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सीमेंट

सूची सीमेंट

सीमेंट का उपयोग। सीमेंट आधुनिक भवन निर्माण मे प्रयुक्त होने वाली एक प्राथमिक सामग्री है। सीमेंट मुख्यतः कैल्शियम के सिलिकेट और एलुमिनेट यौगिकों का मिश्रण होता है, जो कैल्शियम ऑक्साइड, सिलिका, एल्यूमीनियम ऑक्साइड और लौह आक्साइड से निर्मित होते हैं। सीमेंट बनाने कि लिये चूना पत्थर और मृत्तिका (क्ले) के मिश्रण को एक भट्ठी में उच्च तापमान पर जलाया जाता है और तत्पश्चात इस प्रक्रिया के फल:स्वरूप बने खंगर (क्लिंकर) को जिप्सम के साथ मिलाकर महीन पीसा जाता है और इस प्रकार जो अंतिम उत्पाद प्राप्त होता है उसे साधारण पोर्टलैंड सीमेंट (सा.पो.सी.) कहा जाता है। भारत में, सा.पो.सी.

46 संबंधों: चूना, टांका, झींकपानी, ताण्डूर, तोंकिन, निर्माण सामग्री, पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिला, प्रांगार चक्र, पेट्रोलियम निष्कर्षण, पोर्टलैंड सीमेंट, पोज़ोलान, पोज़ोलाना, फर्श, बेनगाज़ी, बोरोसिलिकेट काँच, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, भारतीय अर्थव्यवस्था, मसाला (चिनाई), महापाषाण, मानविकी, मेघालय, मेघालय के जिलों की सूची, मॉरिशस, रसायन विज्ञान, लाफ़ार्ज, शैल, सड़क सतह, संरचना इंजीनियरी, स्पा, सू नहर, सीसा, हम्बनटोटा, हुमायूँ का मकबरा, वर्षा जल संचयन, खपरैल, ओखा बन्दरगाह, औद्योगिक क्रांति, आपेक्षिक घनत्व, आईएसआई चिह्न, कमल, कंक्रीट, कैमूर की पहाड़ी, कैल्सियम, अल्ट्राटेक सीमेंट, अंत्याधार, २१ जून

चूना

चूना पत्थर की खादान चूना (Lime) कैल्सियमयुक्त एक अकार्बनिक पदार्थ है जिसमें कार्बोनेट, आक्साइड, और हाइड्राक्साइड प्रमुख हैं। किन्तु सही तौर पर (Strictly speaking) कैल्सियम आक्साइड या कैल्सियम हाइड्राक्साइड को ही चूना मानते हैं। चूना एक खनिज भी है। गृहनिर्माण में जोड़ाई के लिये प्रयुक्त होनेवली वस्तुओं में चूना, सबसे प्राचीन पदार्थ है, किंतु अब इसका स्थान पोर्टलैंड सीमेंट ने लिया है। चूने का निम्नलिखित दो प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.

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टांका

टांका एक पारम्परिक तकनीकी का थार रेगिस्तान (राजस्थान) में प्रयोग किया जाने वाला पानी का एक बड़ा गढ्ढा है। इसमें पानी को इकठ्ठा किया जाता है तथा बाल्टी की मदद से बाहर निकाल कर उपयोग में लिया जाता है। यह मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ही बनाए जाते हैं। टांका सामान्यतया: गोलाकार का ही होता है लेकिन वर्तमान में चोकोर टांके भी बनाए जाते हैं। .

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झींकपानी

झींकपानी भारत के झारखंड प्रांत पश्चिमी सिंहभूम जिले के अंतर्गत कोलहान उपमंडल का प्रसिद्ध नगर है। यहाँ सीमेंट का कारखाना है। यहाँ विद्यालय असपताल और थाना भी है। श्रेणी:झारखंड श्रेणी:झारखंड के शहर.

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ताण्डूर

भद्रेश्वर मन्दिर ताण्डूर (तेलुगू: తాండూర్) रंगारेड्डी जिले का एक नगर है। यह नगर रंगारेड्डी जिले के पश्चिम में है। यह पश्चिम रंगारेड्डी जिले में सबसे बड़ा शहर है। इस नगर की जनसंख्या ६० हजार से अधिक है। यहाँ दो बड़े सीमेंट के कारखाने हैं। यह नगर हैदराबाद से १०० किलॉमीटर दूरी पर है। यह पश्चिमी रंगारेड्डी जिले में सबसे बड़ा नगर भी है। यह पत्थर उद्योग, सीमेंट उद्योगों और तूर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई शिक्षा केन्द्र स्थित है। पीने का पानी काग्ना नदी से लिया जाता है, जो नगर से ४ किमी से दूर है। ताण्डूर नगर, ताण्डूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और चेवेल्ला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का भाग है। यह पत्थर, सीमेंट और Redgram फसल के लिए प्रसिद्ध है। .

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तोंकिन

तांकिङ (Bắc Kỳ) तांकिङ (Tongking) वियतनाम का उत्तरी भाग है। इसके पूर्व में तांकिं की खाड़ी है। इसका क्षेत्रफल ४४,६७२ वर्ग मील तथा इसमें लाल नदी तथा सहायक नदियों, विशेषकर संग बो (काली नदी), की घाटी और डेल्टा सम्मिलित हैं। मुख्य नदी घाटियों एवं ऊँची मध्य पहाड़ियों (spurs) द्वारा यह युनेन पठार से अलग है। यहाँ कोयला, जस्ता, फॉस्फेट, टिन एवं ग्रैफाइट की खुदाई की जाती है। चूना पत्थर ही बड़ी बड़ी खानों के कारण यहाँ पर्याप्त मात्रा में सीमेंट का निर्माण होता है। मुख्य फसल धान है, जो कुल कृषि योग्य भूमि के ४/५ भाग में बोया जाता है तथा साधारणत: संपूर्ण जनसंख्या के भोजन के लिये पर्याप्त होता है। यहाँ धान की खेती के विस्तार के लिये बहुत ही कम अवसर है, क्योंकि समतल भूमि सीमित है। मक्का, गन्ना, कपास, चाय, कहवा एवं तम्बाकू अन्य उपजें हैं। यहाँ रेशम का उत्पादन काफी होता है, जिसका अधिकांश उपयोग रेशम उद्योग के कारखानों में किया जाता है। तांकिं के उपजाऊ डेल्टा प्रदेश में घनी जनसंख्या पाई जाती है। यहाँ घनत्व १,७८० व्यक्ति प्रति वर्ग मील है। हानोई प्रमुख एवं आधुनिक नगर है, हेफोंग (Hiaphong) मुख्य बंदरगाह है। श्रेणी:वियतनाम का भूगोल.

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निर्माण सामग्री

बहुत से प्राकृतिक पदार्थ (मिट्टी, बालू, लकड़ी, चट्टानें, पत्तियाँ, आदि) निर्माण के लिये प्रयुक्त होते रहे हैं। इसके अलावा अब अनेक प्रकार के कृत्रिम या मानव-निर्मित पदार्थ भी निर्माण के लिये प्रयोग किये जाने लगे हैं; जैसे सीमेंट, इस्पात, अलुमिनियम, आदि। .

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पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिला

जयंतिया हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय जोवाई है। २२ फ़रवरी १९७२ को जयन्तिया हिल जिला सृजित किया गया था। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफ़ल है और यहां की जनसंख्या २,९५,६९२ है। यहां का जिला मुख्यालय जोवाई में स्थित है। जयन्तिया हिल्स जिला राज्य में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है। जिले भर में कोयले की खानें दिखाई देती हैं। इसके अलावा यहां चूनेपत्थर का खनन भी वृद्धि पर है क्योंकि सीमेण्ट उद्योग यहां जोरों पर है और उसमें चूनेपत्थर की ऊंची मांग है। हाल के कुछ वर्षों में ही एक बड़े जिले को दो छोटे जिलों: पश्चिम जयतिया एवं पूर्वी जयन्तिया हिल्स में बांट दिया गया था क्षेत्रफल - 3,819 वर्ग कि.मी.

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प्रांगार चक्र

कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है। इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं। कार्बन चक्र जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा कार्बन का जीवमंडल, मृदामंडल, भूमंडल, जलमंडल और पृथ्वी के वायुमंडल के साथ विनिमय होता है। यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है.

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पेट्रोलियम निष्कर्षण

धरती पर स्थित पेट्रोलियम कुओं की योजना (1) प्लेटफॉर्म (2) ऊपरी चट्टान (3) पेट्रोलियम कूप (4) शैल पेट्रोलागार पेट्रोलियम निष्कर्षण (extraction of petroleum) से तात्पर्य धरती के अन्दर से उपयोगी पेट्रोलियम निकालने की प्रक्रिया से है। .

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पोर्टलैंड सीमेंट

बोरियों में पोर्टलैण्ड सीमेण्ट पोर्टलैंड सीमेंट (Portland cement) वर्तमान समय की सामान्य उपयोग में आने वाली पूरे संसार में सर्वाधिक प्रचलित सीमेंट है। यह कांक्रीट, गारा, आदि का मूल अवयव (basic ingredient) है। सीमेंट की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं। साधारण निर्माण कार्य में आमतौर पर पोर्टलैंड सीमेंट ही प्रयुक्त होता है। .

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पोज़ोलान

पोज़ोलान (अंग्रेजी: Pozzolan), एक कांचसम सिलिकामय (सिलिसियस) सामग्री है जो जल की उपस्थिति में कैल्शियम हाइड्रोक्साइड के साथ मिलाने पर उससे क्रिया कर कैल्शियम सिलिकेट की रचना करता है, जिसके परिणामस्वरूप यह सीमेंटकारक (जोड़ने वाले) गुण प्रदर्शित करता है। पोज़ोलान को आमतौर पर पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट मे एक सीमेंट विस्तारक के रूप में मिलाया जाता है जो प्राप्त कंक्रीट को लंबे समय में सामर्थ्य और अतिरिक्त गुण प्रदान करता है, साथ ही इसके मिलाने से पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट की लागत में भी कमी आती है। .

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पोज़ोलाना

पोज़ोलाना या पोज़ोलाना की राख, एक महीन, रेतीली ज्वालामुखीय राख है। पोज़ोलाना को पहली बार इटली के पोज़्ज़ुओली में वेसुवियस ज्वालामुखी के आसपास के क्षेत्र में खोजा और खोदा गया था। इसके बाद इसे अन्य कई स्थानों पर भी पाया गया। वित्रुवियस के अनुसार पोज़ोलाना के चार प्रकार क्रमश: काला, सफेद, धूसर और लाल, इटली के ज्वालामुखीय क्षेत्रों जैसे कि नेपल्स में पाये जाते हैं। .

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फर्श

अलंकृत फर्श फर्श भवन का वह अंग है जो चलने-फिरने के काम आता है। कच्ची मिट्टी के फर्श से लेकर आधुनिक तकनीक से बने बहु-स्तरीय फर्श तक अनेकों प्रकार के फर्श होते हैं। अच्छे फर्श से भवन की शोभा ही नहीं बढ़ती वरन् उसे आसानी से साफ सुथरा रखा जा सकता है। फर्श पत्थर, लकड़ी, बाँस, धातु या कंक्रीट आदि की हो सकती है। प्रायः फर्श के दो भाग होते हैं- नीचे का भाग, जो लोड सहन करने के ध्येय से बनाया जाता है, तथा ऊपरी फर्श जो चलने के लिये अच्छा हो और सुन्दर दिखे। आधुनिक भवनों में फर्श के नीचे ही बिजली के तार, पानी के पाइप आदि बिछाये गये होते हैं। .

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बेनगाज़ी

बेनगाज़ी या बेंगाज़ी (अरबी: بنغازي बंगाज़ी) लीबिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर और सिरेनेइका क्षेत्र में सबसे बड़ा शहर है। लिबिया में भूमध्य सागर पर स्थित बंदरगाह के रूप में बेनगाज़ी, त्रिपोली के साथ संयुक्त रूप से राजधानी के है, जोकि संभवतः राजा और सेनुसी शाही परिवार के त्रिपोलिटानिया की बजाय साइरेनिका से जुड़े होने के कारण था। यह शहर राष्ट्रीय संक्रमणकालीन परिषद की अस्थायी राजधानी भी थी। बेनगाज़ी में आमतौर पर राष्ट्रीय राजधानी शहर में होने वाले संगठन, जैसे कि देश की संसद, राष्ट्रीय पुस्तकालय, और लीबिया एयरलाइंस के मुख्यालय, राष्ट्रीय एयरलाइन और नेशनल ऑयल कॉर्पोरेशन आदि संस्थान स्थित है। जिसके कारण बेनगाज़ी और त्रिपोली और साइरेनाका और ट्रिपोलिटानिया के बीच प्रतिद्वंद्विता और संवेदनशीलता का निरंतर वातावरण बना रहता है। 2006 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 670,797 थी।.

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बोरोसिलिकेट काँच

बोरोसिलिकेट काँच से बनी एक वस्तु बोरोसिलिकेट काँच एक प्रकार का काँच होता है, जो सिलिका और बोरॉन ट्राईऑक्साइड से मिल कर बना एक यौगिक है। .

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (अंग्रेजी नाम- competition Commission of India / CCI) भारत की एक विनियामक संस्था है। इसका उद्देश्य स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढावा देना है ताकि बाजार उपभोक्ताओं के हित का साधन बनाया जा सके। २१ जून २0१२ को अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने 11 सीमेंट कंपनियों को व्यापार संघ बनाकर कीमत का निर्धारण करने का दोषी ठहराते हुए ६000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। .

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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हंलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं। .

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मसाला (चिनाई)

चिनाई के मसाले ने इन तीन ईंटों को जोड़ा हुआ है चिनाई का मसाला सामग्रियों की उस लेई या मिश्रण को कहते हैं जिसे किसी इमारत के निर्माण में ईंट, पत्थरों या अन्य चीज़ों को आपस में जोड़ने ले लिए प्रयोग किया जाता है। इस मसाले की विशेषता है कि जब इसे बनाया जाता है तो यह एक लेई (पेस्ट) के रूप में होता है जिसे ईंटो के बीच डाला जा सकता है लेकिन सूखने पर यह एक सख़्त पत्थरनुमा रूप ले लेता है। आधुनिक काल में मसाला रेत, सीमेंट और चूने (लाइम) को पानी के साथ मिलकर बनाया जाता है। .

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महापाषाण

महापाषाण (अंग्रेज़ी: megalith, मॅगालिथ) ऐसे बड़े पत्थर या शिला को कहते हैं जिसका प्रयोग किसी स्तम्भ, स्मारक या अन्य निर्माण के लिये किया गया हो। कुछ ऐतिहासिक व प्रागैतिहासिक (प्रीहिस्टोरिक) स्थलों में ऐसे महापाषाणों को तराशकर और एक-दूसरे में फँसने वाले हिस्से बनाकर बिना सीमेंट या मसाले के निर्माण किये जाते थे। महापाषाणों का ऐसा प्रयोग अधिकतर पाषाण युग और कुछ हद तक कांस्य युग में होता था। .

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मेघालय के जिलों की सूची

मेघालय भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक राज्य है। राज्य में वर्तमान में ११ जिले हैं। .

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मॉरिशस

मॉरीशस गणराज्य(अंग्रेज़ी: Republic of Mauritius, फ़्रांसीसी: République de Maurice), अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिणपूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है। मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य मे, सेंट ब्रेंडन, रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं। दक्षिणपश्चिम में 200 किलोमीटर पर स्थित फ्रांसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मारीशस की संस्कृति, मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्रांस के आधीन होना तथा बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है। .

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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लाफ़ार्ज

लाफार्ज सीमेंट की बोरियाँ। लाफ़ार्ज (Lafarge) एक फ्रांसीसी औद्योगिक कंपनी है जो चार प्रमुख उत्पादों में विशेषज्ञता रखती है - सीमेंट, construction aggregates, कंक्रीट एवं जिप्सम wallboard। It currently (2009) is the world's largest cement manufacturer by mass shipped ahead of Holcim.

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शैल

कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित ''संतुलित शैल'' कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। .

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सड़क सतह

पत्थर की छोटी फर्शियों से बनी सड़क की सतह एक सड़क जिसकी ऊपरी स्तह ऐस्फाल्ट की बनी है। गाड़ियों के चलने के उद्देश्य से बनायी गयी या पैदल चलने के बनी किसी मार्ग के सतह पर बिछाए सतह को कुट्टिम (pavement) कहते हैं। पूर्वकाल में बजरी (ग्रेवेल), फर्शी पत्थर (cobblestone) और ग्रेनाइट सेटों का बहुधा प्रयोग होता था। किन्तु अब इनकी जगह अधिकांशतः ऐस्फ़ाल्ट और कांक्रीट ने ले लिया है। किसी सड़क का काम केवल यही नहीं है कि वह गाड़ियाँ चलाने के लिए पर्याप्त पुष्ट हो, बल्कि वह गाड़ियों के भार और मौसम के प्रभाव से होनेवाली टूट फूट भी सहे। स्थानीय मिट्टी में ये सब उद्देश्य भली भाँति पूरा करने की सामर्थ्य संभवतः न हो, अत: संरचना की दृष्टि से उपयुक्त सतह की व्यवस्था करने का बड़ा महत्व है। संरचनात्मक दृष्टिकोण से उपयुक्त होने के अतिरिक्त सड़क की सतह में सर्वाधिक अपेक्षित गुण ये हैं: स्थिरीकृत मिट्टीवाली निकृष्ट कोटि से लेकर, सीमेंट ओर ऐस्फाल्टी कंक्रीट की उत्कृष्ट कोटि तक की विभिन्न प्रकार की सतहें होती हैं। इनके बीच बजरी की, पानीकुटौ मैकेडम और हलके बिटूमेनी आवरणवाली सड़कें होती हैं। किसी सड़क के लिए किस प्रकार की सतह उपयुक्त होगी, इसका चुनाव करने में यातायात की प्रगाढ़ता एवं प्रकार, सड़क का महत्व और धन की उपलब्धता सरीखे घटक ध्यान में रखने चाहिए। आरंभ में सोच विचारकर व्यय किया हुआ धन बाद में घटी हुई अनुरक्षण लागत के रूप में भली भाँति वसूल हो सकता है। निवारक उपाय उपचार से उत्तम होता है। यह सड़क के लिए उपयुक्त सतह चुनने के क्षेत्र में भी भली भाँति लागू होता है। .

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संरचना इंजीनियरी

विश्व की सबसे बड़ी इमारत - '''बुर्ज दुबई''' संरचना इंजीनियरी, इंजीनियरी की वह शाखा है जो लोड (बल) सहन करने या बल का प्रतिरोध करने के के लिये बनायी जाने वाली संरचनाओं (structures) के विश्लेषण एवं डिजाइन से सम्बन्ध रखती है। इसे प्रायः सिविल इंजीनियरी के अन्दर एक विशेषज्ञता का क्षेत्र समझा जाता है। संरचना इंजीनियर का काम प्रायः भवनों तथा विशाल गैर-भवन संरचनाओं की डिजाइन करना होता है किन्तु वे मशीनरी, चिकित्सा उपकरण, वाहनों आदि के डिजाइन से भी जुड़े हो सकते हैं। संरचना इंजीनियरी का सिद्धान्त भौतिक नियमों तथा विभिन्न पदार्थों/ज्यामितियों के गुणधर्म से सम्बन्धित अनुभवजन्य ज्ञान पर आधारित है। अनेकों छोटे छोटे संरचनात्मक अवयवों के योग से जटिल संरचनाएँ निर्मित की जातीं हैं। संरचना इंजीनियर को लोहे और इस्पात का ही नहीं, बल्कि लकड़ी, ईंट, पत्थर, चूना और सीमेंट का भी आधुनिकतम ज्ञान तथा यांत्रिक एवं विद्युत् इंजीनियरी के कामों में भी दक्ष होना चाहिए, क्योंकि इन्हें अपने ढाँचे यांत्रिकी तथा भौतिकी के सिद्धांतों के अनुसार निरापद ढंग से बनाने पड़ते हैं। भूमि, जल और वायु की प्रकृति का भी पूर्ण ज्ञान सिविल इंजीनियर के समान ही होना चाहिए। .

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स्पा

गोवा, भारत में आयुर्वेदिक स्पा. स्पा शब्द जल चिकित्सा से जुड़ा हुआ है, जिसे स्नान चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है। स्पा शहर या स्पा सैरगाह (रिजॉर्ट्स) (गर्म पानी के झरने वाली सैरगाहों सहित) आमतौर विभिन्न स्वास्थ्य उपचारों की पेशकश करते हैं। प्रागैतिहासिक काल से ही यह विश्वास किया जाता है कि खनिज जल में शरीर का उपचार करने की शक्तियां मौजूद होती हैं। इस तरह के व्यवहार दुनिया भर में लोकप्रिय हैं, लेकिन विशेष रूप से यूरोप और जापान में इसका व्यापक प्रसार हैं। दिवस स्पा भी काफी लोकप्रिय हैं और इससे विभिन्न व्यक्तिगत देखभाल उपचार की पेशकश की जाती है। .

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सू नहर

सू नहर का आकाशीय दृश्य सू नहर उत्तरी अमरीका में सुपीरियर झील को ह्यूरन झील से मिलाती है। इन झीलों के बीच में सेंटमेरी प्रपात है। इसकी बाधा हटाने को ही इस नहर का निर्माण किया गया है। यह वास्तव में दो नहरें हैं जिनमें से एक संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार में है और दुसरी कनाडा के। ये दोनो नहरें 6 मीटर गहरी और 1.5 किलोमीटर लम्बी हैं। इन दोनों नहरों में एक-एक द्वार है। ये नहरें केवल 8 महीनें खुली रहती हैं तो भी इनसे 10,000 से भी अधिक जलयान गुजरते हैं। संयुक्त राज्य के आन्तरिक व्यापार में इस नहर का अधिक उपयोग किया जाता है। झील-मार्ग से गुजरने वाले व्यापार के माल में मुख्यतः लौह अयस्क, खाद्दान्न, चुना-पत्थर, सीमेंट, लकड़ी और लुगदी, अखबारी कागज, कोयला और पेट्रोलियम होता है। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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हम्बनटोटा

हम्बनटोटा (හම්බන්තොට, அம்பாந்தோட்டை) श्रीलंका के दक्षिणी प्रान्त में स्थित हम्बनटोटा जिले का मुख्यालय है। यह पिछड़ा हुआ क्षेत्र २००४ में हिन्द महासागर में आयी सुनामी से बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। इस समय इस नगर में बहुत सी विकास परियोजनाएँ चल रही हैं जिसमे जिसमे बन्दरगाह तथा अन्तरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी शामिल हैं। इसके अतरिक्त कुछ अन्य परियोजनाएँ जैसे हम्बनटोटा क्रिकेट स्टेडियम श्रीलंका सरकार के हम्बनटोटा को राजधानी कोलम्बो के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। .

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हुमायूँ का मकबरा

हुमायूँ का मकबरा इमारत परिसर मुगल वास्तुकला से प्रेरित मकबरा स्मारक है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह अर्थात् पुराने किले के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के निकट स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में हुआ करती थी और नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायूँ की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है- अभिव्यक्ति। १७ अप्रैल २०१०।, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। १९९३ में इस इमारत समूह को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इस परिसर में मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें स्थित हैं। देल्ही थ्रु एजेज़। एस.आर.बख्शी। प्रकाशक:अनमोल प्रकाशन प्रा.लि.। १९९५।ISBN 81-7488-138-7। पृष्ठ:२९-३५ इस इमारत में मुगल स्थापत्य में एक बड़ा बदलाव दिखा, जिसका प्रमुख अंग चारबाग शैली के उद्यान थे। ऐसे उद्यान भारत में इससे पूर्व कभी नहीं दिखे थे और इसके बाद अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। ये मकबरा मुगलों द्वारा इससे पूर्व निर्मित हुमायुं के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग ए बाबर से एकदम भिन्न था। बाबर के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफ़्न करने की परंपरा आरंभ हुई थी। हिस्ट‘ओरिक गार्डन रिव्यु नंबर १३, लंदन:हिस्टॉरिक गार्डन फ़ाउडेशन, २००३ अपने पूर्वज तैमूर लंग के समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में बने मकबरे पर आधारित ये इमारत भारत में आगे आने वाली मुगल स्थापत्य के मकबरों की प्रेरणा बना। ये स्थापत्य अपने चरम पर ताजमहल के साथ पहुंचा। .

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वर्षा जल संचयन

ठाठवाड़, राजस्थान के एक गांव में जोहड़ में संचयन पहेली में भी दिखाया गया था वर्षा जल संचयन (अंग्रेज़ी: वाटर हार्वेस्टिंग) वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी.

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खपरैल

खपरैल से ढकी हुई घर की छत किसी मिट्टी, पत्थर, धातु, काच आदि कठोर पदार्थ से बने टुकड़े को खपरे या खपरैल (टाइल) कहते हैं। ग्रामीण भारत में घरों पर छाया का मुख्य साधन है, उपयोग प्रायः छत, फर्श, दीवार आदि ढकने में होता है। .

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ओखा बन्दरगाह

ओखा बन्दरगाह गुजरात का मुख्य बन्दरगाह है। यह सौराष्ट्र की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर स्थित है। इसका मार्ग टेड़ा-मेड़ा है। यहां से तिलहन, नमक तथा सीमेंट निर्यात किया जाता है तथा विदेशों से कोयला, पेट्रोलियम, रासायनिक पदार्थ, मशीनें आयात किये जाते हैं। श्रेणी:बन्दरगाह.

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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आपेक्षिक घनत्व

किसी वस्तु का आपेक्षिक घनत्व (Relative density) या विशिष्ट घनत्व (specific gravity) उसके घनत्व को किसी 'सन्दर्भ पदार्थ' के घनत्व से भाग देने से प्राप्त होता है। प्रायः दूसरे पदार्थों का घनत्व जल के घनत्त्व के सापेक्ष व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिये बर्फ का आपेक्षिक घनत्व 0.91 है जिसका अर्थ है कि बर्फ का घनत्व पानी के घनत्व का 0.91 गुना होता है। आधुनिक वैज्ञानिक साहित्य में 'विशिष्ट घनत्व' की अपेक्षा 'आपेक्षिक घनत्व' का अधिक प्रयोग किया जा रहा है। .

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आईएसआई चिह्न

आईएसआई चिह्न (अंग्रेजी:ISI mark) एक भारतीय प्रमाणीकरण चिह्न है। आईएसआई चिह्न का संक्षिप्त नाम भारतीय मानक संस्थान है। आईएसआई चिह्न की स्थापना १९५५ में की गई थी यह भारत सबसे मान्यता प्राप्त प्रमाणीकरण चिह्न है। .

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कमल

'''कमल''' - यही भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है। कमल (वानस्पतिक नाम:नीलंबियन न्यूसिफ़ेरा (Nelumbian nucifera)) वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और सुन्दर फूल खिलते हैं। यह भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। संस्कृत में इसके नाम हैं - कमल, पद्म, पंकज, पंकरुह, सरसिज, सरोज, सरोरुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वारिज, अंभोरुह, अंबुज, अंभोज, अब्ज, अरविंद, नलिन, उत्पल, पुंडरीक, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि आदि। फारसी में कमल को 'नीलोफ़र' कहते हैं और अंग्रेजी में इंडियन लोटस या सैक्रेड लोटस, चाइनीज़ वाटर-लिली, ईजिप्शियन या पाइथागोरियन बीन। कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल का फूल सफेद या गुलाबी रंग का होता है और पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे, होते हैं। पत्तों की लंबी डंडियों और नसों से एक तरह का रेशा निकाला जाता है जिससे मंदिरों के दीपों की बत्तियाँ बनाई जाती हैं। कहते हैं, इस रेशे से तैयार किया हुआ कपड़ा पहनने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं तथा पानी के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैलते हैं। तनों की गाँठों पर से जड़ें निकलती हैं। .

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कंक्रीट

वाणिज्यिक भवन के लिये कंक्रीट बिछायी जा रही है। कंक्रीट (Concrete) एक निर्माण सामग्री है जो सीमेंट एवं कुछ अन्य पदार्थों का मिश्रण होती है। कंक्रीट की यह विशेषता है कि यह पानी मिलाकर छोड़ देने के बाद धीरे-धीरे ठोस एवं कठोर बन जाता है। इस प्रक्रिया को जलीकरण (Hydration) कहते है। इस रासायनिक क्रिया में पानी, सिमेन्ट के साथ क्रिया करके पत्थर जैसा कठोर पदार्थ बनाती है जिसमें अन्य चीजें बंध जातीं हैं। कंक्रीट का प्रयोग सड़क बनाने, पाइप निर्माण, भवन निर्माण, नींव बनाने, पुल आदि बनाने में होता है। कंक्रीट का उपयोग 2000 ई.पू.

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कैमूर की पहाड़ी

कैमूर (पर्वत) भारत की विध्य पर्वतश्रेणी का पूर्वी भाग जो मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कटंगी के पास (23, 26, उ.अ. से 79, 48 पू. दे.) प्रारंभ होकर सर्वोतरी श्रेणी के रूप में रोहतासगढ क्षेत्र (24 57 उ. अ. से 84 2 पू. दे.) तक चली जाती है। इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 50 मील है। मध्यप्रदेश के जूलेखी स्थान से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 150 मिल तक है। यह पर्वत श्रेणी सोण नदी की घाटी की उत्तरी किनारे पर खड़ी दीवाल के रूप में चली जाती है। इस क्षेत्र में बलुआ पत्थर की प्रधानता है किंतु कहीं-कहीं परिवर्तित चट्टाने भी प्रचुर मात्रा में मिलती है। गोविंदगढ़ के पास लगभग 2,000 ऊँचा भाग उत्तर पश्चिम की ओर चला जाता है। रोहतास गढ़ क्षेत्र के मध्य छोटी किंतु अत्यंत उपजाऊ घाटियाँ स्थित हैं। पहाड़ों की ढालें अत्यंत खड़ी एवं दुर्गम है परंतु बीच बीच में दर्रे हैं। चुनार गढ़, विजय गढ़ तथा रोहतास गढ़ के किलों के कारण इन श्रेणियों का ऐतिहासिक महत्व हैं। विजयगढ़ के पास कंदराओं में प्रागैतिहासिक चित्र एवं प्रस्तरकालिनक हथियार उपलब्ध हुए है। संपूर्ण क्षेत्र भवन निर्माणार्थ बलुआ पत्थर की खदानें है। चूना पत्थर में डालमियानगर, जपला, बनजारी और चुर्क में सीमेंट तथा चूना बनता है। डेहरी-ओन-सोन के दक्षिणी डेहरी रोहतास चुटिया रेलवे के पास बनजारी एवं अमझोर के पास गंधक के खनिज माक्षिक (Pyrites) मिले हैं। .

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कैल्सियम

कैल्सियम (Calcium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्तसारणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व है। यह क्षारीय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था में यह अनुपलब्ध है। किन्तु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘Ca’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्सियम क्लोराइड से अलग किया था। चूना पत्थर, कैल्सियम का महत्वपूर्ण खनिज स्रोत है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है। अपने शुद्ध रूप में कैल्शियम चमकीले रंग का होता है। यह अपने अन्य साथी तत्वों के बजाय कम क्रियाशील होता है। जलाने पर इसमें से पीला और लाल धुआं उठता है। इसे आज भी कैल्शियम क्लोराइड से उसी प्रक्रिया से अलग किया जाता है जो सर हम्फ्री डैवी ने 1808 में इस्तेमाल की थी। कैल्शियम से जुड़े ही एक अन्य यौगिक, कैल्सियम कार्बोनेट को कंक्रीट, सीमेंट, चूना इत्यादि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अन्य कैल्शियम कंपाउंड अयस्कों, कीटनाशक, दुर्गन्धहर, खाद, कपड़ा उत्पादन, कॉस्मेटिक्स, लाइटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। जीवित प्राणियों में कैल्शियम हड्डियों, दांतों और शरीर के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। यह रक्त में भी होता है और शरीर की अंदरूनी देखभाल में इसकी विशेष भूमिका होती है। कैल्सियम अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। आजकल कैल्सियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युतविच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते हैं। शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परन्तु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके क्रिस्टल फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह आघातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं- साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिरिया कर यौगिक बनाता है। इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे कली चूना और बिना बुझा चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे वायुमण्डल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है। कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण और ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है। अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं। कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है और इसके द्वारा एसिटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है। भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था। .

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अल्ट्राटेक सीमेंट

श्रेणी:आदित्य बिड़ला समूह.

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अंत्याधार

अंत्याधार (4) पुल के छोरों पर ईंट, सीमेंट आदि की बनी उन भारी संरचनाओं को अंत्याधार (abutment) कहते हैं जो पुलों की दाब या प्रतिक्रिया सहन करती हैं। बहुधा चारों ओर दीवारें बनाकर बीच में मिट्टी भर दी जाती है। ऊर्ध्वाधर भार सहने के अतिरिक्त अंत्याधार पुल को आगे पीछे खिसकने से और एक बगल बोझ पड़ने पर पुल की ऐंठने की प्रवृत्ति को भी रोकते हैं। ईटें चुनकर, या सादे कंक्रीट से, या इस्पात की छड़ों से सुदृढ़ किए (रिइन्फोर्स्ड) कंक्रीट से ये बनते हैं। अंत्याधार कई प्रकार के होते हैं, जैसे सीधे अंत्याधार, सुदृढ़ की गई कंक्रीट की दीवारें, सदृढ़ किए गए सीमेंट के पुश्ते (काउंटरफोर्ट रिटेनिंग वाल्स) और सुदृढ़ किए गए सीमेंट के कोष्ठमय खोखले अंत्याधार (सेलुलर हॉली अबटमेंट)। बगली दीवारें (विंग वाल्स) और जवाबी दीवारें (रिटर्न वाल्स) खभी अलग बना दी जाती हैं, कभी अंत्याधार में जुड़ी हुई बनाई जाती हैं। संरचना को इतना भारी और दृढ़ होना चाहिए कि पुल की दाब से वह उलट न जाए और ऐसा न हो कि वह अपनी नींव पर या बीच के किसी रद्दे पर खिसक जाए। ध्यान रखना चाहिए कि संरचना अथवा नींव के किसी भी स्थान पर महत्तम स्वीकृत बल से अधिक बल न पड़े। दाब आदि की गणना करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पुल पर आती-जाती गाड़ियों के कारण बल कितना अधिक बढ़ जाएगा। जहाँ अगल बगल पक्की दीवारें बनाकर बीच में मिट्टी भरी जाती है, वहाँ ऐसा विश्वास किया जाता है कि लगभग 10 फुट लंबी सुदृढ़ किए कंक्रीट की पाटन (स्लैब) डाल देने से मिट्टी के खिसकने का डर नहीं रहता। अगल बगल की दीवारों पर मुक्के (छेद) छोड़ देने चाहिए जिसमें मिट्टी में घुसे पानी को बहने का मार्ग मिल जाए और इस प्रकार मिट्टी की दाब के साथ पानी की अतिरिक्त दाब दीवारों पर न पड़े। साधारणत समझा जाता है कि दीवार के किसी बिंदु पर तनाव नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि वे केवल संपीडनजनित बल ही सँभाल सकती हैं, परंतु यदि सुदृढ़ीकृत कंक्रीट से तनाव सह सकने वाली ऐसी दीवार बनाई जाए जिसमें संपीडनजनित बल को केवल कंक्रीट (न कि उसमें पड़ा इस्पात) अपनी पूरी सीमा तक सहन करता है, तो खर्च कम पड़ता है। पुल के अन्याधार का चित्र अंत्याधार की दीवारों की परिकल्पना (डिज़ाइन) में यह तो यह माना जाता है कि ऊपर उन को पुल का पाट सँभाले हुए हैं और नीचे नींव, या यह माना जाता है कि वे तोड़ा (कैटिलीवर) हैं। बड़े पुलों के भारी अंत्याधारों की परिकल्पना स्थिर करने के पहले वहाँ की मिट्टी की जाँच सावधानी से करनी चाहिए। यदि आवश्यकता प्रतीत हो तो खूँटे (पाइल) या कूप (खोखले खंभे) गाड़कर उन पर नींव रखनी चाहिए। पुल बनाने में अंत्याधारों पर भी बहुत खर्च हो जाता है। इस खर्च को कम करने के लिए निम्नलिखित उपायों का उपयोग किया जा सकता है (क) पुल पर आने वाली सड़क की मिट्टी पुल के इतने पास तक डाली जाए कि पुल का अंतिम पाया मिट्टी में डूब जाए और फिर वहाँ से भराव ढालू होता हुआ नदी तल तक पहुँचे। ढालू भराव या मिट्टी का हो, या कम से कम ढोंके और मिट्टी की तह से सुरक्षित हो और भूमि के पास नाटी दीवार (टो वाल) बनाई जाए। (ख) पुल के अंतिम बयाँग (स्पैन) बहुत छोटे हों, जिसमें उनको सँभालने के लिए छिछले अंत्याधारों की आवश्यकता पड़े। यहाँ उन अंत्याधारों का उल्लेख कर देना पर्याप्त होगा जो पुलों के तोड़ेदार छोरों (कैंटिलीवर एंड्स) को स्थिर करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, या झूला पुलों को दृढ़ करने वाले गर्डरों के सिरों को स्थिर करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। पुलों के पायों में से बीच में पड़ने वाले उन पायों को अंत्याधार पाया कहते हैं जो आसपास के बयाँगों के भारों को सँभाल सकने के अतिरिक्त केवल एक ओर के बयाँग के कुल अचल बोझ को पूर्णतया सँभाल सकते हैं। मेहराबों से बने पुलों में साधारणत प्रत्येक चौथा या पाँचवाँ पाया अंत्याधार पाया मानकर अधिक दृढ़ बनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यह होता है कि एक बयाँग के टूटने पर सारा पुल ही न टूट जाए। श्रेणी:पुल en:Abutment es:Estribo (ingeniería) fr:Culée (pont) pl:Przyczółek.

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२१ जून

21 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 172वाँ (लीप वर्ष में 173 वाँ) दिन है। साल में अभी और 193 दिन बाकी हैं। २१जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी भी मनाया जाता है जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में रखकर की जिसकी स्वीकृति संयुक्त राष्ट्र ने ११ दिसंबर २०१४ को दे दी। भारत में योग का प्रतिनिधित्व योगगुरु बाबा रामदेव करते है जिन्होंने लाखो गरीब लोगो को निशुल्क योग शिविर लगा कर कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाई है। योग मन की शांति का एक मार्ग है। .

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