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१०वीं शताब्दी

सूची १०वीं शताब्दी

१०वीं शताब्दी एक ईसवीं शताब्दी है। शताब्दी, १०वीं.

9 संबंधों: नरवर दुर्ग, पारसगढ़ दुर्ग, बाञ्जुल, बंगाल की खाड़ी, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा, ओड़िया भाषा, कर्नाटक, कर्नाटक/आलेख, कालिंजर दुर्ग

नरवर दुर्ग

नरवर दुर्ग मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के नरवर में विन्ध्य वर्वतमाला की एक पहाड़ी पर स्थित है। इसकी ऊँचाई भूस्तर से लगभग ५०० फीट है और यह लगभग ८ वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। कहा जाता है कि १०वीं शताब्दी में जब कछवाहा राजपूतों ने नरवर पर अधिकार किया तो इस दुर्ग का निर्माण (पुनर्निर्माण) किया। कछवाहों के बाद यहां परिहार और फ़िर तोमर राजपूतों का आधिपत्य रहा और अन्ततः यह १६वीं शताब्दी में मुगलों के अधीन आ गया। कालान्तर में १९वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां मराठा सरदार सिन्धिया ने अधिकार किया।, शिवपुरी पर्यटन .

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पारसगढ़ दुर्ग

पारसगढ़ दुर्ग, सौंदत्ती, उत्तरी कर्नाटक पारसगढ़ दुर्ग कर्नाटक राज्य के बेलगाम जिला में एक दुर्ग के अवशेष हैं। यह आलीशान दुर्ग १०वीं शताब्दी में रत्ता वंश के शासकों ने बनवाया था। दुर्ग सौन्दत्ती से २ कि॰मी॰ दक्षिण में एक पहाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी छोर से लगा हुआ बना है। यहां हिन्दू पंचांग के अनुसार शक संवत ९०१ का एक शिलालेख है और एक हनुमान जी का मंदिर भी है। Image:Parasgad_Fort_5.jpg|Parasgad Fort, Saundatti, North Karnataka Image:Parasgad_Fort_2.jpg|Parasgad Fort, Saundatti, North Karnataka Image:Parasgad_Fort_1.jpg|Parasgad Fort, Saundatti, North Karnataka .

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बाञ्जुल

बांजुल (भूतपूर्व बाथर्स्ट), जिसका आधिकारिक नाम बांजुल नगर है, अफ़्रीका महाद्वीप के गाम्बिया की राजधानी, जो उसी नाम के विभाग में स्थित है। बांजुल नगर की जनसंख्या मात्र ३४,८२८ है जबकि वृहदतर बांजुल क्षेत्र, जिसमें बांजुल नगर और कानिफ़िंग नगरपालिका परिषद सम्मिलित हैं, की जनसंख्या ३,५७,२३८ (२००३ की जनगणना अनुसार) है। यह नगर सेंट मैरी द्वीप (जिसे बांजुल द्वीप भी कहते हैं) पर स्थित है। यहीं पर गाम्बिया नदी, अंध महासागर में मिलती है। यह द्वीप मुख्यभूमि से उत्तर की ओर यात्री और वाहन नौकाओं से और दक्षिण की ओर पुल से जुड़ा हुआ है। वर्तमान गाम्बिया राष्ट्र कभी घाना साम्राज्य और सोंघाई साम्राज्य का भाग हुआ करता था। इस क्षेत्र के संबंध में उपलब्ध प्रथम लिखित प्रमाण ९वीं और १०वीं शताब्दियों में अरब व्यापारियों के लिखे मिलते हैं। अरब व्यापारियों ने इस क्षेत्र में दासों, सोने और हाथी-दाँत के व्यापार के लिए ट्रांस-सहारा व्यापार मार्ग की स्थापना की थी। १५वीं शताब्दी में पुर्तगालियो ने समुद्री व्यापार मार्गों की स्थापना की। उस समय गाम्बिया, माली साम्राज्य का भाग था। सन १८१६ में अंग्रेज़ों ने बाजुंल की स्थापना एक व्यापार-गाह के रूप में और दास व्यापार को कुचलने के लिए की थी। इसका सर्वप्रथम नामकरण ब्रितानी औपनिवेशिक कार्यालय के सचिव हेनरी बाथर्स्ट के नाम पर बाथर्स्ट हुआ था, लेकिन १९७३ में इसका नाम बांजुल रख दिया गया। २२ जुलाई, १९९४ को बाजुंल में रक्तहीन सैन्य विद्रोह घटित हुआ था जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति दाव्डा जावारा को अपदस्थ कर दिया गया और उनके स्थान पर देश के वर्तमान राष्ट्रपति याह्या जाम्मे सत्तारूढ़ हुए। उस घटना की स्मृति स्वरूप, आर्क २२ को नगर के प्रवेशद्वार के रूप में बनाया गया। यह द्वार ३५ मीटर ऊँचा है और इसके बीच में एक वर्गाकार छिद्र है। इसमें एक वस्त्र संग्रहालय भी है। आर्क-२२ के अलावा नगर के अन्य दर्शनीय आकर्षणों में गाम्बियाई राष्ट्रीय संग्रहालय, अल्बर्ट बाज़ार, बांजुल राजकीय आवास, बांजुल न्यायालय आवास, दो गिरिजाघर और बहुत सी मस्जिदें हैं। बांजुल देश का आर्थिक और प्रशासनिक केन्द्र है और देश का प्रमुख बैंक गाम्बिया केन्द्रीय बैंक भी यहीं स्थित है। मूँगफली प्रक्रमण (प्रोसेसिंग) देश का प्रमुख उद्योग है, लेकिन मधु-मोम, ताड़ की लकड़ी, ताड़ का तेल और खालों इत्यादि का भी बांजुल बंदरगाह से निर्यात किया जाता है। बांजुल और बारा नगरों के बीच नौकाएं चलती हैं। बांजुल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र इस नगर को वायु-सेवाओं द्वारा बाहरी विश्व से जोड़ता है। बांजुल शहर ट्रांस-पश्विम अफ़्रीकी तटीय महामार्ग पर स्थित है जो इसे डकार और बिसाउ से जोड़ता है और जो अंततः इकोवास (ECOWAS) के ११ अन्य देशों के लिए पक्का महामार्ग उपलब्ध कराएगा। बांजुल विभाग (वृहदतर बांजुल क्षेत्र) दो जिलों में विभाजित है.

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बंगाल की खाड़ी

बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा

एनटीएसई- परीक्षा राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (National Talent Search Examination अथवा एनटीएसई) भारत में राष्ट्रीय-स्तर की छात्रवृत्ति योजना है, जिसमें उच्च बौद्धिक एवं शैक्षिक क्षमता वाले छात्रों की पहचान की जाती है। इसके लिये केवल वे छात्र ही परीक्षा में बैठ सकते हैं, जो दसवीं कक्षा में पढ़ रहे हों। यह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा संचालित है। वर्ष 2012-13 से निम्नलिखित नियम लागू है- एनटीएसई को कक्षा १० के विद्यार्थियों के लिए संचालित किया जाएगा। छात्रवृत्तियां: संचालित परीक्षा के आधार पर दसवीं कक्षा की परीक्षा में सम्मिलित होनेवाले छात्रों के प्रत्येक समूह में से १००० छात्रवृत्तियां दी जायेंगी। योग्यता: मान्यता प्राप्त स्कूलों की दसवीं कक्षा में पढ़नेवाले छात्र उन राज्यों या संघ शासित प्रदेशों, जहां स्कूल संचालित हैं, द्वारा संचालित जांच परीक्षा में शामिल होने के योग्य हैं। इसमें स्थानीयता का प्रतिबंध नहीं होता है। इस परीक्षा में मानसिक योग्यगता परीक्षा (एमएटी) और शैक्षिक योग्यता परीक्षा (एसएटी) शामिल होगी। कक्षा ९ और १० में विद्यार्थियों को नामांकन के आधार पर राज्य/संघ राज्य - क्षेत्र हेतु कोटे का अनुपातिक परिकलन किया जाएगा। कक्षा १० से आगे (कक्षा/पाठ्यक्रम के निरपेक्ष) पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की राशि रु.

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कालिंजर दुर्ग

कालिंजर, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा जिले में कलिंजर नगरी में स्थित एक पौराणिक सन्दर्भ वाला, ऐतिहासिक दुर्ग है जो इतिहास में सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। यह विश्व धरोहर स्थल प्राचीन मन्दिर नगरी-खजुराहो के निकट ही स्थित है। कलिंजर नगरी का मुख्य महत्त्व विन्ध्य पर्वतमाला के पूर्वी छोर पर इसी नाम के पर्वत पर स्थित इसी नाम के दुर्ग के कारण भी है। यहाँ का दुर्ग भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। इस पर्वत को हिन्दू धर्म के लोग अत्यंत पवित्र मानते हैं, व भगवान शिव के भक्त यहाँ के मन्दिर में बड़ी संख्या में आते हैं। प्राचीन काल में यह जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। इसके बाद यह दुर्ग यहाँ के कई राजवंशों जैसे चन्देल राजपूतों के अधीन १०वीं शताब्दी तक, तदोपरांत रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे प्रसिद्ध आक्रांताओं ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। अनेक प्रयासों के बाद भी आरम्भिक मुगल बादशाह भी कालिंजर के किले को जीत नहीं पाए। अन्तत: मुगल बादशाह अकबर ने इसे जीता व मुगलों से होते हुए यह राजा छत्रसाल के हाथों अन्ततः अंग्रेज़ों के अधीन आ गया। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं, जिनमें से कई तो गुप्त वंश के तृतीय -५वीं शताब्दी तक के ज्ञात हुए हैं। यहाँ शिल्पकला के बहुत से अद्भुत उदाहरण हैं। .

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