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सुपरहेटरोडाइन संग्राही

सूची सुपरहेटरोडाइन संग्राही

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मेजर एडविन आर्मस्ट्रांग नामक वैज्ञानिक ने सरल संग्राही में अपेक्षित सुधार कर ऐसी संग्राही व्यवस्था को जन्म दिया जिसमें किसी भी आवृत्ति के संकेत को किसी समय सुगमता से ग्रहण किया जा सकता है। यह व्यवस्था वस्तुत: आधुनिक लोकप्रिय रेडियो संग्राही सेटों की जनक है। एंटेना से आनेवाले रेडियो आवृत्ति के संकेतों को सर्वप्रथम एक मिश्रण-पद (mixer stage) से होकर गुजारा जाता है, जहाँ उसी क्षण उपयुक्त आवृत्ति का एक अन्य रेडियो संकेत भी प्रविष्ट कराया जाता है। यह दूसरा संकेत एक अन्य स्थानीय कंपित्र (local oscillator) में उत्पन्न किया जाता है। मिश्रण पद में दोनों संकेतों के संयोजन से विस्पंद-सिद्धांत (beat theory) द्वारा एक निम्न आवृत्ति का संकेत उत्पन्न होता है, जो दोनों आवृत्तियों का अंतर होता है। मिश्रण-पद के आगे का संपूर्ण परिपथ इसी आवृत्ति के लिए समस्वरित होता है। यह आवृत्ति माध्य आवृत्ति (intermediate frequency, या i. f.) कहलाती है। इस क्षीण आवृत्ति को एक रेडियो-आवृत्ति प्रवर्धक (r. f. amplifier) द्वारा प्रदर्शित कर, तथा विमाडुलक (demodulator) द्वारा संशोधित कर, संसूचक वाल्व द्वारा श्रव्यावृत्ति में परिणत किया जाता है। आगे इस श्रव्य आवृत्ति का प्रवर्धित कर ध्वनि विस्तारक में प्रेषित कर दिया जाता है। सुपरहेटेरोडाइन संग्राही का ब्लॉक आरेख .

2 संबंधों: रेडियो, रेडियो संग्राही

रेडियो

कुछ पुराने रेडियो (रिसिवर) 24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया। .

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रेडियो संग्राही

रेडियो संग्राही रेडियो संग्राही (radio receiver) एक विद्युत परिपथ है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों के रूप में उपलब्ध संकेतों को एंटेना के द्वारा ग्रहण करने के बाद इसका सम्यक प्रसंस्करण करते हुए अन्त में ध्वनि या किसी अन्य उपयोगी रूप में प्रस्तुत करता है। .

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