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हरदोई

सूची हरदोई

हरदोई भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की नगरपालिका और नगर है। यह हरदोई जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। .

34 संबंधों: चन्द्रशेखर आजाद, चौदहवीं लोकसभा, डॉ. रघुवंश, दिबियापुर, देवकीनन्दन शुक्ल, ब्रजभाषा साहित्य, भारत के शहरों की सूची, मिश्र बंधु, रसलीन (रीतिग्रंथकार कवि), राम प्रसाद 'बिस्मिल', रामगंगा नदी, लखनऊ, लक्ष्मीशंकर मिश्र, शारदा नहर, सण्डीला, सहजनपुर, संडीला, सूरदास मदनमोहन, हरदोई जिला, हिंदी की विभिन्न बोलियाँ और उनका साहित्य, जमाल, वचनेश मिश्र, गुमान मिश्र, आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग, काकोरी काण्ड, अतरौली हरदोई, अवध, अवधी, अवधी में कहावतें, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश पुलिस, उत्तर प्रदेश में पर्यटन, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017, उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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डॉ. रघुवंश

डॉ॰ रघुवंश सहाय वर्मा हिन्दी के साहित्यकार हैं। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, शिमला के फेलो रह चुके हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1948 में हिन्दी साहित्य के ‘भक्तिकाल और रीतिकाल में प्रकृति और काव्य’ विषय पर डी.फिल् की थी। दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकों के लेखन और कुछ महत्वपूर्ण साहित्यिक ग्रंथावलियों के संपादन के अलावा भारतीय हिन्दी परिषद् के मुखपत्र अनुशीलन के भी वह संपादक रहे। भारत-भारती, भगवानदास तथा शंकर सम्मान सहित कई पुरस्कारों से भी उन्हें सम्मानित किया गया। समस्त लेखन कार्य के अलावा रोजमर्रा के अपने सारे कार्य वह पैर से ही करते हैं। .

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दिबियापुर

दिबियापुर भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में औरैया ज़िले का एक नगर और एक नगर पंचायत है। यह नगर राज्य राजमार्ग 21 पर स्थित है। यह हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के कानपुर-दिल्ली खण्ड पर फफूँद रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जो उत्तर मध्य रेलवे द्वारा संचालित है। नगर का प्रशासनिक मुख्यालय औरैया है। .

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देवकीनन्दन शुक्ल

देवकीनंदन शुक्ल हिन्दी साहित्यकार थे। देवकीनन्दन शुक्ल का जन्म कन्नौज नगर से लगभग एक मील दूर मकरंदनगर नामक गाँव में हुआ था। इनका रचनाकाल संवत् १८४० से १८६० तक माना जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि संवत् १८४१ में 'शृंगारचरित' की रचना करने तक इन्होंने किसी का आश्रय नहीं ग्रहण किया और स्वतंत्र रूप से काव्यरचना किया करते थे। तत्पश्चात् ये कुंवर सरफराज गिरि नामक संपन्न महंत के आश्रय में रहने लगे जहाँ संवत् १८४३ वि.

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ब्रजभाषा साहित्य

ब्रजभाषा विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी तक भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। विभिन्न स्थानीय भाषाई समन्वय के साथ समस्त भारत में विस्तृत रूप से प्रयुक्त होने वाली हिन्दी का पूर्व रूप यह ‘ब्रजभाषा‘ अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है जिसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' के नाम से भी पुकार सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में हिन्दी-काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों, रीतिकालीन कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानन्द, बिहारी, इत्यादि। हिन्दी फिल्मों के गीतों में भी बृज के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है। वस्तुतः उस काल में हिन्दी का अर्थ ही ब्रजभाषा से लिया जाता था | .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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मिश्र बंधु

मिश्रबंधुओ का बाल्यस्थल। मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेशबिहारी, श्यामबिहारी और शुकदेवबिहारी। ग्रंथ ही नहीं एक छंद तक की रचना भी तीनों जुटकर करते थे। इसलिये प्रत्येक की रचनाओं का पार्थक्य करना कठिन है। .

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रसलीन (रीतिग्रंथकार कवि)

रसलीन का पूरा नाम सैयद गुलाम नबी था। ये रसलीन उपनाम से कविता लिखते थे। इनके पिता का नाम सैयद मुहम्मद बाकर था। ये हरदोई जिला के प्रसिद्ध कस्बा बिलग्राम के रहने वाले थे। इनका जन्म सन् १६८९ ई० माना जाता है। इनकी मृत्यु सन् १७५० ई० में हुयी। एक प्रसिद्ध दोहा- अमिय, हलाहल मद भरे, सेत, स्याम, रतनार। जियत, मरत, झुकि झुकि परत, जेहि चितवत इक बार।। जिसे बहुधा लोग बिहारी का समझा करते हैं रसलीन का ही है। इनके लिखे दो ग्रंथ अत्यन्त प्रसिद्ध हैं- अंग दर्पण, जिसकी रचना सन् १७३७ ई० में हुई और इसमें १८० दोहे हैं। दूसरा रस प्रबोध जिसमें ११२७ दोहे हैं, इसकी रचना सन् १७४७ ई० में हुई है। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रामगंगा नदी

रामगंगा नदी भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसका उल्लेख रथवाहिनी के नाम से हुआ है। उत्तराखण्ड के हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं के कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के दूनागिरी (पौराणिक नाम द्रोणगिरी) के विभिन्न प्राकृतिक जलस्रोत निकलकर कई गधेरों अर्थात लघु सरिताओं के रूप में तड़ागताल पहुंचते हैं। इस झील का कोई मुहाना नहीं है। चन्द कदमों की दूरी के उपरान्त स्वच्छ स्वेत धवल सी भूगर्भ से निकलती है और इसी अस्तित्व में प्रकट होकर रामगंगा नाम से पुकारी जाती है। दूसरी ओर गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले के अन्तर्गत ग्वालदम तथा दूधातोली के मध्यवर्ती क्षेत्र के कई गधेरों के ताल नामक गॉंव के समीप मिलने पर रामगंगा कहलाती है। यहीं से रामगंगा का उद्गम होता है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लक्ष्मीशंकर मिश्र

डॉ लक्ष्मीशंकर मिश्र 'निशंक' (21 अक्टूबर 1918 - ३० दिसम्बर २०११) हिन्दी के साहित्यकार थे। वे 'साहित्य भूषण' के साथ ही हिन्दी संस्थान का 'भारत भारती' जैसे सर्वोच्च सम्मानों से सम्मानित थे। .

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शारदा नहर

शारदा नहर उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक लम्बी नहर है। शाखा-प्रशाखाओं सहित शारदा नहर की कुल लम्बाई 12,368 किलोमीटर है। यह उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा के समीप गोमती नदी के किनारे "वनबासा" नामक स्थान से निकाली गई है। नहर का निर्माण कार्य सन् 1920 में प्रारम्भ हुआ और 1928 में पूर्ण हुआ था। इस नहर द्वारा पीलीभीत, बरेली, शाहजहाँपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद आदि जिलों की लगभग 8 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। नहर की मुख्य शाखाएँ खीरी, शारदा-देवा, बीसलपुर, निगोही, सीतापुर, लखनऊ और हरदोई आदि जिलों में हैं। इस नहर पर "खातिमा शक्ति केन्द्र" भी स्थापित किया गया है। .

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सण्डीला

सण्डीला उत्तर प्रदेश के हरदोईजनपद की सबसे बड़ी तहसील है। यह काफी समय पूर्व नैमिषारण्य तीर्थ का हिस्सा थी और यहीं पर शाण्डिल्य ऋषि ने तपस्या की थी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पश्चिम 54 किमी0 दूर शाण्डिल्य ऋषि की तपोभूमि सण्डीला स्थित है। .

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सहजनपुर

सहजन पुर हरदोई जिले के अंतर्गत आने वाले गाँवों में बहुत ही विकशित और शिक्षित गाँव है,, यह एक ग्राम पंचायत है, गाँव में कई सरकारी और अनेक निजी शिक्षण संस्थान है, परन्तु गाँव में अभी तक कोई प्राथमिक स्वास्थ केंद्र नहीं है, और ना ही कोई उच्चतर माध्मिक विद्यालय,, .

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संडीला

संडीला उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का एक तहसील है यहां का लड्डू बहुत प्रसिद्ध है।.

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सूरदास मदनमोहन

सूरदास मदनमोहन की गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रमुख भक्त कवियों में गणना की जाती है। http://hindisahityainfo.blogspot.in/2017/05/blog-post_9.html .

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हरदोई जिला

हरदोई ज़िला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है जिसका ज़िला मुख्यालय हरदोई नगर है। हरदोई ज़िला लखनऊ सम्भाग में है। .

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हिंदी की विभिन्न बोलियाँ और उनका साहित्य

हिन्दी की अनेक बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं, जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, झारखंडी, कुमाउँनी, मगही आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है। ऐसी बोलियों में ब्रजभाषा और अवधी प्रमुख हैं। यह बोलियाँ हिन्दी की विविधता हैं और उसकी शक्ति भी। वे हिन्दी की जड़ों को गहरा बनाती हैं। हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है। मोटे तौर पर हिंद (भारत) की किसी भाषा को 'हिंदी' कहा जा सकता है। अंग्रेजी शासन के पूर्व इसका प्रयोग इसी अर्थ में किया जाता था। पर वर्तमानकाल में सामान्यतः इसका व्यवहार उस विस्तृत भूखंड को भाषा के लिए होता है जो पश्चिम में जैसलमेर, उत्तर पश्चिम में अंबाला, उत्तर में शिमला से लेकर नेपाल की तराई, पूर्व में भागलपुर, दक्षिण पूर्व में रायपुर तथा दक्षिण-पश्चिम में खंडवा तक फैली हुई है। हिंदी के मुख्य दो भेद हैं - पश्चिमी हिंदी तथा पूर्वी हिंदी। .

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जमाल

जमाल हिन्दी के कवि थे। .

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वचनेश मिश्र

वचनेश मिश्र (वैशाख शुक्ल 4, संवत् 1932 विक्रमी - सन् 1958 ई.) हिन्दी साहित्यकार, पत्रकार, कोशकार थे। उन्होने नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा सम्पादित हिन्दीशब्दसागर में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे उदार, शालीन, काव्यक्षेत्र में परंपरावादी, अछूतोद्वार पक्षपाती, विधवा-विवाह-समर्थक, तलाक प्रथा को प्रेम के लिए हानिकारक समझनेवाले, दहेज विरोधी और भूत प्रेत तथा शकुन-अपशकुन आदि को व्यर्थ माननेवाले थे। .

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गुमान मिश्र

गुमान मिश्र संस्कृत और हिन्दी भाषा तथा साहित्यशास्त्र के पंडित थे। ये सांडी (जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे और सं० १८०६ वि० में वर्तमान थे। अपना परिचय देते हुए कवि ने स्वयं लिखा है कि वह मिश्र ब्राह्मण और सबसुख मिश्र का शिष्य है। कुछ समय तक ये दिल्ली में मुहम्मदशाह सम्राट् (१७१९-१७४८ ई०) के यहाँ राजा जुगुलकिशोर भट्ट के पास रहे। फिर पिहानी के मुहमदी महराज अकबर अली खाँ के यहाँ गए थे। उन्हीं की प्रेरणा से इन्होंने हर्षकृत संस्कृत ग्रंथ 'नैषध' को 'काव्यकलानिधि' नाम से हिंदी में भाषांतरित किया। इसका भाषांतरण काल सं० १८०५ वि० है। इस अनुवाद का प्रकाशन श्री वेंकटेश्वर प्रेस से हो गया है जो काफी अशुद्ध है। खोज रिपोर्टो में इसके अतिरिक्त इनकी दो और कृतियाँ कही गई हैं- अलंकार दर्पण और गुलाल चंद्रोदय। इनमें प्रथम का निर्माणकाल सं० १८१८ और दूसरे का सं० १८१९ वि० है। 'अलंकारदर्पण' का वर्ण्यविषय अलंकारों का वर्णन करना। श् 'गुलालचंद्रोदय' की रचना बिसवाँ (जिला सीतापुर) के तालुकेदार के आश्रय में हुई थी। 'नैषध' के अनुवाद को कवि ने नाना छंदों के करके सफल बनाने की चेष्टा की हैं, किंतु उसमें उसे पूर्ण सफलता नहीं मिल सकी है। काव्य चमत्कार की ओर कवि का स्वाभाविक रुझान था, यह इस अनुवाद से स्पष्ट ज्ञात होता है। कवि की रचनाओं से उसकी काव्य-कला-मर्मज्ञता तथा उसके अभिव्यंजन कौशल का अच्छा परिचय मिलता है। .

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आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग

आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग एक ३०२ किलोमीटर लम्बा नियंत्रित-पहुंच द्रुतमार्ग या एक्सप्रेसवे है, जो भीड़ग्रस्त सड़कों पर यातायात के साथ साथ ही प्रदूषण और कार्बन पदचिह्नों को भी कम करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। इस द्रुतमार्ग ने आगरा और लखनऊ के बीच की दूरी को काफी कम कर दिया है। यह ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है। २१ नवंबर २०१६ को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। .

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काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

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अतरौली हरदोई

अतरौली एक गाँँव है जो कि भारत के उ ० प्र ० राज्य में जिला हरदोई में जिला मुख्‍यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर संडीला तहसील में स्थित है। अतरौली में पुलिस स्‍टेशन, बैंक, स्‍कूल, कालेज, बाजार आदि सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। इस कस्‍बे मेंं एक प्रसिद्ध विद्यालय का नाम पब्लिक साइंस स्‍कूल अतरौली हरदोई है। यहाँँ पर ब्‍लाक के सामने एक लोकवाणी केंद्र है। जहाँँ पर विभिन्‍न सरकारी योजनाओं के सम्‍बंध में गांव की जनता की सहायता की जाती है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के गाँव.

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अवध

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .

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अवधी

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश में "अवध क्षेत्र" (लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़), इलाहाबाद, कौशाम्बी, अम्बेडकर नगर, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती तथा फतेहपुर में भी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त इसकी एक शाखा बघेलखंड में बघेली नाम से प्रचलित है। 'अवध' शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है। इस नाम का एक सूबा के राज्यकाल में था। तुलसीदास ने अपने "मानस" में अयोध्या को 'अवधपुरी' कहा है। इसी क्षेत्र का पुराना नाम 'कोसल' भी था जिसकी महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। भाषा शास्त्री डॉ॰ सर "जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन" के भाषा सर्वेक्षण के अनुसार अवधी बोलने वालों की कुल आबादी 1615458 थी जो सन् 1971 की जनगणना में 28399552 हो गई। मौजूदा समय में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 6 करोड़ से ज्यादा लोग अवधी बोलते हैं। उत्तर प्रदेश के 19 जिलों- सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद व अंबेडकर नगर में पूरी तरह से यह बोली जाती है। जबकि 6 जिलों- जौनपुर, मिर्जापुर, कानपुर, शाहजहांपुर, बस्ती और बांदा के कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग होता है। बिहार के 2 जिलों के साथ पड़ोसी देश नेपाल के 8 जिलों में यह प्रचलित है। इसी प्रकार दुनिया के अन्य देशों- मॉरिशस, त्रिनिदाद एवं टुबैगो, फिजी, गयाना, सूरीनाम सहित आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व हॉलैंड में भी लाखों की संख्या में अवधी बोलने वाले लोग हैं। .

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अवधी में कहावतें

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश मे अवधी क्षेत्र लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, इलाहबाद तथा फतेहपुर, मिरजापुर, जौनपुर आदि कुछ अन्य जिलों में भी बोली जाती है। अवधी भाषा की कहावते उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के ग्रामीण लोक जीवन में अत्यधिक प्रचलित हैं। कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं, जिसका सम्बन्ध किसी न किसी कहानी या पौराणिक कथाओ से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। प्रायः ये कहावते एक भाषा के कहावतों को अन्य भाषाओं के द्वारा मूल या बदले हुये रूप में अपना भी लिया जाता है। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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उत्तर प्रदेश पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में २० करोड़ जनसंख्या (वर्ष 2011 के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो 75 जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि। .

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उत्तर प्रदेश में पर्यटन

उत्तर प्रदेश में पर्यटन भारत भर में सुविख्यात है एवं इसकी पश्चिमी सीमायें देश की राजधानी नई दिल्ली से लगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश भारतीय एवं विदेशी पर्यटको के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रदेश में कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। उत्तर प्रदेश की आबादी भारत के सभी राज्योँ में सबसे अधिक है। भूगौलिक रूप से भी उत्तर प्रदेश में विविधता देखने को मिलती है- उत्तर की ओर हिमालय पर्वत हैं और दक्षिण में सिन्धु-गंगा के मैदान हैं। भारत का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल यहां के आगरा शहर में स्थित है। वाराणसी, जो कि हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो इसी प्रदेश में है। .

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017

उत्तर प्रदेश की सत्तरहवीं विधानसभा के लिए आम चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक सात चरणों में आयोजित हुए। इन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 61% रहा। भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया जबकि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनायीं थी। 18 मार्च 2017 को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। .

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उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, घाघरा समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 199,581,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4,542,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। .

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