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साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी

साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन् १९५४ से प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को दिया जाता है, जिसमें एक ताम्रपत्र के साथ नक़द राशि दी जाती है। नक़द राशि इस समय एक लाख रुपए हैं। साहित्य अकादेमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार, बाल साहित्य पुरस्कार एवं युवा लेखन पुरस्कार भी प्रतिवर्ष विभिन्न भारतीय भाषाओं में दिए जाते हैं, इन तीनों पुरस्कारों के अंतर्गत सम्मान राशि पचास हजार नियत है। .

15 संबंधों: दुष्चक्र में सृष्टा, दीवार में एक खिड़की रहती थी, नामवर सिंह, नीलाभ अश्क, बौध धर्म दर्शन, भारतीय साहित्य अकादमी, मगध (काव्य), राजेश जोशी, श्रीलाल शुक्ल, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज़िन्दगीनामा - ज़िन्दा रुख़, गोविन्द मिश्र, कविता के नये प्रतिमान, कव्वे और काला पानी, अनुभव के आकाश में चांद

दुष्चक्र में सृष्टा

दुष्चक्र में सृष्टा हिन्दी के कवि वीरेन डंगवाल का कविता संग्रह है। इसका प्रकाशन वर्ष २००२ में हुआ और इसे वर्ष २००४ का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी भाषा की पुस्तकें श्रेणी:२१वीं सदी का साहित्य श्रेणी:पुस्तक.

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दीवार में एक खिड़की रहती थी

श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी भाषा की पुस्तकें श्रेणी:२०वीं सदी का साहित्य.

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नामवर सिंह

नामवर सिंह (जन्म: 28 जुलाई 1926(क)नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृ०-32; (ख)द्रष्टव्य-'कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता' सहित डाॅ० नामवर सिंह की सभी नयी पुस्तकों में दिये गये लेखक परिचय में। बनारस, उत्तर प्रदेश) हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्‍य रहे हैं। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील आलोचना के प्रमुख हस्‍ताक्षर हैं। .

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नीलाभ अश्क

नीलाभ अश्क (१६ अगस्त १९४५ - २३ जुलाई २०१६) एक भारतीय हिंदी कवि, पत्रकार और अनुवादक थे। उन्होंने विभिन्न कविता संग्रह प्रकाशित किए। वह कई उल्लेखनीय लेखकों के साहित्य के अनुवाद के लिए जाने जाते हैं, जैसे की अरुंधति राय, सलमान रुश्दी, विलियम शेक्सपीयर, बर्तोल्त ब्रेख्त, और मिखाइल लर्मोन्टोव। .

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बौध धर्म दर्शन

श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत श्रेणी:पुस्तक.

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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मगध (काव्य)

श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी भाषा की पुस्तकें श्रेणी:२०वीं सदी का साहित्य श्रेणी:पुस्तक.

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राजेश जोशी

राजेश जोशी, जुलाई २०१७राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन किया। राजेश जोशी ने कविताओं के अलावा कहानियाँ, नाटक, लेख और टिप्पणियाँ भी लिखीं। साथ ही उन्होंने कुछ नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा लेखन का कार्य भी किया। उनके द्वारा भतृहरि की कविताओं की अनुरचना भूमिका "कल्पतरू यह भी" एवं मायकोवस्की की कविता का अनुवाद "पतलून पहिना बादल" नाम से किए गए है। कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अँग्रेजी, रूसी और जर्मन में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। राजेश जोशी के चार कविता-संग्रह- एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी और दो पंक्तियों के बीच, दो कहानी संग्रह - सोमवार और अन्य कहानियाँ, कपिल का पेड़, तीन नाटक - जादू जंगल, अच्छे आदमी, टंकारा का गाना। इसके अतिरिक्त आलोचनात्मक टिप्पणियों की किताब - एक कवि की नोटबुक प्रकाशित हुए हैं। उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है। राजेश जोशी की कविताएँ गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली होती हैं। वे जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। उनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज़ और मौसम सभी कुछ व्याप्त है। उनके काव्यलोक में आत्मीयता और लयात्मकता है तथा मनुष्यता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी। दुनिया के नष्ट होने का खतरा राजेश जोशी को जितना प्रबल दिखाई देता है, उतना ही वे जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए बेचैन दिखाई देते हैं। .

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श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल (31 दिसम्बर 1925 - 28 अक्टूबर 2011) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे। श्रीलाल शुक्ल (जन्म-31 दिसम्बर 1925 - निधन- 28 अक्टूबर 2011) को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से निवृत्त हुए। उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है और इसी के साथ हिंदी गद्य का एक गौरवशाली अध्याय आकार लेने लगता है। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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ज़िन्दगीनामा - ज़िन्दा रुख़

ज़िन्दगीनामा - ज़िन्दा रुख़ हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कृष्णा सोबती द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गोविन्द मिश्र

गोविन्द मिश्र (जन्म- १ अगस्त १९३९) हिन्दी के जाने-माने कवि और लेखक हैं। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद कलकत्ता, साहित्य अकादमी दिल्ली तथा व्यास सम्मान द्वारा गोविन्द मिश्र को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है। अभी तक उनके १० उपन्यास और १२ कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त यात्रा-वृत्तांत, बाल साहित्य, साहित्यिक निबंध और कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। अनेक विश्वविद्यालयों में उनकी रचनाओं पर शोध हुए हैं। वे पाठ्यक्रम की पुस्तकों में शामिल किए गए हैं, रंगमंच पर उनकी रचनाओं का मंचन किया गया है और टीवी धारावाहिकों में भी उनकी रचनाओं पर चलचित्र प्रस्तुत किए गए हैं। .

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कविता के नये प्रतिमान

कविता के नये प्रतिमान डॉ॰ नामवर सिंह द्वारा लिखी गई आलोचना की पुस्तक है। इस पुस्तक पर डॉ॰ नामवर सिंह को १९७१ का हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। .

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कव्वे और काला पानी

कव्वे और काला पानी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कहानी-संग्रह है जिसमें निर्मल वर्मा की सात कहानियाँ- धूप का एक टुकड़ा, दूसरी दुनिया, ज़िंदगी यहाँ और वहाँ, सुबह की सैर, आदमी और लड़की, कव्वे और काला पानी, एक दिन का मेहमा और सुबह की सैर शामिल हैं। इनमें से कुछ कहानियाँ यदि भारतीय परिवेश को उजागर करती हैं तो कुछ हमें यूरोपीय जमीन से परिचित कराती हैं, लेकिन मानवीय संवेदना का स्तर इससे कहीं विभाजित नहीं होता। मानव-संबंधों में आज जो ठहराव और ठंडापन है, जो उदासी और बेचारगी है, वह इन कहानियों के माध्यम से हमें गहरे तक झकझोरती हैं और उन लेखकीय अनुभवों तक ले जाती है, जो किसी इकाई तक सीमित नहीं हैं। घटनाएँ उनके लिए उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितना कि परिवेश, जिसकी वे उपज हैं। मात्र व्यक्ति ही नहीं, चरित्र के रूप में एक वातावरण हमारे सामने होता है, जिसे हम अपने बाहर और भीतर महसूस करते हैं। हर कहानी एक गूँज की तरह कहीं भीतर ठहर जाती है और धीरे-धीरे पाठकीय संवेदना में ज़ज्ब होती रहती है। दूसरे शब्दों में, अपने दौर की ये महत्त्वपूर्ण कहानियाँ देर तक और दूर तक हमारा साथ देती हैं। निर्मल वर्मा के भाव-बोध में एक खुलापन निश्चय ही है। न केवल रिश्तों की लहूलुहान पीड़ा के प्रति बल्कि मनुष्य के उस अनुभव और उस वृत्ति के प्रति भी, जो उसे जिन्दगी के मतलब की खोज में प्रवृत्त करती है। यह अकारण नहीं है कि 'कव्वे और काला पानी' के त्रास अंधेरे के बीचोंबीच वे बड़े भाई की दृष्टि से छोटे भाई को देखना और छोटे भाई की दृष्टि से बड़े भाई को देखना और एक निरपेक्ष पीठिका परिवेश में दोनों के प्रति न्याय करना भी आवश्यक पाते हैं। .

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अनुभव के आकाश में चांद

अनुभव के आकाश में चाँद, लीलाधर जगूड़ी द्वारा लिखी गई एक कविता व पुस्तक है, जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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