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सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र

सूची सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र

कागज पर सूर्य प्रज्ञप्तिसूत्र (१५०० ई, पश्चिमी भारत) सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र जैन धर्म का एक ग्रन्थ है। श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय इसकी शिक्षाओं का अनुसरण करता है। इसको सूर्य पन्नति भी कहते हैं। वस्तुतः यह उपांग आगम है। यह ग्रन्थ सूर्य एवं ग्रहों के बारे में है। इसमें इन सबका वृहद वर्णन है। सूर्य एवं ग्रहों की गति एवं स्थिति की गणना के लिये आवश्यक गणित का इसमें विस्तार से वर्णन है। .

सामग्री की तालिका

  1. 1 संबंध: भारतीय गणित

भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

देखें सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र और भारतीय गणित