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राज़क

सूची राज़क

राज़क या हॉप (Hop) या ह्युमुलस (Humulus) पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमिस्फ़ेयर) के समशीतोष्ण (टेम्परेट) इलाक़ों में उगने वाला एक फूलदार पौधा है। यह '​कैनाबेसीए' (Cannabaceae) जीववैज्ञानिक कुल का एक सदस्य है, जिसमें भांग और खरक भी शामिल हैं। राज़क की ह्युमुलस लुप्युलस जाति के शंकुनुमा मादा फूलों को उनके स्वाद और गंध के लिए प्रयोग किया जाता है, विशेषकर बियर (शराब) बनाने के लिए।, Narain Singh Chauhan, pp.

13 संबंधों: पराग, पादप, बियर, भांग, युडिकॉट, रोज़िड, शंकु, सपुष्पक पौधा, साधारण राज़क, जाति (जीवविज्ञान), खरक, कार्ल लीनियस, कुल (जीवविज्ञान)

पराग

कैमेलिया फूल के पराग पराग पौधे द्वारा संश्लेषित शर्करा युक्त तरल पदार्थ है। सामान्यतः इसका निर्माण फूल में होता है। ये हमिंगबर्ड, तितलियों तथा कई कीट पतंगो के खाद्य पदार्थ है। आर्थिक रूप से भी यह महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मधुमक्खियां इसी से मधु का निर्माण करती हैं। फूल के अलावा यह पौधे के अन्य भागों जैसे पत्तियों तथा फ्लोएम ऊतकों में भी निर्मित होते हैं। कुछ कीट भक्षी परजीवी पौधे इसका उपयोग कीट पतंगो को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं। पराग का उपयोग परागण में होता है। पौधे द्वारा परागण की व्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से परागण को इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश फूल अपने परागण के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं। कीटपरागित फूल: फूल कीटों, चमगादडों, पक्षियों और जानवरों को आकर्षित करते हैं और एक फूल से दूसरे को पराग स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। उनका रूपाकार विशिष्ट होता है और पुंकेसर की ऐसी व्यवस्था होती है कि पराग के दाने अपने आप पक्षियों या कीटपतंगों के साथ चिपककर स्थानान्तरित हो जायें और जब वह दूसरे पौधों पर बैठे तब वहाँ स्थानांतिरित हो जाएँ। कई फूलों की एक ही प्रजाति की किसी आकर्षक विशेषता को पाने के लिए, परागनकर्ता द्वारा उन सभी फूलों में पराग को स्टिग्मा में स्थान्तरित कर देती है जो बिल्कुल सटीक रूप से समान रूप में व्यवस्थित होते हैं। कई फूल परागण के लिए मात्र फूलों के हिस्सों के बीच निकटता पर निर्भर करते हैं, जैसे सारसेनिया या मादा स्लीपर ऑर्किड। वातपरागित फूल: वायु के साथ पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाते हैं उदाहरण के लिए संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घास और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ। उन्हें परागण को आकर्षित करने की जरुरत नही पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति 'दिखावटी फूलों' की नही होती.

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पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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बियर

सीधे पीपा से 'श्लेंकेरला राउख़बियर' नामक बियर परोसी जा रही है​ बियर संसार का सबसे पुराना और सर्वाधिक व्यापक रूप से खुलकर सेवन किया जाने वाला मादक पेय है।Origin and History of Beer and Brewing: From Prehistoric Times to the Beginning of Brewing Science and Technology, John P Arnold, BeerBooks, Cleveland, Ohio, 2005, ISBN 0-9662084-1-2 सभी पेयों के बाद यह चाय और जल के बाद तीसरा सर्वाधिक लोकप्रिय पेय है।, European Beer Guide, Accessed 2006-10-17 क्योंकि बियर अधिकतर जौ के किण्वन (फ़र्मेन्टेशन​) से बनती है, इसलिए इसे भारतीय उपमहाद्वीप में जौ की शराब या आब-जौ के नाम से बुलाया जाता है। संस्कृत में जौ को 'यव' कहते हैं इसलिए बियर का एक अन्य नाम यवसुरा भी है। ध्यान दें कि जौ के अलावा बियर बनाने के लिए गेहूं, मक्का और चावल का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। अधिकतर बियर को राज़क (हॉप्स) से सुवासित एवं स्वादिष्ट कर दिया जाता है, जिसमें कडवाहट बढ़ जाती है और जो प्राकृतिक संरक्षक के रूप में भी कार्य करता है, हालांकि दूसरी सुवासित जड़ी बूटियां अथवा फल भी यदाकदा मिला दिए जाते हैं।, Max Nelson, Routledge, Page 1, Pages 1, 2005, ISBN 0-415-31121-7, Accessed 2009-11-19 लिखित साक्ष्यों से यह पता चलता है कि मान्यता के आरंभ से बियर के उत्पादन एवं वितरण को कोड ऑफ़ हम्मुराबी के रूप में सन्दर्भित किया गया है जिसमें बियर और बियर पार्लर्स से संबंधित विनियमन कानून तथा "निन्कासी के स्रुति गीत", जो बियर की मेसोपोटेमिया देवी के लिए प्रार्थना एवं किंचित शिक्षित लोगों की संस्कृति के लिए नुस्खे के रूप में बियर का उपयोग किया जाता था। आज, किण्वासवन उद्योग एक वैश्विक व्यापार बन गया है, जिसमें कई प्रभावी बहुराष्ट्रीय कंपनियां और हजारों की संख्या में छोटे-छोटे किण्वन कर्म शालाओं से लेकर आंचलिक शराब की भट्टियां शामिल हैं। बियर के किण्वासन की मूल बातें राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं से परे भी एक साझे में हैं। आमतौर पर बियर को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है - दुनिया भर में लोकप्रिय हल्का पीला यवसुरा और आंचलिक तौर पर अलग किस्म के बियर, जिन्हें और भी कई किस्मों जैसे कि हल्का पीला बियर, घने और भूरे बियर में वर्गीकृत किया गया है। आयतन के दृष्टीकोण से बियर में शराब की मात्रा (सामान्य) 4% से 6% तक रहती है हालांकि कुछ मामलों में यह सीमा 1% से भी कम से आरंभ कर 20% से भी अधिक हो सकती है। बियर पान करने वाले राष्ट्रों के लिए बियर उनकी संस्कृति का एक अंग है और यह उनकी सामजिक परंपराओं जैसे कि बियर त्योहारों, साथ ही साथ मदिरालयी सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे कि मदिरालय रेंगना तथा मदिरालय में खेले जाने वाले खेल जैसे कि बार बिलियर्ड्स शामिल हैं। .

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भांग

भांग की दूकान भांग मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में पेय या मादक धूम्रपान के रूप में उपयोग में लाया जाने वाला पदार्थ है। यह मुख्यतः नारी भांग के पौधे की पत्तियों, कलियों तथा फूलों से तैयार की जाती है। श्रेणी:मादक पदार्थ श्रेणी:कैनबिस.

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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रोज़िड

रोज़िड (Rosid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है, जिसमें ७०,००० से अधिक जातियाँ आती हैं। सारे फूलने वाले पौधों की जातियों में से एक-चौथाई इसी क्लेड की सदस्य हैं। रोज़िड क्लेड को अलग-अलग जीववैज्ञानिकों की मतानुसार १६ से २० गणों में विभाजित किया जाता है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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शंकु

एक सामान्य लम्बवृत्तीय शंकु शंकु, एक त्रि-विमिय संरचना है, जो शीर्ष बिन्दु और एक आधार वृत्त को मिलाने वाली रेखाओं द्वारा निर्मित होती है। यह बेलन के १/३ भाग के बराबर होता है। .

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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साधारण राज़क

साधारण राज़क या साधारण हॉप (common hop) '​कैनाबेसीए' (Cannabaceae) जीववैज्ञानिक कुल के राज़क (ह्युमुलस) वंश की एक जाति है। इसके मादा और नर पौधे अलग होते हैं और मादा पौधे के शंकुनुमा फूलों का प्रयोग बियर बनाने में किया जाता है, जिसे वह स्वाद और ख़ुशबू प्रदान करते हैं, हालांकि इनसे कुछ कड़वाहट भी आ जाती है। इन फूलों का सार कीटाणु-नाशक भी होता है और उस से पेयों को संरक्षित भी किया जाता है। यह विशव के समशीतोष्ण (टेम्परेट) इलाक़ों में लता के रूप में उगता है और भारत में यह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में उगाया जाता है।, Narain Singh Chauhan, pp.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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खरक

खरक या खर्ग या खिर्क या रोकू (honeyberry या hackberry) एक पतझड़ी वृक्ष है जो २० से २५ मीटर तक उग सकता है।, Great Britain India Office, Printed by Calcutta Central Press Company, 1883,...

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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कुल (जीवविज्ञान)

वंश आते हैं कुल (अंग्रेज़ी: family, फ़ैमिली; लातिनी: familia, फ़ामिलिया) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में प्राणियों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक कुल में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के वंश आते हैं। ध्यान दें कि हर प्राणी वंश में बहुत-सी भिन्न प्राणियों की जातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ह्युमुलस, हॉप, हॉप्स

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