सामग्री की तालिका
38 संबंधों: चक्रवात, दक्षिण सूडान, नरभक्षण, नवपाषाण युग, नवाक्शूत, पारिस्थितिक जल विज्ञान (इकोहाइड्रोलोजी), प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्राकृतिक आपदा, पृथ्वी, बड़ा इमामबाड़ा, बांग्लादेश, बिरसा मुंडा, बंगाल का भीषण अकाल (१७७०), ब्रह्मास्त्र, ब्रिटेन की कृषि क्रांति, भारत में अकाल, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, भूत नगर, भूमंडलीय ऊष्मीकरण, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भूख, राम प्रसाद नौटियाल, रायलसीमा, राव गोपाल सिंह खरवा, लाला हंसराज, शनि (ज्योतिष), संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, सुन्नह नमाज़, सूखा (बहुविकल्पी), जल संसाधन, वर्षावन, वीर नारायण सिंह, गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, आपदा, कैलगरी, १८६९ का राजपूताना अकाल, १९४३ का बंगाल का अकाल।
चक्रवात
फ़रवरी 27, 1987 को बेरिंट सागर के ऊपर ध्रुवीय ताप चक्रवात (साइक्लोन) घूमती हुई वायुराशि का नाम है। उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात के दो भेद हैं.
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दक्षिण सूडान
दक्षिण सूडान या 'जनूब-उस-सूडान' (आधिकारिक तौर पर दक्षिणी सूडान गणतंत्र) उत्तर-पूर्व अफ़्रीका में स्थित स्थल-रुद्ध देश है। जुबा देश की वर्तमान राजधानी और सबसे बड़ा शहर भी है। देश के उत्तर में सूडान गणतंत्र, पूर्व में इथियोपिया, दक्षिण-पूर्व में केन्या, दक्षिण में युगान्डा, दक्षिण-पश्चिम में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य और पश्चिम में मध्य अफ़्रीकी गणराज्य है। दक्षिण सूडान को 9 जुलाई 2011 को जनमत-संग्रह के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इस जनमत-संग्रह में भारी संख्या (कुल मत का 98.83%) में देश की जनता ने सूडान से अलग एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए मत डाला। यह विश्व का 196वां स्वतंत्र देश, संयुक्त राष्ट्र का 193वां सदस्य तथा अफ्रीका का 55वां देश है। जुलाई 2012 में देश ने जिनेवा सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए। अपनी आजादी के ठीक बाद से राष्ट्र को आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। .
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नरभक्षण
हैंस स्टैडेन द्वारा कहा गया 1557 में नरभक्षण. लियोंहार्ड कर्ण द्वारा नरभक्षण, 1650 नरभक्षण (नरभक्षण) (नरभक्षण की आदत के लिए विख्यात वेस्ट इंडीज जनजाति कैरीब लोगों के लिए स्पेनिश नाम कैनिबलिस से) एक ऐसा कृत्य या अभ्यास है, जिसमें एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का मांस खाया करता है। इसे आदमखोरी (anthropophagy) भी कहा जाता है। हालांकि "कैनिबलिज्म" (नरभक्षण) अभिव्यक्ति के मूल में मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के खाने का कृत्य है, लेकिन प्राणीशास्त्र में इसका विस्तार करते हुए किसी भी प्राणी द्वारा अपने वर्ग या प्रकार के सदस्यों के भक्षण के कृत्य को भी शामिल कर लिया गया है। इसमें अपने जोड़े का भक्षण भी शामिल है। एक संबंधित शब्द, "कैनिबलाइजेशन" (अंगोपयोग) के अनेक अर्थ हैं, जो लाक्षणिक रूप से कैनिबलिज्म से व्युत्पन्न हैं। विपणन में, एक उत्पाद के कारण उसी कंपनी के अन्य उत्पाद के बाजार के शेयर के नुकसान के सिलसिले में इसका उल्लेख किया जा सकता है। प्रकाशन में, इसका मतलब अन्य स्रोत से सामग्री लेना हो सकता है। विनिर्माण में, बचाए हुए माल के भागों के पुनःप्रयोग पर इसका उल्लेख हो सकता है। खासकर लाइबेरिया और कांगो में, अनेक युद्धों में हाल ही में नरभक्षण के अभ्यास और उसकी तीव्र निंदा दोनों ही देखी गयी। अतीत में दुनिया भर के मनुष्यों के बीच व्यापक रूप से नरभक्षण का प्रचलन रहा था, जो 19वीं शताब्दी तक कुछ अलग-थलग दक्षिण प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति में जारी रहा; और, कुछ मामलों में द्वीपीय मेलेनेशिया में, जहां मूलरूप से मांस-बाजारों का अस्तित्व था। फिजी को कभी 'नरभक्षी द्वीप' ('Cannibal Isles') के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि निएंडरथल नरभक्षण किया करते थे, और हो सकता है कि आधुनिक मनुष्यों द्वारा उन्हें ही कैनिबलाइज्ड अर्थात् विलुप्त कर दिया गया हो। अकाल से पीड़ित लोगों के लिए कभी-कभी नरभक्षण अंतिम उपाय रहा है, जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि ऐसा औपनिवेशिक रौनोक द्वीप में हुआ था। कभी-कभी यह आधुनिक समय में भी हुआ है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ्लाइट 571 की दुर्घटना, जिसके बाद कुछ बचे हुए यात्रियों ने मृतकों को खाया.
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नवपाषाण युग
अनेकों प्रकार की निओलिथिक कलाकृतियां जिनमें कंगन, कुल्हाड़ी का सिरा, छेनी और चमकाने वाले उपकरण शामिल हैं नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व: फस्ट फार्मर्स: दी ओरिजंस ऑफ एग्रीकल्चरल सोसाईटीज़ से, पीटर बेल्वुड द्वारा, 2004 में 9500 ई.पू.
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नवाक्शूत
नुआकशोत या नवाक्शूत (फ़्रांसीसी: Nouakchott, अरबी: نواكشوط) पश्चिमी अफ़्रीका के मॉरीतानिया देश की राजधानी व सबसे बड़ा शहर है। सन् २०१३ में मॉरीतानिया की ३५ लाख की कुल जनसंख्या में से १० लाख लोग नुआकशोत में बसे हुए थे। यह अटलांटिक महासागर के किनारे देश के दक्षिणी भाग में स्थित है और सहारा रेगिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक गिना जाता है। १९५८ तक यह एक छोटा सा गाँव था। उस वर्ष यह मॉरीतानिया की राजधानी चुना गया और यहा १५,००० लोगों के बसने की व्यवस्था की गई। १९७० के बाद मॉरीतानिया के कई इलाकों में सूखा पड़ता रहा है और उन क्षेत्रों से विस्थापित लोग अक्सर नुआकशोत आ जाते हैं जिस से यहाँ भीड़ और धरों की कमी दोनों बढ़ी हैं। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और नुआकशोत विश्वविद्यालय भी यहीं स्थित है। .
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पारिस्थितिक जल विज्ञान (इकोहाइड्रोलोजी)
पारिस्थितिक जल विज्ञान (ग्रीक सेοἶκος, oikos, "घर (घरेलू)";ὕδωρ, हाइडर, "पानी" और-λογία -लोजिआ) पानी और पारिस्थितिकी के बीच की अन्योन्यक्रिया का अध्ययन करने वाला अंतर्विषयक क्षेत्र है। यह अन्योन्यक्रिया नदियों और झीलों जैसे जलपिंड के भीतर या भूमि, वन, रेगिस्तान और अन्य स्थलीय पारितंत्रों में घटित हो सकती है। वाष्पोत्सर्जन और संयंत्र पानी का उपयोग, जीवाश्म का अपने जलीय पर्यावरण से अनुकूलन, धारा प्रवाह और प्रणाली पर वनस्पति के प्रभाव तथा पारिस्थितिक प्रक्रियाओं और जलीय चक्र के बीच प्रतिक्रिया, ये पारिस्थितिक जल विज्ञान के अनुसंधान के क्षेत्र हैं। .
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प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास
सुविख्यात इतिहासकार महामहोपाध्याय पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863–1947) के अनुसार "प्रतापगढ़ का सूर्यवंशीय राजपूत राजपरिवार मेवाड़ के गुहिल वंश की सिसोदिया शाखा से सम्बद्ध रहा है".
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प्रतापगढ़, राजस्थान
प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .
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प्राकृतिक आपदा
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर। ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं".
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पृथ्वी
पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .
देखें सूखा और पृथ्वी
बड़ा इमामबाड़ा
बड़े इमामबाड़ा में स्थित भूलभुलैया, लखनऊ बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की एक एतिहासिक धरोहर है। इसे भूलभुलैया भी कहते हैं। इसे आसिफ उद्दौला ने बनवाया था। लखनऊ के इस प्रसिद्ध इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। .
देखें सूखा और बड़ा इमामबाड़ा
बांग्लादेश
बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.
देखें सूखा और बांग्लादेश
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। .
देखें सूखा और बिरसा मुंडा
बंगाल का भीषण अकाल (१७७०)
१७७० का बांगाल का भीषण अकाल (बांग्ला: ৭৬-এর মন্বন্তর, छिअत्तरेर मन्वन्तर .
देखें सूखा और बंगाल का भीषण अकाल (१७७०)
ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मास्त्र ब्रह्मा द्वारा निर्मित एक एक अत्यन्त शक्तिशाली और संहारक अस्त्र है जिसका उल्लेख संस्कृत ग्रन्थों में कई स्थानों पर मिलता है। इसी के समान दो और अस्त्र थे- ब्रह्मशीर्षास्त्र और ब्रह्माण्डास्त्र, किन्तु ये अस्त्र और भी शक्तिशाली थे।.
देखें सूखा और ब्रह्मास्त्र
ब्रिटेन की कृषि क्रांति
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के पूर्व कृषि क्रांति हुई थी। ब्रिटेन की इस कृषि आधारित व्यवस्था ने उसे दुनिया का पहला देश बनाया था जहाँ अकाल से मौत नहीं हुआ करती थी और ना होने दी जाती थी। ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति को कृषि क्रांति के प्रभावों का ही परिणाम मानें तो कुछ भी गलत नहीं कहा जा सकता। शायद 16वीं सदी में कृषि के आधार पर विकास और औद्योगिक क्रांति के बाद व्यापार से ब्रिटेन ने अगली शताब्दियों में दुनिया के अधिकांश हिस्से में राज किया। अनुसांधानों में यह बात सामने आई है कि वैश्विक स्तर पर विकास की शुरूआत कृषि के जरिए ही हुई थी। ब्रिटेन के 17वीं और 18वीं सदी के इतिहास पर हाल में हुए शोध से यह बात सामने आई है कि वहाँ पर आर्थिक विकास के बाद सामाजिक सुरक्षा वाली संस्थाओं का विकास नहीं हुआ था बल्कि ये व्यवस्थायें वहाँ औद्योगिक क्रांति के कई शताब्दी पहले से ही मौजूद थीं। .
देखें सूखा और ब्रिटेन की कृषि क्रांति
भारत में अकाल
भारत में अकाल का बहुत पुराना इतिहास रहा है। 1022-1033 के बीच कई बार अकाल पड़ा। सम्पूर्ण भारत में बड़ी संख्या में लोग मरे थे। 1700 के प्रारंभ में भी अकाल ने अपना भीषण रूप दिखाया था। 1860 के बाद 25 बड़े अकाल आए। इन अकालों की चपेट में तमिलनाडु, बिहार और बंगाल आए। 1876, 1899, 1943-44, 1957, 1966 में भी अकाल ने तबाही मचाई थी। उड़ीसा, बंगाल, बिहार आदि पिछड़े राज्यों में लोग कई-कई दिन भूखे रहते थे। लोग एक मुट्ठी अनाज के लिए तड़पते थे। .
देखें सूखा और भारत में अकाल
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (भा॰मौ॰वि॰वि॰) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इस विभाग के द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं। .
देखें सूखा और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग
भूत नगर
भूत नगर (Ghost town) एक परित्यक्त गाँव, नगर, या शहर होता है, आमतौर पर वह जिसमें पर्याप्त दृश्यमान अवशेष शामिल हो। कोई नगर अक्सर एक भूत नगर बन जाता है क्योंकि इसका समर्थन करने वाला आर्थिक क्रियाकलाप विफल हो गया हो, या बाढ़, लंबे समय तक सूखे, सरकारी कार्यों, अनियंत्रित अराजकता, युद्ध, प्रदूषण या परमाणु आपदाओं जैसी प्राकृतिक या मानव-कारक आपदाओं के कारण। .
देखें सूखा और भूत नगर
भूमंडलीय ऊष्मीकरण
वैश्विक माध्य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .
देखें सूखा और भूमंडलीय ऊष्मीकरण
भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव
extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .
देखें सूखा और भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव
भूख
भूख उस समय अनुभव होती है, जब खाना खाने की इच्छा होती है। परितृप्ति भूख का अभाव है। भूख की अनुभूति हाइपोथैल्मस से शुरु होती है जब यह हार्मोन छोड़ता है। यह हार्मोन यकृत के अभिग्राहक पर प्रतिक्रिया करती है। हालांकि एक सामान्य वयक्ति बिना भोजन के कई सप्ताहों तक जिंदा रह सकता है। भूख की अनुभूति भोजन के कुछ घंटों बाद शुरू हो जाती है और व्यक्ति असहज महसूस करने लगता है। भूख शब्द का इस्तेमाल व्यक्ति के सामाजिक स्तर को बताने के लिए किया जाता है। .
देखें सूखा और भूख
राम प्रसाद नौटियाल
लैंसडौन विधान सभा' क्षेत्र से विधायक के रूप में: प्रथम कार्यकाल:- 1951 to 1957, द्वितीय कार्यकाल - 1957 to 1962 राम प्रसाद नौटियाल (1 अगस्त, 1905 - 24 दिसम्बर, 1980) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी तथा राजनेता। .
देखें सूखा और राम प्रसाद नौटियाल
रायलसीमा
रायलसीमा भारत का एक "अनाधिकारिक" भौगोलिक क्षेत्र है जो आंध्र प्रदेश प्रान्त का एक हिस्सा है, इस क्षेत्र में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के कर्नूल, कुडप्पा, अनंतपुर और चित्तूर जिले आते हैं। 2011 की भारत की जनगणना के अनुसार, चार जिलों वाले क्षेत्र में 15,184,908 की आबादी थी और 67,526 किमी 2 (26,072 वर्ग मील) का क्षेत्र शामिल था। रायलसीमा का अधिकांश हिस्सा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अन्य तटीय इलाकों के मुक़ाबले अविकसित या अर्धविकसित है। तेलंगाना के अलग राज्य के रूप में माँग की जोर पकड़ने के कारण रायलसीमा के दु:खों पर केन्द्रित कई आंदोलन भी खड़े हुये हैं। इन सारे आंदोलनों का प्रमुख ध्येय रायलसीमा की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना होता है। खासकर कृष्णा नदी और गोदावरी के पानी इनकी सबसे बड़ी समस्या है जिसके न होने से यहाँ हर साल लगभग अकाल जैसी स्थिति होती है। इस ईलाके के ज्यादातर लोग तेलंगाना की तर्ज पर अलग प्रान्त की माँग, या आंध्र प्रदेश की राजधानी को रायलसीमा में स्थानांतरित करने की माँग पर सहमत दिखते हैं। .
देखें सूखा और रायलसीमा
राव गोपाल सिंह खरवा
राव गोपालसिंह खरवा (1872–1939), राजपुताना की खरवा रियासत के शासक थे। अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के आरोप में उन्हें टोडगढ़ दुर्ग में ४ वर्ष का कारावास दिया गया था। .
देखें सूखा और राव गोपाल सिंह खरवा
लाला हंसराज
महात्मा हंसराज लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (१९ अप्रैल १८६४ - १५ नवम्बर १९३८) अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे। पंजाब भर में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है। .
देखें सूखा और लाला हंसराज
शनि (ज्योतिष)
बण्णंजी, उडुपी में शनि महाराज की २३ फ़ीट ऊंची प्रतिमा शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:। अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥ भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं। .
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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द
हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .
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सुन्नह नमाज़
सुन्नह् नमाज़ (صلاة السنة) एक ऐच्छिक नमाज़ है जिसे मुस्लमान दिन के किसी भी वक़्त कभी भी अदा कर सकते हैं। इन नमज़ो को पाँच दैनिक नमाज़ो के साथ में अदा करते हैं, जो सब मुसलमानो पर फर्ज़ है। यहां पर विभिन्न प्रकार की नमाज़े हैं: (1) कुछ को अनिवार्य नमाज़ के रूप में एक ही समय में अदा किया जाता है, (2) कुछ नमज़ो को किसी भी निश्चित समय पर अदा किया जाता है, जैसे रात में देर से , (3) कुछ को ख़ास हालातों जैसे कि सूखे के दोरान वगै़रह। सब ऐच्छिक नमाज़े मूलतः मुहम्मद (स०अ०व०) द्वारा अदा की जाती थी। .
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सूखा (बहुविकल्पी)
* सूखा अकाल के लिए प्रयुक्त.
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जल संसाधन
जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .
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वर्षावन
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में डैनट्री वर्षावन. क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में केर्न्स के पास डैनट्री वर्षावन. न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में इल्लावारा ब्रश के भाग। वर्षावन वे जंगल हैं, जिनमें प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है अर्थात जहां न्यूनतम सामान्य वार्षिक वर्षा 1750-2000 मि॰मी॰ (68-78 इंच) के बीच है। मानसूनी कम दबाव का क्षेत्र जिसे वैकल्पिक रूप से अंतर-उष्णकटिबंधीय संसृति क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, की पृथ्वी पर वर्षावनों के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका है। विश्व के पशु-पौधों की सभी प्रजातियों का कुल 40 से 75% इन्हीं वर्षावनों का मूल प्रवासी है। यह अनुमान लगाया गया है कि पौधों, कीटों और सूक्ष्मजीवों की कई लाख प्रजातियां अभी तक खोजी नहीं गई हैं। उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को पृथ्वी के आभूषण और संसार की सबसे बड़ी औषधशाला कहा गया है, क्योंकि एक चौथाई प्राकृतिक औषधियों की खोज यहीं हुई है। विश्व के कुल ऑक्सीजन प्राप्ति का 28% वर्षावनों से ही मिलता है, इसे अक्सर कार्बन डाई ऑक्साइड से प्रकाश संष्लेषण के द्वारा प्रसंस्करण कर जैविक अधिग्रहण के माध्यम से कार्बन के रूप में भंडारण करने वाले ऑक्सीजन उत्पादन के रूप में गलत समझ लिया जाता है। भूमि स्तर पर सूर्य का प्रकाश न पहुंच पाने के कारण वर्षावनों के कई क्षेत्रों में बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं। इस से जंगल में चल पाना संभव हो जाता है। यदि पत्तों के वितानावरण को काट दिया जाए या हलका कर दिया जाए, तो नीचे की जमीन जल्दी ही घनी उलझी हुई बेलों, झाड़ियों और छोटे-छोटे पेड़ों से भर जाएगी, जिसे जंगल कहा जाता है। दो प्रकार के वर्षावन होते हैं, उष्णकटिबंधीय वर्षावन तथा समशीतोष्ण वर्षावन। .
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वीर नारायण सिंह
वीर नारायण सिंह (१७९५ - १८५७) छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, एक सच्चे देशभक्त व गरीबों के मसीहा थे। .
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गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य
गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य भारत में गुजरात में स्थित राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभयारण्य है। एशिया में सिंहों के एकमात्र निवास स्थान के लिए जाना जाता है। गिर अभयारण्य 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें, २५८ वर्ग किलोमीटर में राष्ट्रीय उद्यान और ११५३ वर्ग किलोमीटर वन्यप्राणियों के लिए आरक्षित अभयारण्य विस्तार है। इसके अतिरिक्त पास में ही मितीयाला वन्यजीव अभयारण्य है जो १८.२२ किलोमीटर में फैला हुआ है। ये दोनों आरक्षित विस्तार गुजरात में जूनागढ़, अमरेली और गिर सोमनाथ जिले के भाग है। सिंहदर्शन के लिए ये उद्यान एवं अभयारण्य विश्व में प्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। विश्व में सिंहों की कम हो रही संख्या की समस्या से निपटने और एशियाटिक सिंहों के रक्षण हेतु सिंहों के एकमेव निवासस्थान समान इस विस्तार को आरक्षित घोषित किया गया था। विश्व में अफ़्रीका के बाद इसी विस्तार में सिंह बचे हैं। .
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आपदा
आपदा एक प्राकृतिक या मानव निर्मित जोखिम का प्रभाव है जो समाज या पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है आपदाशब्द ज्योतिष विज्ञान से आया है इसका अर्थ होता है कि जब तारे बुरी स्थिति में होते हैं तब बुरी घटनायें होती हैं समकालीन शिक्षा में, आपदा अनुचित प्रबंधित जोखिम के परिणाम के रूप में देखी जाती है, ये खतरे आपदा और जोखिम के उत्पाद हैं। आपदा जो कम जोखिम के क्षेत्र में होते हैं, वे आपदा नहीं कहे जाते हैं, जैसे-निर्जन क्षेत्र मेंQuarantelli E.L.(१९९८).हम कहा रहे हैं और हमें कहाँ जाना है Quarantelli E.L.
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कैलगरी
कैलगरी कनाडा के अलबर्टा प्रांत का सबसे बड़ा शहर है। यह प्रांत के दक्षिण में, कनाडा की चट्टानों (Canadian Rockies) की अग्रिम पर्वतमालाओं के लगभग पूर्व में एक तलहटी एवं मैदानी क्षेत्र में स्थित है। यह शहर अलबर्टा के घासभूमि वाले क्षेत्र में स्थित है। 2006 में, कैलगरी शहर की आबादी 988,193 होने के कारण इस शहर की नगरपालिका देश की तीसरी सबसे बड़ी एवं अलबर्टा की सबसे बढ़ी नगरपालिका बन गई थी। 2006 में सम्पूर्ण महानगरीय जनसँख्या 1,079,310 के साथ यह कनाडा का पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। 2009 में, कैलगरी की अनुमानित महानगरीय जनसंख्या 1,230,248 के होते हुए यह क्रम में बढ़कर चौथा सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। एडमॉन्टन के दक्षिण में स्थित होने से सांख्यिकीविदों ने इन दो शहरों के बीच के संकीर्ण जनसँख्या वाले क्षेत्र को "कैलगरी-एडमॉन्टन गलियारा" के रूप में परिभाषित किया है। टोरंटो और वैंकूवर के बीच कैलगरी कनाडा का सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। महानगरीय क्षेत्र एवं शहर के नजदीक प्रमुख पहाड़ी आश्रयों के साथ कैलगरी शीतकालीन खेलों एवं पर्यावरणीय पर्यटन के लिए एक गंतव्य स्थल है। यहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ ज्यादातर पेट्रोलियम उद्योग पर केंद्रित हैं। शहर के आर्थिक विकास में कृषि, पर्यटन और उच्च तकनीक उद्योगों का भी योगदान है। 1988 में कैलगरी, शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला कनाडा का पहला शहर बन गया था। .
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१८६९ का राजपूताना अकाल
१८६९ का राजपूताना अकाल जिसे ग्रेट राजपूताना अकाल भी कहा जाता है इसके अलावा हम इस अकाल को बुंदेलखंड अकाल भी कह सकते हैं 'ये अकाल १८६९ में पड़ा था ' इसमें १९६.००० वर्ग मील (७७०,००० किलोमीटर) प्रभावित हुए थे तथा उस वक्त की जनसंख्या लगभग ४४,५००,००० जिसमें मुख्य रूप से राजपूताना,अजमेर,भारत प्रभावित हुआ था ' इनके अलावा गुजरात,उत्तरी डेक्कन ज़िले,जबलपुर संभाग,आगरा और बुंदेलखंड संभाग और पंजाब का हिसार संभाग भी काफी प्रभावित हुए थे ' .
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१९४३ का बंगाल का अकाल
भूख से मरा एक बच्चा 1943-44 में बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा) एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान जान गंवाई थी। ये द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। माना जाता है कि अकाल का कारण अनाज के उत्पादन का घटना था, जबकि बंगाल से लगातार अनाज का निर्यात हो रहा था। हालांकि, विशेषज्ञों के तर्क इससे अलग हैं। एक नई पुस्तक का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल ने जानबूझकर लाखों भारतीयों को भूखे मरने दिया। बर्मा पर जापान के कब्जे के बाद वहां से चावल का आयात रुक गया था और ब्रिटिश शासन ने अपने सैनिकों और युद्ध में लगे अन्य लोगों के लिए चावल की जमाखोरी कर ली थी, जिसकी वजह से 1943 में बंगाल में आए सूखे में तीस लाख से अधिक लोग मारे गए थे। चावल की कमी होने के कारण कीमतें आसमान छू रही थी और जापान के आक्रमण के डर से बंगाल में नावों और बैलगाड़ियों को जब्त या नष्ट किए जाने के कारण आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो गई। बाजार में चावल मिल नहीं रहा था, गावों में भूखमरी फैल रही थी और चर्चिल ने खाद्यान्न की आपात खेप भेजने की मांग बार बार ठुकरा दी। 1943 के बंगाल में कोलकाता की सड़कों पर भूख से हड्डी हड्डी हुई मांएं सड़कों पर दम तोड़ रही थीं। लोग सड़े खाने के लिए लड़ते दिखते थे तो ब्रिटिश अधिकारी और मध्यवर्ग भारतीय अपने क्लबों और घरों पर गुलछर्रे उड़ा रहे थे। बंगाल की मानव-रचित भुखमरी ब्रिटिश राज के इतिहास के काले अध्यायों में से एक रही है, लेकिन लेखक मधुश्री मुखर्जी का कहना है कि उन्हें ऐसे सबूत मिले हैं जो दिखाते हैं कि लोगों की दुःस्थिति के लिए चर्चिल सीधे तौर पर जिम्मेदार थे। .
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दुर्भिक्ष के रूप में भी जाना जाता है।