सामग्री की तालिका
47 संबंधों: त्रिलोचन शास्त्री, पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास, पुरुषोत्तम नागेश ओक, पोथांग, फ़िरोज़ खान नून, बीसवीं शताब्दी, भारत रत्न, भारत का ध्वज, मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन, रज़िया सज्जाद ज़हीर, रूस, संविधान, सुशीला दीदी, सूफी अंबा प्रसाद भटनागर, हिंदु-जर्मन षडयंत्र, जगदीशचंद्र माथुर, जॉर्ज पंचम, ईसा मसीह सत्य गिरजाघर, गनोगा झील, गजानन माधव मुक्तिबोध, ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, ओक्तवे मिर्बो, आर॰ए॰ पद्मनाभान, इन्दिरा गांधी, कन्नड साहित्य सम्मेलन, कृष्णकुमार बिड़ला, अन्वेषणों की समय-रेखा, अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, १ फ़रवरी, ११ फ़रवरी, १२ जनवरी, १२ अप्रैल, १४ नवम्बर, १५ दिसम्बर, १६ जुलाई, १७ जनवरी, १७ जुलाई, १७ अगस्त, १९ नवम्बर, २० नवंबर, ४ फ़रवरी, ५ दिसम्बर, ५ नवम्बर, ६ दिसम्बर, ६ अप्रैल, ८ मार्च, ९ दिसम्बर।
त्रिलोचन शास्त्री
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। वे आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य दो सतंभ नागार्जुन व शमशेर बहादुर सिंह थे। .
देखें १९१७ और त्रिलोचन शास्त्री
पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास
यह कृति १९१७ में प्रकाशित हुई।.
देखें १९१७ और पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास
पुरुषोत्तम नागेश ओक
पुरुषोत्तम नागेश ओक, (जन्म: 2 मार्च, 1917-मृत्यु: 7 दिसंबर, 2007), जिन्हें पी०एन० ओक के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहास लेखक थे। .
देखें १९१७ और पुरुषोत्तम नागेश ओक
पोथांग
पोथांग, भारत के राज्य मणिपुर के आदिवासियों से अंग्रेजों द्वारा ली जाने वाली बेगार की प्रथा थी। अंग्रेज़ साहब मणिपुर के आदिवासी थोड़ोइ कुकियों से बिना वेतन दिए अपना सामान उठवाता था। इसने थोड़ोइ कुकियों के बीच अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष का विस्तार किया। 1917 में यह अंग्रेजों के खिलाफ थोड़ोइ कुकियों के विद्रोह को भड़काने में सहायक हुआ। .
देखें १९१७ और पोथांग
फ़िरोज़ खान नून
फिरोज खान नून, एक पाकिस्तानी राजनेता, एवं पाकिस्तान के ७वें प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 7 मई 1893 ई। को पाकीसतान के जिला सरगोधा की तहसील भलवाल के गांव हमोकह में हुआ था। वह सिर मोहम्मद हेयान नून के पुत्र थे। उनहोंने प्रारंभिक शिक्षा पब्लिक स्कूल भेरह जिले सरगोधा से प्राप्त की। 1905 में उन्होंने, एॅलिसन कॉलेज लाहौर में दाखिला लिया। 1912 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1916 में विलियम कॉलेज ऑक्सफोर्ड से हिस्ट्री में बीए किया। 1917 में बैरिस्टर बनकर वापस भारत चले आए। जन 1918 ई। में सरगोधा से अपनी प्रैक्टिस शुरू की। जन 1921 से जनवरी 1927 हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। .
देखें १९१७ और फ़िरोज़ खान नून
बीसवीं शताब्दी
ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.
देखें १९१७ और बीसवीं शताब्दी
भारत रत्न
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .
देखें १९१७ और भारत रत्न
भारत का ध्वज
भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।। भास्कर डॉट कॉम। १५ अगस्त २००९ इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप मै ही भारत की निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है: .
देखें १९१७ और भारत का ध्वज
मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन
मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन(17 जनवरी, 1917 - 24 दिसेम्बर, 1987), जो एम जी आर के नाम से भी लोकप्रिय थे। वे तमिल फिल्मों के अभिनेता और राजनीतिज्ञ थे और वर्ष 1977 से लेकर 1987 में उनके निधन तक वे भारत के तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनका जन्म कैन्डी,श्रीलंका में हुआ था। .
देखें १९१७ और मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन
रज़िया सज्जाद ज़हीर
रजिया सज्जाद जहीर उर्दू की कहानी लेखिका हैं। इनका जन्म १५ फरवरी, सन् १९१७ को राजस्थान के अजमेर शहर में हुआ था। रजिया ने आरम्भिक शिक्षा से लेकर कला स्नातक तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। इसके बाद उनका विवाह सज्जाद ज़हीर नामक साम्यवादी (कम्यूनिस्ट) से हुआ। विवाह के बाद उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन १९४७ में वे अजमेर से लखनऊ आईं और वहाँ करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढाने लगीं। सन् १९६५ में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। उनका निधन १८ दिसबर, १९७९ को हुआ। .
देखें १९१७ और रज़िया सज्जाद ज़हीर
रूस
रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .
देखें १९१७ और रूस
संविधान
संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .
देखें १९१७ और संविधान
सुशीला दीदी
सुशीला दीदी (५ मार्च १९०५ - १३ जनवरी १९६३) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक क्रांतिकारी महिला थीं। .
देखें १९१७ और सुशीला दीदी
सूफी अंबा प्रसाद भटनागर
सूफ़ी अंबा प्रसाद भटनागर (१८५८ - २१ जनवरी, १९१७) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे। इनका जन्म १८५८ में मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके जन्म से ही दायां हाथ नहीं था। इन्होंने १९०९ में पंजाब से 'पेशवा' अखबार निकाला। बाद में अंग्रेज़ों से बचने हेतु नाम बदल कर सूफ़ी मुहम्मद हुसैन रखा। इस कारण ये सूफ़ी अंबा प्रसाद भटनागर के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हें १८९७ और फिर १९०७ में दूसरी बार फांसी की सजा ब्रिटिश सरकार ने सुनायी थी। इससे बचने के लिए ये नाम बदल कर ईरान भाग गये। वहां ये गदर पार्टी के अग्रणी नेता भी रहे।। जसपाल सिंह इनका मकबरा ईरान के शीराज़ शहर में स्थित है। जालस्थल पर .
देखें १९१७ और सूफी अंबा प्रसाद भटनागर
हिंदु-जर्मन षडयंत्र
हिन्दु जर्मन षडयन्त्र(नाम), १९१४ से १९१७ के (प्रथम विश्व युद्ध) दौरान ब्रिटिश राज के विरुद्ध एक अखिल भारतीय विद्रोह का प्रारम्भ करने के लिये बनाई योजनायो से सम्बद्ध है। इस षडयन्त्र मे भारतीय राष्ट्वादी सन्गठन के भारत, अमेरिका और जर्मनी के सदस्य शामिल थे। Irish Republicans और जर्मन विदेश विभाग ने इस षड्यन्त्र में भारतीयो का सहयोग किया था। यह षडयन्त्र अमेरिका मे स्थित गदर पार्टी, जर्मनी मे स्थित बर्लिन कमिटी, भारत मे स्थित Indian revolutionary Underground और सान फ़्रांसिसको स्थित दूतावास के द्वारा जर्मन विदेश विभाग ने साथ मिलकर रचा था। सबसे महत्वपूर्ण योजना पंजाब से लेकर सिंगापुर तक सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के अन्दर बगावत फैलाकर विद्रोह का प्रयास करने की थी। यह योजना फरवरी १९१५ मे क्रियान्वित करके, हिन्दुस्तान से ब्रिटिश साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का उद्देश्य लेकर बनाई गयी थी। अन्ततः यह योजना ब्रिटिश गुप्तचर सेवा ने, गदर आन्दोलन मे सेंध लगाकर और कुछ महत्वपूर्ण लोगो को गिरफ्तार करके विफल कर दी थी। उसी तरह भारत की छोटी इकाइयों मे और बटालियनो मे भी विद्रोह को दबा दिया गया था। युगांतर जर्मन साजिश, अन्य संबंधित घटनाओं 1915 सिंगापुर विद्रोह, एनी लार्सन हथियार साजिश एनी लार्सन चक्कर शामिल हैंकाबुल, के विद्रोह.
देखें १९१७ और हिंदु-जर्मन षडयंत्र
जगदीशचंद्र माथुर
जगदीशचंद्र माथुर (जन्म १६ जुलाई, १९१७ -- १९७८) हिंदी के लेखक एवं नाटककार थे। वे उन साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने आकाशवाणी में काम करते हुए हिन्दी की लोकप्रयता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। रंगमंच के निर्माण, निर्देशन, अभिनय, संकेत आदि के सम्बन्ध में आपको विशेष सफलता मिली है। परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण के ऐसे ऐतिहासिक समय में जगदीशचंद्र माथुर, आईसीएस, ऑल इंडिया रेडियो के डायरेक्टर जनरल थे। उन्होंने ही 'एआईआर' का नामकरण आकाशवाणी किया था। टेलीविज़न उन्हीं के जमाने में वर्ष १९५९ में शुरू हुआ था। हिंदी और भारतीय भाषाओं के तमाम बड़े लेखकों को वे ही रेडियो में लेकर आए थे। सुमित्रानंदन पंत से लेकर दिनकर और बालकृष्ण शर्मा नवीन जैसे दिग्गज साहित्यकारों के साथ उन्होंने हिंदी के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूचना संचार तंत्र विकसित और स्थापित किया था। जगदीश चंद्र माथुर- उपन्यास --- यादों का पहाड़,आधा पुल,मुठ्ठी भर कांकर,कभी न छोड़ें खेत,धरती धन न अपना .
देखें १९१७ और जगदीशचंद्र माथुर
जॉर्ज पंचम
जॉर्ज पंचम (जॉर्ज फ्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट; 3 जून 1865 – 20 जनवरी 1936) प्रथम ब्रिटिश शासक थे, जो विंडसर राजघराने से संबंधित थे। संयुक्त राजशाही एवं अन्य राष्ट्रमंडल समूह के महाराजा होने के साथ साथ, जॉर्ज भारत के सम्राट एवं स्वतन्त्र आयरिश राज्य के राजा भी थे। जॉर्ज ने सन 1910 से प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) के दौरान और बाद में 1936 में अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया। जॉर्ज के पिता महाराज एडवर्ड सप्तम की १९१० में मृत्यु होने पर, वे महाराजा बने। वे एकमात्र ऐसे सम्राट थे, जो कि अपने स्वयं के दिल्ली दरबार में, अपनी भारतीय प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए, जहां उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने सारी जर्मन उपाधियां, वापस कर दीं। इनके शासन ने फासीवाद, नाजीवाद, समाजवाद इत्यादि देखे; एवं प्रथम मजदूर मंत्रालय भी, जिन सभी घटनाओं ने राजनैतिक क्रम को बदल दिया। जॉर्ज को उनके अंतिम दिनों में प्लेग व अन्य बीमारियों ने घेर लिया था; जब उनकी मृत्यु पर उनके ज्येष्ठ पुत्र एडवर्ड अष्टम ने राजगद्दी संभाली। .
देखें १९१७ और जॉर्ज पंचम
ईसा मसीह सत्य गिरजाघर
ईसा मसीह सत्य गिरजाघर एक स्वतंत्र गिरिजाघर है जो कि १९१७ में बीजींग, चीन में स्थापित किया गया था। प्रचारक युंग-जी लिन सत्य ईसा मसीह गिरजाघर के वर्तमान अध्यक्ष हैं। ये गिरिजाघर ईसाई समाज के रोमीय मत विरोधी (प्रोटेस्टेन्ट) शाखा से संबंधित है। भारत में इसकी स्थापना १९३२ में हुई। इस गिरिजाघर में बड़ा दिन और शुभ शुक्रवार नहीं मनाए जाते। .
देखें १९१७ और ईसा मसीह सत्य गिरजाघर
गनोगा झील
गनोगा झील संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में एक प्राकृतिक झील है।Ricketts, pp.
देखें १९१७ और गनोगा झील
गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवंबर १९१७ - ११ सितंबर १९६४) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है। .
देखें १९१७ और गजानन माधव मुक्तिबोध
ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची
List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .
देखें १९१७ और ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची
ओक्तवे मिर्बो
Octave Mirbeau ओक्तवे मिर्बो (फ़्रान्सीसी भाषा: Octave Mirbeau) (16 फरवरी 1848 - 16 फरवरी 1917) एक फ्रेंच लेखक, पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और राजनीतिक कार्यकर्ता.
देखें १९१७ और ओक्तवे मिर्बो
आर॰ए॰ पद्मनाभान
आर॰ए॰ पद्मनाभान (१९१७–२०१४) भारतीय पत्रकार और इतिहासकार। .
देखें १९१७ और आर॰ए॰ पद्मनाभान
इन्दिरा गांधी
युवा इन्दिरा नेहरू औरमहात्मा गांधी एक अनशन के दौरान इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। .
देखें १९१७ और इन्दिरा गांधी
कन्नड साहित्य सम्मेलन
कन्नड साहित्य सम्मेलन कन्नड साहित्यकारों, लेखकों तथा कननाडिगारु लोगों का सम्मेलन है। इसका लक्षय कन्नड भाषा, कन्नड साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति का विकास करना है। इसका आरम्भ १९१५ में एच वी नान्जुनैया ने किया था। पहला सम्मेलन बंगलुरु में हुआ था। १९४८ तक इसका उद्घाटन किसी सुप्रसिद्ध कवि या लेखक द्वारा किया जाता था कि्न्तु १९४८ के बाद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं। इस सम्मेलन का आयोजन कन्नड साहित्य परिषद करती है। .
देखें १९१७ और कन्नड साहित्य सम्मेलन
कृष्णकुमार बिड़ला
कृष्णकुमार बिड़ला (१२ अक्टूबर, १९१८ - ३० अगस्त, २००८) भारत के प्रख्यात उद्योगपति और राज्यसभा के पूर्व राज्य सभा सदस्य थे। घनश्याम दास बिड़ला के पुत्र कृष्णकांत बिड़ला का जन्म १२ अक्टूबर, १९१८ को राजस्थान के पिलानी में हुआ था। उनके पिता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थकों और गांधी जी के निकटवर्तियों में शामिल थे। उनकी उच्च शिक्षा कोलकाता, दिल्ली और पंजाब विश्वविद्यालय से हुई।। दैट्स हिन्दी। शनिवार, अगस्त 30, 2008 ये १९८४ से २००० तक लगातार १८ वर्षों के लिये राज्यसभा के सदस्य भी रहे और इस दौरान संसद की कई समितियों की अध्यक्षता की। भारतीय चीनी उद्योग के वे संस्थापक सदस्यों में थे। बिड़ला के औद्योगिक साम्राज्य में चीनी, उर्वरक, रसायन, हैवी इंजीनियरिंग, वस्त्र, जहाजरानी और समाचार-पत्र जैसे मुख्य उद्योग शामिल हैं। कृष्ण कुमार एक उद्योगपति होने के अलावा एक सम्मानित सांसद, समाजसेवी और विद्वान व्यक्ति थे। १९६१ में वे कलकत्ता के शेरिफ चुने गए थे और १९९७ में उन्हें पांडिचेरी विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लेटर्स से सम्मानित किया था। उन्होंने भारतीय चीनी उद्योग एसोशिएसन, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स (फिक्की) और इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) की भी अध्यक्षता की। उन्होंने केके बिड़ला फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारतीय साहित्य, वैज्ञानिक अनुसंधान और भारतीय दर्शनशास्त्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा करता है। हिन्दुस्तान टाइम्स और बिड़ला समूह के अनेक उद्योगों के अध्यक्ष बिड़ला के परिवार में उनकी तीन पुत्रियाँ नंदिनी नुपानी, शोभना भारतीय और सरोज पोतदार हैं। शोभना भारतीय भारत के बड़े समाचारपत्र हिन्दुस्तान टाइम्स की संपादकीय सलाहकार हैं। उनकी पत्नी मनोरमा देवी बिड़ला का इनसे एक माह पूर्व जुलाई, २००८ में निधन हो गया था। .
देखें १९१७ और कृष्णकुमार बिड़ला
अन्वेषणों की समय-रेखा
यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तकनीकी खोजों की समय के सापेक्ष सूची दी गयी है। .
देखें १९१७ और अन्वेषणों की समय-रेखा
अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची
* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.
देखें १९१७ और अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची
१ फ़रवरी
1 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 32वां दिन है। साल मे अभी और 333 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 334)। .
देखें १९१७ और १ फ़रवरी
११ फ़रवरी
11 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 42वॉ दिन है। साल में अभी और 323 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 324)। .
देखें १९१७ और ११ फ़रवरी
१२ जनवरी
12 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 12वाँ दिन है। साल में अभी और 353 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 354)। .
देखें १९१७ और १२ जनवरी
१२ अप्रैल
12 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 102वाँ (लीप वर्ष मे 103वाँ) दिन है। साल मे अभी और 263 दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १२ अप्रैल
१४ नवम्बर
१४ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१८वॉ (लीप वर्ष मे ३१९ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४७ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १४ नवम्बर
१५ दिसम्बर
१५ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४९वॉ (लीप वर्ष मे ३५० वॉ) दिन है। साल में अभी और १६ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १५ दिसम्बर
१६ जुलाई
१६ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९७वॉ (लीप वर्ष में १९८ वॉ) दिन है। साल में अभी और १६८ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १६ जुलाई
१७ जनवरी
17 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 17वाँ दिन है। साल में अभी और 348 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष 17 जनवरी 1946 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पहली बैठक हुई .
देखें १९१७ और १७ जनवरी
१७ जुलाई
१७ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९८वॉ (लीप वर्ष में १९९वॉ) दिन है। वर्ष में अभी और १६७ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १७ जुलाई
१७ अगस्त
१७ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २२९वाँ (लीप वर्ष मे २३०वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और १३६ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १७ अगस्त
१९ नवम्बर
१९ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२३वॉ (लीप वर्ष मे ३२४ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४२ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और १९ नवम्बर
२० नवंबर
२० नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२४वॉ (लीप वर्ष मे ३२५ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४१ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और २० नवंबर
४ फ़रवरी
4 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 35वॉ दिन है। साल मे अभी और 330 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 331)। इस दिन श्रीलंका में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। .
देखें १९१७ और ४ फ़रवरी
५ दिसम्बर
5 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 339वॉ (लीप वर्ष मे 340 वॉ) दिन है। साल में अभी और 26 दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और ५ दिसम्बर
५ नवम्बर
५ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०९वॉ (लीप वर्ष मे ३१० वॉ) दिन है। साल मे अभी और ५६ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और ५ नवम्बर
६ दिसम्बर
६ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४०वॉ (लीप वर्ष में ३४१ वॉ) दिन है। अर्ष में अभी और २५ दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और ६ दिसम्बर
६ अप्रैल
6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और ६ अप्रैल
८ मार्च
8 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 67वॉ (लीप वर्ष में 68 वॉ) दिन है। साल में अभी और 298 दिन बाकी है। अंतराष्ट्रीय नारी दिवस (संयुक्त राष्ट्र संघ) .
देखें १९१७ और ८ मार्च
९ दिसम्बर
9 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 343वॉ (लीप वर्ष मे 344 वॉ) दिन है। साल में अभी और 22 दिन बाकी है। .
देखें १९१७ और ९ दिसम्बर
1917 के रूप में भी जाना जाता है।