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2 संबंधों: सैयद अली शाह गिलानी, 2016 कश्मीर अशांति।
सैयद अली शाह गिलानी
सैय्यद अली शाह गिलानी भारत के एक पाकिस्तानपरस्त इस्लामिक अलगाववादी व्यक्तित्व है जिनका कश्मीरी आतंकवादिता को बढावा देने में खुला हाथ है। वे कश्मीर के पाकिस्तान में विलय करने के समर्थक हैं। गीलानी भारत के जम्मू कश्मीर छेत्र के प्रमुख अलगावादी नेता हैं। वह पहले जमात ए इस्लामी कश्मीर के एक सदस्य थे, लेकिन बाद में इन्होने तहरीक ए हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। इस समय यह हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी दलों के अध्य्क्श हैं जो जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों का एक समूह है। यह जम्मू एवं कश्मीर के सोपोर क्षेत्र के एक पूर्व विधायक भी हैं। यह कश्मीर में लोक्प्रिय हैं और वहाँ की जनता उन्हे 'बाब" केहलाती है। गीलानी का ताल्लुक़ बारामूला ज़िले के क़स्बे सोपोर से है। पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी होने के साथ साथ वो इलम और अदब से शग़फ़ रखने वाली शख़्सियत भी हैं और अल्लामा इक़बाल के बहुत बड़े मद्दाह हैं। वो अपने दौर असीरी की याददाश्तें एक किताब की सूरत में तहरीर करचुके हैं जिस का नाम "रूदाद क़फ़स" है। सय्यद अलीशाह गिलानी ऐसी शख्स हैं जो पासपोर्ट भारत का ही लेते है, और लिख कर देते है कि मैं भारतीय नागरिक हूँ। पाकिस्तान परस्ती की वजह से उन्होंने अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा कश्मीरी जेल में और अपने आलीशान घर में नजरबंदी में रह कर भी गुज़ारा है। अलगाववादी नेता सैय्यद अलीशाह गिलानी को भारतीय नागरिक बने रहने तथा भारत के प्रति ही वफादार बने रहने की शपथ और लिखित / घोषित शपथपत्रों तथा पाकिस्तानी राजदूतावास के ईद मिलन व अन्य कार्यक्रमों का भारत व कश्मीर के विस्तृत हित को देखते हुऐ बहिष्कार करने के पुरस्कार स्वरूप हालिया भारत सरकार ने 21 जुलाई 2015 को 9 माह तक का वैध भारतीय पासपोर्ट जारी कर दिया है .
देखें हुर्रियत काँफ़्रेंस और सैयद अली शाह गिलानी
2016 कश्मीर अशांति
वर्ष 2016 के दौरान कश्मीर में अशांति की शुरुआत जुलाई के महीने में, कश्मीरी अलगाववादी नौजवान व हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी की भारतीय सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हुई मृत्यु के उपरांत हुई थी। .