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साइबेरिया

सूची साइबेरिया

साइबेरिया का नक़्शा (गाढ़े लाल रंग में साइबेरिया नाम का संघी राज्य है, लेकिन लाल और नारंगी रंग वाले सारे इलाक़े साइबेरिया का हिस्सा माने जाते हैं गर्मी के मौसम में दक्षिणी साइबेरिया में जगह-जगह पर झीलें और हरियाली नज़र आती है याकुत्स्क शहर में 17वी शताब्दी में बना एक रूसी सैनिक-गृह साइबेरिया (रूसी: Сибирь, सिबिर) एक विशाल और विस्तृत भूक्षेत्र है जिसमें लगभग समूचा उत्तर एशिया समाया हुआ है। यह रूस का मध्य और पूर्वी भाग है। सन् 1991 तक यह सोवियत संघ का भाग हुआ करता था। साइबेरिया का क्षेत्रफल 131 लाख वर्ग किमी है। तुलना के लिए पूरे भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी है, यानि साइबेरिया भारत से क़रीब चार गुना है। फिर भी साइबेरिया का मौसम और भूस्थिति इतनी सख़्त है के यहाँ केवल 4 करोड़ लोग रहते हैं, जो 2011 में केवल उड़ीसा राज्य की आबादी थी। यूरेशिया का अधिकतर स्टॅप (मैदानी घासवाला) इलाक़ा साइबेरिया में आता है। साइबेरिया पश्चिम में यूराल पहाड़ों से शुरू होकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक और उत्तर में उत्तरध्रुवीय महासागर (आर्कटिक महासागर) तक फैला हुआ है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ क़ाज़ाक़स्तान, मंगोलिया और चीन से लगती हैं। .

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सामग्री की तालिका

  1. 181 संबंधों: चण्डीगढ़, ऊर्णाजिन, चुकची प्रायद्वीप, चूम (तम्बू), टाइटन (चंद्रमा), टकलामकान, ट्यूलिप, एस्किमो, एवेंक लोग, झील, डायोमीड द्वीप, डिवोनी कल्प, डेविड कॉपरफील्ड (उपन्यास), तातार लोग, तारिम द्रोणी, तारिम द्रोणी/आलेख, ताइगा, तुर्किस्तान, तुर्की भाषा परिवार, तुंगुसी भाषा-परिवार, तुंगुसी लोग, त्रोत्स्की, तैमिर प्रायद्वीप, तूवा, तेन्ग्री धर्म, तेलेत्स्कोये झील, तोम्स्क, दिंगलींग लोग, द्रास, दूनहुआंग, दोस्त मुहम्मद ख़ान, ध्रुवीय भालू, नरभक्षण, ना-डिने भाषाएँ, निव्ख़ लोग, निकोलस द्वितीय, नई भूमि अभियान, नेपोलियन का रूस पर आक्रमण, नोआइदी, पर्माफ़्रोस्ट, पार-साइबेरियाई रेलमार्ग, पाव्लोदार प्रांत, पितृवंश समूह ऍन, पितृवंश समूह पी, पितृवंश समूह आर, पितृवंश समूह क्यु, पैंजिया, पूतोराना पठार, पूर्वी साइबेरियाई सागर, बयकाल झील, ... सूचकांक विस्तार (131 अधिक) »

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

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ऊर्णाजिन

फर से बना कोट ऊर्णाजिन (फ़र / Fur) जंतुओं के उन चर्मों को कहते हैं जिनमें उनका प्राकृतिक लोम (बाल) लगा ही रहता है। ठंडे देशों में, विशेषकर वहाँ के धनिकों में, ऊर्णाजिन पहनने का प्रचलन आधिक है (आवश्यकता के लिए उतना नहीं जितना दिखावे के लिए)। ऊर्णाजिन के एक एक जनाना ओवरकोट के लिए लोग कई कई हजार रुपए तक दे देते हैं, विशेषकर तब जब ऊर्णाजिन किसी दुर्लभ जंतु के चर्म से बना रहता है या उसका कोई विशेष रंग रहता है। विदेशों मे फ़र में उन्हीं चर्मो की गिनती की जाती है जो पहने जाते हैं। बिछाने के लिए उपयुक्त मृगचर्म, व्याघ्रचर्म या ऋक्षचर्म आदि की गिनती इसमें नहीं होती। जंगली जंतुओं से तो ऊर्णाजिन मिलता ही है, अब पालतू जंतुओं से भी बहुत सा ऊर्णाजिन प्राप्त होता है। जंगली जंतुओं में साधारणत: दो तरह के लोम होते हैं, एक बड़े, जो वर्षा से जंतु की रक्षा करते हैं और संरक्षक लोम कहलाते हैं; दूसरे छोटे और धने, जो शीत से जंतु को बचाते हैं। ये अधोलोम कहलाते हैं। कुछ ऊर्णाजिन संरक्षक लोम को चुनकर (निकालकर) और अधोलोम को कतरनी से बराबर कतरकर तैयार किए जाते हैं। .

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चुकची प्रायद्वीप

अमेरिका के अलास्का राज्य से केवल ५३ मील की समुद्री दूरी पर है चुकची प्रायद्वीप (रूसी: Чуко́тский полуо́стров, चुकोत्स्कीय पोलूओस्त्रोव) एशिया का सब से पूर्वोत्तर क्षेत्र है। यह साइबेरिया के बिलकुल उत्तर-पूर्वी अंत पर है। इसके उत्तर में चुकची सागर, दक्षिण में बेरिंग सागर और पूर्व में बेरिंग जलडमरू है। प्रशासनिक रूप से यह रूस के चुकोटका स्वशासी राज्य का भाग है। सन् १९९० में इस प्रायद्वीप पर रहने वालों की जनसँख्या १,५५,०० थी। यहाँ के मूल निवासी चुकची, ऍसकिमो, चुवानी, कोरयाक, एवेन और युकगीर जातियों के हैं, हालाँकि कुछ रूसी लोग भी यहाँ आकर बस गए हैं। चुकची प्रायद्वीप के बिलकुल पूर्वी छोर पर देझ़नेव अंतरीप है (ध्यान दीजिये कि 'झ़' का उच्चारण 'झ' से भिन्न है)। यहाँ से संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का राज्य के सीवार्ड प्रायद्वीप (Seward Peninsula) का सब से नज़दीकी छोर केवल ५३ मील दूर है। पिछले हिमयुग के दौरान समुद्री सतह आज से कम थी और यहाँ एक ज़मीन का हिस्सा इन दोनों छोरो को जोड़े हुए था। माना जाता है के बहुत से मूल अमेरिकी आदिवासियों के पूर्वज इसी को पार करके एशिया से उत्तर अमेरिका में दाख़िल हुए। .

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चूम (तम्बू)

चूम (अंग्रेज़ी: Chum, रूसी: чум) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के पश्चिमोत्तरी भाग में रहने वाली बंजारा यूराली लोगों द्वारा बनाएँ जाने वाले अस्थाई आवास तम्बूओं को कहते हैं। यह लोग अक्सर रेनडियर पालन से जीविका चलाते हैं और इन तम्बूओं को भी आम तौर से लकड़ी के खम्बों के इर्द-गिर्द रेनडियर खाल लपेट कर बनाया जाता है। .

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टाइटन (चंद्रमा)

टाइटन (या Τῑτάν), या शनि शष्टम, शनि ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह वातावरण सहित एकमात्र ज्ञातचंद्रमा है, और पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसके सतही तरल स्थानों, जैसे नहरों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हों। यूरोपीय-अमेरिकी के कासीनी अंतरिक्ष यान के साथ गया उसका अवतरण यान हायगन्स, १६ जनवरी २००४ को, टाइटन के धरातल पर उतरा जहां उसने भूरे-नारंगी रंग में रंगे टाईटन के नदियों-पहाडों और झीलों-तालाबों वाले जो चित्र भेजे। टाइटन के बहुत ही घने वायुमंडल के कारण इससे पहले उसकी ऊपरी सतह को देख या उसके चित्र ले पाना संभव ही नहीं था। २००८ अगस्त के मध्य में ब्राज़ील की राजधानी रियो दी जनेरो में अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ के सम्मेलन में ऐसे चित्र दिखाये गये और दो ऐसे शोधपत्र प्रस्तुत किये गये, जिनसे पृथ्वी के साथ टाइटन की समानता स्पष्ट होती है। ये चित्र और अध्ययन भी मुख्यतः कासीनी और होयगन्स से मिले आंकड़ों पर ही आधारित थे। .

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टकलामकान

अंतरिक्ष से ली गई टकलामकान की एक तस्वीर टकलामकान रेगिस्तान का एक दृश्य नक़्शे में टकलामकान टकलामकान मरुस्थल (उइग़ुर:, तेकलीमाकान क़ुम्लुक़ी) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका अधिकाँश भाग चीन द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग प्रांत में पड़ता है। यह दक्षिण से कुनलुन पर्वत शृंखला, पश्चिम से पामीर पर्वतमाला और उत्तर से तियन शान की पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। .

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ट्यूलिप

ट्यूलिप के फूल ट्यूलिप (Tulip) वसंत ऋतु में फूलनेवाला पादप है। ट्यूलिप (Tulip) के नैसर्गिक वासस्थानों में एशिया माइनर, अफगानिस्तान, कश्मीर से कुमाऊँ तक के हिमालयी क्षेत्र, उत्तरी ईरान, टर्की, चीन, जापान, साइबीरिया तथा भूमध्य सागर के निकटवर्ती देश विशेषतया उल्लेखनीय हैं। वनस्पति विज्ञान के ट्यूलिया (Tulipa) वंश का पारिभाषिक उद्गम ईरानी भाषा के शब्द टोलिबन (अर्थात् पगड़ी) से इसलिये माना जाता है कि ट्यूलिप के फूलों को उलट देने से ये पगड़ी नामक शिरोवेश जैसे दिखाई देते हैं। ट्यूलिपा वंश के सहनशील पौधों का वानस्पतिक कुल लिलिएसिई (Liliaceae) है। टर्की से यह पौधा 1554 ई0 में ऑस्ट्रिया, 1571 ई0 में हॉलैंड और 1577 ई0 में इग्लैंड ले जाया गया। इस पौधे का सर्वप्रथम उल्लेख 1559 ई0 में गेसनर ने अपने लेखों और चित्रों में किया था और उसी के आधार पर ट्यूलिपा गेसेनेरियाना (Tulipa gesenereana) का नामकरण हुआ। अल्प काल में ही इसके मनमोहक फूलों के चित्ताकर्षक रूपरंग के कारण यह पौधा यूरोप भर में सर्वप्रिय होकर फैल गया है। ट्यूलिप के अंदर .

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एस्किमो

एस्किमो, कनाडा व ग्रीनलैण्ड के टुण्ड्रा प्रदेश में निवास में करने वाली एक प्रमुख जनजाति हैं। .

देखें साइबेरिया और एस्किमो

एवेंक लोग

सन् १९०० के आसपास साइबेरिया में खींची गई कुछ एवेंकियों की तस्वीर एक पारम्परिक एवेंक ओझा (जो पुजारी और हक़ीम दोनों का स्थान रखता था) की पोशाक एवेंक लोग (रूसी: Эвенки, एवेंकी; मंगोल: Хамниган, ख़ामनिगन; अंग्रेजी: Evenk) पूर्वोत्तरी एशिया के साइबेरिया, मंचूरिया और मंगोलिया क्षेत्रों में बसने वाली एक तुन्गुसी जाति का नाम है। रूस के साइबेरिया इलाक़े में सन् २००२ में ३५,५२७ एवेंकी थे और यह औपचारिक रूप से 'उत्तरी रूस की मूल जनजाति' की सूची में शामिल थे।, José Antonio Flores Farfán, Fernando F.

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झील

एक अनूप झील बैकाल झील झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भूपटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं। ये उच्च पर्वतों पर मिलती हैं, पठारों और मैदानों पर भी मिलती हैं तथा स्थल पर सागर तल से नीचे भी पाई जाती हैं। किसी अंतर्देशीय गर्त में पाई जानेवाली ऐसी प्रशांत जलराशि को झील कहते हैं जिसका समुद्र से किसी प्रकार का संबंध नहीं रहता। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नदियों के चौड़े और विस्तृत भाग के लिए तथा उन समुद्र तटीय जलराशियों के लिए भी किया जाता है, जिनका समुद्र से अप्रत्यक्ष संबंध रहता है। इनके विस्तार में भिन्नता पाई जाती है; छोटे छोटे तालाबों और सरोवर से लेकर मीठे पानीवाली विशाल सुपीरियर झील और लवणजलीय कैस्पियन सागर तक के भी झील के ही संज्ञा दी गई है। अधिकांशत: झीलें समुद्र की सतह से ऊपर पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती हैं, जिनमें मृत सागर, (डेड सी) जो समुद्र की सतह से नीचे स्थित है, अपवाद है। मैदानी भागों में सामान्यत: झीलें उन नदियों के समीप पाई जाती हैं जिनकी ढाल कम हो गई हो। झीलें मीठे पानीवाली तथा खारे पानीवाली, दोनों होती हैं। झीलों में पाया जानेवाला जल मुख्यत: वर्ष से, हिम के पिघलने से अथवा झरनों तथा नदियों से प्राप्त होता है। झीले बनती हैं, विकसित होती हैं, धीरे-धीरे तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती हैं तथा उत्थान होंने पर समीपी स्थल के बराबर हो जाती हैं। ऐसी आशंका है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की बृहत झीलें ४५,००० वर्षों में समाप्त हो जाएंगी। भू-तल पर अधिकांश झीलें उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। फिनलैंड में तो इतनी अधिक झीलें हैं कि इसे झीलों का देश ही कहा जाता है। यहाँ पर १,८७,८८८ झीलें हैं जिसमें से ६०,००० झीलें बेहद बड़ी हैं। पृथ्वी पर अनेक झीलें कृत्रिम हैं जिन्हें मानव ने विद्युत उत्पादन के लिए, कृषि-कार्यों के लिए या अपने आमोद-प्रमोद के लिए बनाया है। झीलें उपयोगी भी होती हैं। स्थानीय जलवायु को वे सुहावना बना देती हैं। ये विपुल जलराशि को रोक लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना घट जाती है। झीलों से मछलियाँ भी प्राप्त होती हैं। .

देखें साइबेरिया और झील

डायोमीड द्वीप

डायोमीड द्वीप (रूस: острова Диомида, ओस्त्रोवा दिओमीदा; अंग्रेज़ी: Diomede Islands, डायोमीड आएलॅन्ड्ज़​), जिन्हें रूसी भाषा में ग्वोज़देव द्वीप (острова Гвоздева, ओस्त्रोवा ग्वोज़द्येवा) भी बुलाया जाता है, उत्तरी प्रशांत महासागर में दो चट्टानी द्वीपों हैं -.

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डिवोनी कल्प

मत्स्य काल या 'डिवोनी कल्प' (Devonian) भूवैज्ञानिक काल है जो पुराजीवी महाकल्प (Paleozoic Era) के सिल्युरी युग के अन्त से आरम्भ होकर (लगभग 416.0 ± 2.8 Mya (million years ago)) कार्बनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 359.2 ± 2.5 Mya) फैला हुआ है। इस कल्प का नाम इंग्लैण्ड के डेवन प्रदेश के नाम पर पड़ा है जहाँ सबसे पहले इस काल के शैलों का अध्ययन किया गया था। मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को 'मत्स्य युग' भी कहते हैं। .

देखें साइबेरिया और डिवोनी कल्प

डेविड कॉपरफील्ड (उपन्यास)

डेविड कॉपरफील्ड या ब्लंडरस्टोन की बस्ती में रहने वाले डेविड कॉपरफील्ड का व्यक्तिगत इतिहास, रोमांच, अनुभव और समीक्षा (जिसे वह कभी भी किसी भी कीमत पर प्रकाशित नहीं करना चाहता था) चार्ल्स डिकेन्स द्वारा लिखित एक उपन्यास है, जो एक उपन्यास के रूप में सबसे पहले 1850 में प्रकाशित हुआ था। उनके अधिकांश कार्यों की तरह, यह मूल रूप से एक वर्ष पहले धारावाहिक के रूप में आया। उपन्यास में कई तत्व डिकेन्स के खुद के जीवन की घटनाओं पर आधारित हैं और यह संभवतः उनके सभी उपन्यासों में सबसे अधिक आत्मकथा पर आधारित है.

देखें साइबेरिया और डेविड कॉपरफील्ड (उपन्यास)

तातार लोग

दिनारा सफीना रूस के लिए टेनिस खेलती हैं और नस्ल से तातार हैं रुसलन चाग़ायेव उज़बेकिस्तान के लिए मुक्केबाज़ी करते हैं और एक तातार हैं तातार या ततार (तातार: ततरलार; रूसी: Татар; अंग्रेज़ी: Tatar) रूसी भाषा और तुर्की भाषाएँ बोलने वाली एक जाति है जो अधिकतर रूस में बसती है। दुनिया भर में इनकी आबादी ७० लाख अनुमानित की गई है, जिनमें से ५५ लाख रूस में रहते हैं। रूस के तातारस्तान प्रांत में २० लाख तातार रहते हैं। रूस के बाहर तातार समुदाय उज़बेकिस्तान, पोलैंड, काज़ाख़स्तान, युक्रेन, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं।, Global Vision Publishing Ho, 2005, ISBN 978-81-8220-062-3,...

देखें साइबेरिया और तातार लोग

तारिम द्रोणी

तारिम द्रोणी अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। .

देखें साइबेरिया और तारिम द्रोणी

तारिम द्रोणी/आलेख

तारिम द्रोणी तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। द्रोणी या जलसंभर उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। भारत में यमुना का जलसंभर वह क्षेत्र है जहाँ यमुना नदी में विलय हो जाने वाले सारे नदी नाले फैले हुए है और जिसके अंत से केवल यमुना नदी ही निकास करती है। बंद जलसंभर ऐसा जलसंभर होता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। अंग्रेज़ी में "द्रोणी" को "बेसिन" (basin), "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment) और बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। इस क्षेत्र का उत्तर भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा ऐतिहासिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) सम्बन्ध है। यहाँ पर पाई गई लगभग सारी प्राचीन लिखाई खरोष्ठी लिपि में है, बोले जाने वाली प्राचीन भाषाएँ तुषारी भाषाएँ थीं जो भाषावैज्ञानिक दृष्टि से हिन्द-आर्य भाषाओं की बहनें मानी जाती हैं और जितने भी प्राचीन शव मिले हैं उनमें हर पुरुष का आनुवंशिकी पितृवंश समूह आर१ए१ए है जो उत्तर भारत के ३०-५०% पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया की चीनी, जापानी और कोरियाई आबादियों में और पश्चिमी एशिया की अरब आबादियों में लगभग अनुपस्थित है। .

देखें साइबेरिया और तारिम द्रोणी/आलेख

ताइगा

रूस के बयकाल झील के पास उगते ताइगा वन ताइगा या तायगा (रूसी: тайга́, अंग्रेजी: Taiga) विश्व के उत्तरी क्षेत्रों का एक बायोम है जिसमें चीड़ (पाइन), सरल (स्प्रूस) और लार्च जैसे कोणधारी (कॉनिफ़ेरस​) वृक्षों के वन फैले हुए हैं।, Sandra Alters, pp.

देखें साइबेरिया और ताइगा

तुर्किस्तान

सन् १९१४ के नक़्शे में रूसी तुर्किस्तान दर्शाया गया है तुर्किस्तान (अंग्रेज़ी: Turkistan या Turkestan, फ़ारसी) मध्य एशिया के एक बड़ा भूभाग का पारम्परिक नाम है जहाँ तुर्की भाषाएँ बोलने वाले तुर्क लोग रहते हैं। इस नाम द्वारा परिभाषित इलाक़े की सीमाएँ समय के साथ बदलती रहीं हैं और इसका प्रयोग भी तुर्किस्तान से बाहर रहने वाले लोग ही अधिक करते थे।, Anita Sengupta, Lexington Books, 2009, ISBN 978-0-7391-3606-5,...

देखें साइबेरिया और तुर्किस्तान

तुर्की भाषा परिवार

विश्व के देश (गाढ़े नीले रंग में) और प्रदेश (हलके नीले रंग में) जहाँ तुर्की भाषाओँ को सरकारी मान्यता प्राप्त है सन् 735 के लगभग तराशे गए एक ओरख़ोन शिलालेख का हिस्सा यूरेशिया में तुर्की भाषाओँ का फैलाव तुर्की भाषाएँ पैंतीस से भी अधिक भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। तुर्की भाषाएँ पूर्वी यूरोप और भूमध्य सागर से लेकर साईबेरिया और पश्चिमी चीन तक बोली जाती हैं। कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें अल्ताई भाषा परिवार की एक शाखा मानते हैं। विश्व में लगभग 16.5 से 18 करोड़ लोग तुर्की भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अगर सभी तुर्की भाषाओँ को बोल सकने वालों की गणना की जाए तो क़रीब 25 करोड़ लोग इन्हें बोल सकते हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली तुर्की भाषा का नाम भी तुर्की है, हालाँकि कभी-कभी इसे अनातोल्वी भी कहा जाता है (क्योंकि यह अनातोलिया में बोली जाती है)। .

देखें साइबेरिया और तुर्की भाषा परिवार

तुंगुसी भाषा-परिवार

उत्तर-पूर्वी एशिया में तुंगुसी भाषाओं का विस्तार एवेंकी भाषा में कुछ लिखाई, जो साइबेरिया में बोली जाने वाली एक तुंगुसी भाषा है मांचु भाषा में, जो एक तुंगुसी भाषा है तुंगुसी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Tungusic languages, तुन्गुसिक लैग्वेजिज़) या मांचु-तुंगुसी भाषाएँ पूर्वी साइबेरिया और मंचूरिया में बोली जाने वाली भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इन भाषाओं को मातृभाषा के रूप में बोलने वालुए समुदायों को तुंगुसी लोग कहा जाता है। बहुत सी तुंगुसी बोलियाँ हमेशा के लिए विलुप्त होने के ख़तरे में हैं और भाषावैज्ञानिकों को डर है कि आने वाले समय में कहीं यह भाषा-परिवार पूरा या अधिकाँश रूप में ख़त्म ही न हो जाए। बहुत से विद्वानों के अनुसार तुंगुसी भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। ध्यान दीजिये कि मंगोल भाषाएँ और तुर्की भाषाएँ भी इस परिवार कि उपशाखाएँ मानी जाती हैं इसलिए, अगर यह सच है, तो तुंगुसी भाषाओँ का तुर्की, उज़बेक, उइग़ुर और मंगोल जैसी भाषाओं के साथ गहरा सम्बन्ध है और यह सभी किसी एक ही आदिम अल्ताई भाषा की संतानें हैं।, Martine Irma Robbeets, Otto Harrassowitz Verlag, 2005, ISBN 978-3-447-05247-4 तुंगुसी भाषाएँ बोलने वाली समुदायों को सामूहिक रूप से तुंगुसी लोग कहा जाता है। .

देखें साइबेरिया और तुंगुसी भाषा-परिवार

तुंगुसी लोग

सन् १९१५ में खींची गई कुछ मान्छु लोगों की तस्वीर तुंगुसी भाषाओँ के फैलाव का नक़्शा तुंगुसी लोग उत्तर-पूर्वी एशिया की उन जातियों को कहा जाता है जिनकी मातृभाषा तुंगुसी भाषा-परिवार की सदस्य हो। यह लोग साइबेरिया, मंचूरिया, कोरिया और मंगोलिया के क्षेत्रों में पाए जाते हैं, हालांकि कुछ तुंगुसी समुदाय इस क्षेत्र से भाहर भी मौजूद हैं। इनका नाम साइबेरिया के 'तुंगुस्का' नामक एक इलाक़े से पड़ा है।, Ronald Wixman, M.E.

देखें साइबेरिया और तुंगुसी लोग

त्रोत्स्की

लेव त्रोत्स्की (१९२९ में) लेव त्रोत्सकी (रूसी:: Лев Дави́дович Тро́цкий; उच्चारण:; Leon Trotsky; 7 नवम्बर 1879 – 21 अगस्त 1940) रूस के मार्क्सवादी क्रांतिकारी तथा सिद्धान्तकार, सोवियत राजनेता तथा लाल सेना के संस्थापक व प्रथम नेता थे। रूसी क्रांति के बाद हुए भीषण गृह युद्ध में विजयी रही लाल सेना की कमान ट्रॉट्स्की के हाथ में ही थी। एक सिद्धांतकार के रूप में स्थायी क्रांति के सिद्धान्त के जरिये उन्होने मार्क्सवादी विमर्श में योगदान किया। इसके साथ ही ट्रॉट्स्की ने एक नियम का प्रतिपादन भी किया कि पूँजीवाद के विकास का स्तर सभी जगह एक सा नहीं होता जिसका परिणाम पिछड़े देशों में सामाजिक और ऐतिहासिक विकास के दो चरणों के एक साथ घटित हो जाने में निकलता है। बीसवीं सदी के पहले दशक में मार्क्सवादियों के बीच चल रहे बहस-मुबाहिसे के बीच ट्रॉट्स्की की इस सैद्धांतिक उपलब्धि ने रूस जैसे औद्योगिक रूप से पिछड़े देश में क्रांति करने के तर्क को मजबूती प्रदान की। लेनिन के देहांत के बाद ट्रॉट्स्की ने स्तालिन द्वारा प्रवर्तित एक देश में समाजवाद की स्थापना के सिद्धांत का विरोध किया, लेकिन वे पार्टी के भीतर होने वाले संघर्ष में अकेले पड़ते चले गये। पहले उन्हें पार्टी से निकाला गया, और फिर सोवियत राज्य के विरुद्ध षडयन्त्र करने के आरोप में देश-निकाला दे दिया गया। निष्कासन के दौरान ट्रॉट्स्की ने स्तालिन के नेतृत्व में बन रहे सोवियत संघ की कड़ी आलोचना करते हुए उसे नौकरशाह, निरंकुश और राजकीय पूँजीवादी राज्य की संज्ञा दी। सोवियत सीक्रेट पुलिस से बचने के लिए सारी दुनिया में भटकते हुए ट्रॉट्स्की ने 'परमानेंट रेवोल्यूशन' (1930), 'रेवोल्यूशन बिट्रेड' (1937) और तीन खण्डों में 'द हिस्ट्री ऑफ़ रशियन रेवोल्यूशन' (1931-33) जैसे क्लासिक ग्रंथ की रचना की। विश्व-क्रांति के अपने सपने को धरती पर उतारने के लिए उन्होंने चौथे कम्युनिस्ट इंटरनैशनल की स्थापना भी की जिसे कोई खास कामयाबी नहीं मिली। निष्कासन के दौरान ही मैक्सिको में स्तालिन के एक एजेंट के हाथों उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा। ट्रॉट्स्की के अनुयायियों ने दुनिया के कई देशों में छोटी- छोटी कम्युनिस्ट पार्टियाँ बना रखी हैं। सोवियत शैली के कम्युनिज़म के विकल्प के रूप में उनके विचारों को ट्रॉट्स्कीवाद की संज्ञा मिल चुकी है। .

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तैमिर प्रायद्वीप

रूस के उत्तरध्रुवीय क्षेत्र का मानचित्र तैमिर प्रायद्वीप की अवस्थिति तैमिर प्रायद्वीप (रूसी: Полуостров Таймыр, Таймырский полуостров), साइबेरिया में एक प्रायद्वीप है, जो यूरेशिया और एशिया की मुख्य भूमि के उत्तरी भागों की रचना करता है। यह रूस के क्रस्नोयार्स्क क्राय, में कारा सागर की येनिसी खाड़ी और लाप्टेव सागर की खटांगा खाड़ी के बीच स्थित है। तैमिर झील और बिरांगा पर्वत, इस विशाल तैमिर प्रायद्वीप पर स्थित हैं। यूरेशियाई महाद्वीप का सबसे उत्तरी सिरा चेल्युस्किन अंतरीप, तैमिर प्रायद्वीप के उत्तरी छोर पर स्थित है। .

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तूवा

तूवा, जिसका सरकारी नाम तूवा गणतंत्र (तूवी: Тыва Республика तिवा रयिसपुब्लिका) है, मध्य एशिया के दक्षिणी साइबेरिया क्षेत्र में स्थित रूस का एक राज्य है जो रूस की संघ व्यवस्था में गणतंत्र की हैसियत रखता है। भौगोलिक दृष्टि से तूवा ठीक एशिया के महाद्वीप के भौगोलिक केंद्र में बैठता है। तूवा की सरहदें कुछ अन्य रूसी राज्यों से लगतीं हैं और दक्षिण की ओर मंगोलिया से लगतीं हैं। तूवा की राजधानी किज़िल है। इस राज्य में अधिकतर लोग तूवी भाषा बोलते हैं, हालांकि की रूसी भी कई लोगों द्वारा समझी और बोली जाती है। १९४४ तक तूवा एक तन्नू तूवा नाम का अलग राष्ट्र था, लेकिन १९४४ में इसका रूस और सोवियत संघ में विलय हो गया। .

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तेन्ग्री धर्म

काज़ाख़स्तान के राष्ट्रीय ध्वज की नीली पृष्ठभूमि 'सनातन नीले आकाश', यानि तेन्ग्री, का प्रतीक है तेन्ग्री धर्म (पुरानी तुर्की: 7px7px7px7px, मंगोल: Тэнгэр шүтлэг, अंग्रेज़ी: Tengrism) एक प्राचीन मध्य एशियाई धर्म है जिसमें ओझा प्रथा, सर्वात्मवाद, टोटम प्रथा और पूर्वज पूजा के तत्व शामिल थे। यह तुर्क लोगों और मंगोलों की मूल धार्मिक प्रथा थी। इसके केन्द्रीय देवता आकाश के प्रभु तेन्ग्री (Tengri) थे और इसमें आकाश के लिए बहुत श्रद्धा रखी जाती थी। आज भी मध्य एशिया और उत्तरी एशिया में तूवा और साइबेरिया में स्थित ख़कासिया जैसी जगहों पर तेन्ग्री धर्म के अनुयायी सक्रीय हैं।, Robert A.

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तेलेत्स्कोये झील

झील का दक्षिणी छोर तेलेत्स्कोये झील (रूसी: Теле́цкое о́зеро, ओज़ेरो तेलेत्स्कोए; अल्ताई: Алтын Кӧл, अलत्यिन कोल, अर्थ: सुनहरी झील; अंग्रेज़ी: Lake Teletskoye) रूस के अल्ताई गणतंत्र विभाग में अल्ताई पर्वतों के दरम्यान स्थित एक झील है। समुद्र तल से ४३४ मीटर ऊपर स्थित यह झील ७८ किमी लम्बी, ५ किमी चौड़ी और ३२५ मीटर गहरी है। यह अल्ताई पहाड़ों में सयल्यूगेम​ पर्वत शृंखला और पश्चिमी सायन पर्वत शृंखला के मिलन स्थल पर स्थित है। .

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तोम्स्क

तोम्स्क (Tomsk; रूसी: Томск; IPA) रूस के साइबेरिया में स्थित एक नगर है। यह तोम्स्क ओब्लास्त (Tomsk Oblast) का प्रशासनिक केन्द्र है। यह नगर साइबेरिया के प्राचीनतम नगरों में से एक है तथा सन २००४ में इसकी ४००वीं जयन्ती मनायी गयी। सन २०१० की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 524,669  थी। यह नगर उशायका नदी के मुहाने के दोनों तटों पर टॉम और ऑब के संगम से ४० किमी दूर टॉम के पूर्वी भाग पर स्थित साइबीरिया का प्रधान नगर है। यह शिक्षा और व्यापार का केंद्र है। १८२४ ई.

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दिंगलींग लोग

दिंगलींग (चीनी: 丁零, अंग्रेजी: Dingling, कोरियाई: जेओंग रयुंग) साइबेरिया में बसने वाली एक प्राचीन जाति थी। यह शुरू में बयकाल झील से पश्चिम में लेना नदी के किनारे बसा करते थे लेकिन समय के साथ दक्षिण की ओर जाकर मंगोलिया और उत्तरी चीन के क्षेत्र में जा बसे। महान इतिहासकार के अभिलेख नामक चीनी इतिहास-ग्रन्थ के अनुसार बाद में उन्हें शियोंगनु साम्राज्य के अधीन कर लिया गया हालांकि ७१ ईसापूर्व के बाद उन्होंने शियोंगनुओं के ख़िलाफ़ विद्रोह करा। तीसरी सदी ईसवी के बाद वे तिएले लोगों (鐵勒, Tiele) का भाग बन गए जो धीरे-धीरे पश्चिम की ओर मध्य एशिया में फैल गए। इन्ही तिएले लोगों का एक गुट हिन्द-यूरोपीयों से मिश्रित हो गया जिस से उईग़ुर जाति उत्पन्न हुई। दिंगलींग लोगों की एक दूसरी शाखा शियानबेई लोगों में जा मिली।, University of California, Berkeley.

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द्रास

द्रास भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के करगिल ज़िले में स्थित एक बस्ती है। ३,२३० मीटर (१०,९९० फ़ुट) पर बसा हुआ यह क़स्बा १६,००० से २१,००० फ़ुट के पहाड़ों से घिरा हुआ है। द्रास वादी ज़ोजिला दर्रे के चरणों में है और कश्मीर से लद्दाख़ जाने के लिये यहाँ से गुज़रना पड़ता है, जिस कारणवश इसे 'लद्दाख़ का द्वार' भी कहा जाता है। .

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दूनहुआंग

दूनहुआंग में एक बाज़ार चीन के गांसू प्रान्त में दूनहुआंग शहर (गुलाबी रंग में) हान राजवंश काल के दौरान बने मिट्टी के संतरी बुर्ज के खंडहर नवचंद्र झील दूनहुआंग (चीनी: 敦煌, अंग्रेज़ी: Dunhuang) पश्चिमी चीन के गांसू प्रान्त में एक शहर है जो ऐतिहासिक रूप से रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था। इसकी आबादी सन् २००० में १,८७,५७८ अनुमानित की गई थी। रेत के टीलों से घिरे इस रेगिस्तानी इलाक़े में दूनहुआंग एक नख़लिस्तान (ओएसिस) है, जिसमें 'नवचन्द्र झील' (Crescent Lake) पानी का एक अहम स्रोत है। प्राचीनकाल में इसे शाझोऊ (沙州, Shazhou), यानि 'रेत का शहर', के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ पास में मोगाओ गुफ़ाएँ भी स्थित हैं जहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धी ४९२ मंदिर हैं और जिनमें इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति पर भारत का गहरा प्रभाव दिखता है।, Morning Glory Publishers, 2000, ISBN 978-7-5054-0715-2,...

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दोस्त मुहम्मद ख़ान

दोस्त मोहम्मद खान (पश्तो: दोस्त मोहम्मद खान, 23 दिसंबर 1793 - 1863) 9 जून प्रथम आंग्ल-अफगान दौरान बारक़ज़ई वंश का संस्थापक और अफगानिस्तान के प्रमुख शासकों में से एक था।826-1839 अफगानिस्तान के अमीर बन गया और दुर्रानी वंश के पतन के साथ, वह 1845 से 1863 तक अफ़ग़ानिस्तान पर शासन किया। वह सरदार पाइंदा खान (बरक़ज़ई जनजाति के प्रमुख) का 11 वां बेटा था जो जमान शाह दुर्रानी से 1799 में मारा गया था। दोस्त मोहम्मद के दादा हाजी जमाल खान था। अफ़ग़ानों और अंग्रेजों की पहली लड़ाई के बाद उसे कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया था लेकिन शाह शुजा की हत्या के बाद, 1842 में ब्रिटिश उसे अफ़ग़ानिस्तान का अमीर बना गए। उसने पंजाब के रणजीत सिंह से भी लोहा लिया। .

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ध्रुवीय भालू

ध्रुवीय भालू (उर्सूस मारीटिमस) एक ऐसा भालू है जो आर्कटिक महासागर, उसके आस-पास के समुद्र और आस-पास के भू क्षेत्रों को आवृत किये, मुख्यतः आर्कटिक मंडल के भीतर का मूल वासी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मांसभक्षी है और सर्वाहारी कोडिअक भालू के लगभग समान आकार के साथ, यह सबसे बड़ा भालू भी है। एक वयस्क नर का वज़न लगभग होता है, जबकि एक वयस्क मादा उसके करीब आधे आकार की होती है। हालांकि यह भूरे भालू से नज़दीकी रूप से संबंधित है, लेकिन इसने विकास करते हुए संकीर्ण पारिस्थितिकीय स्थान हासिल किया है, जिसके तहत ठंडे तापमान के लिए, बर्फ, हिम और खुले पानी पर चलने के लिए और सील के शिकार के लिए, जो उसके आहार का मुख्य स्रोत है, अनुकूलित कई शारीरिक विशेषताएं हैं। यद्यपि अधिकांश ध्रुवीय भालू भूमि पर जन्म लेते हैं, वे अपना अधिकांश समय समुद्र पर बिताते हैं (अतः उनके वैज्ञानिक नाम का अर्थ है "समुद्री भालू") और केवल समुद्री बर्फ से लगातार शिकार कर सकते हैं, जिसके लिए वे वर्ष का अधिकांश समय जमे हुए समुद्र पर बिताते हैं। ध्रुवीय भालू को एक नाज़ुक प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी 19 में से 8 उप-जनसंख्या में गिरावट देखी गई है।IUCN ध्रुवीय भालू विशेषज्ञ समूह, 2009.

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नरभक्षण

हैंस स्टैडेन द्वारा कहा गया 1557 में नरभक्षण. लियोंहार्ड कर्ण द्वारा नरभक्षण, 1650 नरभक्षण (नरभक्षण) (नरभक्षण की आदत के लिए विख्यात वेस्ट इंडीज जनजाति कैरीब लोगों के लिए स्पेनिश नाम कैनिबलिस से) एक ऐसा कृत्य या अभ्यास है, जिसमें एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का मांस खाया करता है। इसे आदमखोरी (anthropophagy) भी कहा जाता है। हालांकि "कैनिबलिज्म" (नरभक्षण) अभिव्यक्ति के मूल में मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के खाने का कृत्य है, लेकिन प्राणीशास्त्र में इसका विस्तार करते हुए किसी भी प्राणी द्वारा अपने वर्ग या प्रकार के सदस्यों के भक्षण के कृत्य को भी शामिल कर लिया गया है। इसमें अपने जोड़े का भक्षण भी शामिल है। एक संबंधित शब्द, "कैनिबलाइजेशन" (अंगोपयोग) के अनेक अर्थ हैं, जो लाक्षणिक रूप से कैनिबलिज्म से व्युत्पन्न हैं। विपणन में, एक उत्पाद के कारण उसी कंपनी के अन्य उत्पाद के बाजार के शेयर के नुकसान के सिलसिले में इसका उल्लेख किया जा सकता है। प्रकाशन में, इसका मतलब अन्य स्रोत से सामग्री लेना हो सकता है। विनिर्माण में, बचाए हुए माल के भागों के पुनःप्रयोग पर इसका उल्लेख हो सकता है। खासकर लाइबेरिया और कांगो में, अनेक युद्धों में हाल ही में नरभक्षण के अभ्यास और उसकी तीव्र निंदा दोनों ही देखी गयी। अतीत में दुनिया भर के मनुष्यों के बीच व्यापक रूप से नरभक्षण का प्रचलन रहा था, जो 19वीं शताब्दी तक कुछ अलग-थलग दक्षिण प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति में जारी रहा; और, कुछ मामलों में द्वीपीय मेलेनेशिया में, जहां मूलरूप से मांस-बाजारों का अस्तित्व था। फिजी को कभी 'नरभक्षी द्वीप' ('Cannibal Isles') के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि निएंडरथल नरभक्षण किया करते थे, और हो सकता है कि आधुनिक मनुष्यों द्वारा उन्हें ही कैनिबलाइज्ड अर्थात् विलुप्त कर दिया गया हो। अकाल से पीड़ित लोगों के लिए कभी-कभी नरभक्षण अंतिम उपाय रहा है, जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि ऐसा औपनिवेशिक रौनोक द्वीप में हुआ था। कभी-कभी यह आधुनिक समय में भी हुआ है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ्लाइट 571 की दुर्घटना, जिसके बाद कुछ बचे हुए यात्रियों ने मृतकों को खाया.

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ना-डिने भाषाएँ

ना-डिने (Na-Dene languages) या आथाबास्की-एयक-त्लिंगित (Athabaskan-Eyak-Tlingit) या त्लिंगित-डिने एक अमेरिकी आदिवासी भाषा परिवार है जिसमें आथाबास्की, एयक और त्लिंगित भाषाएँ शामिल हैं। सन् २००८ में एक भाषावैज्ञानिक प्रस्ताव के अनुसार इन बोलियों का मध्य साइबेरिया की येनिसेय नदी के क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं के साथ सम्बन्ध है। हालांकि इसपर विद्वानों में एकमत नहीं बना है लेकिन इसपर अध्ययन जारी है। .

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निव्ख़ लोग

निव्ख़ों का एक समूह अपनी पारम्परिक वेशभूशा में दो निव्ख़ शिकारी निव्ख़ या निव्ख़ी (रूसी भाषा: Нивхи, अंग्रेज़ी: Nivkh) या गिल्यक एक मानव समुदाय है जो रूस के सूदूर-पूर्व में साख़ालिन द्वीप और ख़ाबारोव्स्क क्राय में अमूर नदी के सागर से मिल जाने वाले क्षेत्र में रहता है। यह इस क्षेत्र के प्राचीनतम निवासी माने जाते हैं। प्राचीनकाल में यह गर्मियों में समुद्र-तटों के पार और सर्दियों में तटों से हटकर नदी-झरनों के पास मछुआरों और शिकारियों का जीवन व्यतीत करते थे। सन् २००२ की रूसी जनगणना में इनकी अनुमानित आबादी केवल ५,२८७ गिनी गई थी। इनकी भाषा बिलकुल पृथक है और इसका किसी भी अन्य ज्ञात भाषा से सम्बन्ध नहीं, हालांकि इस भाषा के अन्दर चार ज्ञात उपभाषाएँ हैं।, University of Pennsylvania Press, 2010, ISBN 978-1-934536-11-7,...

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निकोलस द्वितीय

निकोलस द्वितीय् निकोलस द्वितीय (रूसी: Николай II, Николай Александрович Романов, tr. Nikolai II, Nikolai Alexandrovich Romanov Nicholas II; 18 मई 1868 – 17 जुलाई 1918) रूस का अन्तिम सम्राट (ज़ार), फिनलैण्ड का ग्रैण्ड ड्यूक तथा पोलैण्ड का राजा था। उसकी औपचारिक लघु उपाधि थी: निकोलस द्वितीय, सम्पूर्ण रूस का सम्राट तथा आटोक्रैट। रूसी आर्थोडोक्स चर्च उसे करुणाधारी सन्त निकोलस कहता है। .

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नई भूमि अभियान

सोवियत डाक टिकट जिसपर रूसी भाषा में 'नई भूमि पर विजय करने वालों को नमस्कार' लिखा हुआ है नई भूमि अभियान (रूसी: Освоение целины, ओस्वोएनिए त्सेलिन्य; अंग्रेज़ी: Virgin Lands Campaign) सोवियत संघ में १९५० और १९६० के दशकों में अन्न की सख़्त कमी से निबटने के लिए मध्य एशिया, उत्तरी कॉकस और पश्चिमी साइबेरिया के विशाल स्तेपी मैदानी क्षेत्रों में नए सिरे से कृषि शुरू करने की योजना का नाम था। इसका उद्घाटन १९५३ में उस समय के सोवियत नेता निकिता ख़्रुशचेव​ ने किया था। इसके अंतर्गत दसियों हज़ार वर्ग किमी क्षेत्रफल की ज़मीन पर सिंचाई और अनाज उगाने का काम आरम्भ किया गया। .

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नेपोलियन का रूस पर आक्रमण

नेपोलियन की साम्राज्यवादी आकांक्षा तथा महाद्वीपीय व्यवस्था के प्रश्न पर रूस के साथ उसके संबंध पुनः बिगड़ गए। फलस्वरूप 1812 ई.

देखें साइबेरिया और नेपोलियन का रूस पर आक्रमण

नोआइदी

नोआइदी (उत्तरी सामी: noaidi) उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेविया क्षेत्र के सामी लोगों के पारम्परिक ओझाओं को कहते हैं। नोआदी सामियों के पारम्परिक धर्म-विश्वास में रोग हरने वाला और मानवों व देवताओं के बीच सम्बन्ध करने वाला व्यक्ति होता था। अधिकतर नोआदी १७वीं सदी में मार दिये गये थे क्योंकि सामी क्षेत्रों पर क़बज़ा करने वाले राजवंशो में उनके द्वारा विद्रोह फैलाने का डर रहता था। सामियों की कुछ ओझाप्रथाएँ कई साइबेरियाई संस्कृतियों से मिलती-जुलती थी।Voigt 1966: 296 .

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पर्माफ़्रोस्ट

साइबेरिया में पर्माफ़्रोस्ट पर खड़ा यह घर उसके कुछ हद तक पिघलने से टेढ़ा हो गया है उत्तरी कनाडा में पर्माफ़्रोस्ट से धरती पर बनी लकीरें पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में पर्माफ़्रोस्ट का विस्तार भूविज्ञान में स्थायीतुषार या पर्माफ़्रोस्ट (permafrost) ऐसी धरती को बोलते हैं जिसमें मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक पानी जमने के तापमान (यानि शुन्य सेंटीग्रेड) से कम तापमान पर रही हो। इस प्रकार की धरती में मौजूद पानी अक्सर मिटटी के साथ मिलकर उसे इतनी सख़्ती से जमा देता है कि मिटटी भी सीमेंट या पत्थर जैसी कठोर हो जाती है। पर्माफ़्रोस्ट वाले स्थान अधिकतर पृथ्वी के ध्रुवों के पास ही होते हैं (जैसे कि साइबेरिया, ग्रीनलैंड व अलास्का), हालांकि कुछ ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों (जैसे कि तिब्बत व लद्दाख़) में भी जहाँ-तहाँ पर्माफ़्रोस्ट मिलता है।, Ahmad N, Sarwar Rais, pp.

देखें साइबेरिया और पर्माफ़्रोस्ट

पार-साइबेरियाई रेलमार्ग

नाज़िवाएवस्काया स्टेशन पर अप्रैल के महीने में बर्फ़ से गुज़रती हुई रेल ट्रांस-साइबेरियाई रेलमार्ग एक प्रसिद्ध रेलमार्ग है जो रूस की राजधानी मास्को को रूस के साइबेरिया क्षेत्र से गुज़रते हुए सूदूर-पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक से जोड़ता है। इसकी शाखाएँ मंगोलिया से गुज़रती हुई चीन भी जाती हैं। यह एक 9,259 किमी लम्बा रेलमार्ग है और इसपर एक छोर से दुसरे छोर तक पूरा सफ़र करने में आठ दिन लग जाते हैं।, route No.

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पाव्लोदार प्रांत

पाव्लोदार प्रांत (कज़ाख़: Павлодар облысы, अंग्रेज़ी: Pavlodar Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी भी पाव्लोदार नाम का शहर ही है। इस प्रांत की सरहदें उत्तर में रूस से लगती हैं। साइबेरिया की महत्वपूर्ण इरतिश नदी चीन द्वारा नियंत्रित अल्ताई पर्वतों के एक भाग से निकलकर इस प्रांत से गुज़रती है और उत्तर में रूस में निकल जाती है। कुछ समीक्षकों के अनुसार क़ाज़ाख़स्तान का यह भाग रहन-सहन और संस्कृति में साइबेरिया जैसा अधिक और मध्य एशिया जैसा कम लगता है।, Paul Brummell, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-369-6,...

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पितृवंश समूह ऍन

रूस के साइबेरिया क्षेत्र के नॅनॅत्स जनजाति के ७५% पुरुष पितृवंश समूह ऍन के वंशज हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह ऍन या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप N एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह ऍनओ से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष अधिकतर यूरेशिया के सुदूर उत्तरी इलाक़ों में पाए जाते हैं, जैसे कि साइबेरिया, उत्तरी रूस, फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया। साइबेरिया की याकूत और नॅनॅत्स जनजातियों के ७५% पुरुष, फिनलैंड की सामी जनजाति के ४०% पुरुष और फिनलैंड की ही बहुसंख्यक फ़िन्न जाती के ६०% पुरुष इस पितृवंश समूह के सदस्य हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग १५,०००-२०,००० वर्ष पहले सुदूर पूर्व एशिया का निवासी था। .

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पितृवंश समूह पी

भारत के माडिया गोंड समुदाय के २५% पुरुष पितृवंश समूह पी के वंशज हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह पी या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप P एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह ऍमऍनओपीऍस से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष भारत में कुछ समुदायों में ही मिलते हैं - मणिपुर के ३०% मुस्लिम पुरुष और गोंड जनजाति की माडिया शाखा के २५% पुरुष इसके सदस्य हैं। यूरोप में क्रोएशिया के ह्वार द्वीप पर भी कुछ पुरुष इसके वंशज हैं। चाहे पितृवंश समूह पी के सीधे वंशज कम हों, लेकिन इस से उत्पन्न क्यु और आर उपशाखाओं के वंशज यूरोप, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका पर करोड़ों की संख्या में दूर-दूर तक फैले हुए हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से पितृवंश समूह पी शुरू हुआ वह आज से लगभग २७,०००-४१,००० वर्ष पहले जीवित था और मध्य एशिया या साइबेरिया में रहता था। .

देखें साइबेरिया और पितृवंश समूह पी

पितृवंश समूह आर

दुनिया में पितृवंश समूह आर की उपशाखाओं का फैलाव - आंकड़े बता रहे हैं के किसी भी इलाक़े के कितने प्रतिशत पुरुष इसके वंशज हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह आर या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप R एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह पी से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश की आर१ए, आर१बी और आर२ उपशाखाओं के पुरुष ज़्यादातर यूरोप, मध्य एशिया, पूर्वी एशिया, पश्चिमी एशिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण एशिया में पाए जाते हैं। इसकी आर१ शाखा के पुरुष उत्तर अमेरिका के कुछ आदिवासी समुदायों में भी पाए जाते हैं और विचार है के इनके पूर्वज शायद चंद हज़ार साल पहले ही साइबेरिया से उत्तर अमेरिकी उपमहाद्वीप पहुंचे थे। माना जाता है के मूल पितृवंश समूह आर जिस पुरुष के साथ आरम्भ हुआ वह आज से ३५,०००-४०,००० साल पहले मध्य एशिया या मध्य पूर्व का रहने वाला था। .

देखें साइबेरिया और पितृवंश समूह आर

पितृवंश समूह क्यु

पितृवंश समूह क्यु का फैलाव। आंकड़े बता रहें हैं के इन इलाकों के कितने प्रतिशत पुरुष इस पितृवंश के वंशज हैं। मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह क्यु या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप Q एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह पी से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष मध्य एशिया के सभी समुदायों में और उत्तरी एशिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के आदिवासी समुदायों में पाए जाते हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग १७,०००-२२,००० वर्ष पहले जीवित था, लेकिन इस बात पर विवाद है के वह किस क्षेत्र का निवासी था। कुछ विशेषज्ञों का कहना है की वह मध्य एशिया में रहता था, लेकिन अन्य वैज्ञानिक भारतीय उपमहाद्वीप या साइबेरिया को उसका घर बताते हैं। भारत में इसकी एक अनूठी उपशाखा मिली है, लेकिन यह बहुत ही कम संख्या के भारतीय पुरुषों में पायी गयी है। .

देखें साइबेरिया और पितृवंश समूह क्यु

पैंजिया

पैंजिया का मानचित्र पैंजिया, पैन्जेया या पैंजी (प्राचीन यूनानी πᾶν पैन "संपूर्ण" और Γαῖα गैया "पृथ्वी", लैटिन भाषा में जेया से), एक विशाल एकीकृत महाद्वीप (सुपरकॉन्टीनेंट) था जिसका अस्तित्व लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले पेलियोजोइक और मिजोजोइक युग के दौरान था; मौजूदा महाद्वीप अपने वर्तमान स्वरूप में इसी में से निकल कर आये हैं। यह नाम अल्फ्रेड वेजेनर के महाद्वीपीय प्रवाह के सिद्धांत की वैज्ञानिक चर्चा में गढ़ा गया था। अपनी पुस्तक "द ओरिजिन ऑफ कॉन्टिनेंट्स एंड ओशंस" (डाई एंटस्टेहंग डर कोंटिनेंट एंड ओजियेन) में उन्होंने माना था कि सभी महाद्वीप बाद में विखंडित होने और प्रवाहित होकर अपने वर्तमान स्थानों पर पहुँचने से पहले एक समय में एक विशाल महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे उन्होंने "उरकॉन्टिनेंट" कहा था। पैंजिया शब्द 1928 में अल्फ्रेड वेजेनर के सिद्धांत पर चर्चा के लिए आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान प्रकाश में आया। एक विशाल महासागर जो पैंजिया को चारों ओर से घेरे हुए था, तदनुसार उसका नाम पैंथालासा रखा गया। .

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पूतोराना पठार

पुतोराना पठार का एक नज़ारा पुतोराना पठार (रूस: плато Путорана, प्लातो पुतोराना; अंग्रेज़ी: Putorana Plateau) या पुतोराना पहाड़ रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित एक ऊँचा पठार है। यह मध्य साइबेरियाई पठार के पश्चिमोत्तरी छोर पर तायमयिर प्रायद्वीप से दक्षिण में स्थित एक पहाड़ी इलाक़ा है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ १,७०० मीटर (५,६०० फ़ुट) ऊँचा कामेन पर्वत है। रूस का भौगोलिक केंद्र इस पठार पर स्थित विवि झील में पड़ता है। यहाँ ज़मीन के नीचे विश्व के सबसे बड़े निकल के खनिज भण्डार हैं। यहाँ आबादी कम होने से प्रकृति का राज है और दुनिया के सबसे बड़े रेनडियर झुण्ड भी यहीं पाए जाते हैं।, Mark Nuttall, Routledge, 2005, ISBN 978-1-57958-439-9,...

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पूर्वी साइबेरियाई सागर

पूर्वी साइबेरियाई सागर (रूसी: Восточно-Сибирское море) आर्कटिक महासागर में एक सीमांत समुद्र है। इसके उत्तर में आर्कटिक अंतरीप, दक्षिण में साइबेरियाई तट, पश्चिम में नया साइबेरियाई द्वीप समूह और बिलिंग अंतरीप, चुकोटका के करीब और रैंजेल द्वीप इसके पूर्व में स्थित है। इस सागर की सीमाएं पश्चिम में लाप्टेव सागर और पूर्व में चुकची सागर से मिलती हैं। आर्कटिक क्षेत्र के इस समुद्र का अध्ययन सबसे कम किया गया है। इसकी विशेषताओं में शामिल हैं, विषम जलवायु, कम लवणता, वनस्पति, जीव और मानव जनसंख्या का अभाव, कम गहराई (अधिकतर 50 मीटर से कम), धीमी गति की समुद्री धारायें, भाटा (25 सेमी से कम), अक्सर पड़ने वाला कुहासा खासकर गर्मियों में और बर्फ से जमा क्षेत्र जिसकी बर्फ अगस्त से सितंबर के बीच पूरी तरह से पिघल जाती है। पूर्वी साइबेरियाई सागर के तटों पर हजारों सालों से यूकाग़िर, चुकची, इवेनी और इवेंकी नामक मूल निवासी रहते आये हैं, जिनका प्राथमिक व्यवसाय मछली पकड़ना, शिकार और रेंडियर पालन है। क्षेत्र की प्रमुख औद्योगिक गतिविधियों में उत्तरी सागर मार्ग के भीतर खनन और नौवहन है, मछली पकड़ना अभी वाणिज्यिक रूप से विकसित नहीं है। सबसे बड़ा शहर और बंदरगाह पेवेक है जो रूस का सबसे उत्तर में स्थित शहर है। .

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बयकाल झील

बयकाल झील (रूसी: о́зеро Байка́л ओज़ेरो बयकाल, बुर्यात: Байгал нуур बयगाल नुउर, अर्थ: प्रकृति झील) दुनिया की सब से प्राचीन और गहरी झील है। यह झील ३ करोड़ वर्ष से लगातार बनी हुई है और इसकी औसत गहराई ७४४.४ मीटर है। हालाँकि कैस्पियन सागर विश्व की सबसे ज़्यादा पानी वाली झील है, बयकाल का स्थान दुसरे नंबर पर आता है। क्योंकि कैस्पियन का पानी खारा है, इसलिए बयकाल दुनिया की सब से बड़ी मीठे पानी की झील है। अगर बर्फ़ में जमे हुए पानी और ज़मीन के अन्दर बंद हुए पानी को अलग छोड़ दिया जाए, तो दुनिया की सतह पर मौजूद २०% मीठा पानी इसी एक झील में समाया हुआ है। बयकाल झील रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिण भाग में, रूस के दो राज्यों (इरकुत्स्क ओब्लास्त और बुर्यात गणतंत्र) की सीमा पर स्थित है। इस झील को यूनेस्को ने विश्व की अनूठी प्राकृतिक विरासतों की सूची में शामिल कर रखा है। इस झील की लम्बाई ६३६ किलोमीटर है और इस झील में दुनिया में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का पाँचवा हिस्सा और रूस में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का ९०% हिस्सा सुरक्षित है। इस झील में पाए जान वाले बहुत-से जीव और बहुत-सी वनस्पतियाँ दुनिया भर में किसी अन्य जलाशय में नहीं पाए जाते। बयकाल की सबसे अधिक गहराई १,६४२ मीटर है (यानि ५,३८७ फ़ुट) और इसका पानी विश्व की सब झीलों में साफ़ माना जाता है। इस झील का अकार एक पतले, लम्बे नए चाँद की तरह है। .

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बरगुज़ीन नदी

बरगुज़ीन नदी (रूसी: Баргузи́н; अंग्रेज़ी: Barguzin) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के बुर्यातिया गणतंत्र की एक प्रमुख नदी है। यह 480 किमी लम्बी नदी बयकाल झील के बरगुज़ीन नामक भाग में ख़ाली हो जाती है। सेलेन्गा नदी और ऊपरी अंगारा नदी के बाद बयकाल झील में जल ले जाने वाली यह तीसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका जलसम्भर क्षेत्र 21,000 वर्ग किमी है और बयकाल से लेकर उस से 204 किमी ऊपर तक इस नदी पर नावी यातायात चलता है। इसकी मुख्य उपनदियाँ गागरा, अरगादा, इना और उल्युन नदियाँ हैं।, Mark Brazil, pp.

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बायकाल पर्वत

गर्मियों के मौसम में बायकाल झील और बायकाल पहाड़ों का नज़ारा बायकाल पर्वत (रूस: Байкальский хребет, बायकाल्स्की ख़्रेबेत) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में बायकाल झील के उत्तरपश्चिमी छोर पर स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह शृंखला और पूर्वी सायन पर्वत मध्य साइबेरियाई पठार की दक्षिणी सीमा हैं। साइबेरिया का एक प्रमुख दरिया, लेना नदी, बायकाल पहाड़ों में ही जन्म लेता है। बायकाल झील के इर्द-गिर्द के पहाड़ी क्षेत्र पर घने वन हैं जिनमें साइबेरियाई सनोबर, स्कॉटी चीड़ और साइबेरियाई प्रसरल जैसे ठन्डे इलाक़ों के वृक्ष उगते हैं। बायकाल पर्वतों का सबसे ऊँचा शिखर २,५७२ मीटर ऊँचा चेरस्की परबत है। .

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बालदार गैंडा

बालदार गैंडा (Wooly rhinoceros) गैंडे की एक विलुप्त जाति है जो प्लाइस्टोसीन युग में यूरोप और एशिया में फैली हुई थी। International Rhino Foundation.

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बिया नदी

बिया नदी का एक नज़ारा बिया नदी (रूसी: Бия, अंग्रेज़ी: Biya) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में अल्ताई गणतंत्र और अल्ताई क्राय विभागों में स्थित एक ३०१ किमी लम्बी नदी है। यह तेलेत्स्कोये झील (Озеро Телецкое, Teletskoye lake) से शुरू होती है और आगे चलकर बियस्क शहर से २६ किमी दक्षिण-पश्चिम में इसका कतुन नदी के साथ विलय हो जाता है, जिसके बाद मिली हुई धारा साइबेरिया की महान ओब नदी कहलाती है।, Egon T.

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बुर्यातिया

रूस के नक़्शे में बुर्यातिया का स्थान (लाल रंग में) 230px दक्षिणी बुर्यातिया का एक नज़ारा बुर्यातिया गणतंत्र (रूसी: Респу́блика Буря́тия, रॅस्पुब्लिका बुर्यतिया; बुर्यात भाषा: Буряад Республика, बुर्याद रॅस्पुब्लिका) गणतंत्र का दर्जा रखने वाला रूस का एक राज्य है। यह दक्षिण-मध्य साइबेरिया क्षेत्र में बयकाल झील के किनारे स्थित है। इसकी राजधानी उलान-उदे (Ула́н-Удэ́, Ulan-Ude) नामक शहर है। इसका क्षेत्रफल क़रीब ३,५१,३०० वर्ग किमी है (यानि भारत के राजस्थान राज्य से ज़रा बड़ा) और सन् २०१० में इसकी आबादी ९,७२,६५८ थी। .

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बुर्ज

रूस के नालचिक शहर में सोसरुको बुर्ज बुर्ज (अंग्रेज़ी: tower) ऐसी ईमारत या ढाँचे को कहते हैं जिसकी ऊँचाई उसकी चौड़ाई से काफ़ी अधिक हो। अगर ढांचा ज़्यादा ऊंचा हो तो उसे मीनार (miraret) कहा जाता है, हालांकि साधारण बोलचाल में कभी-कभी 'बुर्ज' और 'मीनार' को पर्यायवाची शब्दों की तरह प्रयोग किया जाता है। बहुत ही कम चौड़ाई रखने वाले और खिचे से दिखने वाले ढांचों को 'बुर्ज' की बजाए 'खम्बा' या 'स्तम्भ' (pillar) कहा जाता है। बुर्जों का प्रयोग कई वजहों से किया जाता है, जिनमें अक्सर बुर्जों से दूर तक दिखाई दे सकने का लाभ उठाया जाता है, मसलन संतरी-बुर्जों (watchtowers) में, होटलों में और महलों में। मानव हज़ारों सालों से बुर्जों का निर्माण करते आ रहें हैं और इसमें ईंट, मिटटी, लकड़ी जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल होता आया है। मध्य पूर्व के जेरिको (Jericho) शहर में ९,००० साल पुराने बुर्ज अस्तित्व में हैं।, Ivar Lissner, Putnam, 1962,...

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बेरिंजिया

हिमयुग अंत होने पर बेरिंग ज़मीनी पुल धीरे-धीरे समुद्र के नीचे डूब गया अपने चरम पर बेरिंजिया का क्षेत्र (हरे रंग की लकीर के अन्दर) काफ़ी विशाल था हाथी-नुमा मैमथ बेरिजिंया में रहते थे और उस के ज़रिये एशिया से उत्तर अमेरिका भी पहुँचे बेरिंग ज़मीनी पुल (Bering land bridge) या बेरिंजिया (Beringia) एक ज़मीनी पुल था जो एशिया के सुदूर पूर्वोत्तर के साइबेरिया क्षेत्र को उत्तर अमेरिका के सुदूर पश्चिमोत्तर अलास्का क्षेत्र से जोड़ता था। इस धरती के पट्टे की चौड़ाई उत्तर से दक्षिण तक लगभग १,६०० किमी (१,००० मील) थी यानि इसका क्षेत्रफल काफ़ी बड़ा था। पिछले हिमयुग के दौरान समुद्रों का बहुत सा पानी बर्फ़ के रूप में जमा हुआ होने से समुद्र-तल आज से नीचे था जिस वजह से बेरिंजिया एक ज़मीनी क्षेत्र था। हिमयुग समाप्त होने पर बहुत सी यह बर्फ़ पिघली, समुद्र-तल उठा और बेरिंजिया समुद्र के नीचे डूब गया। जब बेरिंजिया अस्तित्व में था तो क्षेत्रीय मौसम अनुकूल होने की वजह से यहाँ बर्फ़बारी कम होती थी और वातावरण मध्य एशिया के स्तेपी मैदानों जैसा था। इतिहासकारों का मानना है कि उस समय कुछ मानव समूह एशिया से आकर यहाँ बस गए। वह बेरिंजिया से आगे उत्तर अमेरिका में दाख़िल नहीं हो पाए क्योंकि आगे भीमकाय हिमानियाँ (ग्लेशियर) उनका रास्ता रोके हुए थीं। इसके बाद बेरिंजिया और एशिया के बीच भी एक बर्फ़ की दीवार खड़ी होने से बेरिंजिया पर चंद हज़ार मानव लगभग ५,००० सालों तक अन्य मानवों से बिना संपर्क के हिमयुग के भयंकर प्रकोप से बचे रहे। आज से क़रीब १६,५०० वर्ष पहले हिमानियाँ पिघलने लगी और वे उत्तर अमेरिका में प्रवेश कर गए। लगभग उसी समय के आसपास बेरिंजिया भी पानी में डूबने लगा और आज से क़रीब ६,००० वर्ष पहले तक तटों के रूप वैसे हो गए जैसे कि आधुनिक युग में देखे जाते हैं। .

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भरतपुर

भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण

वैश्‍विक माध्‍य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्‍न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्‍न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्‍वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C.

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मध्य साइबेरियाई पठार

मध्य साइबेरियाई पठार साइबेरिया में येनिसेय नदी और लेना नदी के बीच स्थित है मध्य साइबेरियाई पठार (रूस: Среднесиби́рское плоского́рье, स्रेदनेसिबिर्स्कोय प्लोस्कोगोर्ये; अंग्रेज़ी: Central Siberian Plateau) उत्तर एशिया के साइबेरिया इलाक़े में येनिसेय नदी और लेना नदी के बीच में स्थित एक पठार है। इसके अलग-अलग ऊँचाइयों वाले भिन्न हिस्से हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ३५ लाख वर्ग किमी है। इसके उत्तर में पूतोराना पहाड़ हैं और इसके दक्षिण में पूर्वी सायन पर्वत और बायकाल पर्वत स्थित हैं। पूर्व में यह पठार याकूत के मैदान की निचली भूमि में बदल जाता है। अगर पूरे साइबेरिया का क्षेत्रफल देखा जाए तो मध्य साइबेरियाई पठार उसका एक-तिहाई हिस्सा है। इस पठार में छोटी गर्मियाँ और लम्बी भयंकर ठण्ड वाली सर्दियाँ होती हैं। इसके अधिकाँश भाग पर कोणधारी (कॉनिफ़ॅरस) वृक्षों के वन फैले हुए हैं। निचली तुन्गुसका नदी इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है। यहाँ बहुत से खनिज मिलते हैं, जैसे कि कोयला, लोहा, सोना, प्लैटिनम, हीरा और प्राकृतिक गैस। दक्षिण अफ़्रीका के बाद रूस ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्लैटिनम का उत्पादक है और विश्वभर की ३०% प्लैटिनम आपूर्ति यहीं से आती है। .

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महाराणा प्रताप सागर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था। महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।"Salient Features of some prominent wetlands of India", pib.nic.in, Release ID 29706, web: सूर्योदय पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं।, इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं। .

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महारानी काथरिन

महारानी काथरिन येकातेरिना अलेक्जीवना या 'कैथरीन द्वितीय' (रूसी: Екатерина II Великая, Yekaterina II Velikaya; जर्मन: Katharina die Große; १७२९-१७९६) रूस की सबसे अधिक प्रसिद्ध तथा सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली रानी थी। उसने ९ जुलाई १७६२ से लेकर मृत्यु पर्यन्त (१७ नवम्बर १७९६ तक) शासन किया। उसका शासनकाल रूस का स्वर्णयुग कहलाता है। कैथरीन द्वितीय का जन्म प्रुसिया में हुआ था। उनका मूल नाम सोफी फ्रेदरिक आगस्त फॉन अन्हाल्ट जर्ब्स्त डॉर्नबर्ग (Sophie Friederike Auguste von Anhalt-Zerbst-Dornburg) था। तख्तापलट और तदुपरान्त उसके पति पीतर तृतीय की हत्या के बाद वह सत्ता में आयी। उसके शासनकाल में रूस को नवजीवन मिला तथा रूस भी यूरोप की एक महाशक्ति के रूप में जाना जाने लगा। .

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मातृवंश समूह ऍक्स

विश्व में मातृवंश समूह ऍक्स का फैलाव मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह ऍक्स या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप X एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश ज़्यादातर यूरोप, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीका में और कुछ मूल अमेरिकी आदिवासी समुदायों में पाया जाता है। यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका की लगभग २% आबादी इस मातृवंश की वंशज है। वैज्ञानिकों ने अंदाज़ा लगाया है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई थी वह आज से ३०,००० साल पहले ईरान-ईराक़ के पास कहीं पश्चिमी एशिया में रहती थी। उनके लिए यह एक पहेली है के यह मातृवंश उत्तरी अमेरिका में कैसे जा पहुंचा जबकि इसकी शुरुआत दूर पश्चिमी एशिया में हुई थी। इसकी सोच अब यह है के इस मातृवंश की वंशज महिलाऐं मध्य एशिया के अल्ताई पर्वत श्रंखला के इलाक़े से होती हुई पहले साइबेरिया और फिर अलास्का के ज़रिये उत्तरी अमेरिका में दाख़िल हुईं। याद रहे के हालांकि मातृवंश बताने वाले माइटोकांड्रिया मर्दों और औरतों दोनों में होतें हैं, संतानों को यह केवल अपनी माताओं से ही मिलते हैं। .

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मातृवंश समूह ए

बहुत से एस्किमो लोग मातृवंश समूह ए के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह ए या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप A एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश मूल अमेरिकी आदिवासी समुदायों, पूर्वी साइबेरिया के लोगों और कुछ पूर्वोत्तर एशिया के लोगों में पाया जाता है। चुकची, एस्किमो और अमेरिका की ना-देने जनजातियों में यह सब से आम मातृवंश है। ७.५% जापानी और २% तुर्की लोगों में भी यह पाया जाता है। अनुमान लगाया जाता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से लगभग ५०,००० साल पहले पूर्वी एशिया या मध्य एशिया की निवासी थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह ए और मातृवंश समूह ए), लेकिन यह केवल एक इत्तेफ़ाक ही है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। .

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मातृवंश समूह डी

साइबेरिया की याकूत जनजाति के लोग अक्सर मातृवंश समूह डी के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह डी या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप D एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश के लोग ज़्यादातर पूर्वोत्तर एशिया (ख़ासकर साइबेरिया), मूल अमेरिकी आदिवासी समुदायों, मध्य एशिया और कोरिया में भारी संख्या में और पूर्वोत्तर यूरोप और मध्य पूर्व के दक्षिण-पश्चिमी एशियाई इलाक़ों में हलकी संख्या में मिलते हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से क़रीब ४८,००० साल पहले पूर्व एशिया में कहीं रहती थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह डी और मातृवंश समूह डी), लेकिन यह केवल एक इत्तेफ़ाक ही है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। .

देखें साइबेरिया और मातृवंश समूह डी

मातृवंश समूह सी

साइबेरिया की चुकची जनजाति के ११% लोग मातृवंश समूह सी के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह सी या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप C एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश समूह सीज़ॅड की एक उपशाखा है। इस मातृवंश के लोग ज़्यादातर पूर्वोत्तर एशिया (ख़ासकर साइबेरिया) और अमेरिका के आदिवासियों में पाए जाते हैं, लेकिन हाल ही में यह पश्चिमी यूरोप के आइसलैण्ड राष्ट्र में भी पाए गाये हैं। साइबेरिया की चुकची जनजाति के ११% लोग मातृवंश समूह सी के वंशज होते हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से लगभग ६०,००० साल पहले मध्य एशिया में कैस्पियन सागर और बेकाल झील के दरमियानी क्षेत्र में कहीं रहती थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह डी और मातृवंश समूह डी), लेकिन यह केवल एक इत्तेफ़ाक ही है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। .

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मातृवंश समूह सीज़ॅड

कुछ पूर्वोत्तर भारतीय मातृवंश समूह सीज़ॅड के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह सीज़ॅड या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप CZ एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश समूह के लोग ज़्यादातर उत्तर-पूर्वी एशिया में मिलते हैं, ख़ासकर साईबेरिया में। पूर्वोत्तर भारत में भी कुछ मातृवंश समूह सीज़ॅड के वंशज मिलते हैं। .

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मातृवंश समूह जी

साइबेरिया की जनजातियों के लोग अक्सर मातृवंश समूह जी के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह जी या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप G एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश के लोग ज़्यादातर पूर्वोत्तर साइबेरिया में होते हैं, जहाँ की कोरिआक और इतेलमेन जनजातियों में यह मातृवंश आम है। कम संख्या में इसके वंशज पूर्वी एशिया, मध्य एशिया और नेपाल में भी मिलते हैं। आम तौर पर जो मातृवंश साइबेरिया के पूर्वोत्तर में मिलते हैं वे मूल अमेरिकी आदिवासी समुदायों में भी मिलते हैं क्योंकि माना जाता है के साइबेरिया के लोग उत्तरी अमेरिका में मनुष्यों की पहली आबादियों के स्रोत थे। इसलिए वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ के मातृवंश समूह जी मूल अमेरिकी आदिवासियों में कभी नहीं पाया गया है, लेकिन अब सोच यह है के इसकी शुरुआत पूर्वी एशिया में हुई और फिर यह साइबेरिया में फैल गया। वैज्ञानिकों अनुमान लगाते हैं के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से लगभग ३५,७०० साल पहले पूर्वी एशिया में कहीं रहती थी। .

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मातृवंश समूह वाए

आइनू आदिवासियों में से २०% मातृवंश समूह वाए के वंशज हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह वाए या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप Y एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश ज़्यादातर पूर्वी एशिया में ही मिलता है, जहां जापान के आइनू आदिवासियों में से २०% और साइबेरिया के पूर्वी तट से कुछ दूरी पर स्थित रूस के शाखालिन द्वीप के निव्ख़ आदिवासियों के ६६% लोग इसके मातृवंशी होते हैं।M.

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मान्छु

मान्छु या मान्चु एक बहुविकल्पी शब्द है, जिसके यह अर्थ हो सकते हैं.

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मारिया शरापोवा

मारिया यूरीएवना शारापोवा (रूसी:Мари́я Ю́рьевна Шара́пова)(जन्म १९ अप्रैल १९८७) का जन्म तत्कालीन सोवियत संघ और वर्तमान रूस के साइबेरिया प्रांत में हुआ था। 1993 में छह साल की उम्र में शारापोवा बेहतर भविष्य की तलाश में पिता यूरी के साथ रूस छोड़कर अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में चली गई थीं। .

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मागादान ओब्लास्त

नागायेवो खाड़ी मागादान ओब्लास्त (रूसी: Магада́нская о́бласть, अंग्रेज़ी: Magadan Oblast) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के सुदूर पूर्व में स्थित रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में ओब्लास्त का दर्जा रखता है। इसकी राजधानी मागादान शहर है। इसकी सीमाएँ उत्तर में चुकोतका स्वशासित ओक्रुग, पूर्वोत्तर में कमचातका क्राय, दक्षिण में ख़ाबारोव्स्क क्राय और पश्चिम में साख़ा गणतंत्र से लगती हैं। पूर्व में यह ओख़ोत्स्क सागर के साथ तटस्थ है। .

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मिखाइल बाकूनिन

मिखाइल बाकूनिन मिखाइल अलेक्जेंद्रोविच बाकूनिन (रूसी: Михаил Александрович Бакунин; IPA.

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मंगोल भाषा-परिवार

मोंगोल भाषाओँ का विस्तार मंगोल भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Mongolic languages, मोंगोलिक लैग्वेजिज़) पूर्वी एशिया और मध्य एशिया में बोली जाने वाली भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। इसकी सब से नुमाया भाषा मंगोल भाषा है, जो मंगोलिया और चीन के भीतरी मंगोलिया प्रान्त के मंगोल समुदाय कि प्रमुख भाषा है और जिसे लगभग ५२ लाख लोग बोलते हैं। कुछ भाषावैज्ञानिकों के हिसाब से मंगोल भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। मंगोल के अलावा मंगोल भाषा-परिवार में कई अन्य भाषाएँ भी आती हैं, जैसे कि रूस के साइबेरिया क्षेत्र में बोली जाने वाली बुर्यात भाषा, चीन के चिंग हई प्रान्त में बोली जाने वाली कन्गजिआ भाषा और चीन के ही शिनजियांग प्रान्त में बोली जाने वाली दोंगशियांग भाषा।, Juha Janhunen, Psychology Press, 2003, ISBN 978-0-7007-1133-8 .

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मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। .

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मैमथ

मैमथ (अंग्रेजी:Mammoth), एक विशालकाय हाथी सदृश जीव था जो अब विलुप्त हो चुका है। इसका वैज्ञानिक नाम 'मैमुथस प्राइमिजीनियस'(Mammuthus primigenius) है। यह साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश में बर्फ में दबे एक हाथी का नाम है, जो अब विलुप्त हो चुका है, परन्तु बर्फ के कारण जिसका संपूर्ण मृत शरीर आज भी सुरक्षित मिला है। अनुमान लगाया जाता है कि फ्रांस में यह जंतु हिम युग के अंत तक और साइबीरिया में संभवत: और आगे तक जीवित रहा होगा। मैमथ शब्द की उत्पत्ति साइबीरियाई भाषा के 'मैमथ' शब्द से मानी जाती है, जिसका अभिप्राय 'भूमि के नीचे रहनेवाले जंतु' से होता है। चूँकि इस हाथी का शरीर सदैव जमे हुए बर्फीले कीचड़ के नीचे ही पाया गया है, अत: उस देश के किसान मैमथ को एक प्रकार का वृहत छछूँदर ही समझते थे। फ्रांस की गुफाओं में पूर्व प्रस्तरयुगीन (Palaeolithic) शिकारी मानव के उपर्युक्त हाथी के बहुत से चित्र बनाकर छोड़े हैं, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि यह जंतु पहले यूरोप (और संभवत: भारत और उत्तरी अमरीका, जहाँ उससे मिलते जुलते हाथियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं) में रहा करता था और हिम युग के समाप्त होने और बर्फ के खिसकने पर भोजन की खोज में उत्तर की ओर बढ़ा और वहाँ की दलदली भूमि में अपने भारी शरीर के कारण धँस गया तथा दलदल के साथ जम गया। आकार में मैमथ वर्तमान हाथियों के ही बराबर होते थे, परंतु कई गुणों में उनसे भिन्न थे। उदाहरणार्थ वर्तमान हाथियों के प्रतिकूल मैमथ का शरीर भूरे और काले तथा कई स्थानों पर जमीन तक लंबे बालों से ढँका था, खोपड़ी छोटी और ऊँची, कान छोटे तथा मैमथ दंत (tusk) अत्यधिक (14 फुट तक) लंबे (यद्यपि कमजोर) थे। मैमथ दंत की एक विशेषता यह भी थी कि वे सर्पिल (spiral) थे। मैमथ दंत इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित हैं कि आज भी उद्योग में उनका उपयोग है और मध्कालीन समय में तो साइबेरिया से लेकर चीन के मध्य उनका अच्छा व्यापार भी होता था। सच तो यह है कि बर्फ में दबे रहने के कारण मैमथों, का सारा शरीर ही इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित मिला है कि न केवल इनका मांस खाने योग्य पाया गया वरन उनके मुँह और आमाशय में पड़ा उस समय का भोजन भी अभी तक सुरक्षित मिला है। .

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मैस्टोडॉन

न्यू योर्क नगर के एक संग्राहलय में एक मैस्टोडॉन का अस्थिपंजर अमेरिकी मैस्टोडॉन का मनुष्य के साथ तुलनात्मक चित्रण मैस्टोडॉन (अंग्रेज़ी: mastodon) एक विशाल दांतों वाला हाथी-नुमा स्तनधारी जीव था जो लगभग ११,००० वर्ष पूर्व विलुप्त हो गया।, Charles Richard Harington, Canadian Museum of Nature, University of Toronto Press, 2003, ISBN 978-0-8020-4817-2,...

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मेंडलीफ

आवर्त नियम के खोजकर्ता रूसी रसायनज्ञ '''मेंडलीफ''' डेमीत्रि इवानोविच मेडेलीफ़ (रूसी: Дмитрий Иванович Менделеев; 8 फ़रवरी 1834 – 2 फ़रवरी 1907), एक रूसी रसानज्ञ और आविष्कारक थे। उन्होंने तत्वों के आवर्त वर्गीकरण का प्रतिपादन किया। इस सारणी का प्रयोग कर उन्होंने उन तत्वों के गुणों का भी पता लगाया जिसकी उसने समय तक खोज नहीं हो सकी थी। .

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मोदू चानयू

मोदू के शासनकाल के आरम्भ में शियोंगनु साम्राज्य का विस्तार मोदू चानयू (चीनी: 冒頓單于, मंगोल: Модун шаньюй, अंग्रेज़ी: Modu Chanyu) मध्य एशिया, मंगोलिया और उत्तरी चीन के कई इलाक़ों पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का एक चानयू (सम्राट) था। मोदू को शियोंगनु साम्राज्य का निर्माता भी कहा जाता है और उसका शासनकाल २०९ ईसापूर्व से १७४ ईसापूर्व तक चला। मोदू ने अपने अधीन मंगोलिया के स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश क़बीलों को संगठित किया और चीन के चिन राजवंश के लिए ख़तरा बन गया। उसका शियोंगनु साम्राज्य पूर्व में लियाओ नदी से लेकर पश्चिम में पामीर पर्वतों तक और उत्तर में साइबेरिया की बायकल झील तक विस्तृत था। .

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याकूत लोग

याकूत (अंग्रेज़ी: Yakut) या साख़ा (साख़ा: Саха) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के मध्य-उत्तरी भाग में स्थित साख़ा गणतंत्र में बसने वाला तुर्क लोगों का एक समुदाय है। यह अपनी अलग साख़ा भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषाओं की साइबेरियाई शाखा की उत्तरी उपशाखा की एक बोली है। कुछ याकूत लोग साख़ा गणतंत्र से बाहर रूस के अमूर, मागादान व साख़ालिन क्षेत्रों में और तैमिर व एवेंक स्वशासित क्षेत्रों में भी रहते हैं। २००२ की जनगणना में इनकी लगभग साढ़े-चार लाख की आबादी साख़ा गणतंत्र में रह रही थी। सोवियत संघ के ज़माने में इनके इलाके में बहुत से रूसी लोग आ बसे जिस से इनका उन क्षेत्रों में प्रतिशत-हिस्सा घाट गया लेकिन सोवियत व्यवस्था टूटने के बाद यह ज़रा-बहुत बढ़ा है। भूगोल और अर्थव्यवस्था के हिसाब से याकूत लोग दो समूहों में बंटे हैं। उत्तरी याकूत शिकार, मछली पकड़ने और रेनडियर-पालन से जीवनी चलते हैं, जबकि दक्षिणी याकूत गाय और घोड़ों का मवेशी-पालन करते हैं।, Centre for Russian Studies, Accessed: 2006-10-26 .

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युक्रेन

युक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी सीमा पूर्व में रूस, उत्तर में बेलारूस, पोलैंड, स्लोवाकिया, पश्चिम में हंगरी, दक्षिणपश्चिम में रोमानिया और माल्दोवा और दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर से मिलती है। देश की राजधानी होने के साथ-साथ सबसे बड़ा शहर भी कीव है। युक्रेन का आधुनिक इतिहास 9वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब कीवियन रुस के नाम से एक बड़ा और शक्तिशाली राज्य बनकर यह खड़ा हुआ, लेकिन 12 वीं शताब्दी में यह महान उत्तरी लड़ाई के बाद क्षेत्रीय शक्तियों में विभाजित हो गया। 19वीं शताब्दी में इसका बड़ा हिस्सा रूसी साम्राज्य का और बाकी का हिस्सा आस्ट्रो-हंगेरियन नियंत्रण में आ गया। बीच के कुछ सालों के उथल-पुथल के बाद 1922 में सोवियत संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक बना। 1945 में यूक्रेनियाई एसएसआर संयुक्त राष्ट्रसंघ का सह-संस्थापक सदस्य बना। सोवियत संघ के विघटन के बाद युक्रेन फिर से स्वतंत्र देश बना। .

देखें साइबेरिया और युक्रेन

यूराल पर्वत

यूराल पर्वतशृंखला कोल्तसेदान गाँव (कामेन्स्क-यूराल्स्की के पूरब में; १९१२ में) यूराल (The Ural Mountains; रूसी Ура́льские го́ры, .

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यूरेशियाई स्तेपी

यूरेशियाई स्तेपी (Eurasian Steppe), जो महान स्तेपी भी कहलाती है, यूरेशिया के समशीतोष्ण कटिबन्ध क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल स्तेपी घासभूमि और क्षुपभूमि क्षेत्र है। यह पश्चिम में पूर्वी यूरोप के मोल्दोवा देश से आरम्भ होकर युक्रेन, रूस, कज़ाख़स्तान, शिंजियांग और मंगोलिया से गुज़रता हुआ पूर्वी एशिया के मंचूरिया क्षेत्र तक फैला हुआ है। पूर्वी यूरोप के हंगरी देश में इसका एक अलग हुआ भाग भी है, जो पुस्ता कहलाता है। .

देखें साइबेरिया और यूरेशियाई स्तेपी

यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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येनिसेय नदी

येनिसेय नदी का जलसम्भर, समेत बायकल झील के येनिसेय नदी (रूसी: Енисе́й, अंग्रेज़ी: Yenisei) उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र की एक महान नदी है जो आर्कटिक महासागर में विलय होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा नदी-मंडल है। यह नदी मंगोलिया के सायन पर्वतों से शुरू होकर रूस में दाख़िल होती है और फिर उत्तर की तरफ़ हज़ारों किलोमीटर बहकर आर्कटिक महासागर के कारा सागर में बह जाती है। कुल मिलाकर यह ५,५३९ किमी लम्बी है। इसकी औसत गहराई १४ मीटर (४५ फ़ुट) है और सबसे ज़्यादा गहराई २४ मीटर (८० फ़ुट) है। कुल मिलाकर येनिसेय नदी के जलसम्भर का क्षेत्रफल २५,८०,००० वर्ग किमी है। अपने कुल पानी के बहाव के हिसाब से यह नदी विश्व की छठी सब से बड़ी नदी है।, Trevor Day, Richard Garratt, Infobase Publishing, 2006, ISBN 978-0-8160-5328-5,...

देखें साइबेरिया और येनिसेय नदी

रघु वीर

आचार्य रघुवीर (३०, दिसम्बर १९०२ - १४ मई १९६३) महान भाषाविद, प्रख्यात विद्वान्‌, राजनीतिक नेता तथा भारतीय धरोहर के मनीषी थे। आप महान्‌ कोशकार, शब्दशास्त्री तथा भारतीय संस्कृति के उन्नायक थे। एक ओर आपने कोशों की रचना कर राष्ट्रभाषा हिंदी का शब्दभण्डार संपन्न किया, तो दूसरी ओर विश्व में विशेषतः एशिया में फैली हुई भारतीय संस्कृति की खोज कर उसका संग्रह एवं संरक्षण किया। राजनीतिक नेता के रूप में आपकी दूरदर्शिता, निर्भीकता और स्पष्टवादिता कभी विस्मृत नहीं की जा सकती। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। दो बार (१९५२ व १९५८) राज्य सभा के लिये चुने गये। नेहरू की आत्मघाती चीन-नीति से खिन्न होकर जन संघ के साथ चले गये। भारतीय संस्कृति को जगत्गुरू के पद पर आसीन करने के लिये उन्होने विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया तथा अनेक प्राचीन ग्रन्थों को एकत्रित किया। उन्होने ४ लाख शब्दों वाला अंग्रेजी-हिन्दी तकनीकी शब्दकोश के निर्माण का महान कार्य भी किया। भारतीय साहित्य, संस्कृति और राजनीति के क्षेत्र में आपकी देन विशिष्ट एवं उल्लेखनीय है। भारत के आर्थिक विकास के संबंध में भी आपने पुस्तकें लिखी हैं और उनमें यह मत प्रतिपादित किया है कि वस्तु को केंद्र मानकर कार्य आरंभ किया जाना चाहिए। .

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रूसी त्सार-राज्य

#68ca84 १७०० में रूसी त्सार-राज्य (रूसी: Русское царство; अंग्रेज़ी: Tsardom of Russia) आइवन चतुर्थ के सन् १५४७ में त्सार (सम्राट) बनाने के बाद से रूस के राज्य का औपचारिक नाम था। यह नाम १७२१ में त्सार पीटर महान द्वारा रूसी साम्राज्य स्थापित होने तक चला। १५५० से १७०० तक के काल में रूस पूर्व में साइबेरिया की ओर फैलता गया और उसका क्षेत्रफल हर वर्ष औसत ३५,००० वर्ग किमी से बढ़ा, यानि १५० सालों तक हर साल एक केरल राज्य जितना क्षेत्र रूस में जुड़ता गया।, Ronald Grigor Suny, Terry Dean Martin, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-514423-9,...

देखें साइबेरिया और रूसी त्सार-राज्य

लापतेव सागर

लाप्टेव सागर (रूसी: море Лаптевых), आर्कटिक महासागर का एक उथला सीमांत समुद्र है। यह साइबेरिया के पूर्वी तट, तैमिर प्रायद्वीप, सेवेर्नाया ज़ेमल्या और नया साइबेरियाई द्वीप समूह के बीच स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा आर्कटिक केप से निर्देशांक 79°N और 139°E से गुजरती है और एनिसिय अंतरीप पर अंत होती है। कारा सागर इसके पश्चिम में जबकि पूर्वी साइबेरियाई सागर इसके पूर्व मे स्थित है। इस समुद्र का नाम दो रूसी अन्वेषकों दिमित्री लाप्टेव और खरितोन लाप्टेव के नाम पर रखा गया है, इससे पहले इसे कई अन्य नामों से जाना जाता था और अंतिम प्रचलित नाम नॉर्देंस्क्जोल्ड सागर (रूसी: море Норденшельда) था जिसे स्वीडिश अंवेषक एडॉल्फ एरिक नॉर्देंस्कियोल्ड के नाम पर रखा गया था। इस समुद्र की विशेषताओं में इसकी भीषण जलवायु परिस्थितियां प्रमुख है क्योंकि इसका तापमान वर्ष में नौ महीनों से ज्यादा समय तक 0° सेल्सियस (32° फेरेनहाइट) या उससे नीचे रहता है और अगस्त से सितंबर के बीच के समय को छोड़कर यह जमा रहता है। इसकी अन्य विशेषताओं में इसके पानी की कम लवणता, वनस्पति, जीवों और मानव जनसंख्या की दुर्लभता और इसकी कम गहराई (ज्यादातर स्थानों पर 50 मीटर से कम) है। लाप्टेव सागर के तटों पर हजारों सालों से यूकाग़िर, इवेनी और इवेंकी नामक मूल निवासी रहते आये हैं, जिनका प्राथमिक व्यवसाय मछली पकड़ना, शिकार और रेंडियर पालन है। इस क्षेत्र का रूसी अंवेषण 17 वीं शताब्दी में शुरू हुया। रूसियों ने इसकी शुरुआत दक्षिण से की जहाँ कई बड़ी नदियाँ समुद्र में विसर्जित होती थीं इन नदियों में प्रमुख थीं, लेना नदी, खटांगा नदी, अनाबर नदी, ओलेंयोक नदी और ओमोलोय नदी। समुद्र में कई द्वीप समूह उपस्थित हैं, जिनमें से कई पर मैमथ नामक प्राचीन विशाल हाथी के अच्छी तरह से संरक्षित अवशेष मिलते हैं। क्षेत्र में मुख्य मानवीय गतिविधियों में उत्तरी सागर मार्ग के भीतर खनन और नौगमन शामिल हैं, मछली पकड़ना और शिकार स्थानीय स्तर पर किया जाता है और इसका कोई व्यावसायिक महत्व नहीं है। इलाके की सबसे बड़ी बसावत और बंदरगाह टिक्सी है। .

देखें साइबेरिया और लापतेव सागर

लाजवर्द

लाजवर्द का एक नमूना - प्राचीन भारतीय सभ्यता में यह नवरत्नों में से एक था लाजवर्द या राजावर्त (अंग्रेज़ी: Lapis lazuli, लैपिस लैज़्यूली) एक मूल्यवान नीले रंग का पत्थर है जो प्राचीनकाल से अपने सुन्दर नीले रंग के लिए पसंद किया जाता है। कई स्रोतों के अनुसार प्राचीन भारतीय संस्कृति में जिन नवरत्नों को मान्यता दी गई थी उनमें से एक लाजवर्द था। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लाजवर्द शुक्र ग्रह का प्रतीक है।, William Goonetilleke, pp.

देखें साइबेरिया और लाजवर्द

लेना नदी

रूस के याकुत्स्क शहर के पास लेना नदी लेना नदी (रूसी: Ле́на, अंग्रेज़ी: Lena) उत्तरी एशिया के पूर्वी साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और दुनिया की ११वीं सबसे लम्बी नदी है। येनिसेय नदी और ओब नदी के साथ यह आर्कटिक सागर में बहने वाली तीसरी महान साइबेरियाई नदी मानी जाती है। इसकी पूरी लम्बाई ४,४७२ किमी (२,७७९ मील) है और यह पूरी तरह रूस के अन्दर बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। .

देखें साइबेरिया और लेना नदी

शियोंगनु लोग

२५० ईसापूर्व में शियोंगनु क्षेत्र शियोंगनु (चीनी: 匈奴, अंग्रेज़ी: Xiongnu) एक प्राचीन ख़ानाबदोश क़बीलों की जाती थी जो चीन के हान राजवंश के काल में हान साम्राज्य से उत्तर में रहती थी। इतिहास में उनका वर्णन सीमित है, इसलिए यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि उनकी नस्ल क्या थी। अलग-अलग इतिहासकार उन्हें तुर्की, मंगोली, ईरानी, तुन्गुसी और तुषारी जातियों का बताते हैं। उनके नामों और रीति-रिवाजों के बारे में जितना पता है वह प्राचीन चीनी सूत्रों से आता है। शियोंगनु भाषा हमेशा के लिए खोई जा चुकी है। यह संभव है कि 'शियोंगनु' शब्द 'हूण' के लिए एक सजातीय शब्द हो लेकिन इसका भी कोई पक्का प्रमाण नहीं है।, Valerie Hansen, Kenneth Curtis, Kenneth R.

देखें साइबेरिया और शियोंगनु लोग

शिजियाझुआंग

शिजियाझुआंग के कुछ नज़ारे शिजियाझुआंग (石家庄, Shijiazhuang) जनवादी गणराज्य चीन के उत्तरी भाग में स्थित हेबेई प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह चीन की प्रशासन प्रणाली के अनुसार एक उपप्रांतीय शहर (प्रीफ़ेक्चर, दिजी) का दर्जा रखता है और चीन की राजधानी बीजिंग से २८० किमी दक्षिण पर स्थित है। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी १,०१,६३,७८८ अनुमानित की गई थी, जिमें से २६,०४,९३० शहरी इलाक़ों में, ३८,३३,६०६ नगर पालिका के क्षेत्र में और अन्य आसपास के देहाती इलाक़ों में रहते थे। शिजियाझुआंग में नया औद्योगीकरण बहुत हुआ है और इसके अलावा इस शहर का कोई ख़ास सांस्कृतिक महत्व नहीं है। बीजिंग से नज़दीकी की वजह से यहाँ चीनी फ़ौज की बड़ी छावनी है जो ज़रुरत पड़ने पर राष्ट्रीय राजधानी की रक्षा करने के लिए तैयार है। यहाँ कुछ सैन्य विश्वविद्यालय और कॉलेज भी हैं। भारत से द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान चीन भेजे गए डॉक्टर द्वारकानाथ कोटणीस की समाधि शिजियाझुआंग शहर में स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार यह शहर कुछ रेलवे मार्गों के पास होने की वजह से ही १०० साल में एक गाँव से एक शहर बन गया है वरना इसमें कोई विशेषता नहीं है।, Simon Foster, Jen Lin-Liu, Sharon Owyang, Sherisse Pham, Beth Reiber, Lee Wing-sze, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-0-470-52658-3,...

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सयल्यूगेम पर्वत

सयल्यूगेम​ (रूसी: Сайлюгем, अंग्रेज़ी: Saylyugem या Sailughem) उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र में रूस के अल्ताई गणतंत्र और मंगोलिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह अल्ताई पर्वतों की एक दक्षिणपूर्वी उपशृंखला है।, pp.

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सर-ए-संग

सर-ए-संग (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Sar-i Sang) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त के कूरान व मुन्जान ज़िले में कोकचा नदी की घाटी में स्थित एक बस्ती है। यह अपनी लाजवर्द (लैपिस लैज़्यूली) की खान के लिए मशहूर है जहाँ से हज़ारों सालों से यह मूल्यवान पत्थर निकाला जा रहा है। प्राचीन दुनिया में साइबेरिया की छोटी-मोटी दो-एक खानों को छोड़कर यह विश्व का एकमात्र लाजवर्द का स्रोत होता था। सर-ए-संग का लाजवर्द दुनिया का सब से उत्तम कोटि का लाजवर्द माना जाता है। २००० ईसापूर्व में अपने चरम पर सिन्धु घाटी सभ्यता ने भी यहाँ के शोरतुगई इलाक़े के पास एक व्यापारिक बस्ती बनाई थी जिसके ज़रिये लाजवर्द भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं तक भी पहुँचाया जाता था।, Peter Roger Moorey, Eisenbrauns, pp.

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सायन पर्वत शृंखला

सायन की पूर्वी और पश्चिमी शाखाओं का नक़्शा, जिसमें अल्ताई पर्वत भी देखे जा सकते हैं लटकती चट्टान, पश्चिमी सायन के ऍरगाकी इलाक़े सायन पर्वत शृंखला (रूसी: Саяны, सायनी; मंगोल: Саяаны нуруу, सायनी नुउरी) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। भौगोलिक दृष्टि से इसके दो खंड हैं - पूर्वी और पश्चिमी। पूर्वी सायन के पहाड़ येनिसेय नदी (जो रेखांश ९२°पूर्व पर स्थित है) से शुरू होकर पूर्व की ओर १,००० किमी फैला हुआ है ओर बायकल झील पर जा के रुकते हैं (जो 106°पूर्व पर है)। पश्चिमी सायन अल्ताई पर्वत श्रंखला के पूर्वी छोर (89°पूर्व) से शुरू होकर पूर्वोत्तर की तरफ़ जाते हैं और करीब ६०० किमी बाद पूर्वी सायन श्रंखला से बीच में (९६°पूर्व पर) जा मिलते हैं। तूवा के इलाक़े से ज़रा दक्षिण-पश्चिम में सायन के ऊंचे पहाड़ और ठंडी झीलों के इर्द-गिर्द के जलसंभर के झरने सारे येनिसेय नदी में मिल जाते हैं। यह नदी उत्तर की ओर ३,२०० किमी (२,००० मील) का सफ़र तय कर के उत्तरध्रुवीय महासागर में जा मिलती है। १९४४ के बाद, कई दशकों तक सोवियत संघ ने इस इलाक़े को बाहरी दुनिया से बंद किया हुआ था, जिस वजह से आज भी यहाँ का वातावरण साफ़ और सुरक्षित है। .

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साख़ा भाषा

साख़ा (रूसी: Саха, अंग्रेज़ी: Sakha) या याकूती (Якутский, Yakut) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित साख़ा गणतंत्र में साख़ा (याकूत) लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। यह एक अभिश्लेषण और स्वर सहयोग इस्तेमाल करने वाली भाषा है। साख़ा गणतंत्र के पास स्थित तैमिर प्रायद्वीप में बोली जाने वाली 'दोलगान भाषा' इसकी क़रीबी सम्बन्धी है। इस भाषा के एक-तिहाई शब्द तुर्की भाषाओं से हैं, एक तिहाई मंगोल भाषाओं से और एक-तिहाई साइबेरिया में पहले बसने वाली किसी अज्ञात जाति की भाषा से हैं जिन्हें साख़ा में जगह मिल गई है।, Martin Haspelmath, Uri Tadmor, pp.

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साख़ा गणतंत्र

साख़ा (याकूतिया) गणतंत्र (रूसी: Республика Саха (Якутия), रेसपूब्लिका साख़ा (याकूतिया); साख़ा: Саха Өрөспүүбүлүкэтэ; अंग्रेज़ी: Sakha (Yakutia) Republic) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। यह पूर्वोत्तर साइबेरिया क्षेत्र में स्थित है और आकार में लगभग भारत से ज़रा छोटा ही है। यह दुनिया में किसी भी राष्ट्रीय उपखंड (जैसे कि प्रान्त, प्रदेश, आदि) से बड़ा है - कहा जा सकता है कि यह विश्व का सबसे बड़ा प्रांत है। यह इतना बड़ा है कि इसके अन्दर तीन समय क्षेत्र आते हैं। अगर साख़ा गणतंत्र एक स्वतन्त्र देश होता तो वह विश्व का आठवाँ सबसे बड़ा देश होता (भारत के बाद और आरजेन्टीना से पहले)। इसकी राजधानी याकूत्स्क​ शहर (Якутск, Yakutsk) है।, Natalia Yakovleva, pp.

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साख़ालिन

साख़ालिन द्वीप रूस के पूर्वी तट से आगे है युझ़नो-साख़ालिन्स्क शहर का एक दृश्य साख़ालिन या सखालिन (रूसी: Сахалин), जिसे जापानी में काराफ़ुतो (樺太) कहते हैं, प्रशांत महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक बड़ा द्वीप है। यह राजनैतिक रूप से रूस के साखालिन ओब्लास्ट (प्रांत) का हिस्सा है और साइबेरिया इलाक़े के पूर्व में पड़ता है। यह जापान के होक्काइडो द्वीप के उत्तर में है। 19वी और 20वी सदी में जापान और रूस के बीच इस द्वीप के नियंत्रण पर झडपें होती थीं। इस द्वीप पर मूलतः आइनू, ओरोक और निव्ख़ जनजातियाँ रहा करती थी, लेकिन अब अधिकतर रूसी लोग रहते हैं। सन् 1905-1945 के काल में इस द्वीप के दक्षिणी भाग पर जापान का क़ब्ज़ा था। .

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साइबेरियाई तुर्की भाषाएँ

साइबेरियाई तुर्की भाषाएँ (Siberian Turkic languages) या पूर्वोत्तरी तुर्की भाषाएँ (Northeastern Turkic languages) तुर्की भाषा-परिवार की छह शाखाओं में से एक हैं। .

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सिबिर ख़ानत

१५वीं और १६वीं शताब्दी में सिबिर ख़ानत का नक़्शा सिबिर ख़ानत (तातार: Себер ханлыгы, सेबेर ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Khanate of Sibir) मध्य साइबेरिया में स्थित एक तुर्की-मंगोल ख़ानत (राज्य) थी। यह कभी मंगोल साम्राज्य, श्वेत उर्दू और सुनहरे उर्दू का भाग हुआ करती थी। बाद में इसपर चंगेज़ ख़ान के ज्येष्ठ पुत्र जोची ख़ान के पाँचवे बेटे शेयबान के वंशजों की दो शाखाओं - शेयबानीयों और ताइबुगीयों - में लड़ाईयाँ होती रही। यह ख़ानत १४९० से १५९८ तक अस्तित्व में थी। सिबिर ख़ानत में साइबेरियाई तातार, ख़ान्ती, मान्सी, नेनेत्स और सेलकूप लोगों की मिश्रित आबादी रहती थी। औपचारिक रूप से इस्लाम इसका राजधर्म था और यह इतिहास का सबसे उत्तरी मुस्लिम राज्य रहा है। सन् १५८२ में रूसी त्सार-राज्य के शासक ईवान भयानक की फ़ौजों ने येरमाक तिमोफ़ेयेविच​ के नेतृत्व में इस ख़ानत पर हमला किया। इसके बाद रूस इसपर नियंत्रण पाने की कोशिश करता रहा और अंत में इसपर १५९८ में पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया।, David Westerlund, Ingvar Svanberg, pp.

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सिलीन स्टेनोफ़ाइला

सिलीन स्टेनोफ़ाइला (Silene stenophylla) पुष्पीय पौधों की एक प्रजाति है, जो कैर्योफ़िलैसिए जीववैज्ञानिक कुल की है। इसे प्रायः नैरो-लीफ़्ड कैम्पियन भी कहा जाता है। यह सिलीन जीववैज्ञानिक वंश में एक प्रजाति है। २०१२ में यह दावा किया गया है कि इसके हिमीकृत नमूनों को, जो ३०,००० वर्ष पुराने थे, पुनर्जीवित कर लेने में सफलता मिली है। .

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संचार उपग्रह

U.स सैन्य MILSTAR संचार उपग्रह दूरसंचार के प्रयोजनों के लिए संचार उपग्रह (कभी-कभी संक्षेप में SATCOM प्रयुक्त) अंतरिक्ष में तैनात एक कृत्रिम उपग्रह है। आधुनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, मोलनीय कक्ष, अन्य दीर्घवृत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और ग़ैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं। निश्चित (बिंदु-दर-बिंदु) सेवाओं के लिए, संचार उपग्रह पनडुब्बी संचार केबल के पूरक माइक्रोवेव रेडियो प्रसारण तकनीक उपलब्ध कराते हैं। उनका इस्तेमाल मोबाइल अनुप्रयोगों, जैसे जहाज, वाहनों, विमानों और हस्तचालित टर्मिनलों तथा टी.वी.

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संतरी बुर्ज

जर्मनी में एक संतरी बुर्ज संतरी बुर्ज या पर्यवेक्षण बुर्ज (अंग्रेज़ी: watchtower) ऐसे बुर्ज को कहा जाता है जिसका प्रयोग आसपास के क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए किया जाता हो। अक्सर ऐसे संतरी बुर्जों का प्रयोग फ़ौजी या जेल सम्बन्धी कारणों से किया जाता है। जहाँ बहुत से साधारण बुर्ज किसी ईमारत के साथ जुड़े होते हैं, वहाँ संतरी बुर्ज अक्सर इमारतों से अलग खड़े होते हैं और उनका निर्माण कभी-कभी क़िलेनुमा होता है ताकि उनपर तैनात पहरेदार ऊपर से शत्रुओं पर हमला कर सके और अपने क्षेत्र पर हुए आक्रमण से रक्षा कर सकें।, Esther Ken Achua Gwan, WestBow Press, 2010, ISBN 978-1-4497-0210-6,...

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संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी

संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी उत्तरी अमेरिका में वर्तमान महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका, अलास्का के भागों और हवाई के द्वीपीय राज्य की सीमाओं के भीतर रहने वाले मूलनिवासी लोग हैं। वे अनेक, विशिष्ट कबीलों, राज्यों और जाति-समूहों से मिलकर बने हैं, जिनमें से अनेक का अस्तित्व पूर्ण राजनैतिक समुदायों के रूप में मौजूद है। अमेरिकी मूल-निवासियों का उल्लेख करने के लिए प्रयुक्त शब्दावलियाँ विवादास्पद हैं; यूएस सेंसस ब्यूरो (US Census Bureau) के सन 1995 के घरेलू साक्षात्कारों के एक समुच्चय के अनुसार, अभिव्यक्त प्राथमिकता वाले उत्तरदाताओं में से अनेक ने अपना उल्लेख अमेरिकन इन्डियन्स (American Indians) अथवा इन्डियन्स (Indians) के रूप में किया। पिछले 500 वर्षों में, अमेरिकी महाद्वीप में एफ्रो-यूरेशियाई अप्रवासन के परिणामस्वरूप पुराने और नये विश्व के समाजों के बीच सदियों तक टकराव और समायोजन हुआ है। अमेरिकी मूल-निवासियों के बारे में अधिकांश लिखित ऐतिहासिक रिकॉर्ड की रचना यूरोपीय लोगों द्वारा अमेरिका में उनके अप्रवासन के बाद की गई थी। "नेटिव अमेरिकन्स फर्स्ट व्यू व्हाइट्स फ्रॉम द शोर," अमेरिकन हेरिटेज, स्प्रिंग 2009.

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सुनहरा उर्दू

सन् १३०० ईसवी में सुनहरा उर्दू साम्राज्य (हरे रंग में) सुनहरा उर्दू या सुनहरा झुण्ड (मंगोल: Зүчийн улс, ज़ुची-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Golden Horde) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में मंगोल साम्राज्य के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसे किपचक ख़ानत और जोची का उलुस भी कहा जाता था। यह ख़ानत १२४० के दशक में स्थापित हुई और सन् १५०२ तक चली। यह अपने बाद के काल में तुर्की प्रभाव में आकर एक तुर्की-मंगोल साम्राज्य बन चला था। इस साम्राज्य की नीव जोची ख़ान के पुत्र (और चंगेज़ ख़ान के पोते) बातु ख़ान ने रखी थी। अपने चरम पर इस ख़ानत में पूर्वी यूरोप का अधिकतर भाग और पूर्व में साइबेरिया में काफ़ी दूर तक का इलाक़ा शामिल था। दक्षिण में यह कृष्ण सागर के तट और कॉकस क्षेत्र तक विस्तृत थी। इसकी दक्षिण सीमाएँ इलख़ानी साम्राज्य नाम की एक अन्य मंगोल ख़ानत से लगती थीं।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

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स्लावी भाषाएँ

देश जिनमें एक दक्षिणी स्लावी भाषा राष्ट्रभाषा है स्लावी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Slavic languages) या स्लावोनी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Slavonic languages) हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की एक उपशाखा है जो पूर्वी यूरोप, बाल्कन क्षेत्र और उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र में बोली जाती हैं। स्लावी भाषाएँ बोलने वाली मूल जातियों को स्लाव लोग कहा जाता है। .

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सैल्मन

मुख्य पेसिफिक सैल्मन प्रजातियां: सोकाई, चम, कोस्टल, कटथ्रोट ट्राउट, चिनूक, कोहो, स्टीलहेड और पिंक सैल्मोनिडे परिवार की विभिन्न प्रजातियों की मछली के लिए दिया जाने वाला आम नाम है सैल्मन.

देखें साइबेरिया और सैल्मन

सूझोऊ

चित्र:Flag of the People's Republic of China.svg सूझोऊ (苏州, Suzhou) जनवादी गणराज्य चीन के पूर्वी भाग में स्थित जिआंगसु प्रांत का एक मुख्य शहर है। यह शंघाई के पड़ौस में यांग्त्से नदी की डेल्टा (नदीमुख) के क्षेत्र में ताइहू झील के किनारे स्थित है। यह चीन की प्रशासन प्रणाली के अनुसार एक उपप्रांतीय शहर (प्रीफ़ेक्चर, दिजी) का दर्जा रखता है। सन् २०१० की जनगणना में इसके पूरे क्षेत्र की आबादी १ करोड़ अनुमानित की गई थी जिनमें से लगभग ४० लाख शहरी इलाक़े में बसे हुए थे। सूझोऊ की स्थापना ५१४ ईसापूर्व में हुई थी और यह २,५०० साल का इतिहास रखता है। इस शहर की नहरें, पगोडा, पत्थर के पुल और बाग़-बग़ीचे इसे चीन के सबसे बड़े पर्यटक स्थलों में से एक बनाते हैं। चीन के सोंग राजवंश के ज़माने से यह चीन के रेशम कारोबार का भी एक प्रमुख केंद्र रहा है।, Michael Marmé, Stanford University Press, 2005, ISBN 978-0-8047-3112-6 .

देखें साइबेरिया और सूझोऊ

सेलेन्गा नदी

सेलेन्गा नदी और उसकी उपनदियों के मार्गों का नक़्शा सेलेन्गा नदी (मंगोल: Сэлэнгэ мөрөн, सेलेन्गे मोरोन; रूसी: Селенга; अंग्रेज़ी: Selenga) मंगोलिया और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के बुर्यातिया गणतंत्र की एक प्रमुख नदी है। यह इदेर नदी (Ider) और देलगेर नदी (Delgermörön) के विलय से बनती है और इसका पानी अंत में बायकल झील में एक नदीमुख (डेल्टा) बनाकर मिल जाता है। इसकी कुल लम्बाई ९९२ किमी है और यह येनिसेय-अंगारा नदी मंडल के लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।, www.medeelel.mn, Accessed July 16, 2007 बायकल झील में जाने वाला लगभग आधा पानी इसी नदी से आता है।, Hellmuth Barthel, Haack, 1988 मंगोलिया के सेलेन्गे प्रान्त का नाम इसी नदी से आया है। .

देखें साइबेरिया और सेलेन्गा नदी

सेवेर्नाया ज़ेमल्या

सेवेर्नाया ज़ेमल्या, रूस सेवेर्नाया ज़ेमल्या की अवस्थिति सेवेर्नाया ज़ेमल्या (रूसी: Северная Земля, उत्तरी भूमि); रूसी आर्कटिक महासागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। यह द्वीपसमूह के आसपास स्थित है। यह साइबेरिया की मुख्यभूमि के तैमिर प्रायद्वीप के तट से दूर और विल्कित्सकी जलडमरूमध्य के पार स्थित है। यह द्वीपसमूह आर्कटिक महासागर, के दो सीमांत समुद्रों, पश्चिम में कारा सागर और पूर्व में लाप्टेव सागर को अलग करती है। सेवेर्नाया ज़ेमल्या को पहले पहल 1913 में खोजा गया था और 1933 में इसे विश्व मानचित्र में शामिल किया गया, इस प्रकार यह पृथ्वी पर ढूँढा गया अंतिम द्वीपसमूह था। राजनीतिक रूप से यह, रूस के क्रास्नायार्स्क क्रै क्षेत्र का हिस्सा है। यह एक निर्जन द्वीपसमूह है सिवाए इसके कि यहाँ एक आर्कटिक अड्डा स्थित है। .

देखें साइबेरिया और सेवेर्नाया ज़ेमल्या

हारबिन

हारबिन के कुछ नज़ारे हारबिन प्रौद्योगिकी संस्था - मुख्य द्वार हारबिन (चीनी: 哈尔滨, अंग्रेज़ी: Harbin, रूसी: Харби́н) जनवादी गणराज्य चीन के सुदूर पूर्वोत्तरी भाग में स्थित हेइलोंगजियांग प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह चीन की प्रशासन प्रणाली के अनुसार एक उपप्रांतीय शहर (प्रीफ़ेक्चर, दिजी) का दर्जा रखता है और चीन का दसवा सब से बड़ी आबादी वाला शहर है। सन् २०१० की जनगणना में इसकी कुल आबादी १,०६,३५,९७१ थी जिनमें से ५८,७८,९३९ इसके २६,०४,९३० शहरी इलाक़ों में रह रहे थे। हारबिन पूर्वोत्तरी चीन का सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक और संचार केंद्र है। यह अपनी कड़ी सर्दियों के लिए जाना जाता है और इसे बहुत से लोग 'बर्फ़ीले शहर' की उपाधि देते हैं। रूस की नज़दीकी के कारण इस शहर की इमारतों और संस्कृति पर रूसी प्रभाव नज़र आता है। .

देखें साइबेरिया और हारबिन

हिम तेन्दुआ

हिम तेन्दुआ (Uncia uncia) एक विडाल प्रजाति है जो मध्य एशिया में रहती है। यद्यपि हिम तेन्दुए के नाम में "तेन्दुआ" है लेकिन यह एक छोटे तेन्दुए के समान दिखता है और इनमें आपसी सम्बन्ध नहीं है। .

देखें साइबेरिया और हिम तेन्दुआ

होक्काइदो

होक्काइदो का नक़्शा मध्य होक्काइदो में स्थित शोवा-शिंज़न ज्वालामुखीय चट्टान सप्पोरो हिम त्यौहार के दौरान ओदोरी उद्यान का दृश्य होक्काइदो (जापानी: 北海道) जापान का दूसरा सब से बड़ा द्वीप है और जापान के प्रान्तों में से सब से बड़ा और सब से उत्तरी प्रांत है। यह होन्शू द्वीप से उत्तर में है और इन दोनों के बीच त्सुगारू जलडमरू का समुद्री क्षेत्र आता है।Nussbaum, Louis-Frédéric.

देखें साइबेरिया और होक्काइदो

ज़बायकाल्स्की क्राय

रूस के नक़्शे में ज़बायकाल्स्की क्राय की स्थिति ज़बायकाल्स्की क्राय (रूसी: Забайкальский край) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित एक 'क्राय' का दर्जा रखने वाला संघीय खंड है। सन् २०१० में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी १,१०६,६११ थी। इस क्राय का क्षेत्रफल ४,३१,५०० वर्ग किलोमीटर है। दक्षिण में ज़बायकाल्स्की क्राय की सरहदें चीन और मंगोलिया से मिलती हैं। .

देखें साइबेरिया और ज़बायकाल्स्की क्राय

ज़मीनी पुल

बेरिंग ज़मीनी पुल साइबेरिया और अलास्का को जोड़ता था और उसपर चलकर मानव एशिया से उत्तर अमेरिका पहुँच गए - हिमयुग की समाप्ति पर यह क्षेत्र समुद्र के नीचे डूब गया ज़मीनी पुल (अंग्रेज़ी: land bridge, लैंड ब्रिज) ऐसे भूडमरू (इस्थमस) या उस से चौड़े धरती के अंश को कहते हैं जिसके ज़रिये समुद्र द्वारा अलग किये हुए धरती के दो बड़े क्षेत्रों के बीच में जानवर आ-जा सकें और वृक्ष-पौधे फैल सकें। हिमयुगों (आइस एज) के दौरान ऐसे ज़मीनी पुल अक्सर उभर आते हैं क्योंकि तब समुद्र के पानी का कुछ अंश बर्फ़ में जमा हुआ होने से समुद्र-तल थोड़ा नीचे होता है। इसका एक बड़ा उदाहरण भारत को श्रीलंका से जोड़ने वाला रामसेतु है। यह हिमयुगों में पूरी तरह समुद्र-तल के ऊपर उभरी हुई ज़मीन की एक पट्टी होती थी जिसपर इतिहास में जानवर चलकर भारत से श्रीलंका पहुँचे थे और भारत से बहुत से पेड़-पौधे भी श्रीलंका में विस्तृत हुए थे। माना जाता है कि आज से लगभग २०,००० साल पहले श्रीलंका के वैदा आदिवासियों के पूर्वज भी इसी ज़मीनी पुल पर चलकर भारत से श्रीलंका पैदल पहुँचे। आधुनिक युग में भारत और श्रीलंका के बीच ४० मील का खुला समुद्र है, John C.

देखें साइबेरिया और ज़मीनी पुल

ज़ुन्गारिया

चीन के शिनजियांग प्रांत का उत्तरी भाग (लाल रंग) ऐतिहासिक ज़ुन्गारिया क्षेत्र का अधिकाँश भाग था; नीला भाग तारिम द्रोणी का क्षेत्र है ज़ुन्गारिया (Dzungaria या Zungaria) मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसमें चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रांत का उत्तरी भाग, मंगोलिया का कुछ पश्चिमी अंश और काज़ाख़स्तान का थोड़ा पूर्वी हिस्सा शामिल है। कुल मिलकर ऐतिहासिक ज़ुन्गारिया का क्षेत्रफल लगभग ७,७७,००० वर्ग किमी है। .

देखें साइबेरिया और ज़ुन्गारिया

जातीय समूह

जातीय समूह मनुष्यों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य किसी वास्तविक या कल्पित सांझी वंश-परंपरा के माध्यम से अपने आप को एक नस्ल के वंशज मानते हैं।1987 स्मिथ यह सांझी विरासत वंशक्रम, इतिहास, रक्त-संबंध, धर्म, भाषा, सांझे क्षेत्र, राष्ट्रीयता या भौतिक रूप-रंग (यानि लोगों की शक्ल-सूरत) पर आधारित हो सकती है। एक जातीय समूह के सदस्य अपने एक जातीय समूह से संबंधित होने से अवगत होते हैं; इसके अलावा जातीय पहचान दूसरों द्वारा उस समूह की विशिष्टता के रूप में पहचाने जाने से भी चिह्नित होती है।"एन्थ्रोपोलोजी.

देखें साइबेरिया और जातीय समूह

वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

देखें साइबेरिया और वनोन्मूलन

वायुमंडलीय दाब

ऊँचाई बढ़ने पर वायुमण्डलीय दाब का घटना (१५ डिग्री सेल्सियस); भू-तल पर वायुमण्डलीय दाब १०० लिया गया है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रवस्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है। समुद्र तल से वायुमंडल के शीर्ष तक एक वर्ग इंच अनुप्रस्थ काट वाले हवा के स्तंभ का वजन 6.3 किलोग्राम होता है (और एक वर्ग सेंटीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले वायु स्तंभ का वजन एक किलोग्राम से कुछ अधिक होता है)। .

देखें साइबेरिया और वायुमंडलीय दाब

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी २०१०

इन्हें भी देखें- भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

देखें साइबेरिया और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी २०१०

ख़ाबारोव्स्क

ख़ाबारोव्स्क शहर में नदी के किनारे बना एक बीच ख़ाबारोव्स्क (रूसी: Хаба́ровск) रूस के सुदूर पूर्व में स्थित एक शहर है और रूस के ख़ाबारोव्स्क क्राय राज्य की राजधानी है। यह रूस की चीन के साथ सरहद से केवल ३० किमी की दूरी पर है। व्लादिवोस्तोक के बाद, ख़ाबारोव्स्क रूस के सुदूर-पूर्व का दूसरा सब से बड़ा नगर है। सन् २०१० में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी ५,७७,६६८ थी। ख़ाबारोव्स्क शहर अमूर नदी और उसुरी नदी के संगम पर स्थित है। यह व्लादिवोस्तोक से ८०० किमी उत्तर में है और उस से ट्रांस-साइबेरियाई रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। रूस की राजधानी मोस्को से यह ८,५२३ किमी की दूरी पर है।, James R.

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ख़ाबारोव्स्क क्राय

रूस के नक़्शे में ख़ाबारोव्स्क क्राय की स्थिति (लाल रंग में) ख़ाबारोव्स्क क्राय (रूसी: Пе́рмский край) रूस के सुदूर-पूर्वी भाग में स्थित एक 'क्राय' का दर्जा रखने वाला संघीय खंड है। इसका अधिकतर क्षेत्र अमूर नदी के जलसम्भर के निचले हिस्से में आता है, हालांकि इसमें ओख़ोत्स्क सागर के किनारे लगा एक विस्तृत पहाड़ी इलाक़ा भी शामिल है। सन् २०१० में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी १३,४३,८६९ थी। इस क्राय का क्षेत्रफल ७,८८,६०० वर्ग किलोमीटर है। इसकी राजधानी ख़ाबारोव्स्क शहर है।, Robert A.

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ख़कास भाषा

ख़कास​ (रूसी: Хакас, अंग्रेज़ी: Khakas) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित ख़कासिया गणतंत्र में ख़कास लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। ख़कास लोगों की आबादी लगभग ७५,००० है, जिनमें से २०,००० ख़कास​ भाषा बोलते हैं। सभी ख़कास​ बोलने वाले द्विभाषीय हैं और ख़कास​ के साथ-साथ रूसी भाषा भी बोलते हैं। पारम्परिक रूप से ख़कास​ कई उपभाषाओं में विभाजित है और वे अलग-अलग ख़कास​ क़बीलों द्वारा बोली जाती हैं, जैसे कि साग़य​, क़ाचा, क़िज़िल, कोयबल, बेल्तिर, इत्यादि​। केमेरोवो ओब्लास्त के शोर लोगों की शोर भाषा भी आजकल ख़कास​ की ही एक उपभाषा समजी जाती है। ख़कास​ बोलने वाले अक्सर अपने आप को 'तादार' या 'तातार' कहते हैं, लेकिन ध्यान दें कि इससे तात्पर्य साइबेरियाई तातार और साइबेरियाई तातार भाषाएँ है, जो तातार लोग और तातार भाषा से काफ़ी भिन्न है।, Robert A.

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ख़कास लोग

ख़कास (अंग्रेज़ी: Khakas), जो स्वयं को तादार (ख़कास: Тадарлар) कहते हैं, रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित ख़कासिया गणतंत्र में बसने वाला तुर्क लोगों का एक समुदाय है। ध्यान दें कि हालांकि यह लोग अपने आप को 'तादार' या 'तातार' कहते हैं, इस से तात्पर्य 'साइबेरियाई तातार' है जो रूस के यूरोपीय भाग में बसने वाले तातार लोगों से अलग है। .

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ख़कासिया

180px ख़कासिया गणतंत्र (रूसी: Респу́блика Хака́сия, रॅस्पुब्लिका ख़कासिया; ख़कास: Хакасия Республиказы, अंग्रेज़ी: Khakassia) गणतंत्र का दर्जा रखने वाला रूस का एक राज्य है। यह दक्षिण-मध्य साइबेरिया क्षेत्र में स्थित है। इसकी राजधानी अबाकान (Абака́н, Abakan) नामक शहर है। इस गणतंत्र का नाम ख़कास नामक तुर्की जाति पर पड़ा है और यहाँ रूसी भाषा के साथ-साथ ख़कास भाषा को भी सरकारी मान्यता प्राप्त है। खाकास स्वशासित प्रदेश जिसकी स्थापना १९३० में की गई थी। यह मध्य साइबेरिया में क्रास्नायार्स्क प्रदेश के आगे उत्तरपूर्व स्थित २३,९७३ वर्गमील का भूभाग है। केमेरोवा और ओरियो के स्वशासित प्रदेश इसके दक्षिण ओर केमेरोवा प्रदेश पश्चिम में हैं। इसमें येनिसे नदी की सहायिका अबाकान नदी बहती है और आगे चल कर भिनुसिंस्क काठे से गुजरती हुई इसकी पूर्वी सीमा निर्धारित करती है। इस प्रदेश का ६० प्रतिशत भूभाग टैगा वन्य प्रदेश है। लकड़ी नदी द्वारा बहाकर अबाकान पहुँचाया जाता है वहाँ अनेक आरा मिलें हैं। काँठे के भीतर भेंड़ और दुग्ध पशुपालन होता है। पहले भिनुसिंस्क के काँठे में घोड़े आदि पशु स्वतंत्र विचरण किया करते थे। किंतु अब वहाँ गेहूँ, जौ और जई की खेती होती है। यहाँ के ५२ प्रतिशत तुर्क-मंगोल संकर जाति के खाकासी लोग हैं जो किसी समय घुमंतू थे। .

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गुलाग

सोवियत संघ में गुलग श्रम-कारावासों के स्थान १९३२ में श्वेत सागर से बाल्टिक सागर की नहर बनाते हुए एक गुलाग के कैदी गुलाग (रूसी: ГУЛаг) सोवियत संघ की उस सरकारी संस्था का नाम था जो सोवियत संघ में श्रम-कारावास चलाती थी। श्रम-कारावास में बंदियों से भारी मेहनत करवाई जाती थी और अक्सर उन्हें हज़ारों मील दूर साइबेरिया जैसे निर्जन क्षेत्रों में भेजा जाता था। श्रम-कारावास वही दंड प्रणाली है जिसे पुरानी भारतीय क़ानूनी भाषा में "क़ैद-ए-बामुशक्कत" और अनौपचारिक भाषा में "पत्थर तोड़ने की सज़ा" कहा जाता था। गुलाग में इन दूर-दराज़ इलाक़ों में अड्डे बने हुए थे जहाँ बंदी काम करते थे। यह क़ैदी छोटे-मोटे चोरों से लेकर सोवियत संघ की सरकार का विरोध करने वाले राजनैतिक बंदी हुआ करते थे और गुलाग प्रणाली का प्रयोग राजनैतिक विरोध कुचलने के लिए कई दशकों तक किया गया। कुछ लोगों को तो सरकार के ख़िलाफ़ चुटकुला सुनाने या काम से कभी अनुपस्थित होने के कारण से भी गुलाग भेज दिया जाता था। अनुमान किया गया है कि सोवियत संघ के दौर में इन गुलागों में कुल लगभग १.४ करोड़ लोगों को भेजा गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान खाना कम पड़ने से ५ लाख से अधिक कैदियों ने इन गुलागों में अपना दम तोड़ दिया। माना जाता है कि १९२९-१९५३ के काल में गुलागों में १६ लाख लोगों की मृत्यु हुई। .

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ग्रेफाइट

ग्रेफाइट ग्रेफाइट कार्बन का एक बहुरूप है। काले भूरे रंग का यह अधातु सिंहल, साइबेरिया, अमेरिका के केलिफोर्निया, कोरिया, न्यूजीलैण्ड तथा इटली में पाया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है एवं यह विद्युत तथा ताप का सुचालक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.25 है। यह 7000C पर जलकर कार्बन डाई-आक्साइड बनाता है। .

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गोरामानसिंह

गोरमानसिंह एक छोटा गांव है जो बिहार प्रान्त के दरभंगा जिलान्तर्गत आता है। यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग ६० कि॰मी॰ दूर कमला-बलान नदी के किनारे बसा है। प्रत्येक वर्ष कमला बलान के उमड्ने से प्रायः जुलाई में यंहा बाढ आ जाती है। बाढग्रसित क्षेत्र से पानी निर्गत होने में काफी समय लगता है जिससे जानमाल, फसल एवं द्रव्य की काफी क्षति होती है। नियमित बाढ आगमन से इस क्षेत्र में अभी तक पक्की सड्क एवं बिजली का अभाव है। इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहां का मुख्य व्यवसायिक केन्द्र सुपौल बाजार है जहां दूर-दूर से लोग पैदल या नौका यात्रा करके अपने सामानों की खरीद-विक्री के लिये आते हैं। दिसंबर से मार्च महीने तक लगातार जल-जमाव रहने से इस गांव के चौर क्षेत्र में विभिन्न देशों से कुछ प्रवासी पक्षी भी आतें हैं। प्रवासी पक्षीयों में लालसर, दिघौंच, सिल्ली, अधनी, चाहा, नक्ता, मैल, हरियाल, कारण, रतवा, इत्यादि प्रमुख है। ये पक्षीयां मुलतः नेपाल, तिब्बत, भुटान, चीन, पाकिस्तान, मंगोलिया, साइबेरिया इत्यादि देशों से आतें है। बाढ के पानी में डुबी हुई धान की फसलें बाढ के दिनों मे नौका यात्रा करते लोग प्रवासी पक्षीयां .

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ओझा

ख़कास जाति की एक स्त्री ओझा की सन् १९०८ में ली गई तस्वीर ओझा (अंग्रेज़ी: shaman, शेमन या शामन) पारम्परिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जिनके बारे में यह विश्वास हो कि उनमें प्रत्यक्ष दुनिया से बाहर किसी रूहानी दुनिया, आत्माओं, देवी-देवताओं या ऐसे अन्य ग़ैर-सांसारिक तत्वों से सम्पर्क रखने या उनकी शक्तियों से लाभ उठाने की क्षमता है। ओझाओं के बारे में यह धारणा होती है कि वे अच्छी और बुरी आत्माओं तक पहुँचकर उनपर प्रभाव डाल सकते हैं और अक्सर ऐसा करते हुए वे किसी विशेष चेतना की अवस्था में होते हैं। ऐसी अवस्था को अक्सर किसी देवी-देवता या आत्मा का 'चढ़ना' या 'हावी हो जाना' कहतें हैं। पारम्परिक समाजों में अक्सर चिकित्सा के उपचार भी ओझा ही जाना करते थे। अक्सर जनजातियों या पारम्परिक क़बीलों में ओझाओं का प्रभाव ज़्यादा होता है और उन्हें धर्म और चिकित्सा दोनों का स्रोत माना जाता है।, Michael Harner, Michael J.

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ओब नदी

ओब-इरतिश नदियों का जलसम्भर क्षेत्र रूस के बारनाउल शहर के पास ओब नदी ओब नदी या ओबी नदी (रूसी: Обь, अंग्रेज़ी: Ob) उत्तरी एशिया के पश्चिमी साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और दुनिया की सातवी सबसे लम्बी नदी है। येनिसेय नदी और लेना नदी के साथ यह आर्कटिक सागर में बहने वाली तीसरी महान साइबेरियाई नदी मानी जाती है। ओब की खाड़ी दुनिया की सबसे लम्बी एस्चुएरी मानी जाती है (वह क्षेत्र जहाँ नदी डेल्टा बनाने की बजाए समुद्री ज्वारभाटा के कारण सीधे समुद्र में विलय हो)। .

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ओस्त्रोग

साइबेरिया के इरकुत्स्क शहर में प्रदर्शित एक ओस्त्रोग का पहरेदार बुर्ज ओस्त्रोग या ऑस्त्रोग​ (रूसी: остро́г, अंग्रेज़ी: Ostrog) रूसी भाषा में एक छोटे क़िले के लिए शब्द है, जो अक्सर लकड़ी के बने होते हैं और जिनमें सैनिक अस्थाई रूप से रहते हैं। ओस्त्रोगों के घेरे अक्सर पेड़ों के तनों को काटकर और तराशकर उनकी ४-६ मीटर ऊँची दीवार के रूप में होते थे। इसी वजह से इनका नाम रूसी भाषा के 'स्त्रोगात' (строгать, strogat) शब्द से आया है जिसका मतलब 'लकड़ी छीलना' होता है। ओस्त्रोगों के विपरीत रूस में पत्थर के बने बड़े क़िलों को 'क्रेमलिन' (кремль, kremlin) कहा जाता है।, Joseph Emerson Worcester, Cummings & Hilliard, 1823,...

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ओख़ोत्स्क सागर

ओख़ोत्स्क सागर का नक़्शा रूस के मागादान शहर के पास ओख़ोत्स्क सागर का हिमाच्छादित एक तट ओख़ोत्स्क सागर (रूसी: Охо́тское мо́ре, ओख़ोत्स्कोए मोरे) प्रशांत महासागर के उत्तरपश्चिमी भाग का एक समुद्र है। यह पूर्व में कमचातका प्रायद्वीप, दक्षिणपूर्व में कुरील द्वीपसमूह, दक्षिण में जापान के होक्काइदो द्वीप, पश्चिम में रूस के साख़ालिन द्वीप और पश्चिमोत्तर में साइबेरिया के तटीय इलाक़े से घिरा हुआ है। इसका नाम रूस के ओख़ोत्स्क शहर पर पड़ा है जो सुदूर पूर्व में रूस का पहला क़स्बा था। .

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औरोक्स

औरोक्स का १६वी शताब्दी में बना एक चित्र औरोक्स की उपनस्लों का फैलाव भेड़ियों से लड़ता हुआ एक यूरेशियाई औरोक्स (कल्पित चित्र) औरोक्स आधुनिक पालतू गाय की पूर्वज नस्ल थी। यह एक बड़े अकार की जंगली गाय थी जो एशिया, यूरोप और उत्तर अफ़्रीका में रहा करती थी लेकिन विलुप्त हो गई। यूरोप में यह सन् १६२७ तक पाई गई थी। इस नस्ल के सांड के कंधे ज़मीन से १.८ मीटर (५ फ़ुट १० इंच) तक ऊँचे होते थे और गाय १.५ मीटर (४ फ़ुट ११ इंच) ऊँची होती थी। माना जाता है कि विश्व की सभी पालतू गाय औरोक्स के ही वंशज हैं। .

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आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग

पितृवंश समूह आर१ए का विस्तार आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोगों के फैलाव के साथ सम्बंधित माना जाता है आदिम-हिन्द-यूरोपीय यूरेशिया में बसने वाले उन प्राचीन लोगों को कहा जाता है जो आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलते थे। इनके बारे में जानकारी भाषावैज्ञानिक तकनीकों से और कुछ हद तक पुरातत्व-विज्ञान (आर्कियोलोजी) से आई है। आधुनिक युग में अनुवांशिकी (जेनेटिक्स) के ज़रिये भी इनकी जातीयता के बारे में जानकारी मिल रही है। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि यह लोग ४००० ईसापूर्व के काल में पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी क्षेत्र में बसा करते थे और २,००० ईसापूर्व तक अनातोलिया, पश्चिमी यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिणी साइबेरिया तक विस्तृत हो चुके थे।, J.

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आर्कटिक वृत्त

आइसोथर्म में आर्कटिक वृत्त पृथ्वी के नक्शे में अक्षांश द्वारा चिह्नित पांच प्रमुख क्षेत्रों में सबसे उत्तरी क्षेत्र है।.

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इनुइत

दो इनुइत स्त्रियाँ और बच्चा उत्तरी अमेरिका और ग्रीनलैंड में विभिन्न इनुइत भाषाओँ का फैलाव अलास्का के बैरो शहर में 'नालुकाताक़'​ नामक त्यौहार पर नाचते इनुइत इनुइत (इनुकतितुत: ᐃᓄᐃᑦ, अंग्रेज़ी: Inuit) ग्रीनलैंड, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के सुदूर उत्तर में स्थित बर्फ़ीले आर्कटिक इलाक़ों में बसने वाली कुछ मानव जातियों का सामूहिक नाम है। इनुइतों में बहुत सी भिन्न उपजातियाँ हैं लेकिन इन सभी में आपसी समानताएँ और सम्बन्ध हैं। 'इनुइत' एक बहुवचन शब्द है और एक व्यक्ति को 'इनुक' (Inuk) कहा जाता है। पुराने ज़माने में इनुइत लोगों को 'एस्किमो' (Eskimo) बुलाया जाता था लेकिन बहुत से इनुइत लोग इसे अपमानजनक शब्द मानते हैं इसलिए अब इस जाती को आमतौर पर 'इनुइत' ही कहा जाता है। 'इनुइत' शब्द का अर्थ 'लोग' है।, Inuitcircumpolar.com, Accessed 2011-01-24, bambusspiele.de, Accessed 2008-01-07 .

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इरतिश नदी

इरतिश नदी का जलसम्भर क्षेत्र ओम्स्क शहर के पास इरतिश नदी इरतिश नदी (रूसी: Иртыш, अंग्रेज़ी: Irtysh) उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और ओब नदी की प्रमुख उपनदी है। इसके नाम का अर्थ 'सफ़ेद नदी' है। ओब-इरतिश का मिलाजुला क्षेत्र एशिया का एक विशाल जलसम्भर है जिसमें पश्चिमी साइबेरिया और अल्ताई पर्वत आते हैं। इसकी कुल लम्बाई ४,२४८ किलोमीटर (२,६४० मील) है। इरतिश नदी का मार्ग चीन, कज़ाख़स्तान, मंगोलिया और रूस के देशों से होकर निकलता है।, Britannica Educational Publishing, The Rosen Publishing Group, 2011, ISBN 978-1-61530-411-0,...

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इरकुत्स्क

रूस के नक़्शे में इरकुत्स्क ओब्लास्त (लाल रंग में) इरकुत्स्क (रूसी भाषा: Ирку́тск, अंग्रेज़ी: Irkutsk) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित इरकुत्स्क ओब्लास्त नामक प्रान्त की राजधानी है। अंगारा नदी के किनारे बसा हुआ यह शहर साइबेरिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है और २०१० की जनगणना में इसकी आबादी ५,८७,२२५ गिनी गई थी। इसके पास अन्गार्स्क (Angarsk) और शेलेख़ोव (Shelekhov) शहर स्थित हैं जो इरकुत्स्क महानगर क्षेत्र का हिस्सा गिने जाते हैं और अगर इन्हें भी गिना जाए तो इरकुत्स्क महानगर की आबादी १० लाख के आसपास है। इरकुत्स्क में जुलाई में तापमान ३७.२ सेंटीग्रेड तक जा चुका है और सर्दियों में जनवरी में −४९.७ सेंटीग्रेड तक गिर भी चुका है। इतनी भयंकर सर्दी में शीतकालीन मौसम में किसी ज़माने में यहाँ दूध जमी हुई ईंटों में बिका करता था।, Henry Lansdell, Houghton, Mifflin, 1882,...

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इरकुत्स्क ओब्लास्त

रूस के नक़्शे में इरकुत्स्क ओब्लास्त (लाल रंग में) इरकुत्स्क ओब्लास्त (रूसी भाषा: Ирку́тская о́бласть, इरकुत्स्काया ओब्लास्त; अंग्रेज़ी: Irkutsk Oblast) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में ओब्लास्त का दर्जा रखता है। यह अंगारा, लेना और निझ़नाया तुंगुस्का नदियों का जलसम्भर क्षेत्र है। इसकी राजधानी इरकुत्स्क शहर है और इस प्रान्त की आबादी २०१० की जनगणना में २४,२८,७५० अनुमानित की गई थी। इरकुत्स्क ओब्लास्त का क्षेत्रफल ७,६७,९०० वर्ग किमी है यानि लगभग पाकिस्तान के क्षेत्रफल के बराबर। इरकुत्स्क ओब्लास्त की स्थापना सोवियत संघ के ज़माने में २६ सितम्बर १९३७ को हुई थी।, Europa Publications, Psychology Press, 2002, ISBN 978-1-85743-142-1,...

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कतुन नदी

तुन्गुर गाँव के पास कतुन नदी अल्ताई गणतंत्र में कतुन नदी का एक दृश्य कतुन नदी (रूसी: Катунь, अंग्रेज़ी: Katun) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में अल्ताई गणतंत्र और अल्ताई क्राय विभागों में स्थित एक ६८८ किमी लम्बी नदी है। यह अल्ताई पर्वत शृंखला के सबसे ऊँचे पहाड़, बेलुख़ा पर्वत (Белуха, Belukha) पर स्थित हिमानी (ग्लेशियर) से शुरू होती है और आगे चलकर बियस्क शहर से २६ किमी दक्षिण-पश्चिम में इसका बिया नदी के साथ विलय हो जाता है, जिसके बाद मिली हुई धारा साइबेरिया की महान ओब नदी कहलाती है।, Egon T.

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कमचातका प्रायद्वीप

अंतरिक्ष से (आधे बर्फ़ से ढके हुए) कमचातका का दृश्य कमचातका प्रायद्वीप (रूसी: полуо́стров Камча́тка, पोलूओस्त्रोव कमचातका) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के सुदूर पूर्व में एक 1,250 किमी लम्बा प्रायद्वीप है। इसका क्षेत्रफल 472,300 वर्ग किमी है (यानि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य से लगभग दुगना)। यह उत्तर में साइबेरिया से जुड़ा हुआ है। इसके पूर्व में प्रशांत महासागर है और पश्चिम में ओख़ोत्स्क सागर है। प्रशासनिक रूप से यह रूस के कमचातका क्राय विभाग का हिस्सा है। कमचातका का काफ़ी क्षेत्र पहाड़ी है और इसपर लगभग 160 ज्वालामुखी स्थित हैं, जिनमें से 29 अभी भी सक्रीय माने जाते हैं। इनमें से एक ज्वालामुखी, क्लुचेव्स्काया सोप्का, 15,584 फ़ुट ऊँचा है और पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमिस्फ़ेयर) का सबसे बड़ा ज्वालामुखी माना जाता है। कमचातका पर तरह-तरह के पशु-पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें से भूरा भालू सबसे प्रसिद्ध है और बहुत बड़े आकार का होता है। .

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कमचातका क्राय

रूस के नक़्शे में कमचातका क्राय की स्थिति (पूर्वोत्तर में, लाल रंग में) कमचातका क्राय रूस के साइबेरिया क्षेत्र के सुदूर पूर्व में स्थित एक 'क्राय' का दर्जा रखने वाला संघीय खंड है। पहले यह दो प्रशासनिक खण्डों में बंटा हुआ था - कामचातका ओब्लास्त और कोर्याक स्वशासित ओक्रुग। इन दोनों में रायशुमारी करने के बाद जनता के फ़ैसले से १ जुलाई २००७ को इनका विलय करके कमचातका क्राय बनाया गया। इसकी राजधानी पेत्रोपाव्लोव्स्क-कमचातस्कीय नाम का शहर है। सन् २००७ में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी ३,२१,७६४ थी। इस क्राय का क्षेत्रफल ४,७२,३०० वर्ग किलोमीटर है, यानी लगभग उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड को मिलाकर क्षेत्र के बराबर। भौगोलिक रूप से कमचातका क्राय का बड़ा हिस्सा कमचातका प्रायद्वीप में आता है। .

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कस्तूरी

मोस्खस मोस्खिफेरस, साइबेरियाई कस्तूरी मृग कस्तूरी नाम मूलतः एक ऐसे पदार्थ को दिया जाता है जिसमें एक तीक्ष्ण गंध होती है और जो नर कस्तूरी मृग के पीछे/गुदा क्षेत्र में स्थित एक ग्रंथि से प्राप्त होती है। इस पदार्थ को प्राचीन काल से इत्रके लिए एक लोकप्रिय रासायनिक पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है और दुनिया भर के सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है। यह नाम, संस्कृत के से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है "अंडकोष," यह लगभग समान गंध वाले एक व्यापक रूप से विविध विभिन्न पदार्थों के आस पास घूमता है हालांकि इनमें से कई काफी अलग रासायनिक संरचना वाले हैं। इनमें कस्तूरी हिरण के अलावा अन्य जानवरों के ग्रंथि स्राव, समान खुशबू बिखेरने वाले पौधे और ऐसी ही खुशबू वाली कृत्रिम पदार्थ शामिल है। 19वीं सदी के उतरार्ध तक, प्राकृतिक कस्तूरी का इस्तेमाल इत्र में बड़े पैमाने पर तब तक किया जाता रहा जब तक की आर्थिक और नैतिक इरादों ने सिंथेटिक कस्तूरी को अपनाने की दिशा नहीं दिखाई, जो लगभग विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। कस्तूरी की विशेष गंध के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार जैविक यौगिक म्स्कोने है। प्राकृतिक कस्तूरी फली का आधुनिक उपयोग अब केवल पारंपरिक चीनी दवा तक सीमित है। .

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कारा सागर

कारा सागर की अवस्थिति दर्शाता मानचित्र आर्कटिक महासागर का एक भाग, कारा सागर (रूसी: море Карское) साइबेरिया के उत्तर में स्थित है। पश्चिम में इसे बेरिंट सागर से कारा जलडमरूमध्य और नोवाया ज़ेमल्या तथा पूर्व में, लाप्टेव सागर से इसे सेवेर्नाया ज़ेमल्या अलग करते हैं। कारा सागर की भौगोलिक उत्तरी सीमा का निर्धारण कोलसाट अंतरीप, ग्राहम बेल द्वीप, फ्रांज जोसेफ भूमि से लेकर आर्कटिक अंतरीप (आर्कटिक केप) जो कि सेवेर्नाया ज़ेमल्या का सबसे उत्तरी सिरा है, से गुजरती रेखा के द्वारा होता है। कारा सागर की लंबाई 1450 किलोमीटर, चौड़ाई लगभग 970 किलोमीटर, क्षेत्रफल 880000 किमी² तथा औसत गहराई लगभग 110 मीटर (360 फीट) है। कारा सागर, बेरिंट सागर जो कि अन्ध महासागर की अपेक्षाकृत गर्म जलधाराओं को ग्रहण करता है, की तुलना में अधिक ठंडा है और वर्ष में नौ महीने से अधिक समय तक जमा रहता है। कारा सागर में ओब, येनिसेय, प्यासिना और टैमिरा नदियां विसर्जित होती हैं और इनके मीठे पानी के कारण इसकी लवणता बदलती रहती है। इसके मुख्य बंदरगाह नोवी और डिकसोन हैं और यह मछली पकड़ने का प्रमुख स्थल है, बावजूद इसके की वर्ष के सिर्फ दो महीने ही इस गतिविधि के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि बाकी समय यह जमा रहता है। पश्चिम साइबेरियाई तेल बेसिन के विस्तार के तौर पर यहाँ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडारों को खोजा गया है पर अभी तक इनका दोहन शुरु नहीं हुआ है। आर्किटिक महासागर को दुनिया का ‘एसी’ कहा जाता है, ये महासागर दुनिया की हिफाजत करता है। लेकिन आर्किटिक महासागर की बर्फ की मोटी चादर के नीचे दबी है एक न्‍यूक्लियर पनडुब्‍बी। इस पनडुब्‍बी में परमाणु बम के बराबर रेडियो एक्टिव पदार्थ है और ये पदार्थ समुद्र के पानी में घुलता जा रहा है। यकीन मानिए ये खतरा किसी एटम बम से कम नहीं है। .

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कालमिकिया

कालमिकिया (रूसी: Республика Калмыкия, रेसपूब्लिका कालमिकिया; कालमिक: Хальмг Таңһч; अंग्रेज़ी: Republic of Kalmykia) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। (2010 All-Russian Population Census, vol.

देखें साइबेरिया और कालमिकिया

कासनिया

कासनिया राजस्थान, भारत की एक जाट गोत्र है। उनके वंशज परम्पराओं के अनुसार भगवान कृष्ण से चले आ रहे हैं। संस्कृत में कृष्ण शब्द से ही कृष्णिया और कासनिया व्युत्पन्न हुए। कासनिया वंश के लोग चीन में कुषाण और युझी के रूप में जाने जाते हैं। उनके अनुसार वो लोग कासगार नामक स्थान के वंशज माने जाते हैं। ठाकुर देशराज के अनुसार, जाटों ने महाभारत के युद्ध के बाद शिवालिक की पहाड़ियों और मानसरोवर झील के नीचले क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरकुरु (जाहिर तौर पर एक पौराणिक जगह जिसे कभी-कभी कुरु साम्राज्य भी कहा जाता है।) की ओर आ गये। उनमें से कुछ पंजाब में बस गये और कुछ कश्मीर की ओर चले गये एवं बाकी बचे हुए साइबेरिया क्षेत्रों में चले गये। .

देखें साइबेरिया और कासनिया

किरगिज़ लोग

काराकोल में एक मनासची कथाकार पारम्परिक किरगिज़ वेशभूषा में एक किरगिज़ परिवार किरगिज़ मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। किरगिज़ लोग मुख्य रूप से किर्गिज़स्तान में रहते हैं हालाँकि कुछ किरगिज़ समुदाय इसके पड़ौसी देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़्बेकिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान और रूस। .

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किज़िल

किज़िल में 'एशिया का केंद्र' स्तंभ किज़िल शहर का 'संगीत और नाटक केंद्र' किज़िल (तूवी: Кызы́л, अंग्रेज़ी: Kyzyl) रूस के तूवा गणराज्य प्रांत की राजधानी है। तूवा साइबेरिया क्षेत्र में स्थित है और एशिया के महाद्वीप के ठीक बीच में (यानी भौगोलिक केंद्र) में होने के लिए मशहूर है।, Bertie Charles Forbes, Forbes Inc., 2005,...

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कज़ाख़ लोग

चीन के शिनजियांग प्रांत में एक कज़ाख़ परिवार कज़ाख़ मध्य एशिया के उत्तरी भाग में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। कज़ाख़स्तान की अधिकाँश आबादी इसी नस्ल की है, हालाँकि कज़ाख़ समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़बेकिस्तान, मंगोलिया, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में १.३ से लेकर १.५ करोड़ कज़ाख़ लोग हैं और इनमें से अधिकतर की मातृभाषा कज़ाख़ भाषा है। कज़ाख़ लोग बहुत से प्राचीन तुर्की जातियों के वंशज हैं, जैसे कि अरग़िन, ख़ज़र, कारलुक, किपचक और कुमन। माना जाता है कि इनमें कुछ हद तक मध्य एशिया की कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाली जातियाँ (जैसे कि शक, स्किथाई और सरमती) भी शामिल हो गई। कज़ाख़ लोग साइबेरिया से लेकर कृष्ण सागर तक फैले हुए थे और जब इस क्षेत्र में तुर्की-मंगोल लोगों का राज चला तब भी वे मध्य एशिया में ही बसे रहे। .

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कुत्ता

कुत्ता या श्वान भेड़िया कुल की एक प्रजाति है। यह मनुष्य के पालतू पशुओं में से एक महत्त्वपूर्ण प्राणी है। इनके द्वारा तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली एक भयंकर बीमारी रेबीज होती है। इसकी मादा को कुतिया और शावक को पिल्ला कहते हैं। इसका औसत जीवनकाल लगभग 40 वर्ष होता है। .

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कुबलई ख़ान

कुबलई ख़ान कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' (मंगोल: Хубилай хаан; चीनी: 忽必烈; २३ सितम्बर १२१५ – १८ फ़रवरी १२९४) मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १२६० से १२९४ तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का २० प्रतिशत है। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि कुबलई मंगोल साम्राज्य के एक बड़े भू-भाग का शासक बन सका।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

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कुरील द्वीपसमूह

समय के साथ कुरील द्वीपसमूह के भिन्न द्वीपों पर रूस और जापान का नियंत्रण मातुआ द्वीप का एक दृश्य कुरील द्वीपसमूह (रूसी: Кури́льские острова́, कुरीलस्कीये ओस्त्रोवा; जापानी: 千島列島, चिशिमा रेत्तो) रूस के साखालिन ओब्लास्त (प्रान्त) में स्थित एक ज्वालामुखीय द्वीपसमूह है। यह जापान के होक्काइदो द्वीप से रूस के कमचातका प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर तक लगभग 1300 किमी (810 मील) तक फैला है। कुरील द्वीपों की पूर्वी तरफ़ उत्तरी प्रशांत महासागर और पश्चिमी तरफ़ ओख़ोत्स्क सागर है। इस समूह में 56 द्वीप और कई अन्य छोटी समुद्र की सतह से ऊपर उठने वाली पत्थर की चट्टानें हैं। .

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क्रस्नोयार्स्क क्राय

रूस के नक़्शे में क्रस्नोयार्स्क क्राय की स्थिति (लाल रंग में) क्रस्नोयार्स्क क्राय (रूसी: Забайкальский край) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित एक 'क्राय' का दर्जा रखने वाला संघीय खंड है। सन् २०१० में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी २८,२८,१८७ थी। इस क्राय का क्षेत्रफल २३,३९,७०० वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे रूस का १३% है। उत्तर में यह क्राय आर्कटिक महासागर से तटवर्ती है। इसकी राजधानी क्रस्नोयार्स्क शहर है। .

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क्रॅसि

क्रॅसि (भूरे रंग में) पोलैंड में कर्ज़न सीमा से पूर्व में था और १९३९ की सोवियत-नात्ज़ी संधि में सोवियत संघ को दिया गया क्रॅसि का अधिकतर क्षेत्र ऐसा ही है - छोटे टीले और घास से ढके मैदान १९३१ में पोलैंड में भिन्न जातियों का फैलाव - पूर्व के क्रॅसि क्षेत्र में पोलिश के अलावा अन्य जातियों की बहुतायत देखी जा सकती है क्रॅसि (पोलिश: Kresy) पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले पोलैंड का पूर्वी हिस्सा हुआ करता था लेकिन जिसे उस देश से अलग करके सोवियत संघ का भाग बना दिया गया। १९९१ में सोवियत संघ के टूटने के बाद अब यह इलाक़ा पश्चिमी युक्रेन, पश्चिमी बेलारूस और पूर्वी लिथुएनिया में सम्मिलित है। .

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कैप्टन अमेरिका: सिविल वॉर

कैप्टन अमेरिका: सिविल वाॅर (अंग्रेजी; Captain America: The Civil War) वर्ष 2016 की अमेरिकी सुपरहीरो फ़िल्म है, जो 'मार्वल काॅमिक्स' के कल्पित नायक कैप्टन अमेरिका पर आधारित है, जिसे बतौर निर्माता मार्वल स्टुडियोज और वितरक वाॅल्ट डिज़नी माॅशन पिक्चर्स पेश किया है। यह वर्ष 2011 की कैप्टन अमेरिका: द फर्स्ट एवेन्जर और 2014 की कैप्टन अमेरिका: विंटर सोल्जर की तीसरी कड़ी है और मार्वल सिनेमेटिक युनिवर्स (MCU) की ओर से यह तेरहवॉं संस्करण है। फ़िल्म का निर्देशन रूसो बंधुओं, एंथनी और जाो रुस्सो ने किया है, साथ ही पटकथा क्रिस्टोफर मार्कस एवं स्टीफन मैक्फिले ने तैयार किया है तथा फ़िल्म के परिचित अदाकारों में क्रिस इवांस, रॉबर्ट डॉनी जूनियर, स्कार्लेट जोहानसन, स्बेस्चियन स्टेन, एंथोनी मैकी, एमिले वानकैम्प, डाॅन शियेडल, जेरेमी रेनर, चैडविक बोसमैन, पाॅल बेटैनी, एलिज़ाबेथ ऑल्सेन, पाॅल रुड, फ्रैंक ग्रिलो, डेनियल ब्रुह्ल और विलियम हर्ट आदि शामिल है। फ़िल्म कैप्टन अमेरिका: सिविल वाॅर में, कैप्टन अमेरिका अपने विश्व सुरक्षा की मुहिम को जारी रखता है, पर अब उनका दो विपरीत दलों में बंट चुका हैं, जिनमें से एक का अगुवाई कैप्टन अमेरिका और अन्य में आयरन मैन करते हैं, विगत एवेंजर्स: एज ऑफ अल्ट्राॅन के प्रासंगिक विनाश की घटनाओं के बाद सरकारी निरिक्षणों और एवेंजर्स की जवाबदेही के मद्देनजर कई राजनीतिक दल अब सूपरह्युमैन गतिविधियों पर नियमन करने या अंकुश लगाने हेतु कानून पारित करती है। सिविल वाॅर की डेवलपमेंट के साल 2013 से तब हुई जब मार्कस तथा मैकफीले ने पटकथा लिखना शुरू किया, उनका यह विचार 2006 की प्रकाशित सिविल वाॅर नामक काॅमिक्स की कथारेखा पढ़ने के बाद ही उपजा था। रूसो बंधु विगत "द विंटर सोल्जर" की टेस्ट स्क्रीनिंग में मिले सकारात्मक समीक्षा ने 2014 को दुबारा निर्देशन का उत्साह दिया। फ़िल्म का शीर्षक का खुलासा अक्टूबर 2014 में जारी किया गया और डाॅउनी पहले ही भूमिका के लिए चुने गए थे, अन्य सदस्यों की कास्टिंग भी आगामी महीने तक पूरी हो गई। फ़िल्म की प्रमुख फोटोग्राफी अप्रैल 2015 में जाॅर्जिया के फैयेटी काउंटी स्थित पाइनवुड एटलांटा स्टुडियो और मेट्रो एटलांटा एरिया के साथ शुरू हुई, जोकि अगस्त के जर्मनी पर जाकर समापन हुई। "कैप्टन अमेरिका: सिविल वाॅर" का वैश्विक आयोजन लाॅस एंजिल्स में अप्रैल 12, 2016 से हुआ, वहीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन अप्रैल 27 से शुरू हुआ और फिर संयुक्त राष्ट्र में यह थ्रीडी एवं आईमैक्स फाॅर्मेट के साथ मई 6 को प्रदर्शित हुई। फ़िल्म ने समीक्षकों एवं व्यावसायिक तौर पर काफी सफलता अर्जित की, जिसने वर्ल्डवाईड $678 करोड़ डाॅलर से अधिक का मुनाफा कमाया। .

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अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह

अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह (बंगाली:আন্দামান ও নিকোবর দ্বীপপুঞ্জ) भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। ये बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह लगभग 572 छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना है जिनमें से सिर्फ कुछ ही द्वीपों पर लोग रहते हैं। यहाँ की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। भारत का यह केन्द्र शासित प्रदेश हिंद महासागर में स्थित है और भौगोलिक दृष्टि से दक्षिण पूर्व एशिया का हिस्सा है। यह इंडोनेशिया के आचेह के उत्तर में 150 किमी पर स्थित है तथा अंडमान सागर इसे थाईलैंड और म्यांमार से अलग करता है। दो प्रमुख द्वीपसमूहों से मिलकर बने इस द्वीपसमूह को 10° उ अक्षांश पृथक करती है, जिसके उत्तर में अंडमान द्वीप समूह और दक्षिण में निकोबार द्वीप समूह स्थित हैं। इस द्वीपसमूह के पूर्व में अंडमान सागर और पश्चिम में बंगाल की खाड़ी स्थित है। द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर एक अंडमानी शहर है। 2001 की भारत की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 356152 है। पूरे क्षेत्र का कुल भूमि क्षेत्र लगभग 6496 किमी² या 2508 वर्ग मील है। .

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अमूर नदी

अमूर नदी का नक़्शा रूस के ख़ाबारोव्स्क क्राय क्षेत्र में अमूर नदी का एक नज़ारा अमूर नदी (रूसी: река Аму́р, रेका अमूर) दुनिया की दसवीं सब से लम्बी नदी है। यह नदी रूस के सूदूर पूर्वी क्षेत्रों और पूर्वोत्तरी चीन के दरमियान अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी है। रूस और चीन के बीच ज़मीन के लिए जो झड़पें १७वीं शताब्दी में आरम्भ हुई और २०वीं शताब्दी तक चलीं, उनमें अमूर नदी की अहम भूमिका थी। .

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अल्ताई पर्वत शृंखला

अल्ताई पर्वत शृंखला का नक़्शा अल्ताई पर्वत शृंखला मध्य एशिया की एक बड़ी पर्वत शृंखला है जो उस क्षेत्र से गुज़रती है जहाँ रूस, चीन, कज़ाख़िस्तान और मंगोलिया मिलते हैं। मध्य एशिया की दो महत्वपूर्ण नदियाँ- इरतिश और ओब - इन्ही पहाड़ों से शुरू होती हैं। अल्ताई पर्वत क्षेत्र को ही तुर्की भाषा परिवार और भाषावैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित अल्ताई भाषा परिवार की जन्मभूमि बताया जाता है। अल्ताई पर्वत पश्चिमोत्तर में साइबेरिया की सायन पर्वत शृंखला से आरम्भ होते हैं और दक्षिण-पूर्व में धीरे-धीरे छोटे होकर गोबी के ऊंचे रेगिस्तानी पठार में जा मिलते हैं। तुर्की भाषाओँ में "अल्ताई" शब्द का अर्थ "सोने के पहाड़" है और यह दो शब्दों को जोड़कर बनता है - "अल" (जिसका मतलब "सोना" है) और ताऊ (यानि "पहाड़").

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अल्ताई भाषा

२०वीं सदी की शुरुआत में कुछ अल्ताई लोग अल्ताई भाषा (रूसी: Горно-алтайские языки, अंग्रेज़ी: Altay language) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के अल्ताई गणतंत्र और अल्ताई क्राय विभागों में बसने वाले अल्ताई लोगों की मातृभाषा हैं जो तुर्की भाषा-परिवार की सदस्य है। सन् १९९२ में इसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या २०,००० अनुमानित की गई थी जबकि सन् २००२ में इसे मातृभाषा या अन्य रूप में जानने वालों की संख्या ७०,००० गिनी गई। इसकी दो मुख्य उपभाषाएँ हैं - उत्तरी अल्ताई और दक्षिणी अल्ताई। इस भाषा को मुख्यतः सिरिलिक लिपि के प्रयोग से लिखा जाता है। रूस के अलावा यह मंगोलिया और चीन के कुछ पड़ोसी इलाक़ों में भी बोली जाती है।, Barbara A.

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अल्ताई लोग

२०वीं सदी की शुरुआत में कुछ अल्ताई लोग अल्ताई (रूसी: Алтайцы, अंग्रेज़ी: Altay people) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के अल्ताई गणतंत्र और अल्ताई क्राय विभागों में बसने वाले तुर्क लोग हैं। सन् २०१० में इनकी कुल आबादी ३,६७,००० अनुमानित की गई थी। इस समुदाय की अल्ताई भाषा नामक अपनी अलग तुर्की भाषा है। .

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अल्ताई गणराज्य

अल्ताई गणराज्य का नक़्शा अल्ताई गणराज्य या अल्ताई गणतंत्र (रूसी: Респу́блика Алта́й, अंग्रेज़ी: Altai Republic) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। यह साइबेरिया क्षेत्र में स्थित है और इसकी राजधानी गोरनो-अल्तायिस्क शहर है। .

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अल्ताई क्राय

रूस के नक़्शे में अल्ताई क्राय की स्थिति बरनाऊल शहर के पास गुज़रती ओब नदी अल्ताई क्राय (रूसी: Алта́йский край, अल्ताईस्कीय क्राय) रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित एक 'क्राय' का दर्जा रखने वाला संघीय खंड है। सन् २०१० में की गई एक जनगणना के अनुसार इसकी आबादी २४,१९,७५५ थी। इस क्राय का क्षेत्रफल १,६९,१०० वर्ग किलोमीटर है, जो तुलना के लिए भारत के उड़ीसा और कर्नाटक राज्यों के क्षेत्रफलों के बीच है। दक्षिण से घड़ी की दिशा में घुमते हुए इस क्राय की सरहदें कज़ाख़स्तान, नोवोसिबिर्स्क ओब्लास्त, केमेरोवो ओब्लास्त और अल्ताई गणराज्य से लगती हैं। इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि-प्रधान है। अल्ताई क्राय की राजधानी ओब नदी के किनारे बसा बरनाऊल (Барнау́л, Barnaul) शहर है।, A.

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अंगारा नदी

येनिसेय नदी का नक़्शा जिसमें अंगारा नदी का मार्ग भी देखा जा सकता है अंगारा नदी (रूसी: Ангара́; अंग्रेज़ी: Angara) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिण-पूर्वी भाग में इरकुत्स्क ओब्लास्त और क्रस्नोयार्स्क क्राय राज्यों में बहने वाली १,७७९ किमी लम्बी एक नदी है। यह बयकाल झील से बाहर बहने वाली अकेली नदी है और साइबेरिया की महत्त्वपूर्ण येनिसेय नदी की एक उपनदी है। इरकुत्स्क ओब्लास्त के बहुत से प्रमुख शहर, जैसे कि इरकुत्स्क, अंगार्स्क, ब्रात्स्क और उसत-इलिम्स्क इसी के किनारे बसे हुए हैं। इलिम नदी इस नदी की एक उपनदी है और अंगारा नदी को इस से विलय करने से पहले 'ऊपरी तुंगुस्का नदी' (Верхняя Тунгуска, वेर्ख़न्याया तुंगुस्का, Upper Tunguska River) के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान दे कि 'निचली तुंगुस्का नदी' (Нижняя Тунгуска, निझ़न्याया तुंगुस्का, Lower Tunguska River) येनिसेय नदी की एक अलग उपनदी है जो अंगारा नदी से भिन्न है।, Encyclopedia Britannica Online, Accessed 2006-10-26 .

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उत्तर क़ज़ाख़स्तान प्रांत

उत्तर क़ज़ाख़स्तान प्रांत (कज़ाख़: Солтүстік Қазақстан облысы, अंग्रेज़ी: North Kazakhstan Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी पेत्रोपाव्ल (Petropavl) नाम का शहर है। इस प्रांत की उत्तरी सीमाएँ रूस से लगती हैं। इशिम नदी (उर्फ़ एसिल नदी), जो इरतिश नदी की एक महत्वपूर्ण उपनदी है, दक्षिण में काराग़ान्दी प्रांत से उत्पन्न होने के बाद इस प्रांत से होती हुई रूस में चली जाती है। कुछ समीक्षकों के अनुसार क़ज़ाख़स्तान का यह भाग रहन-सहन और संस्कृति में साइबेरिया जैसा अधिक और मध्य एशिया जैसा कम लगता है।, Paul Brummell, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-369-6,...

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उत्तर अमेरिका का इतिहास

उत्तर अमेरिका का इतिहास अपनी संस्कृतियों और सभ्यताओं के मामले में इस महाद्वीप की विशालता के समान ही समृद्ध है, जो अपने में सुदूर उत्तर में एस्किमो से लेकर मेक्सिको की ऐज़टैक सभ्यता तक और दक्षिण में ओल्मेक और माया सभ्यताओं को अपने में समेटे हुए है। .

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उत्तर अमेरिकी प्लेट

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देखें साइबेरिया और उत्तर अमेरिकी प्लेट

उत्तरी सागर मार्ग

उत्तरी सागर मार्ग (नीला) और दूसरा वैकल्पिक मार्ग जो स्वेज नहर से होकर जाता है (लाल) उत्तरी सागर मार्ग (अंग्रेजी: Northern Sea Route, रूसी: Северный морской путь, सेवेर्नी मोर्स्कोय पूट) एक जहाजरानी मार्ग है जो अन्ध महासागर से शुरु होकर रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र तक जाता है। इस मार्ग में प्रशांत महासागर, रूस का आर्कटिक समुद्री तट जिसमें बेरिंट सागर शामिल है से साइबेरिया से गुजरकर यह रूस के सुदूर पूर्व में समाप्त होता है। मार्ग का आर्कटिक महासागर वाला भाग वर्ष में केवल दो महीने के लिए ही बर्फ से मुक्त होता है। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में इसे उत्तर पूर्व जलमार्ग के नाम से जाना जाता था और आज भी कभी कभी इसे इसी नाम से संबोधित किया जाता है। .

देखें साइबेरिया और उत्तरी सागर मार्ग

उपार्कटिक

उत्तरी गोलार्ध में वास्तविक आर्कटिक क्षेत्र से ठीक नीचे दक्षिण में स्थित क्षेत्र उपार्कटिक या उप-आर्कटिक क्षेत्र कहलाता है। इसका विस्तार अधिकांश अलास्का, कनाडा, स्कैंडेनेविया का उत्तरी भाग, साइबेरिया और उत्तरी मंगोलिया तक है। स्थानीय जलवायु क्षेत्रों के आधार पर, आम तौर पर उप-आर्कटिक क्षेत्र 50°N से 70°N अक्षांश के बीच पड़ता है। .

देखें साइबेरिया और उपार्कटिक

उलान-उदे

उलान-उदे रूस के बुर्यातिया प्रदेश की राजधानी है, जो बायकाल झील के दक्षिण-पूर्व में 100 किलोमीटर दूर स्थित है। जनसंख्या की दृष्टि से यह शहर पूर्वी साइबेरिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। 17वीं सदी के मध्य तक उलान-उदे में बुर्यात राजाओं का शासन था। बुर्यात मंगोल जाति से जुड़ी एक बौद्ध खानाबदोश जनजाति है। बुर्यात लोग मूल रूप से खानाबदोश चरवाहे हैं, जिनकी संस्कृति और भाषा मंगोलियाई और तिब्बती बौद्धों से मिलती-जुलती है। .

देखें साइबेरिया और उलान-उदे

उल्का

आकाश के एक भाग में उल्का गिरने का दृष्य; यह दृष्य एक्स्ोजर समय कबढ़ाकर लिया गया है आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं। इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार ये पिंड ब्रह्माण्डविद्या और भूविज्ञान के बीच संपर्क स्थापित करते हैं। .

देखें साइबेरिया और उल्का

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

इसाबेल तूफान (2003) के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के 7 अभियान के दौरान कक्षा से देखा. आंख, आईव़ोल और आसपास के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषता rainbands स्पष्ट रूप से कर रहे हैं अंतरिक्ष से इस दृश्य में दिखाई देता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान प्रणाली है जो एक विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावातों द्वारा चरितार्थ होती है और जो तीव्र हवाओं और घनघोर वर्षा को उत्पन्न करती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है। वे अन्य चक्रवात आंधियों जैसे नोर'ईस्टर, यूरोपीय आंधियों और ध्रुवीय निम्न की तुलना में विभिन्न ताप तंत्रों द्वारा उत्पादित होते है, अपने "गर्म केंद्र" आंधी प्रणाली के वर्गीकरण की ओर अग्रसर होते हुए.

देखें साइबेरिया और उष्णकटिबंधीय चक्रवात

१३ जुलाई

१३ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९४वॉ (लीप वर्ष में १९५ वॉ) दिन है। साल में अभी और १७१ दिन बाकी है। .

देखें साइबेरिया और १३ जुलाई

१३ अगस्त

13 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 225वॉ (लीप वर्ष में 226 वॉ) दिन है। साल में अभी और 140 दिन बाकी है। .

देखें साइबेरिया और १३ अगस्त

१६ जून

16 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 167वाँ (लीप वर्ष में 168 वाँ) दिन है। साल में अभी और 198 दिन बाकी हैं। .

देखें साइबेरिया और १६ जून

१९२२

1922 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें साइबेरिया और १९२२

२००४

2004 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

देखें साइबेरिया और २००४

२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

देखें साइबेरिया और २०१०

२८ अगस्त

28 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 240वॉ (लीप वर्ष में 241 वॉ) दिन है। साल में अभी और 125 दिन बाकी है। .

देखें साइबेरिया और २८ अगस्त

५ जनवरी

5 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 5वाँ दिन है। साल में अभी और 360 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 361)। .

देखें साइबेरिया और ५ जनवरी

साइबेरियाई के रूप में भी जाना जाता है।

, बरगुज़ीन नदी, बायकाल पर्वत, बालदार गैंडा, बिया नदी, बुर्यातिया, बुर्ज, बेरिंजिया, भरतपुर, भूमंडलीय ऊष्मीकरण, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, मध्य एशिया, मध्य साइबेरियाई पठार, महाराणा प्रताप सागर, महारानी काथरिन, मातृवंश समूह ऍक्स, मातृवंश समूह ए, मातृवंश समूह डी, मातृवंश समूह सी, मातृवंश समूह सीज़ॅड, मातृवंश समूह जी, मातृवंश समूह वाए, मान्छु, मारिया शरापोवा, मागादान ओब्लास्त, मिखाइल बाकूनिन, मंगोल भाषा-परिवार, मंगोल साम्राज्य, मैमथ, मैस्टोडॉन, मेंडलीफ, मोदू चानयू, याकूत लोग, युक्रेन, यूराल पर्वत, यूरेशियाई स्तेपी, यूरोप, येनिसेय नदी, रघु वीर, रूसी त्सार-राज्य, लापतेव सागर, लाजवर्द, लेना नदी, शियोंगनु लोग, शिजियाझुआंग, सयल्यूगेम पर्वत, सर-ए-संग, सायन पर्वत शृंखला, साख़ा भाषा, साख़ा गणतंत्र, साख़ालिन, साइबेरियाई तुर्की भाषाएँ, सिबिर ख़ानत, सिलीन स्टेनोफ़ाइला, संचार उपग्रह, संतरी बुर्ज, संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी, सुनहरा उर्दू, स्लावी भाषाएँ, सैल्मन, सूझोऊ, सेलेन्गा नदी, सेवेर्नाया ज़ेमल्या, हारबिन, हिम तेन्दुआ, होक्काइदो, ज़बायकाल्स्की क्राय, ज़मीनी पुल, ज़ुन्गारिया, जातीय समूह, वनोन्मूलन, वायुमंडलीय दाब, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी २०१०, ख़ाबारोव्स्क, ख़ाबारोव्स्क क्राय, ख़कास भाषा, ख़कास लोग, ख़कासिया, गुलाग, ग्रेफाइट, गोरामानसिंह, ओझा, ओब नदी, ओस्त्रोग, ओख़ोत्स्क सागर, औरोक्स, आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग, आर्कटिक वृत्त, इनुइत, इरतिश नदी, इरकुत्स्क, इरकुत्स्क ओब्लास्त, कतुन नदी, कमचातका प्रायद्वीप, कमचातका क्राय, कस्तूरी, कारा सागर, कालमिकिया, कासनिया, किरगिज़ लोग, किज़िल, कज़ाख़ लोग, कुत्ता, कुबलई ख़ान, कुरील द्वीपसमूह, क्रस्नोयार्स्क क्राय, क्रॅसि, कैप्टन अमेरिका: सिविल वॉर, अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह, अमूर नदी, अल्ताई पर्वत शृंखला, अल्ताई भाषा, अल्ताई लोग, अल्ताई गणराज्य, अल्ताई क्राय, अंगारा नदी, उत्तर क़ज़ाख़स्तान प्रांत, उत्तर अमेरिका का इतिहास, उत्तर अमेरिकी प्लेट, उत्तरी सागर मार्ग, उपार्कटिक, उलान-उदे, उल्का, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, १३ जुलाई, १३ अगस्त, १६ जून, १९२२, २००४, २०१०, २८ अगस्त, ५ जनवरी