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सम्मान

सूची सम्मान

सम्मान एक अमूर्त अवधारणा है जो योग्यता और प्रतिष्ठा का आवेश है जो किसी व्यक्ति या संस्था जैसे कि परिवार, विद्यालय, रेजिमेंट या राष्ट्र के सामाजिक स्तर और स्व-मूल्यांकन दोनों को प्रभावित करता है। तदनुसार, व्यक्तियों (या संस्थानों) को विशिष्ट कार्यों के सामंजस्य के आधार पर मूल्य और कद प्रदान किया जाता है। कामुकता के संबंध में, पारम्परिक रूप से सम्मान "शुद्धता" या "कौमार्य" के साथ जुड़ा रहा है या विवाहित पुरुषों और महिलाओं के मामले में "निष्ठा" से। सम्मान की अवधारणा के महत्व में आधुनिक दुनिया में गिरावट आई है और अंत:करण ने इस की जगह ले ली है। एक संज्ञा के रूप में, सम्मान किसी पुरस्कार का उल्लेख भी कर सकता है। उदाहरण के लिये किसी राष्ट्र द्वारा दिए गए। इस तरह के सम्मान में सैन्य पदक शामिल होते हैं, लेकिन अधिकतर आम तौर पर इसका मतलब नागरिक पुरस्कार होता है, जैसे कि पद्म श्री, नाइटहुड या पाकिस्तानी निशान-ए–पाकिस्तान। .

18 संबंधों: निरंकार देव सेवक, पल्प फिक्शन (फिल्म), पितृ दिवस, प्रीति पाटकर, पीला, भारत गौरव सम्मान, भारत की संस्कृति, महात्मा गांधी, सूर्य देवता, हरियाणा में खेलकूद, हस्त-चुम्बन, वूल्वरिन (कॉमिक्स), ऑर्डर ऑफ़ चिवैलरी, आत्महत्या, इज़्ज़त, अर्धांगिनी (फिल्म), अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर, अल्पना मिश्र

निरंकार देव सेवक

निरंकारदेव सेवक का जन्म १८ जनवरी १९१९ में हुआ। हिन्दी बाल साहित्य के वरिष्ठ कवियों में निरंकार देव सेवक प्रमुख हैं। सेवक जी ने बाल कविताएँ और शिशुगीत लिखने के साथ ही हिंदी बाल कविता को दिशा देने का बहुत बड़ा काम किया। उनके द्वारा लिखे गये शिशुगीत हिन्दी बाल साहित्य में आदर्श शिशुगीत माने जाते हैं। बच्चों को उनके शिशुगीत बहुत भाते हैं, बात-बात में वे उन्हें याद कर लेते हैं। उनका एक शिशुगीत है- एक शहर है चिकमंगलूर यहाँ बहुत से हैं लंगूर एक बार जब मियाँ गफूर खाने गए वहाँ अंगूर बिल्ली एक निकल आई वह तो थी उनकी ताई कान पकड़ कर पटकी दी जै हो बिल्ली माई की। .

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पल्प फिक्शन (फिल्म)

पल्प फिक्शन 1994 की एक अपराध पर आधारित फिल्म है, जिसका निर्देशन क्वेंटिन टारनटिनो ने किया, जिन्होंने रोजर एवेरी के साथ मिल कर इसकी पटकथा को लिखा.

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पितृ दिवस

फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व (फादरहुड), पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है। यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मदर्स डे(मातृ-दिवस) का पूरक है। .

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प्रीति पाटकर

प्रीति पाटकर एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता हैं। वह एक संघठन "प्रेरणा" की सह-संस्थापक व निर्देशक हैं, जिसने मुंबई के रेड-लाइट इलाको में व्यावसायिक यौन शोषण और तस्करी से बच्चो की रक्षा की। .

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पीला

पीला एक रंग है जो कि मानवीय चक्षु के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यम, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह वर्ण है, जिसमें लाल एवं हरा वर्ण बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस का तरंग दैर्घ्य 570–580 nm है। .

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भारत गौरव सम्मान

भारत गौरव सम्मान एक भारतीय जीवनभर की उपलब्धि पुरस्कार है जो की भारतीयों और प्रवासी भारतीयों को उनके विभिन्न क्षेत्रो में किये गए उत्कृष्ट कार्य के लिए हर वर्ष दिया जाता हैं। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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सूर्य देवता

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हरियाणा में खेलकूद

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हस्त-चुम्बन

हस्त-चुम्बन या हाथ पर चुम्बन एक चेष्टा हैं जो शिष्टाचार, विनम्रता, सम्मान, प्रशंसा या यहां तक ​​कि किसी व्यक्ति की अन्य के प्रति भक्ति को दर्शाता हैं। श्रेणी:चुम्बन श्रेणी:पश्चिमी संस्कृति श्रेणी:मध्य पूर्वी संस्कृति श्रेणी:इशारें श्रेणी:आदर के इशारें.

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वूल्वरिन (कॉमिक्स)

वूल्वरिन (Wolverine) एक काल्पनिक कैनेडियन सुपरहीरो है जो मार्वल कॉमिक द्वारा प्रकाशित हास्य पुस्तकों में दिखाई पड़ता है। यह चरित्र इनक्रेडबल हल्क (Incredible Hulk) # 180 (अक्टूबर 1974) में सबसे पहले दिखाई दिया जिसकी रचना लेखक लेन विन ने की और मार्वल कला निर्देशक जॉन रोमिटा सीनियर ने चरित्र को डिजाइन किया। यह सबसे पहले हर्ब ट्राइम्प द्वारा प्रकाशन के लिये तैयार किया गया।वूल्वरिन बाद में एक्स-मेन के "ऑल न्यू.

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ऑर्डर ऑफ़ चिवैलरी

होरेशियो नेलसन अपने सभी पदकों के साथ ऑर्डर ऑफ़ चिवैलरी या चिवैलरिक ऑर्डर यूरोपीय देशों में सम्मान, संस्था या नाइट का समाज होता है। यह ऐतिहासिक तौर पर क्रूसेड (लगभग 1099 -1291) के मूल कैथोलिक सैन्य ऑर्डर (समूह) के दौरान या उससे प्रेरणा लेकर स्थापित किये गए थे। यह शौर्य की मध्ययुगीन आदर्शों के ऊपर स्थापित अवधारणा थी। 15वीं शताब्दी के दौरान, चिवैलरिक ऑर्डर के वंशवादी ऑर्डर, एक अधिक रूढ़िवादी फैशन में बनने लगे। इन संस्थाओं ने बदले में ऑर्डर ऑफ़ मेरिट जैसे आधुनिक सम्मान को जन्म दिया। .

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आत्महत्या

आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "स्वयं को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं। आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं। युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं। इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से संबंधित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था। आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दंडनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दंडनीय अपराध है। 20वीं और 21 वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती वम विस्फोट को फौजी या आतंकवादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। .

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इज़्ज़त

इज़्ज़त उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति में मान, सम्मान और प्रतिष्ठा की मिश्रित संकल्पना (अर्थात कॅान्सेप्ट) है। यह उस क्षेत्र में रहने वाले सारे धर्मों (हिन्दू, मुस्लिम, सिख) और समुदायों पर लागू है। अपनी और अपने परिवार की (विशेषतः परिवार की स्त्रियों की) मान-प्रतिष्ठा बनाए रखना और अपनी इज्ज़त का उल्लंघन करने वालों से अनिवार्य रूप से बदला लेना इज्ज़त रखने के अभिन्न अंग माने जाते हैं। इज्ज़त की संकल्पना को कभी-कभी स्त्री-स्वतंत्रता के लिए सामाजिक अवरोधक बुलाया गया है, लेकिन हर सामाजिक वर्ग में इज्ज़त की एक ही परिभाषा होने से इसे समाज में समानता लाने का भी एक मूल समझा जाता है जिसमे "(दोस्ती की स्थिति में) लेन-देन की बराबरी भी है और (दुश्मनी की स्थिति में) बदला लेने की भी।" किसी भी रिश्ते में दोनों ओर से बराबर की दोस्ती या दुश्मनी जतलाने की परंपरा इज्ज़त की रिवायत से जुड़ी हुई है। अगर किसी ने पहले किसी परिस्थिति में सहायता की हो तो भविष्य में ज़रुरत पड़ने पर उसकी सहायता करना इस क्षेत्र के समाज में अपनी इज्ज़त रखने के लिए अनिवार्य माना जाता है। .

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अर्धांगिनी (फिल्म)

अर्धांगिनी- एक खुबसूरत जीवन साथी। अर्धांगिनी १९५९ मे श्याम महेशवरी द्वारा निर्देशित चलचित्र है जिनमे मुख्य पात्र निभाया है मीना कुमारी,राज कुमार और शुभा खोटे ने। यह एक तना हुआ सामाजिक नाटक है। इस फिल्म की कथानक, 'छाया' नाम की एक साधारण लडकी के जीवन पर आधारित है जो एक पारंपरिक परिवार से संबंध रखती है। .

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अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर

अर्नोल्ड अलोइस श्वार्ज़नेगर (जन्म 30 जुलाई 1947) एक ऑस्ट्रियन अमेरिकी बॉडीबिल्डर, अभिनेता, मॉडेल, व्यवसायी और राजनेता, वर्तमान में कैलिफोर्निया राज्य के 38वें गवर्नर के रूप में सेवारत हैं। श्वार्ज़नेगर ने पंद्रह वर्ष की आयु में भारोत्तोलन का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 22 साल की उम्र में उन्हें मि. यूनिवर्स (Mr. Universe) की उपाधि से सम्मानित किया गया और उन्होंने मि. ओलम्पिया (Mr. Olympia) प्रतियोगिता में कुल सात बार जीत हासिल की। अपनी सेवानिवृत्ति के बहुत समय बाद भी श्वार्जनेगर बॉडीबिल्डिंग के खेल में एक प्रमुख चेहरा बने हुए हैं और उन्होंने खेल पर कई पुस्तकें और अनेक लेख लिखे हैं। कॉनन द बर्बरियन (Conan the Barbarian) और द टर्मिनेटर (The Terminator) जैसी फ़िल्मों में अपनी उल्लेखनीय मुख्य भूमिका के कारण श्वार्जनेगर ने हॉलीवुड की एक्शन फि़ल्म के प्रतीक के रूप में दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की। अपने बॉडीबिल्डिंग के दिनों में उन्हें "ऑस्ट्रियन ओक" और "स्टायरियन ओक" उपनाम दिया गया था, अपने अभिनय कॅरियर के दौरान "अर्नोल्ड बलिष्ठ" और "फौलादी" हैं और एकदम हाल ही में "गवर्नेटर" - गवर्नर बने हैं (गवर्नर और टर्मिनेटर-उनकी एक फिल्म की भूमिका, दोनों शब्दों को मिलाकर बना नया शब्द).

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अल्पना मिश्र

अल्पना मिश्र हिंदी कथा साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी पहली कहानी 'ऐ अहिल्या ' 'हंस' पत्रिका के अक्तूबर १९९६ अंक में प्रकाशित हुई थी। उनकी भाषा की ताज़गी, विलक्षणता और साथ ही लोक रंग की उपस्थिति उनकी भाषा को सबसे अलग पहचान देती है। विशिष्ट शिल्प प्रयोगों तथा गहरे सामाजिक सरोकारों के कारण अल्पना मिश्र ने हिंदी कथा जगत को नई ऊँचाई दी है। उन्हें हिंदी का ' अनकन्वेंशनल राईटर' माना जाता है। उनकी प्रसिद्द कहानियों में 'उपस्थिति',' 'मुक्ति प्रसंग', ' मिड डे मील', 'कथा के गैर जरूरी प्रदेश में', 'बेदखल',' इस जहाँ में हम','स्याही में सुरखाब के पंख' 'गैर हाजिरी में हाज़िर' आदि हैं। उनकी लिखी 'छावनी में बेघर' कहानी हिंदी कथा जगत में सैन्य जीवन पर लिखी लगभग अकेली कहानी है जो बेहतरीन तरीके से सैनिक जीवन का परिचय कराती है। गया है। उनके कहानी संग्रह: भीतर का वक्त्त,छावनी में बेघर, कब्र भी कैद औ जंजीरे भी,' स्याही में सुरखाब के पंख', के साथ ही उपन्यास:'अन्हियारे तलछट में चमका' पाठकों के बीच में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं। वह हिंदी की महान लेखकों में से एक है और उन्होंने हिन्दी के कला क्षेत्र को और खूबसूरत बनाने में अपना अच्छा योगदान दिया हैं। उनकी कहानियो का अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है। उन्हें अनेक सम्मानों से भी सम्मानित किआ गया। .

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निवर्तमानआने वाली
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