सामग्री की तालिका
7 संबंधों: निज़ाम सिद्दिक़ी, राजिंदर सिंह बेदी, शम्सुर्रहमान फारुकी, शेख़ अब्दुल्ला, साहित्य अकादमी पुरस्कार, गोपीचंद नारंग, आबिद हुसैन (लेखक)।
निज़ाम सिद्दिक़ी
निज़ाम सिद्दिक़ी भारतीय उर्दू भाषा के विख्यात समालोचक एवं लेखक हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना माबाद-ए-जदिदिआत से नये अहेद की तखलिकि़यात तक के लिये उन्हें सन् २०१६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। सिद्दिक़ी उर्दू भाषा के साथ हिन्दी, अरबी, फ्रेंच, अंग्रेज़ी और फारसी साहित्य में भी रुची रखते हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद में हुई और फिर कानपुर विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन और पेास्ट ग्रैजुएशन पूरा किया। बतौर समालोचक उनकी तीन किताबे छपी हैं और लेखक के रूप में उन्होंने सात पुस्तकोंका प्रकाशन किया हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और निज़ाम सिद्दिक़ी
राजिंदर सिंह बेदी
राजिंदर सिंह बेदी एक हिन्दी और उर्दू उपन्यासकार, निर्देशक, पटकथा लेखक, नाटककार थे। इनका जन्म 1 सितम्बर 1915 को सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था। यह पहले अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के उर्दू लेखक थे। जो बाद में हिन्दी फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, संवाद लेखक बन गए। यह पटकथा और संवाद में ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म अभिमान, अनुपमा और सत्यकाम; और बिमल रॉय की मधुमती के कारण जाने जाते हैं। यह निर्देशक के रूप में दस्तक (1970) की फ़िल्म जिसमें संजीव कुमार और रेहना सुल्तान थे, के कारण जानते जाते हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और राजिंदर सिंह बेदी
शम्सुर्रहमान फारुकी
शम्सुर्रहमान फारुकी सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार और उर्दू ज़बान व अदब के नामवर आलोचक हैं। उनको उर्दू आलोचना के टी.एस.एलियट के रूप में माना जाता है और उन्होंने साहित्यिक समीक्षा के नए मॉडल तैयार किए हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना तनक़ीदी अफ़कार के लिये उन्हें सन् १९८६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और शम्सुर्रहमान फारुकी
शेख़ अब्दुल्ला
शेख अब्दुल्ला (१९०५-१९८२) जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री दो विभिन्न अवसरों पर रहे। उनके बेटे फारूक और पोते उमर भी मुख्य मन्त्री रहे हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और शेख़ अब्दुल्ला
साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और साहित्य अकादमी पुरस्कार
गोपीचंद नारंग
गोपीचंद नारंग को भारत सरकार द्वारा सन २००४ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये दिल्ली राज्य से हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात के लिये उन्हें सन् १९९५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू और गोपीचंद नारंग
आबिद हुसैन (लेखक)
आबिद हुसैन उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित भारतीय संस्कृति के सर्वेक्षण पर आधारीत किताब क़ौमी तहज़ीब का मसला के लिये उन्हें सन् १९५६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। इन्हें को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५७ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये उत्तर प्रदेश राज्य से थे। .