2 संबंधों: तहर, नीलगिरि तहर।
तहर
तहर जंगली बकरी से संबंधित बड़े एशियाई द्विखुरीगणों की तीन प्रजातियां हैं। अभी हाल तक ऐसा माना जाता था कि तीनों प्रजातियाँ आपस में सम्बन्धित हैं और इन तीनों प्रजातियों को एक ही प्रजाति, हॅमिट्रैगस में रखा गया था। आनुवांशिक अध्ययन ने साबित कर दिया है कि पहले विचार के विरुद्ध तीनों तहर आपस में संबंधित नहीं हैं। अब इनको तीन अलग प्रजाति के सदस्य के रूप में माना जाता है, हॅमिट्रैगस अब हिमालयी तहर के लिए, नीलगिरि तहर के लिए नीलगिरिट्रैगस और अरेबियाई तहर के लिए अरैबिट्रैगस नाम दिये गये हैं। जबकि ओमान की अरेबियाई तहर और नीलगिरि तहर के आवास का इलाका संकुचित हो गया है और यह माना जाता है कि दोनों ही आबादियाँ विलुप्तप्राय हैं वहीं हिमालयी तहर व्यापक क्षेत्र में फैली हुयी है और इसको न्यूज़ीलैण्ड के सदर्न ऐल्प्स में भी रोपित कर दिया गया है जहाँ अब इनका सुनियोजित रूप से शिकार किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इनका मांस काफ़ी स्वादिष्ट होता है। इसकी एक आबादी दक्षिण अफ़्रीका के टेबल माउन्टेन में भी पाई जाती है जो सन् १९३० में चिड़ियाघर से भागे जोड़े के वंशज हैं। न्यूज़ीलैण्ड में इसका मांस बहुत ही उच्च स्तर का माना जाता है और वहाँ इसके शिकार को एक महंगा खेल माना जाता है क्योंकि गाइड के साथ शिकार के लिए जाने से यह काफ़ी महंगा साबित होता है। दक्षिणी ऐल्प्स में सर्दियों के वक़्त भी यह हिम रेखा के ऊपर ही रहना पसन्द करते हैं और भोजन के लिए रात के समय ही आते हैं जो इनके लिए सुरक्षित समय होता है। .
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नीलगिरि तहर
नीलगिरि तहर Nilgiri tahr (Nilgiritragus hylocrius) भारत के तमिल नाडु और केरल राज्यों में नीलगिरि पर्वत और पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में रहने वाला जंगली प्राणी है जिसके निकट सम्बन्धी जंगली बकरी और भेड़ हैं। इसे स्थानीय बोल-चाल में नीलगिरि साकिन (ibex) या केवल साकिन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संकटग्रस्त जाति है। .
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