सावर्ण रायचौधुरी परिवार कोलकाता शहर का प्रथम परिवार कहलाता है क्योंकि इस परिवार से ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने तीनन गांव खरीद कर कोलकाता शहर को बसाना चालू किया था। औरंगजेब के पौत्र आजिम उस शान के हुकुम से १० नवम्बर १६९८ को कोलकाता, सुतानुटि और गोबिन्दपुर - इन तीन गांव के प्रजास्वत्व ईस्ट इण्डिया कम्पनी को हस्तान्तर किये थे। सावर्णचौधुरीयों को सुंदरवन इलाके में जो जागिरदारी मिली थी, उसका एक अंश थे ये तीन गांव। उन लोगों को यह इलाका मिला था जहांगीर से। हालांकि वे लोग ब्राह्मण परिवार थे, उनके सदस्यों ने मुगलों के सेना में उच्च पद पर आसीन थे। परिवार के पहला सदस्य जो गंगोपाध्याय से रायचौधुरी हुये वह थे लक्ष्मीकान्त (१५७०-१६४९)। उनको अकबर से राय खिताब और जहांगीर से चौधुरी खिताब मिला था। .
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