ दिसम्बर
९ नवम्बर
९ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१३वॉ (लीप वर्ष में ३१४ वॉ) दिन है। साल में अभी और ५२ दिन बाकी है। .
देखें १९४७ और ९ नवम्बर
९ अक्टूबर
9 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 282वॉ (लीप वर्ष मे 283 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 83 दिन बाकी है।.
देखें १९४७ और ९ अक्टूबर
1947 के रूप में भी जाना जाता है।