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सांख्यिकीय भौतिकी

सूची सांख्यिकीय भौतिकी

सांख्यिकीय भौतिकी, भौतिकी की वह शाखा है जिसमें भौतिक समस्याओं के समाधान के लिये प्रायिकता सिद्धांत एवं सांख्यिकी का उपयोगकिया जाता है। इसके द्वारा अनेकानेक क्षेत्रों का वर्णन किया जा सकता है जो मूलतः स्टॉकैस्टिक (stochastic) प्रकृति के होते हैं। श्रेणी:सांख्यिकीय यांत्रिकी.

5 संबंधों: ऊष्मा-अर्थशास्त्र, बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी, मुस्तानसिर बार्मा, क्रमचय-संचय, अल्बर्ट आइंस्टीन

ऊष्मा-अर्थशास्त्र

ऊष्मा-अर्थशास्त्र (Thermoeconomics), अर्थशास्त्र का एक सम्प्रदाय है जो अर्थशास्त्र में भी ऊष्मागतिकी के नियमों के उपयोग का पक्षधर है। 'थर्मो-इकनॉमिक्स' शब्द का सबसे पहले प्रयोग १९६२ में अमेरिकी इंजीनियर माइरन ट्राइबस ने किया था। ऊष्मा-अर्थशास्त्र को उसी प्रकार समझा जा सकता है जैसे सांख्यिकीय भौतिकी (statistical physics) को। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी

बसु-आइंस्टीन वक्र (ऊपर वाला) तथा फर्मी-डिरैक वक्र (नीचे वाला) क्वांटम सांख्यिकी तथा सांख्यिकीय भौतिकी में अविलगनीय (indistinguishable) कणों का संचय केवल दो विविक्त ऊर्जा प्रावस्थाओं (discrete energy states) में रह रकता है। इसमें से एक का नाम बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी (Bose–Einstein statistics) है। लेजर तथा घर्षणहीन अतितरल हिलियम के व्यवहार इसी सांख्यिकी के परिणाम हैं। इस व्यवहार का सिद्धान्त १९२४-२५ में सत्येन्द्र नाथ बसु और अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया था। 'अविलगनीय कणों' से मतलब उन कणों से है जिनकी ऊर्जा अवस्थाएँ बिल्कुल समान हों। यह सांख्यिकी उन्ही कणों पर लागू होती है जो जो पाउली के अपवर्जन सिद्धांत के अनुसार नहीं चलते, अर्थात् अनेकों कण एक साथ एक ही 'क्वांटम स्टेट' में रह सकते हैं। ऐसे कणों का चक्रण (स्पिन) का मान पूर्णांक होता है तथा उन्हें बोसॉन (bosons) कहते हैं। यह सांख्यिकी १९२० में सत्येन्द्रनाथ बोस द्वारा प्रतिपादित की गयी थी और फोटानों के सांख्यिकीय व्यवहार को बताने के लिये थी। इसे सन् १९२४ में आइंस्टीन ने सामान्यीकृत किया जो कणों पर भी लागू होती है। .

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मुस्तानसिर बार्मा

पद्म श्री डॉ॰ मुस्तानसिर बार्मा सांख्यिकीय भौतिकी के क्षेत्र में कार्यरत भारतीय वैज्ञानिक हैं। वो टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक हैं। .

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क्रमचय-संचय

दोहराव के साथ क्रमपरिवर्तन। क्रमचय-संचय (Combinatorics) गणित की शाखा है जिसमें गिनने योग्य विवर्त (discrete) संरचनाओं (structures) का अध्ययन किया जाता है। शुद्ध गणित, बीजगणित, प्रायिकता सिद्धांत, टोपोलोजी तथा ज्यामिति आदि गणित के विभिन्न क्षेत्रों में क्रमचय-संचय से संबन्धित समस्याये पैदा होतीं हैं। इसके अलावा क्रमचय-संचय का उपयोग इष्टतमीकरण (आप्टिमाइजेशन), संगणक विज्ञान, एर्गोडिक सिद्धांत (ergodic theory) तथा सांख्यिकीय भौतिकी में भी होता है। ग्राफ सिद्धांत, क्रमचय-संचय के सबसे पुराने एवं सर्वाधिक प्रयुक्त भागों में से है। ऐतिहासिक रूप से क्रमचय-संचय के बहुत से प्रश्न विलगित रूप में उठते रहे थे और उनके तदर्थ हल प्रस्तुत किये जाते रहे। किन्तु बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शक्तिशाली एवं सामान्य सैद्धांतिक विधियाँ विकसित हुईं और क्रमचय-संचय गणित की स्वतंत्र शाखा बनकर उभरा। .

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अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

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