सामग्री की तालिका
25 संबंधों: एडिनबर्ग, तोरतोसा बड़ा गिरजाघर, दीक्षाभूमि, नींव आधार, पाकिस्तान यादगार, पुराना बड़ा गिरजाघर, सालामानका, फतेहपुर जिला, मैक्लीन पार्क, राष्ट्रीय स्मारक, स्वतंत्रता स्मारक (कम्पूचिया), स्वतंत्रता स्मारक (अश्गाबात), स्काॅटलैंड का राष्ट्रीय स्मारक, जम्हूरियत् अनिती, जसवंत थड़ा, विश्व धरोहर, विश्व के सात नए आश्चर्य, विजयनगर साम्राज्य, खजुराहो स्मारक समूह, गोविन्द चन्द्र पाण्डेय, गीज़ा पिरामिड परिसर, आज़ाद हिन्द फ़ौज, इक़बाल पार्क, कमलेश्वर, कुम्भलगढ़ दुर्ग, अनीश कपूर।
एडिनबर्ग
एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .
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तोरतोसा बड़ा गिरजाघर
तोरतोसा बड़ा गिरजाघर (स्पेनी: Catedral de Tortosa) स्पेन के तारागोना सूबे में तोरतोसा में सथित एक बड़ा गिरजाघर है। इस इमारत का निर्माण 1347 में गौथिक अंदाज़ में शुरू हूया और इसमें बाद में रोमानी अंश आने लगे। 1931 में इसको बासिलिका की उपाधि प्राप्त हूई। .
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दीक्षाभूमि
दीक्षाभूमि भारत में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। यहां बौद्ध धर्म की पुनरूत्थान हुआ है। महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी नागपुर शहर में स्थित इस पवित्र स्थान पर बोधिसत्त्व डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने १४ अक्टूबर १९५६ को पहले महास्थविर चंद्रमणी से बौद्ध धम्म दीक्षा लेकर अपने ५,००,००० से अधिक अनुयायिओं को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। त्रिशरण, पंचशील और अपनी २२ प्रतिज्ञाएँ देकर डॉ॰ आंबेडकर ने हिंदू दलितों का धर्मपरिवर्तन किया। अगले दिन फिर १५ अक्टूबर को ३,००,००० लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी और स्वयं भी फिर से दीक्षीत हुए। देश तथा विदेश से हर साल यहां २५ लाख से अधिक आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी आते हैं। हर साल १४ अक्टूबर को यहां हजारों की संख्या में लोग बौद्ध धर्म परावर्तित होते रहते हैं। यहां १४ अक्टूबर २०१५ में ५०,००० दीक्षीत हुए हैं। १४ अक्टूबर २०१६ में २०,००० और २५ अक्टूबर २०१६ को मनुस्मृति दहन दिवस के उपलक्ष में ५,००० ओबीसी लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है। महाराष्ट्र सरकार ने दीक्षाभूमि को 'अ' वर्ग ('ए' क्लास) पर्यटन क्षेत्र का दर्जा दिया है। नागपुर शहर के सभी धार्मिक व पर्यटन क्षेत्रों में यह पहला स्थल है, जिसे 'ए' क्लास का दर्जा हासिल हुआ है। .
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नींव आधार
कुर्सी, न्याधार या नींव आधार या पादांग (plinth) किसी इमारत के सन्दूक आकार का आधार होता है, जिस पर वह स्वयं रखा या बना हो। यह इमारत के सन्दर्भ में, अधिकतर इमारत से चौडा़ हो सकता है। वास्तुकला में, यह स्तंभ, मूर्ति, स्मारक या अन्य ढाँचे के नीचे का चबूतरा या आधार होता है। यह गोल, वर्गाकार, आयताकार या विषय वस्तु के आकार का हो सकता है।.
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पाकिस्तान यादगार
पाकिस्तान यादगार(پاکستان یادگار) या पाकिस्तान माॅन्युमेन्ट(پاکستان مونومنٹ) (अर्थात पाकिस्तान स्मारक) पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित, पाकिस्तान का राष्ट्रीय स्मारक एवं पाकिस्तानी क़ौम का स्मारकीय प्रतीक है। इसे मई २००४ से मार्च २००७ के बीच इस्लामाबाद के शकरपारियां पहाड़ी के पश्चिमी सिरे पर बनाया गया था। पुष्पाकार बनावट वाले इस स्मारक की बनावट को आरिफ़ मसूद नामक एक पाकिस्तानी विस्तुकार ने तईयार किया था। इसकी बनावट को पाकिस्तान की सभ्यत, संस्कृती, वैचारिक नीव एवं पाकिस्तान आन्दोलन की कहानी को बयां करती है। इसकी चार बडी पंखुड़ियां, पाकिस्तान के प्रांतों का, व छोटी पंखुड़ियां प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह मूलतः पाकिस्तान आनंदोलन के शहीदों को समर्पित है। File:Pakistan Monument at night, Islamabad (HDR).jpg| File:Ali Mujtaba WLM2015 PAKISTAN MONUMENT 01.jpg| .
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पुराना बड़ा गिरजाघर, सालामानका
पुराना बड़ा गिरजाघर सालामानका, स्पेन के दो बड़े गिरजाघरों में से एक है। दुसरे बड़े गिरजाघर का नाम नया बड़ा गिरजाघर, सालामनाका है। इसकी स्थापना बिशप पेरिगोर्द के खेरोनीमो द्वारा 12वीं सदी में की गई और 14वीं सदी में जाकर इसका निर्माण संपन्न हुआ। यह सांता मारिया दे ला सेदे(Santa Maria de la Sede) को समर्पित है। इसकी एक दीवार के ऊपर 53 चित्र बने हूए हैं जिनमें से 12 15वीं सदी के इतालवी चित्रकार देलो देली द्वारा बनाए गए हैं। इनमें ईसा और संत मेरी के जीवन का वर्णन किया गया है। .
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फतेहपुर जिला
फतेहपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है जो कि पवित्र गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसा हुआ है। फतेहपुर जिले में स्थित कई स्थानों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है जिनमें भिटौरा, असोथर अश्वस्थामा की नगरी) और असनि के घाट प्रमुख हैं। भिटौरा, भृगु ऋषि की तपोस्थली के रूप में मानी जाती है। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मंडल का एक हिस्सा है और इसका मुख्यालय फतेहपुर शहर है। .
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मैक्लीन पार्क
यह एक प्रमुख खेल का मैदान हैं | .
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राष्ट्रीय स्मारक
किसी देश का राष्ट्रीय स्मारक एक एसा स्मारक होता है जिसे उस देश के इतिहास, राजनीती या उस्के लोगों के अनुकूल किसी अती महत्वपूर्ण घटना(जैसे: किसी युद्ध या देश की संस्थापना) की स्मृती में निर्मित किया गया हो, ऐसे स्मारक को उस देश में प्रायः संपूर्ण राष्ट्र, उसके लोग, उसकी संस्कृती एवं उसकी राष्ट्रीय विचारधारा के स्मारकीय प्रतीक के रूप में भी दर्शा जाता है। इस शब्दावली का उपयोग कई देशों में स्मारकों एवं राष्ट्रीय धरोहरों को दिये जाने वाले विशिश्ठ दर्जे (या उनके वर्गीकरण) के लिये भी किया जाता है; कई देशों में, उनकी सांस्कृतिक महत्ता के मद्देनज़र कई राष्ट्रीय धरोहरों को भी राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जाता है। अतः अस्थायतः "राष्ट्रीय स्मारक" एक विशिश्ठ स्मारक भी हो सकता है, एवं कुछ विशेश स्मारकों का समूह भी हो सकता है, जिन्हें राष्ट्रीय गौरव एवं संस्कृती का अभिन्न अंग माना जाता हो। हर परिस्थिती में, राष्ट्रीय स्मारक उस देश के संस्कृती, सम्मान एवं विचारधारा का प्रतीक एवं राष्ट्रीय-पहचान का अभिन्न अंग माना जाता है। .
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स्वतंत्रता स्मारक (कम्पूचिया)
स्वतंत्रता स्मारक (ख्मेर:វិមានឯករាជ្យ, "विम्येन एकऽरीच"; संस्कृत:विमान एकराजम् से) कम्पूचिया(कम्बोडिया) की राजधानी, नोम पेन्ह में स्थित एक स्मारक है, जिसे वर्ष 1958 में कम्पूचिया की फ्रांस से स्वनंत्रताप्रापती की स्मृती में निर्मित किया गया था। इसका उदधाटन 9 नवम्बर 1962 को, स्वतंत्रता की 9वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ था। दृढ़ पारम्परिक वास्तूशैली में बना यह स्मारक नोम पेन्ह के केन्द्र में नोरोदोम और सिंहानोउक मार्गों के चौराहे पर स्थित है। इसकी बनावट को विख्यात कम्बोडियाई वास्तुकार(आर्क़िटेक्ट) वान्न मौलीवान्न ने तईयार किया था। .
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स्वतंत्रता स्मारक (अश्गाबात)
तुर्कमेनिस्तान का स्वतंत्रता स्मारक(Garaşsyzlyk binasy; गाराशसीज़लिक बिनासी) तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में स्थित, सोवियत संघ-बंध-तुर्कमेनिस्तान की सोवियत संघ से मुक्ती और आज़ादी के औप्चारिक ऐलान के उपलक्ष्य की पुण्यस्भृती में बना एक स्मारक एवं वास्तुपरिसर है। राष्ट्रपति सपरमुरात नियाज़ोव, जिन्होंने अपने शासनकाल के दौरान अनेक शहरी नवीकरण कार्य केया था, के आदेश पर बनी यह ११८ मीटर ऊंची संरचना अश्गाबात शहर की सर्वोच्चतम स्मारक है। .
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स्काॅटलैंड का राष्ट्रीय स्मारक
स्काॅटलैन्ड का राष्ट्रीय स्मारक(National Monument of Scotland; नैश्नल माॅन्युमेन्ट ऑफ़ स्काॅटलैन्ड) स्काॅटलैंड के एडिनबर्ग में कैल्टन पहाड़ी पर नेल्सन स्मारक के निकट स्थित एक अधनिर्मित संरचना है जिसे नेपोलियाई युद्धों में मारे गए स्काॅटियाई सिपाहियों की यादगार के तौर पर बनाया गया था। कैल्टन पहाड़ी के उपर स्थित इस स्मारक की संरचना को १८२३-२६ के बीच चार्ल्स राॅबर्ट कौकरेल और विलियभ हेनरी प्लेफ़ेयर द्वारा तईयार किया गया था। इसे योजनानुसार एथेन्स के पार्थेनन की तर्ज़ पर बनाया जाना था। इसी सिल्सिले में १८२६ में शुरू हुए निर्माणकार्य को १८२९ में निधी के आभाव के कारण बंद करना पड़ा। इसकी इसी दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास के कारण इसे प्रायः स्काॅटलैंड और एडिनबर्ग के अपयश या कलंक एवं स्काॅटलैंड की गौरव और गरीबी(प्राइड ऐंड पोवर्टी ऑफ़ स्काॅटलैंड) एवं ऐसे ही अन्य कई दुष-उपनामों से संबोधित किया जाता है। .
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जम्हूरियत् अनिती
जुम्हूरियत् अनिती या गणतंत्रता स्मारक, (Cumhuriyet Anıtı; उच्चारण:जुम्हूरियेत् अनिती या जुम्हूरियत आनिती) तुर्की गणराज्य के निर्माता कमाल पाशा के द्वारा बनबाया गया एक स्मारक है। यह स्मारक इस्ताम्बुल के तकसीम स्क्वायर पर स्थित है। यह ऐतिहासिक स्मारक उन बहादुर सेनानियों की जीवन्त स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिये बनबाया गया था जिन्होंने तुर्की में जनतान्त्रिक गणराज्य स्थापित करने में योगदान दिया था। इस खूबसूरत स्मारक में रंगीन संगमरमर के ढाँचे पर कांस्य की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। इतिहासकारों के अनुसार कमाल पाशा के नेतृत्व में तुर्की गणराज्य सन् १९२३ में स्थापित हुआ था। आम जनता से आर्थिक सहयोग लेकर लगभग ढाई साल में बनकर तैयार हुए इस स्मारक को आम जनता के दर्शनार्थ ९ अगस्त १९२८ को सार्वजनिक रूप से खोल दिया गया। .
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जसवंत थड़ा
जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते हैं। इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे सूर्य की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये जोधपुर से 250 कि, मी, दूर मकराना से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस झील का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था। जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं। इस स्मारक को बनाने में 2,84,678 रूपए का खर्च आया था। .
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विश्व धरोहर
यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .
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विश्व के सात नए आश्चर्य
नए सात आश्चर्य विजेताओं के स्थान अवस्थित हैं विश्व के सात नए आश्चर्यएक परियोजना है जिसे पुनर्जीवित करने के लिए प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों (Seven Wonders of the Ancient World) के साथ आधुनिक आश्चर्यों की अवधारणा को शामिल किया गया है निजी नई ७ आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा ७ जुलाई (July 7), २००७ को लिस्बन, पुर्तगाल में विजेताओं की घोषणा की गई.
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विजयनगर साम्राज्य
विजयनगर साम्राज्य - १५वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। .
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खजुराहो स्मारक समूह
खजुराहो स्मारक समूह जो कि एक हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का एक समूह है जिसके स्मारक भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में देखने को मिलते है। ये स्मारक दक्षिण-पूर्व झांसी से लगभग १७५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्मारक समूह यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है। यहाँ के मन्दिर जो कि नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए जिसमें ज्यादातर मूर्तियाँ कामुक कला की है अर्थात् अधिकतर मूर्तियाँ नग्न अवस्था में स्थापित है। खहुराहो के ज्यादातर मन्दिर चन्देल राजवंश के समय ९५० और १०५० ईस्वी के मध्य बनाए गए थे। एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार खजुराहो में कुल ८५ मन्दिर है जो कि १२वीं शताब्दी में स्थापित किये गए जो २० वर्ग किलोमीटर के घेराव में फैले हुए है। वर्तमान में इनमें से, केवल २५ मन्दिर ही बच हैं जो ६वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। UNESCO World Heritage Site विभिन्न जीवित मन्दिरों में से, कन्दारिया महादेव मंदिर जो प्राचीन भारतीय कला के जटिल विवरण, प्रतीकवाद और अभिव्यक्ति के साथ प्रचुरता से सजाया गया है।Devangana Desai (2005), Khajuraho, Oxford University Press, Sixth Print, ISBN 978-0-19-565643-5 खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिरों को एक साथ बनाया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में हिन्दू और जैन के बीच विभिन्न धार्मिक विचारों के लिए स्वीकृति और सम्मान की परंपरा का सुझाव देते हुए, दो धर्मों, हिन्दू धर्म और जैन धर्म को समर्पित किया गया था।James Fergusson, History of Indian and Eastern Architecture, Updated by James Burgess and R.
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गोविन्द चन्द्र पाण्डेय
डॉ॰ गोविन्द चन्द्र पाण्डेय (30 जुलाई 1923 - 21 मई 2011) संस्कृत, लेटिन और हिब्रू आदि अनेक भाषाओँ के असाधारण विद्वान, कई पुस्तकों के यशस्वी लेखक, हिन्दी कवि, हिन्दुस्तानी अकादमी इलाहबाद के सदस्य राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और सन २०१० में पद्मश्री सम्मान प्राप्त, बीसवीं सदी के जाने-माने चिन्तक, इतिहासवेत्ता, सौन्दर्यशास्त्री और संस्कृतज्ञ थे। .
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गीज़ा पिरामिड परिसर
गीज़ा पिरामिड परिसर या गीज़ा पिरामिड कॉम्प्लेक्स (अरबी: أهرامات الجيزة) मिस्र की राजधानी काहिरा के बाहरी इलाके में गीज़ा पठार पर एक पुरातात्विक स्थल है। प्राचीन स्मारकों के इस परिसर में तीन पिरामिड परिसरों को शामिल किया गया है जो ग्रेट पिरामिड के नाम से जाना जाता है, जो महान स्फिंक्स के रूप में बड़े पैमाने पर मूर्तिकला, कई कब्रिस्तान, एक श्रमिक गांव और एक औद्योगिक परिसर शामिल है। यह पश्चिमी रेगिस्तान में स्थित है, जो गीज़ा के पुराने शहर में नील नदी के लगभग 9 किमी (5 मील) पश्चिम में स्थित है, और काहिरा शहर के केंद्र के लगभग 13 किमी (8 मील) दक्षिण पश्चिम में स्थित है। .
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आज़ाद हिन्द फ़ौज
आज़ाद हिन्द फौज़ का ध्वज आज़ाद हिन्द फ़ौज सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में बनायी थी। मूलत: यह 'आजाद हिन्द सरकार' की सेना थी जो अंग्रेजों से लड़कर भारत को मुक्त कराने के लक्ष्य से ही बनायी गयी थी। किन्तु इस लेख में जिसे 'आजाद हिन्द फौज' कहा गया है उससे इस सेना का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, नाम और उद्देश्य दोनों के ही समान थे। रासबिहारी बोस ने जापानियों के प्रभाव और सहायता से दक्षिण-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित क़रीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया था और उसे भी यही नाम दिया अर्थात् आज़ाद हिन्द फ़ौज। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी। .
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इक़बाल पार्क
इकबाल पार्क या इकबाल उद्यान लाहौर में स्थित एक उद्यान है। इस पार्क में पाकिस्तान आंदोलन का मशहूर स्मारक मीनार-ए-पाकिस्तान भी स्थित है, जिसे 1940 के लाहौर संकल्प की याद में बनाया गया था। इस मीनार की ऊंचाई 60 मीटर है। ब्रिटिश काल के दौरान कसका नाम मिंटो पार्क था। .
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कमलेश्वर
कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.
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कुम्भलगढ़ दुर्ग
कुम्भलगढ़ दुर्ग का विशालकाय द्वार; इसे '''राम पोल''' कहा जाता है। कुम्भलगढ़ का दुर्ग राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है। उदयपुर से ७० किमी दूर समुद्र तल से १,०८७ मीटर ऊँचा और ३० किमी व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक के द्वितीय पुत्र संप्रति के बनाये दुर्ग के अवशेषों पर १४४३ से शुरू होकर १५ वर्षों बाद १४५८ में पूरा हुआ था। दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था। वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने है। बादल महल .
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अनीश कपूर
thumb अनीश कपूर भारतीय मूल के एक ब्रितानी शिल्पकार हैं। इनका जन्म 1954 में मुम्बई में हुआ था। 1972 में वे ब्रिटेन चले गए जिसके बाद से यही उनका स्थायी निवास रहा है, हंलाकि वे समय-समय पर भारत का दौरा करते रहते हैं। अनीश कपूर को 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमलों में मारे गए ब्रितानी लोगों की याद में एक स्मारक बनाने का भी काम सौंपा गया है। क़रीब साढ़े 19 फुट की यूनिटी नामक इस आकृति को हनोवर चौक में स्मारक पार्क में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। हनोवर चौक न्यूयॉर्क के दो टॉवरों के नज़दीक है। .
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