हारीत संहिता, चिकित्साप्रधान आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसकी सफल चिकित्सा विधि वैद्य एवं रुग्ण के लिए उपयुक्त है। इसके रचयिता महर्षि हारीत हैं, जो आत्रेय पुनर्वसु के शिष्य थे। आत्रेय पुनर्वसु के छः शिष्य थे और सभी शिष्यों ने अपने-अपने नाम से अपने-अपने तन्त्रों की रचना की। आचार्य पुनर्वसु ने अपने सभी शिष्यों द्वारा रचित पुस्तकों की शंकाओं का समाधान पूर्णरूपेण किया है, तदुपरान्त उनका अनुमोदन किया। हारीत संहिता आज भी उपलब्ध है, किन्तु यह वही (मूल ग्रन्थ) है या नहीं, यह निश्चित रूप से कहा नहीं जा सकता। हारीतसंहिता में चिकित्सा की सभी विधाओं का वर्णन है। इस पुस्तक में आयुर्वेदीय वनस्पतियों द्वारा चिकित्सा की सम्यक् व्यवस्था र्विणत है, जो अति उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है। इस ग्रन्थ में देश, काल, वय का भी वर्णन है तथा चिकित्सकीय जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण एवं एकल औषधि चिकित्सा के क्षेत्र में समृद्ध है। .
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